Tilismi Kamal - 6 in Hindi Adventure Stories by Vikrant Kumar books and stories PDF | तिलिस्मी कमल - भाग 6

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तिलिस्मी कमल - भाग 6

इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें --------------------💐💐💐💐💐


राजकुमार धरमवीर की अगली मंजिल थी लाल मोतियों की माला हासिल करना । राजकुमार धरमवीर जंगल मे तो वापस आ गया था लेकिन अब यह नही समझ पा रहा था कि उसकी मंजिल किस दिशा की ओर है ।  राजकुमार धरमवीर जंगल मे एक दिशा की ओर चल पड़े ।

चलते चलते राजकुमार धरमवीर जब उस जंगल के बाहर निकला तो उसी समय वातावरण सांपो के फुफकारों से गूंज उठा ।राजकुमार ने चौंक कर इधर उधर देखा तो सैकड़ो नाग उसे नजर आए ।

वह खौफनाक एवं लंबे नाग हवा में उड़ते हुए राजकुमार पर झपटे और इससे पहले की राजकुमार संभल पाता वह नाग उसके शरीर मे लिपट गए । उनकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि राजकुमार अपने शरीर के किसी हिस्से को हरकत भी नही दे सकता था ।

उड़ने वाले नाग राजकुमार धरमवीर के शरीर को घोड़े के पीठ से उठा कर आसमान में उठने लगे ।राजकुमार चकित था कि नाग उसे डसने के बजाय कही और क्यो ले जा रहे है ?

उड़ते हुए नाग काफी ऊंचाई पर पहुंच गए । फिर सभी सांप एक ही दिशा की ओर जाने लगे ।राजकुमार उनके चंगुल में फसा बहुत मजबूर नजर आ रहा था । 

नागों ने अपने लंबे लंबे जिस्मो को राजकुमार के इर्द गिर्द इतनी सख्ती से लपेट रखा था कि वह अपनी तलवार भी नही निकाल सकता था ।

राजकुमार ने स्वयं को उड़ते हुए नागों के रहम पर छोड़ दिया और यह सोचकर चुप रहा कि शायद वह नाग उसे किसी खास जगह पर ले जाना चाहते है  अगर नागों का इरादा मार देने का होता तो जंगल के बाहर ही उसे डस कर मार देते , उसका वजन उठाकर कही ले जाने की मूर्खता नही करते।

उड़ने वाले ख़ौफ़नाफ़ नाग राजकुमार के शरीर को अपनी गिरफ्त में लिए तेजी से उड़ रहे थे । रात का अंधेरा होने से पहले ही वह नाग एक पहाड़ी पर बने महल में उतरे ।

और फिर शहजादे को महल के हाल में छोड़कर यू गायब हो गए जैसे कभी थे ही नही । राजकुमार धरम वीर अभी नागों के गायब हो जाने पर हैरान था कि उसी समय महल के एक कमरे से एक बुढ़िया बाहर निकली ।

उस बुढ़िया ने काला चोंगा पहना हुया था और उसकी शक्ल इतनी ख़ौफ़नाफ़ थी कि अगर दिन के समय भी कोई बच्चा उसे देख लेता तो दिल की धड़कने बन्द हो जाती । वह कोई चुड़ैल नजर आ रही थी ।

" तुम्हारा स्वागत है राजकुमार " - बुढ़िया की आवाज फटे बांस जैसी थी और वह भद्दे अंदाज में मुस्कुरा रही थी ।

राजकुमार ने बुढ़िया से पूछा - " तुम कौन हो और यह नाग मुझे यँहा लेकर क्यो आये है ? "

बुढ़िया बोली - " मेरा नाम जादूगरनी नागरानी है और उड़ने वाले नाग मेरे ही आदेश पर तुम्हे यँहा लेकर आये है क्योकि मैं उन नागों की मलिका हूँ । "

बुढ़िया की बात सुनकर राजकुमार चौंक उठा और उसे घूरता हुए बोला - " अच्छा तो तुम जादूगरनी हो... और सांपो की मलिका भी हो ...  "

