I can see you - 22 in Hindi Women Focused by Aisha Diwan books and stories PDF | आई कैन सी यू - 22

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आई कैन सी यू - 22

अब तक कहानी में हम ने पढ़ा की लूसी रोवन से मिलने हॉस्पिटल गई तो उसने उसे कॉलेज छोड़ कर जाने को कहा। जब लूसी ने जाने से इंकार किया तो उसने डांटते हुए कहा के उसे जाना ही पड़ेगा क्यों के यहां उस चुड़ैल से खतरा है। जब उदास हो कर बाहर आई तो रोवन की मां ने उसके बीते कल का दुख दर्द उसके सामने रख दिया और  मिन्नत कर के रोवन से शादी करने के लिए कहा। 
रोवन से शादी की बात पर लूसी अभी हैरत में बिलकुल सुन्न पड़ी थी। उसे सन्नाटे में देख मां ने उसके हाथों को अपने हाथों में लेकर कहा :" देखो बेटा अगर तुम्हें सोचने समझने के लिए समय चाहिए तो अभी समय है तुम्हारे पास! डॉक्टर ने तीन दिन हॉस्पिटल में रहने को कहा है। मैं यहां जब तक हुं तब तक तुम मुझे सोच समझ कर बता देना, मैं इंतज़ार करूंगी!"

लूसी के दिमाग में सनसनी मची थी। उसके मुंह से एक शब्द भी नहीं निकल पा रहा था। यहां तक के पलकें झपकाना भी भूल गई थी। 
आगे और कोई बात होती के रूमी का छोटा भाई आर्यन और रूमी दोनों उनके पास आए :" नानी!.... चलिए चाय नाश्ता कर लीजिए!...लूसी चलो अन्दर, तुम भी नाश्ता कर लो मम्मी ने सब के लिए भेजा है!"

रूमी ने कहा। 
उसके टोकने से अब लूसी सदमे से बाहर आई और झट से खड़ी हो कर बोली :" नहीं मुझे ज़रूरी काम है! मैं अब चलती हूं!"

ये कह कर वो जाने लगी। मां ने उसे जाते देख आवाज़ लगा कर कहा :"जितनी जल्दी हो सके मुझे अपना जवाब दे देना बेटा!"

रूमी उन दोनों को ताज्जुब से देखते हुए बोली :" नानी किस चीज़ का जवाब मांगा है आप ने लूसी से ?

     "पता चल जायेगा सबर रखो!.... एक बात बताओ! लूसी तुम्हारी फ्रैंड है ना! तुम्हें तो पता ही होगा कि वो किसी को पसंद करती है या उसके लाइफ में कोई लड़का है या नही?... कोई है तो नही न बेटा?

नानी कमरे में दाखिल होते हुए बोली।
रूमी की आंखे चमक उठी। हैरानी और खुशी के मिले जुले भाव में बोली :" आप लूसी को अपनी बहु बनाना चाहती है!... ओह माई गॉड!"

रोवन खामोशी से उन तीनों का मुंह तक रहा था। उसे पता नहीं था के उनके बीच क्या बातें चल रही है। वो तो बेहद उदास और अपने आप से नाराज़ था क्यों के उसने लूसी से डांट कर बात की और चले जाने को कहा। ये बात उसे ठेस पहुंचा रही थी।

     " तुम पहले ये बताओ के वो सिंगल है या नही?"
मां ने सख़्ती से सवाल किया।

रूमी गोल गोल आंखों से अपने मामा को देख रही थी। उसे लग रहा था के मामा भी शादी के लिए तैयार है। उसने अटकते हुए कहा :" न नहीं नहीं नानी!... वो सिंगल ही है और ऐसा लगता है की वो मामा को पसंद भी करती है।"

उसका इतना कहना था की रोवन बोल पड़ा :" ये आप लोग क्या बातें कर रहे हैं?.... मुझे साफ साफ बताएंगे क्या बातें हो रही है यहां!"

मां मुस्कुराती हुई उसके पास बैठी और बोली :" मैं तुम्हें बता दूंगी! अभी तुम बस आराम करो! ज़ख्म ताज़ा है अभी इस लिए स्ट्रेस बिलकुल मत लो सब ठीक हो जाएगा!"

   " लेकिन मां!"

रोवन आगे कहना चाहता था लेकिन मां ने होंठो पर उंगली रख कर शांत रहने का इशारा किया। 

इधर लूसी बेसुध सी चली आ रही थी। लॉज के पास वाले सुनसान जगह पर उसने दुलाल को आवाज़ लगाना शुरू किया। कुछ देर इंतज़ार करने के बाद वो उसके सामने प्रकट हुआ। 

दुलाल :" अब क्या हुआ क्यों बुला रही हो?

लूसी बनावटी मुस्कान से उसे मुस्कुरा कर देखते हुए :" तुम कहां रहते हो?

   " अपने हमज़ाद के घर में यानी दुलाल के घर में!"

दुलाल ने जवाब दिया। 

लूसी बेचैन मन से बोलने लगी :" दुलाल मुझे तुम्हारी मदद चाहिए! देखो तुम रोवन सर की मदद करना चाहते हो ना तो तुम्हें मेरी मदद करनी होगी!.... लेकिन सब से पहले ये बताओ के तुम्हें किसी इंसान से प्यार तो नहीं हो सकता ना ? मतलब क्या तुम्हें मुझसे प्यार हो सकता है?

