Jungle - 10 in Hindi Thriller by Neeraj Sharma books and stories PDF | जंगल - भाग 10

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जंगल - भाग 10

बात खत्म नहीं हुई थी। कौन कहता है, ज़िन्दगी कितने नुकिले सिरे रखती है। पता नहीं हम एक दूसरे को कब के जानते है, कोई नहीं जानता, जैसे कुछ रह गया, जो हम  मिल ले, काम पूरा करे।  इसका दंड युद्ध चलता ही रहता है

ऐसे ही राहुल वो लड़की को मिल कर जैसे माधुरी के चित्र मे खो गया। हुँ भु वैसे ही , एक पत्नी एक लड़की... जो इस दुनिया मे नहीं, पर कारज करता भी खूब शतरज खेलता है।

हैरान हुँ, "कितना ही " वो भावक सी एक मूर्त सी लगी थी। नैन नक्श एक दम कॉपी थे। कोई भूल जाता.... कैसे सब सम्भव हो सकता था। कैसे...? वो सिम्पल सधारण सी थी। ऐसा लगा जैसे टूटी सी....

तभी जॉन उठ कर आया। उनिदा था। उसने छोटी सी बाहे ऊपर की तो अंगड़ाई लीं। तभी एक हसी मधुर गुजी।

तभी हलका सी फेर बदल हुआ। बलराम चौकीदार ने राहुल के कहने पे उसे उठा लिया। "छोटे बाबा, आप तो भारी है।" सास चढ़ गया बलराम को। पर फिर भी एक बोझल आँख से उसने उसे देख लिया था।

उच्ची से बोला, "माँ "जैसे सब तंत्र हवाओ के मंजर रुक गए हो।

बीच मे राहुल आ गया। "जाओ ब्रेक फ़ास्ट कराओ इसे।"

राहुल बोला "आप जो भी है, मेरे ऑफिस मे मेरा इंतज़ार करे।"

वो वहा से चली गयी।

राहुल ने माथे का पसीना पुझा। "माँ " ये जैसे घंटी की तरा राहुल के बज्र पात हुआ। "संगीना कौन है " सी ऐ  को नामजद किया।कुछ मिंटो मे सी ऐ वास्तव ऑफिस मे था।

"आप का नाम " 

"संगीना वास्तव " 

 "किस लिए आपने ये पोस्ट ज्वाइन की "  अटपटा सवाल उतर कया होगा।

"मैं एक अच्छी माँ की गुणवनता समझती हुँ, मैं तीन वार माँ नहीं बन सकी। मेरे हस्बैंड ने तलाक कर दिया।"

"कर दिया " गलत मैडम "दें दिया " 

"----मै नहीं चाहती थी।"चुप हो गयी।

"तुम्हारी id और इडनती होनी चाहिए।"

तभी राहुल आ गया। सी ऐ ने खड़ा होके रेस्पेक्ट दी।

वो सिकुड़ गयी। उसने धनराज की सब डिटेल लेने को राहुल ने सी ऐ को भेज दिया।

"हाँ तो आप "सगीना है "राहुल ने दुबारा से पूछा। और हल्की सी खासी की। 

" हाँ ---- "उसने कहा , जैसे राहुल कुछ भूल गया हो।

"आप को कितना तुजरबा है, आप शादी शुदा तो नहीं हो ", राहुल ने बेहिचक जवाब किया।

"माँ को तुजरबा नहीं, सर, मैंने तन पे दुख देखा है, तीन बच्चे खोने का का दुख... जन्म लेने वक़्त ही... आँखे भर लीं।"

आँखो मे आंसू राहुल देख न सका।

"याद रखो, तुम्हारा ही घर है, यही हमारे साथ रहना, और जॉन की जिमेवारी तुम्हारी होंगी।" राहुल ने बिन सास लिए ही बोल दिया।

"कल से " नहीं राहुल एक दम  बोला, जाओ, "आज से

" संगीना चुप थी। वो जा चुकी थी। राहुल कुछ सोचने मे मग्न हो गया था। दादा जी की एक बात उसे याद आती है, "किसी को भी आपना सिकर्ट मत दो, जल्दी से जो चला, वो गिरा।!!!

"जल्दी से आज चला, चलो कोई बात नहीं " 

दादा जी की एक और बात " हर चेहरे के पीछे बहुत कुछ ऐसा होता है, हम सोच नहीं सकते। " चुप था राहुल। आज दादा जी की कड़वी बाते कयो आ रही थी। पता नहीं कयो।।

------------------*---------------चलदा