जादूगरनी नागरानी ने बड़े गर्व से कहा - " हां राजकुमार , मुझसे बड़ा जादूगर इस समय पूरी दुनिया मे नही है । "

राजकुमार धरमवीर - " लेकिन तुमने मुझे यँहा क्यो बुलाया है ? क्या मैंने तुम्हें कोई तकलीफ पहुंचाई है ? "

बुढ़िया बोली - " यह बात नही है राजकुमार , तुम तो बहुत नेक और प्यारे इंसान हो । दूसरों के भलाई के खातिर तकलीफे उठाते फिरते हो । मैं अपने जादुई दर्पण में तुम्हे बराबर देखा करती थी । आज भी तुम अपने प्रजा और अपने पिता के लिए लाल मोतियों की माला के तालाश में निकले हो । इस समय वह माला मेरी बेटी के गले मे पड़ी है । तुम्हे वह माला चाहिए था इसलिए मैंने अपने नागों को आदेश देकर तुम्हे यँहा बुलवा लिया । ताकि अपनी एक शर्त के बदले तुम्हे वह माला दे दूं । इस तरह से तुम भटकने से बच जाओगे । और मेरी भी चिंता दूर हो जाएगी । "

राजकुमार धरमवीर ने बुढ़िया से कहा - " ओह.. तो वह माला तुम्हारे पास है । लेकिन तुम्हारी शर्त क्या है ? " 

जादूगरनी नागरानी ने मुस्कुरा के कहा - " शर्त यह है कि तुम्हे मेरी सातों आसमान से सुंदर बेटी से शादी करनी होगी । विवाह के बाद ही वह माला मैं तुम्हे दूंगी । "

राजकुमार ने मुँह बनाकर कहा - " तुमने बड़ा अजीब तरीका इस्तेमाल किया है । अगर तुम सीधी तरह से मुझे पैगाम भेज देती । तब भी मैं आ जाता । "

जादूगरनी बोली - " इसके अलावा दूसरा कोई रास्ता नही था क्योकि हो सकता था कि तुम आने से इंकार कर देते । "

राजकुमार - " और अगर अब भी मैं तुम्हारी बेटी से विवाह करने से इंकार कर दूं तो तुम फिर क्या करोगी ? "

ऐसी बात सुनकर जादूगरनी गुर्राते हुए बोली - " तुम ऐसा नही कर सकते राजकुमार । तुम्हे हर हाल में मेरी बेटी चाँदनी से विवाह करना ही होगा । "

राजकुमार ने कुछ सोचते हुए जादूगरनी से कहा - " अच्छा ... तुम्हारी बेटी कहाँ है ? जरा उसकी शक्ल तो मुझे दिखाओ ।"

" इस समय तो वह कही गई हुई है । सुबह तक आ जायेगी । उस समय तक तुम आराम करो । आओ मेरे साथ मैं तुम्हे तुम्हारा कमरा दिखा दूं ।" - यह कह कर जादूगरनी एक कमरे की तरफ चल दी। राजकुमार धरमवीर भी कुछ सोचते हुए उसके पीछे चल दिया ।

राजकुमार धरमवीर जादूगरनी के साथ एक कमरे में आया । वहां एक शानदार पलंग बिछा हुया था । जादूगरनी राजकुमार को चेतावनी देते हुए बोली - " कान खोलकर सुन लो राजकुमार अगर भागने की कोशिश की तो मौत के मुहँ में पहुंच जाओगे । इस महल में पूरी रात उड़ने वाले नागों का पहरा रहता है । जैसे ही तुम कमरे के बाहर निकलोगे नाग तुम्हे डस लेंगे और तुम परलोक सिधार जाओगे । "

इतना कहकर जादूगरनी नागरानी कमरे से बाहर चली गयी । राजकुमार पलंग में बैठ कर सोचने लगा कि क्या करना चाहिए ? जादूगरनी उसका विवाह अपनी बेटी से करना चाहती है । इनकार करने पर न जाने कैसा व्यवहार करें ? 

