Jungle - 12 in Hindi Thriller by Neeraj Sharma books and stories PDF | जंगल - भाग 12

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जंगल - भाग 12

                               ( 12)

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                    थमी सी रात, जागते लोग, चलती ट्रेने, बसे, कारे.... पता नहीं दुनिया कब सोती है। कब शहर सोता है, पूछता हुँ कभी आपने आप से, ज़िन्दगी के मापदंड बस यही पैसा कमाना, और पार्टियों मे उडाना ही होता है। सोने की टेबलट खानी जरुरी हो गया है। इसके बिना नींद नहीं, खाब कया आये पता ही नहीं।या छोटा सा पेग.... चुस्की से पीते हुए कुछ देखना। ये जिंदगी जिसका हम गला खूब घुट रहे है, इसे जिंदगी कहते है। वाह जी वाह ---------

राहुल ज़ोकंग के लिए निकला ही था, तभी साथ वाले जो पंद्रहा कदम होगा, एक गोली की आवाज़ ने पंछइयो की चाह चाट लगा दी, लोग ठीक चार वजे इकठे थे। "सबी की जुबा पे एक ही प्रश्न था "

"कया हुआ ----" सब हतपरस्त थे। एक उम्र की बूढ़ी महला ने सिर पे गोली मार लीं। पुलिस की रिपोर्ट मे "कई दिन से सोई नहीं थी, इस लिए अपसेट चल रही थी " सब चुप।

बयान मे यही लिखा गया।

अख़बार मे दूसरे दिन यही मामला सामने था।

अजीब घटना।

तभी ----------------इंस्पेक्टर राधे जी।

"हांजी ज़नाब राहुल जी आप ही है "

"जी सर ----" राहुल ने हिचक के बिना उतर दिया।

"Dsp तुषार "आप को याद फरमा रहे है ज़नाब "

"चले गे, ट्रेक सूट मे " इंस्पेक्टर ने आपने चेहरे का पसीना रुमाल से पुझते हुए कहा।

"जैसे आपकी मर्जी "------राधे खुश था। सोच रहा था, इने  भी पता चले, पुलिस होती कया बला है।

जाते ही तुषार ने देखा, और जोर से गलवकड़ी डाली।

"राधे, जानते हो आज मेरा सब से ईमानदार पक्का यारों का यार स्टेशन पे आया है।"

"जी "राधे गुमसुम सा था।

"हमारी दोस्ती एक नंबर थी,  अवल नम्बर।"---

"ये बताओ ----ट्रेक सूट मे मेरा प्यार ले आया, या तुमने कोई...... की है।" राधे चुप नीचे पैरो को देखता रहा।

"देखते कया हो।----- कोई चाये लिम्का ले कर आओ।"

"जी सर " घूरते हुए तुषार ने कहा।

"---नहीं तुषार, सर dsp जी नहीं। " उसने इशारा किया।

"घर पर कल डिनर मे मिलेंगे। " चुप के बाद फिर कुछ जानने की कोशिश की।

"शादी और तलाक का मामला ----"  तुषार ने पूछा।

"बैठो चेयर पे " इशारा किया। कुर्सी खिसकाई, और बैठ गया।

हाँ सहब, " कुछ नोक झोक थी, फिर कट जिंदगी ने एडा दिया, कि साब खत्म।"

" ओह नो, कल तूने देखा और सुना, लोग नींद न आये तो गोली मार लेते है। " हसने को जी करता है, पर बात ही करुणा वाली है। "इस शहर मे नींद एक दिक्क्त बन गयी है। "

चलो, मुझे इजाजत दो " ---- "मैंने कुछ काम निपटाना है, आज ही ----" पुलिस को आदत होती है टांग अड़ाने की..... "कैसा काम " तरुण ने पूछा। वैसे ही पुलिस को पूछने की आदत होती है, " डो नोट माइंड " हसा फिर "ओके कल डिनर पे मिलेंगे।" होटल मे बुक करुँगा। " राहुल ने जल्दी मे कहा। "ओके टेक केयर " 

                   जल्दी से दौड़ ता हुआ,  बगले के आगे,सवेरे के  दस वज गए कब? पता ही नहीं चला। तभी थोड़ा आफसोसा जॉन दिखा " अरे, रोनी सूरत... " कया हुआ " डाट लगी कालज मे " चमेली जा बसंती छोड़ गयी कया " राहुल ने थोड़ा हसते हुए दोस्ती की तरा कहा। पापा जैसा नहीं था, उसका पापा, दोस्त था।

बस राहुल रोनी सूरत लिए पास बैठ गया। चेयर पे, पापा बाथरूम से बोले जा रहा था।

---------------------**+ **---------------------- (चलदा )