I can see you - 2 in Hindi Women Focused by Aisha Diwan books and stories PDF | आई कैन सी यू - 2

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आई कैन सी यू - 2

मुझे लगता है आज तक मैं ने जितने भूतों को देखा है वे डरवाने नही है या फिर उन्हें देखने की मुझे आदत हो गई है। हां हो सकता है किसी डरवाने भूत से मेरा सामना ही नही हुआ हो। ऐसा नहीं है की मुझे कभी भूतों से या अनदेखे साए से डर नहीं लगता था। मुझे बहुत डर लगता था जब तक मैं आठ साल की थी। मैं इतना डरती थी के रातों को मम्मी का कपड़ा मुट्ठी में कस कर पकड़ कर सोती थी। मुझे रात से डर लगता था। हर वक्त ऐसा लगता था के कोई मुझे कहीं भद्दी लाल और नस उभरे हुए बड़ी बड़ी आंखों से देख रहा है। किसी के रोने की दरदभरी आवाज़ तो किसी के मंद मंद हंसने की आवाज़ तो कहीं से कदमों की आवाज़ मुझे परेशान कर जाती थी। उम्र के साथ साथ मुझे इन सब चीजों की आदत हो गई। मैं ने सब कुछ नज़र अंदाज़ करना सीख लिया था। जब मैं स्कूल जाती थी तब वहां भी एक भूत रहता था लेकिन मैं ने उसे बेवकूफ बनाया यह कह कर के मैं तुम्हें राख बना सकती हूं क्यों के मुझे काले जादू के मंत्र आते हैं। 
मुझे कुछ आता नहीं है मैने डींगे मारी थी और उसे डरा कर वहां से भगा दिया था। अब किसी कमज़ोर भूत की हिम्मत नही है की मुझे डराए और मुझ पर किसी तरह के जादू करे, मेरे आसपास के रहने वाले भूत अब मुझे पहचानते हैं इस लिए मुझे उनसे कोई खतरा नहीं है।
मैंने इस दौरान उनके बारे में बहुत कुछ समझा जैसे के उनमें दिमाग कम होता है और हर कोई इंसान के पीछे नहीं पड़ा रहता उनकी भी एक लाइफ होती है। हां उन्हे इंसानों और जानवरों को परेशान करने में मज़ा आता है। यानी वो इसी तरह मस्ती करते हैं। देखा जाए तो हम इंसान ही उनके मनोरंजन के पात्र हैं।


