Aloukik Prem Kathaye - 7 in Hindi Love Stories by सोनू समाधिया रसिक books and stories PDF | अलौकिक प्रेम कथायें - 7

Featured Books
  • You Are My Choice - 41

    श्रेया अपने दोनो हाथों से आकाश का हाथ कसके पकड़कर सो रही थी।...

  • Podcast mein Comedy

    1.       Carryminati podcastकैरी     तो कैसे है आप लोग चलो श...

  • जिंदगी के रंग हजार - 16

    कोई न कोई ऐसा ही कारनामा करता रहता था।और अटक लड़ाई मोल लेना उ...

  • I Hate Love - 7

     जानवी की भी अब उठ कर वहां से जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी,...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 48

    पिछले भाग में हम ने देखा कि लूना के कातिल पिता का किसी ने बह...

Categories
Share

अलौकिक प्रेम कथायें - 7

रात का सन्नाटा गहराता जा रहा था, और शहर के बाहरी हिस्से में स्थित एक पुरानी हवेली में एक अनजाना भयावह साया फैल रहा था। यह हवेली कभी शान-ओ-शौकत का प्रतीक थी, पर अब यहां कोई आता नहीं था। लोग कहते थे कि इस जगह पर एक सुक्कुबस का साया मंडराता है—एक ऐसा प्रेत जो लोगों के सपनों में घुसकर उनकी आत्मा चुराता है। लेकिन यह सिर्फ किस्से-कहानियों में कहा गया था, सच्चाई कोई नहीं जानता था।

अरविंद, एक महत्वाकांक्षी युवक, जिसने अपने जीवन में भूत-प्रेत और अंधविश्वासों को कभी गंभीरता से नहीं लिया था, हाल ही में शहर में आया था। वह पुरानी हवेली के बारे में कहानियां सुनता रहता था, लेकिन उसने हमेशा उन्हें हंसी में उड़ा दिया। एक दिन, उसके दोस्त ने उसे चैलेंज किया कि वह उस हवेली में एक रात बिताए। अरविंद ने बिना सोचे-समझे चुनौती स्वीकार कर ली और रात को हवेली में जाकर रहने का निर्णय किया।

रात के अंधेरे में, जब अरविंद हवेली के दरवाजे पर पहुंचा, तो उसके अंदर एक हल्की घबराहट पैदा हुई। परंतु उसका घमंड और जिज्ञासा उसकी घबराहट पर भारी पड़ गई, और वह दरवाजा खोलकर अंदर चला गया। हवेली के अंदर की स्थिति जर्जर हो चुकी थी। फर्श पर धूल जमी हुई थी और दीवारों पर जाले लटक रहे थे। हवा में एक अजीब सी ठंडक थी जो उसकी रीढ़ में सिहरन पैदा कर रही थी।

अरविंद ने खुद को मजबूत किया और अंदर के कमरे में चला गया। वहां एक पुराना बिस्तर पड़ा था, जो शायद कभी इस्तेमाल नहीं हुआ था। उसने अपनी बैग से एक कंबल निकाला और बिस्तर पर लेट गया। लेकिन उसे यह महसूस हुआ कि कुछ अजीब था। हवेली में एक असामान्य सी खामोशी थी, जैसे यह जगह जीवित थी और हर कोने से उसे देख रही थी। उसकी आंखें धीरे-धीरे बंद होने लगीं, और जल्द ही वह गहरी नींद में चला गया।

जब वह सोया, उसके सपने ने उसे एक दूसरी दुनिया में पहुंचा दिया—एक खूबसूरत, लेकिन अजीबोगरीब जगह। वहां, उसने एक महिला को देखा, जो अत्यंत आकर्षक और मोहक थी। उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी, और उसका चेहरा किसी देवी की तरह सुंदर था। लेकिन उस महिला की मुस्कान में कुछ भयावह था, जैसे वह कुछ छिपा रही हो। वह धीरे-धीरे अरविंद के पास आई और उसे अपने पास बुलाने लगी। उसके कदमों में एक जादुई खिंचाव था, जो अरविंद को उसकी ओर खींच रहा था।

अरविंद ने खुद को उसके आकर्षण से बचाने की कोशिश की, लेकिन उसकी आंखों में गहरी इच्छा ने उसे रोक दिया। वह महिला उसके पास आकर उसके बालों में अपनी उंगलियां फिराने लगी, और धीरे-धीरे उसकी सांसें तेज़ होने लगीं। अरविंद को यह एहसास हुआ कि यह कोई साधारण महिला नहीं थी। यह वही सुक्कुबस थी, जिसके बारे में उसे चेतावनी दी गई थी।

