I can see you - 24 in Hindi Women Focused by Aisha Diwan books and stories PDF | आई कैन सी यू - 24

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आई कैन सी यू - 24

कहानी में अब तक हम ने पढ़ा की लूसी ने दुलाल को अपनी परेशानी बताई तो उसने कहा के फुलवारी नाम के जगह में एक तांत्रिक है जो रूहों को कब्जे में कर सकता है। लूसी ने सारी बातें वर्षा को भी बताई फिर रात को सफेद साड़ी वाली भूतनी ने बताया के वो किसी कमेला नाम की हमज़ाद है और वो एक शैतान है। 

आज कल लूसी के दिन और रात एक जैसी हो गई थी। ना दिन को सुकून न रात को चैन की नींद, उसने जैसे तैसे रात काटी और फिर सुबह तैयार होने लगी लेकिन कॉलेज जाने के लिए नहीं बल्कि अस्पताल जाने के लिए, क़रीब नौ बजे वो वर्षा के साथ ही निकली। दोनों चली जा रही थी। धान के खेतों से किरकिराहट की आवाज़ें आ रही थी। अब धान के फसलों में दूध जैसा दाना भर आया था। दो दिन पहले बारिश के वजह से खेत से गुजरने पर उम्मस की गर्मी लग रही थी। परिंदो के चहचहाने की आवाज़ थी जो दूर के आम के बागान में से आ रही थी। 
कॉलेज के सामने आ कर लूसी रुक गई और बोली :" मैं आज कॉलेज नहीं आ रही हूं! मुझे हॉस्पिटल जाना है! सर को एप्लीकेशन देनी है और उनकी मम्मी को शादी के लिए रजामंदी भी देनी है।"

वर्षा सर पर हाथ पटकते हुए बोली :" हे भगवान!...अगर डायरेक्टर सर से तुम्हारी शादी हो गई ना तो तुम ऐसी उलझी हुई बातें कर के उनका दिमाग खा जाओगी!"

   "क्यों ऐसा क्या कहा मैने?
लूसी कपाल सिकुड़ कर बोली।

वर्षा :" अरे बहन अगर तुम शादी के लिए हां कहने जा रही हो तो एप्लीकेशन किस बात की?.... सीधा जा कर बोलो ना उनसे के कॉलेज छोड़कर कहां जाओगी जब शादी कर के यहीं आना है तो!"

लूसी :" अरे तुम रहने दो! मैं तो एप्लीकेशन दूंगी!"

ये कह कर लूसी चली गई और आगे जा कर उसने ई रिक्शा ले लिया। 

  " पता नहीं इसके दिमाग में क्या चलता रहता है।"

वर्षा ये कह कर कॉलेज कैंपस में चली गई। अपने क्लास की ओर जाते हुए उसे यश की आवाज़ आई। वो रुकी और उसके पास आने का इंतज़ार करने लगी। यश हांफता हुआ उसके पास आया और बोला :" लूसी नहीं दिख रही है तुम्हारे साथ!.... नहीं आई है क्या?

वर्षा ने आईब्रो उठा कर कहा :" क्या बात है! मुझे गुड मॉर्निंग तक नहीं कहा सीधा लूसी को ढूंढने लगे! जैसे रोमियो बन कर यही दरवाज़े पर उसका इंतज़ार कर रहे थे!"

   " अरे नही यार! तुम्हारे साथ नही दिखी इस लिए पूछ लिया!"

यश ने झूठी हंसी हंस कर कहा फिर बातें करते हुए दोनों अपने अपने क्लास रूम चले गए। 

जीवन हॉस्पिटल :__
अस्पताल में दिन ,रात ,सुबह, शाम हमेशा ही चहल पहल हुआ करती है। लोग इधर उधर तेज़ी से जा रहे थे और अपने अपने कामों में व्यस्त थे। ज़्यादा तर नर्सों के हाथ में ब्लड प्रेशर मीजरमेंट मशीन था जो बारी बारी मरोजों के पास जा कर उनका ब्लड प्रेशर चेक करती। वेटिंग रूम में बहुत से मरीज़ बैठे थे साथ में उनके परिजन भी जिन्होंने शोर गुल मचा रखा था। स्टाफ बार बार ये ज़ोर से आवाज़ देता के " please keep silence..... आप सब शांति बनाएं रखें ये हॉस्पिटल है। बाकी पेशेंट्स को प्रोब्लम होगी।"

लूसी सीधा रोवन के कमरे में गई। उसे कमरे के बाहर रूमी या मां में से कोई नहीं दिखी। सोचा के कमरे में ही होंगी। उसने एक बार नॉक किया और धीरे से हल्का सा दरवाज़ा घसका कर अंदर झांका। देखा तो सिर्फ रोवन टेक लगा कर बैठा हुआ है और किसी ख्याल में खोया हुआ है। उसकी सुनी सुनी नज़रे किसी एक तरफ टिकी हुई है। उसने लूसी को झांकते देख लिया जो पलकों को बार बार झपकाते हुए उसे टुकुर टुकुर देख रही थी। दोनों की नज़रे आपस में टकरा गई तो लूसी ने झट से कहा :" may I come in sir?"

रोवन ने एक लंबी सांस लेते हुए कहा :" come in!"

लूसी धीमे धीमे कदमों से उसके सामने गई और आसपास देखते हुए बोली :" सब कहां है?... रूमी ,मम्मी जी!"