राजकुमार जादूगरनी से भयभीत तो नही था किन्तु उसे संदेह था कि जादूगरनी उस पर मंत्र न फूंक दे । सोचते सोचते राजकुमार को नींद आने लगी और ठीक उसी समय कमरे में एक बहुत बड़े अजगर ने प्रवेश किया । उसके सिर पर एक थाल रखा हुया था , जिस पर खाना था ।

अजगर ने इंसानी आवाज में राजकुमार से कहा - " खाना खा लो राजकुमार । "

राजकुमार चकित होते हुए अजगर से कहा - " तुम कौन हो?"

अजगर बोला - " मैं नागों की मलिका जादूगरनी नागरानी का गुलाम एक जिन्न हूँ । "

राजकुमार ने उसके सिर से खाने का थाल उठा लिया । फिर अजगर वापस बाहर चला गया । राजकुमार ने खाना खाया फिर पलंग पर बिछे बिस्तर पर लेट कर सो गया ।

सुबह जब उठा तो उसके निकट एक मेज पर नाश्ता रखा हुया था । उसने नाश्ता किया और कमरे से बाहर निकलने ही लगा था कि जमीन पर रेंगते हुए कई नाग उसके तरफ बढ़े ।

राजकुमार तुरन्त दरवाजे से हट गया और पलंग पर बैठ गया । तभी जादूगरनी नागरानी वहां पर आ गई । उसने राजकुमार से कहा - " राजकुमार मेरी बेटी आ गई है । आओ मैं तुम्हे उससे मिलाती हूँ । लेकिन याद रखना अगर तुमने उसके सामने विवाह से इनकार किया तो उस बेचारी का दिल टूट जाएगा और फिर मैं तुम्हे तड़पा तड़पा कर मार डालूंगी । "

राजकुमार धरमवीर उसके साथ कमरे से बाहर निकला तो नागों ने उसे नही रोका । नगीनो की मलिका राजकुमार को साथ लिए एक कमरे के दरवाजे के पास पहुंची । उसने कमरे का बंद दरवाजा खोला और कमरे के अंदर चली आई । राजकुमार भी उसके पीछे पीछे अंदर आ गया ।

सामने ही एक सुंदर पलंग के ऊपर कोई सुर्ख कपड़ो में लिपटा हुया बैठा था । राजकुमार समझ गया कि यही जादूगरनी नागरानी की बेटी चाँदनी होगी ।

जादूगरनी ने राजकुमार से अजीब से मुस्कुराहट से कहा - " आगे बढ़कर मेरी बेटी के चेहरे से कपड़ा हटा दो राजकुमार और देखो ये चाँद का टुकड़ा है कि नही ? लेकिन कही नजर न लगा देना । "

राजकुमार - " तुम खुद ही उसका चेहरा दिखा दो । "

जादूगरनी - " नही , तुम खुद ही देख लो शर्माओ मत , वह तुम्हारी दुल्हन बनने वाली है । "

विवश होकर राजकुमार को आगे बढ़ना पड़ा । उसने जादूगरनी की बेटी चाँदनी के चेहरे सुर्ख कपड़ा हटाया तो बौखला कर कई कदम पीछे हट गया । सुर्ख कपड़े के पीछे किसी इंसान का नही बल्कि एक लोमड़ी का चेहरा था ।


                                      क्रमशः ....................💐💐💐💐💐💐

अपना कीमती समय निकालकर अपने यह भाग पढा आपका तहे दिल से धन्यवाद । आपको यह भाग कैसा लगा यह अपनी बहुमूल्य समीक्षा देकर जरूर बताएं । और अगला भाग जैसे ही प्रकाशित करू वह आप तक सबसे पहले पहुंचे इसलिए मुझे जरूर फॉलो करें ।


विक्रांत कुमार
फतेहपुर उत्तरप्रदेश
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