मेरा ग्रेजुएशन हो चुका था अब मैं ने मास्टर्स करने के लिए एडमिशन लिया लेकिन बदकिस्मती से मुझे मेरे शहर में कॉलेज नहीं मिला। हालांकि मेरे परिवार के लिए ये एक बदकिस्मती की बात है लेकिन सच कहूं तो मुझे तो यही चाहिए था। मैं हमेशा अपने घर से बाहर कहीं अकेली रहना चाहती थी लेकिन मुझे किसी ने जाने ही नहीं दिया। कारण ये था के सब को लगता है मेरी तबियत कभी भी खराब हो जाती है और मम्मी मेरा ध्यान रखती है। उनके अनुसार घर से बाहर कदम रखते ही मुझे फिर वापस आना पड़ेगा क्यों के मेरी तबियत बिगड़ जाएगी। दो वजह है की मैं अब तक शादी से इंकार करती आ रही हूं। एक तो यह की मुझे कोई कैसे झेल सकता है दूसरा यह कि मुझे उच्च शिक्षा प्राप्त कर के एक असिटेंट प्रोफेसर बनना है। वैसे तो हमारे यहां लड़की के अठारह साल होते ही रिश्तेदार शादी शादी का रट्टा मारने लगते हैं।
मेरे घर में मम्मी पापा दो भाई और बड़े भाई की पत्नी यानी मेरी भाभी और एक दस साल की भतीजी है। 
तो सबसे पहले मिलते हैं मेरी भाभी से जो 40 साल की है लेकिन उन्हें यह बात कोई नहीं मनवा सकता कि अब वह 40 साल की हो चुकी है। इनको भूतों से इतना डर लगता है कि अगर इन्होंने कभी भूत देख लिया तो डर के मारे उस भूत का कत्ल कर सकती है।
मेरे बड़े भैया जो 42 साल के हैं लेकिन अपने उम्र से ज्यादा ही बूढ़े लगते हैं शायद जिम्मेदारियां के बोझ से जल्दी बूढ़े दिखने लगे हैं। वह एक बिजनेसमैन है और काफी सुलझे हुए इंसान है।
मेरे छोटे भैया कियान जो मुझ से 2 साल बड़े हैं। वैसे तो हमारी लड़ाई होती रहती है लेकिन हम एक दूसरे के बिना बोर भी हो जाते हैं अब तो उन्होंने मुझे मारना छोड़ दिया है वरना बचपन से तो मैं उनसे मार खा कर ही बड़ी हुई हूं। जिधर से आते थे मेरे बाल खींच लेते थे या फिर पीठ पर एक मुक्का जड़कर चले जाते थे इसलिए मैं उन्हें भैया नहीं बुलाती थी उनका नाम लेकर बुलाती थी और नाम में कुत्ता भी जोड़ देती थी लेकिन बड़े हो कर पता चला के कुत्ते तो बहुत अच्छे होते हैं इस लिए अब मैं उन्हें भैया बुलाती हूं। उन्हें मेरे रहस्यमय होने का अंदाज़ा तो है लेकिन कभी इस बात को ज़ाहिर नही करते।
पापा जो एक रिटायर टीचर हैं। अब बस उनका यही काम रह गया है घर में दवाई की टोकरी लिए बैठे रहना और पुराने दोस्तों से फोन पर बातें करते रहना। उन कमज़ोर आंखों ने अब भी घर की शान बनाई रखी है। ये जिस दिन बंद हो गई उस दिन ये घर पराया लगने लगेगा।
मम्मी जो काफी मज़बूत महिला हैं। जिनका निःस्वर्थ हो कर सिर्फ अपने घर वालों का ख्याल रखना ही एक मात्र काम है। 
मुझे पश्चिम बंगाल के ठीक पास वाला जिला किसनगंज में कॉलेज मिला था। जहां मुझे क्लास अटेंड करने थे। लेकिन मेरा परिवार मुझे भेजना नही चाहता तो मैं ने रोना धोना लगा दिया। मुझे इस बात का गुस्सा था के अब मैं बच्ची नहीं हूं अगर मेरी तबियत खराब भी होती है तो मैं अपना ख्याल रख सकती हूं। हमेशा मुझे इस तरह घर बैठा कर रखने से मेरी ज़िंदगी में कोई बदलाव नहीं आएगा। 
खैर मैं बात मनवाने मैं माहिर हुं। मैं ने ज़िद कर के नेहरू कॉलेज में दाखिला ले ही लिया। 
मुझे मेरे बड़े भैया यहां हॉस्टल में रख कर गए थे लेकिन मुझे होस्टल का खाना नही खाया गया तो मैं ने एक गर्ल्स लॉज में एक कमरा किराए पर ले लिया। कमरा काफी अच्छा और बड़ा था। कमरे में हर चीज़ की सुविधा थी। अटैच बाथरूम, एयर कंडीशनर, एक आराम दायक बिस्तर और बड़ी बड़ी खिड़कियां थी जिनके बाहर बड़े बड़े आम के पेड़ लगे थे। कमरे के एक कोने में स्टडी टेबल रखा था। एक किनारे में दीवार से लगे हुए कपबोर्ड्स थे जिनमे मैं ने कपड़े और ज़रूरत के समान रख दिए थे। 
अभी तक मुझे यह नहीं मालूम था के ये जगह भूतों के मामले में कैसी है। मेरे मन में इस बारे में एक बार ख्याल तो आया था लेकिन फिर सोचा के सब तो रहते ही हैं मैं भी वैसे ही रहूंगी। 
आज यहां मेरा पहला दिन था। अपने कमरे को अच्छे से सेट करने के बाद शाम के समय मैं खड़की के पास खड़ी हो गई और बाहर लहराते हरे भरे विशाल पेड़ों को देखने लगी। मुझे मेरे कमरे की याद आ रही थी। वैसे तो मैं हमेशा बहार जाने की सोचती रहती थी लेकिन अगर दुनिया में सब से ज़्यादा कोई जगह आरामदायक है तो वह मेरा कमरा ही है जिसे मैं बाय बाय कह कर आई थी। अभी मुझे यहां आने से छह घंटे ही हुए थे की मुझे घर वालों की याद आने लगी। सब से ज़्यादा भतीजी लायला की जिसे मैं लाली बुलाती हूं। 
कल मैं कॉलेज जाने वाली हूं। मुझे उम्मीद है की मैं यहां टिक जाऊंगी और घर भागने की नौबत नहीं आयेगी क्यों के मैं ने बहुत ज़िद की थी यहां आने के लिए अगर वापस चली गई तो कियान भैया मेरा इतना मज़ाक उड़ाएंगे के मुझे वापस जाने का पछतावा होने लगेगा।

रात हो गई थी। मैं ने डिनर के नाम पर कप नूडल्स बनाया और खा कर सो गई। दूसरे दिन सुबह आंख खुलते ही मुझे पता चला के मुझे रूम शेयर करना पड़ेगा। एक लड़की मेरे रूम कमरे में रहने आने वाली है। खैर कमरा बड़ा था इस लिए कोई दिक्कत नहीं थी। दूसरा बेड लगाया गया और मैं ने अपना सारा सामान अपने हिस्से की जगह में रख दिया। वो शाम को आने वाली थी। अब मैं तैयार हो कर कॉलेज के लिए निकल पड़ी। 
मेरे मन में बार बार ये बात सेंध लगा रही थी के कहीं मैं ने यहां आकर गलती तो नही कर दी? मैं यहां रह तो लूंगी न? क्या अब मेरी ज़िंदगी में कोई बदलाव आयेगा?