सुक्कुबस ने उसके कानों में फुसफुसाते हुए कहा, "तुम मेरे हो।" उसकी आवाज में एक गहरी कामुकता और एक ठंडी क्रूरता थी। अरविंद ने खुद को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन उसके शरीर ने उसे धोखा दे दिया था। उसकी आंखें बंद हो गईं और वह उस जादू के प्रभाव में खो गया।

जैसे ही सुक्कुबस ने अपने होंठ अरविंद के माथे पर रखे, उसे एक जोरदार झटका महसूस हुआ। उसके भीतर की सारी ऊर्जा जैसे खत्म होने लगी। उसकी आत्मा धीरे-धीरे उसकी पकड़ से फिसलने लगी, और सुक्कुबस ने उसकी आत्मा को अपने भीतर खींच लिया। लेकिन अचानक, अरविंद ने अपनी बची हुई ताकत जुटाई और उस सुक्कुबस से अलग होने की कोशिश की।

वह जोर से चिल्लाया, और उसकी आवाज ने हवेली की दीवारों को हिला दिया। उसकी चीख के साथ ही वह एक झटके से जाग गया। उसकी सांस तेज थी और उसकी पेशानी पर पसीने की बूंदें चमक रही थीं। उसे यह समझ नहीं आ रहा था कि यह सब सपना था या सच। वह बिस्तर से उठा और अपने चारों ओर देखा। हवेली में अभी भी वही डरावना सन्नाटा था।

अचानक, दरवाजे पर किसी की आहट सुनाई दी। अरविंद ने दरवाजे की तरफ देखा, और वहां वही महिला खड़ी थी, जो उसके सपने में आई थी। उसकी आंखों में वही खौफनाक चमक थी, और उसके होंठों पर वही मुस्कान। अरविंद की सांसें थम गईं। यह सपना नहीं था। सुक्कुबस वास्तव में उसके पीछे थी।

वह महिला धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ने लगी। अरविंद ने दरवाजे की ओर भागने की कोशिश की, लेकिन उसके पैरों ने उसे धोखा दिया। उसके कदम लड़खड़ाने लगे और वह जमीन पर गिर गया। सुक्कुबस उसके पास आई और उसकी आंखों में देखकर बोली, "तुम मुझसे बच नहीं सकते। मैं तुम्हारी आत्मा चाहती हूं, और मैं उसे लेकर रहूंगी।"

अरविंद ने डर और घबराहट में खुद को संभालने की कोशिश की। उसे याद आया कि बचपन में उसकी दादी ने कहा था कि बुरी आत्माओं से बचने के लिए हमेशा अपने दिल में ईश्वर का नाम लेना चाहिए। उसने अपनी आंखें बंद कीं और जोर से भगवान का नाम लिया। उसके दिल की धड़कन तेज हो रही थी, लेकिन उसने हिम्मत नहीं छोड़ी। उसकी प्रार्थना की आवाज बढ़ने लगी, और अचानक उसे एक तेज़ रोशनी महसूस हुई।

सुक्कुबस चीखने लगी, जैसे उसे कोई गहरा घाव लगा हो। उसकी चमकती आंखों में एक असहनीय दर्द दिखाई देने लगा, और धीरे-धीरे उसका शरीर धुंधला होने लगा। अरविंद ने अपनी प्रार्थना जारी रखी, और आखिरकार सुक्कुबस ने एक जोरदार चीख के साथ हवा में घुलकर गायब हो गई।

अरविंद ने थरथराते हुए अपनी आंखें खोलीं। वह अकेला था। हवेली का सन्नाटा वापस लौट आया था, लेकिन अब वह पहले जैसा खौफनाक नहीं था। अरविंद को लगा जैसे उसने अपनी आत्मा को किसी बड़े खतरे से बचा लिया हो। वह जल्दी से उठा और हवेली से बाहर भागा। बाहर की ठंडी हवा ने उसे राहत दी। उसने आसमान की ओर देखा और एक लंबी सांस ली।

यह रात उसकी ज़िंदगी की सबसे भयानक रात थी। अरविंद को अब विश्वास हो गया था कि सुक्कुबस सिर्फ कहानियों का हिस्सा नहीं थी, बल्कि एक भयानक सच्चाई थी। उसने अपनी जान बचा ली थी, लेकिन वह जानता था कि यह अंत नहीं था। सुक्कुबस कभी भी वापस आ सकती थी। और वह हमेशा उसके सपनों में छिपी रहेगी, उसकी आत्मा को पाने के लिए।


क्रमशः………

(कहानी अगले भाग तक जारी रहेगी, कृपया तब तक मेरी अन्य कहानियां पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया दें। कमेंट करें और मुझे फॉलो करके मेरा सपोर्ट करें।🤗❤️)


             (©SS₹'S Original हॉरर) 
                  💕 राधे राधे 🙏🏻 ♥️