   " नहीं! मुझे किसी से प्यार या नफरत नही होगा क्यों के मेरा हमज़ाद नहीं है। वो जिसे पसंद करता था मैं भी उसे पसंद करता था।"

दुलाल ने जवाब दिया।

लूसी ने एक गहरी सांस लेते हुए कहा :" थैंक गॉड!...इसका मतलब उस चुड़ैल को रोवन सर से प्यार नहीं है!....अच्छा ये बताओ के तुम्हें जब कोई गहरी चोट लग जाती है तब तुम उसे ठीक कैसे करते हो?

दुलाल :" वैसे तो हमे चोट लगने की ज़्यादा संभावना नहीं होती लेकिन किसी शैतान से लड़ाई हो गई तो हम बादलों में चले जाते हैं! वे बदल हमारे ज़ख्म को भर देते हैं।"

लूसी :" मैं अपनी या किसी और के हम्ज़ाद को देख क्यों नहीं सकती जब के तुम्हें और रोवन सर के पीछे पड़ी हमज़ाद को ही क्यों देखती हूं?

दुलाल :" शायद तुम सिर्फ भूतों को देख सकती हो! क्यों के अब हमारे हमज़ाद मर गए हैं और हम भटके हुए हैं इस लिए हम एक तरह से भूत ही हुए!... तुम सिर्फ भटके हुए हम्ज़ादो को देख सकती हो!" 

लूसी उसकी सारी बातों को ध्यान से समझते हुए कुछ देर खामोश रही फिर उसने परेशान हो कर कहा :" क्या मुझे रोवन सर से शादी कर लेनी चाहिए!.... ये बात सच है की सिर्फ मैं ही उनसे शादी कर सकती हूं क्यों के वो चुड़ैल मेरे अंदर घुस नहीं सकती!....रोवन सर ने तो मुझे कॉलेज से निकाल दिया!"

    " तुम किस चुड़ैल की बात कर रही हो?
दुलाल ने पूछा। लूसी ने उसे सारी बातें बताई, और कहा के वो अब लूसी के जान के पीछे पड़ी है। 

सारी बातें सुनने के बाद दुलाल ने कहा :" मुझे भी समझ में नहीं आ रहा है की वो औरत उनके पिछे क्यों पड़ी है! तुम उस औरत को मार नहीं सकती जब उसके मौत का तय किया हुआ दिन आयेगा तभी वो मरेगी! लेकिन मैं किसी को जानता हूं जो तुम्हारी मदद कर सकता है!"
   
लूसी बहुत उत्सुकता से :" क्या सच में! तो जल्दी बताओ ना !"
दुलाल :" एक आमिल या तांत्रिक कह लो जो अपने तंत्र मंत्र से रूहों को कब्जे में कर लेता है। वो फुलवारी नाम के जगह के सब से बड़े कब्रिस्तान में रहता है।"

ये बात सुन कर लूसी को राहत मिली लेकिन बेचैन भी हो गई क्यों के फुलवारी यहां से बहुत दूर है और एक अकेली लड़की का वहां जाना न जाने किस खतरे में डाल दे इस बात की भी चिंता थी। 

उसने तंग आकर झुंझला कर कहा :" अब मैं फुलवारी कैसे जाऊं!.... (फिर कुछ देर शांत हो कर बोली) रोवन सर से अगर मैं शादी कर लूं तो हम दोनों मिल कर उस चुड़ैल को हरा देंगे! वो अभी मुझे कुछ नहीं बताते लेकिन अगर शादी हो गई तो वो मुझे सब बताएंगे!.... अगर शांति से विचार किया जाए तो उनसे शादी करने में मुझे फायदा ही है। मुझे प्रोफेसर बनना है और वो पहले से कॉलेज के डायरेक्टर हैं! प्रोफेसर बनने में और पढ़ाई में भी वो मेरी मदद कर सकते हैं। मैं उनसे शादी कर के उनका घर बसा सकती हूं उसमे मुझे उनकी मां की दुआएं भी मिलेंगी और ईश्वर भी मुझसे खुश हो जायेंगे!.... या फिर शायद ईश्वर ने मुझे ये शक्ति भी इसी वजह से दी है! जब वो किसी को कोई खास शक्ति देता है तो साथ में एक ज़िम्मेदारी भी देता है। शायद मेरी ज़िम्मेदारी उन्हें श्राप से आज़ादी दिलाना हो!"

दुलाल उसकी बातें सुन कर बोला :" क्या तुम्हारे घर वाले मान जाएंगे?...क्योंकि मैंने देखा है इंसानों में ऐसा होता है कि शादी जिसे करनी होती है उस के पसंद या ना पसंद से कोई मतलब नहीं होता! घर वाले अपनी मर्ज़ी से शादी करा देते हैं।"

लूसी :" मैं इस चीज़ के सख़्त खिलाफ़ हूं! अगर मैं किसी से शादी करूंगी तो मुझे ही उसके साथ पूरी ज़िंदगी बितानी है ना के मेरे घर वालों को!.... वैसे मेरे घर वाले ऐसे सोच के नहीं है! मेरी पसंद मायने रखती है। अगर मैं ज़िद करूं तो वह मान जाएंगे! हां मुश्किल तो है क्यों के रोवन सर का अतीत अच्छा नहीं है। कोई बात नहीं मैं सब को मना सकती हूं बस मेरा दिल और रोवन सर मान जाए!"

(पढ़ते रहें अगला भाग जल्द ही)