रोवन हैरत में उसे देखते हुए मन में बोला "मम्मी जी"
फिर उसके सवाल का जवाब देते हुए कहा :" मम्मी यहीं कहीं गई हैं और रूमी को मैने कॉलेज भेज दिया! दीदी भी आ जाएंगी कुछ देर में!... तुम बताओ!... घर जाने की तैयारी कर ली है ना तुम ने ?... एप्लीकेशन लेकर आई हो तो लाओ मैं साइन कर देता हूं! नही लाई हो तो यहीं बैठ कर लिख सकती हो मैं पेपर मंगवा देता हूं।"

लूसी नाराज़गी से :" मैं लेकर आई हूं!....क्या आप मुझसे थोड़ी सी भी नर्मी से बात नहीं कर सकते! आपके बातों में हमेशा कांटे लगे होते हैं!"

  " मैंने कब डांटा तुम्हें? और कितनी नर्मी से कहूं!"
रोवन ने असमंजस में कहा।

लूसी ने पर्स से एप्लीकेशन निकाल कर रोवन के हाथों में पकड़ा दिया और कहा के " एक एक शब्द को ध्यान से पढ़िए और साइन ज़रूर कीजिएगा! मैं मम्मी जी से मिलने जा रही हूं।"

लूसी ने एक कलम उसके सिरहाने रखा और बाहर चली गई। 
रोवन ने ये कह कर मोड़ा हुआ कागज़ खोला " गुस्सा तो इसके नाक पर रहता है और ये मेरी मां को मम्मी जी क्यों कह रही है?.... ज़रूर मम्मी ने ही कहा होगा के मुझे मम्मी जी ही कहो!... मम्मी भी न!" 

जब उसने एप्लीकेशन पढ़ा तो ताज्जुब से उसका मुंह खुला रह गया। उसने सर पर हाथ धर लिया और उकताहट से अपने आप में कहा :" what!...ये क्या लिख रखा है इस पागल ने!"

लूसी का आवेदन पत्र कुछ इस तरह था। 

To,
The director sir,
Nehru college Kishanganj 
Date: 22/08/2024

Sir,

"I humbly request not to leave this college because I have to defeat your witch, and if you still expel me from college, then I will not go home! Following your mother's words, I have to bring a smile back to your angry face. I have promised your mother, now I request you to support me and accept me as I am! I will pray for you to get well soon." 

Thanking you,

Yours
Lucy Sirus 

हिंदी अनुवाद : __(सविनय निवेदन है कि मैं इस कॉलेज से नही जाना चाहती क्यों के मुझे आपकी चुड़ैल से जीतना है और अगर आप ने मुझे फिर भी कॉलेज से निकाल दिया तो मैं घर नहीं जाऊंगी! आप की मां के बातों का पालन करते हुए मुझे आपके गुस्सैल चहरे की मुस्कुराहट वापस लाने हैं। मैं ने आपकी मां से वादा कर लिया है अब आप से निवेदन है की आप मेरा सहयोग कीजिए और मुझे वैसे ही स्वीकार कीजिए जैसी मैं असल में हूं! मैं आपके लिए दुआ करूंगी के आप जल्द तंदरुस्त हो जाएं!")

लूसी बाहर आ कर मां को ढूंढने लगी। कुछ आगे चलने पर वो एक औरत से बात करती हुई दिखी। 
लूसी को देखते ही उनके चहरे पर मुस्कान आ गई और एक उम्मीद की नज़र से उसे देखते हुए पास आ कर बोली :" अरे बेटा तुम कब आई?...मैंने सोचा तुम कॉलेज जाओगी।"
    
   " बस अभी आई हूं! मुझे तो रोवन सर ने कॉलेज से जाने के लिए कह दिया है इस लिए मैं नहीं गई और उन्हें एप्लीकेशन देने आ गई।"

लूसी ने बड़े मासूमियत से कहा।

मां ने नाराज़गी जताई :" ये क्या बात हुई भला! वो ऐसे कैसे बोल सकता है! तुम रुको मैं उसकी क्लास लेती हूं।"

मम्मी लूसी का हाथ पकड़ कर उसे भी साथ कमरे में ले जाने लगी लेकिन लूसी ने उन्हें रोकते हुए कहा :" मम्मी जी!... दरअसल मैं ने एप्लीकेशन में लिख कर जाने से मना कर दिया है! और रही बात शादी की तो मैं तैयार हूं लेकिन मेरे परिवार वालों का क्या फैसला होगा ये मैं नहीं जानती!... क्या आप ने रोवन सर को बताया?"

मां खुशी से फूली न समाई, उन्होंने लूसी का सर चूम लिया और झिलमिलाती आंखों से देखते हुए बोली :" मैं बस तुम्हारे हां का इंतज़ार कर रही थी! तुम्हारे घर वालों से और रोवन से मैं खुद बात करूंगी तुम उनकी फिक्र मत करो!.... बहुत बहुत शुक्रिया मेरी बच्ची!"

लूसी उनसे यह कह के चली गई के " सर को कहिएगा के वो एप्लीकेशन पर साइन ज़रूर कर दे और रूमी के हाथो मुझे बजेवा दे!...अभी मैं उनसे नही मिलूंगी क्यों के वो मुझ पर बहुत चिल्लाएंगे! "

(पढ़ते रहें अगला भाग जल्द ही)