Talaak - 2 in Hindi Short Stories by aruhi books and stories PDF | तलाक - 2

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तलाक - 2

अल्फाज ने हर एक जगह फोन कर करके ,,,सोफिया के बारे में पता लगाने की कोशिश की,,,,,लेकिन अल्फाज को सोफिया की कोई खबर नहीं मिल रही थी,,,

जिसे अल्फाज काफी परेशान होने लगा था,,,,,कि तलाक की की वजह से सोफिया ने अपने साथ कुछ कर तो नहीं दिया ,,,,,उसे हर रोज यह डर सताने लगा था,,,,,,कि क्या कभी सोफिया वापस आएगी,,,,खुदा ना करें कि उसे कुछ हुआ हो,,,  

यह सब सोचते सोचते 3 महीने बीत जाते हैं,,,,,,,अब तो अल्फाज भी बहुत कमजोर हो गया था ,,,,,,,क्योंकि ना ही उसे भूख लगती थी ,,,,,,और ना ही प्यास,,,,वह तो अब भी सोफिया को तलाश रहा था ,,,,,,कि वह एक बार सोफिया से मिल ,,,,,उससे माफी मांगो ,,,,,, और उसे दोबारा अपनी दुनिया में लाना चाहता था,,,,लेकिन अब सोफिया जैसे,,,,इस दुनिया से कहीं दूर गायब हो गई थी,, 

और ऐसे ही सालों बीत जाते हैं,,,,,लेकिन अल्फाज को अब तक सोफिया की कोई खबर नहीं मिली थी ,,,,,कि एक दिन अचानक से सोफिया की खबर मिलती है,,,,,,

जिससे आल्फाज सब कुछ छोड़ कर,,,,,वह वहां पहुंच जाता है,,,,,,जहां इस वक्त सोफिया रहती थी ,,,,,वह इस वक्त मुंबई में एक छोटे से बस्ती में रहती थी,,,,जहां पर सिर्फ अजीब से लोग बसे हुए थे,,,,,

वह बस्ती बहुत ही छोटी थी ,,,,जिससे वहां जा सुफिया के सामने खड़ा हो जाता है ,,,,,,

इस वक्त सोफिया बड़ी मुश्किल से ,,,अपने घर का गुजारा करती  थी,,,और इस वक्त सोफिया काफी हद तक कमजोर नजर आ रही थी ,,,,,,,उसे इस तरह देख,,,और आल्फाज की आंखों में आंसू आ जाता है ,,,,,जिससे अल्फाज आगे बढ़ सोफिया को अपने गले से लगा लेता है,,,,

और फिर अपने रोते हुए गले से,,,,,,सोफिया को टाइट से पढ़ते हुए ,,,,,मुझे माफ कर दो सोफिया,,,,,की मैंने तुम पर यकीन नहीं किया ,,,,,,एम सो सॉरी ,,,,,,लेकिन सोफिया कोई रिएक्ट नहीं करती ,,,,वह अब भी उसी तरह खड़ी थी,,,,,और उसके उल्टा आल्फाज,,,सोफिया को कुछ ना कुछ बोले जा रहा था,, 

की एकदम से,,,अल्फास को एक बच्चे की रोने की आवाज आती है ,,,,,,जिसे सुन आल्फाज अपनी निगाह ,,,उस तरफ करता है ,,,,,,तो वहां पर लगभग ,,,,,,1 साल का छोटा सा प्यारा बच्चा रो रहा था,,,,,जिसे सुन आल्फाज,,,अपने कदम उस बेड पर लेटे,,,अपनी आंखों को भीजते हुए,,,रो रहे बच्चे की तरफ बढ़ा देता है ,,,

लेकिन वह उस तक पहुंच पाता है,,,,,,उससे पहले ही सोफिया एकदम से अल्फाज के सामने आ,,,,,गुस्से से अल्फाज को घूरते हुए,,,,,,,,,निकल जाओ मेरे घर से ,,,,,,,कौन हो आप,,,,,,हम आपको नहीं जानते हैं,,,,,,,तो प्लीज आप जा सकते हैं,,,यहां से ,,,,, क्योंकि हम अनजान लोगों को , ,,,अपने घर में पनाह नहीं देते,, 

उसका इतना ही कहना था,,,,कि आल्फाज सोफिया की तरफ देखते हुए,,,,,,सॉरी सोफिया,,,,,,पर प्लीज एक बार मुझे,,,,, कुछ कहने का मौका तो दो ,,,हमारे रिश्ते

खबरदार मिस्टर  अल्फाज अगर आपने अपने लफ़्ज़ों मन,, रिश्ते कि बात की तो,,,,, और वैसे भी आप कौन से रिश्ते की बात कर रहे हो,,,,,, जिसका तुमने मजाक बनाया था ,,,,उसी रिश्ते का,,,, 

तो ठीक है,,,,उसी रिश्ते का वास्ता,,,,,निकल जाओ यहां से,,,,,क्योंकि मुझे तुम्हारी शक्ल नहीं देखनी,,,,,कहा था ना कि मुझे तलाक मत देना ,,,,,तुम्हारे लिए यह तीन शब्द चाहे कुछ भी हो ,,,,,,

लेकिन एक औरत के लिए ,,,,,तलाक शब्द एक शराप जैसा होता है,,,,जो तुमने मुझे दिया है ,,,,,माफ करो  लेकिन मैं तुम्हें ,,,,कभी माफ नहीं करूंगी,,,,,तुमने मेरी किस्मत में,,,,,सिर्फ दुख दिया ,,,,,मुझे नफरत है अल्बाज तुमसे,,,,,यह कह,, सोफिया वापस ,,, आल्फाज को,,,बाहर का रास्ता दिखाती है,,,,लेकिन आल्फाज बाहर जाने को तैयार नहीं था,,, 

की तबीयत आल्फाज प्लीज सोफिया हम दोबारा खुश रहेंगे ना ,,,,,और उस बच्चे की तरफ देखते उसके होठों पर मुस्कुराहट आ जाती है और फिर वहां उसे बच्चों की तरफ अपना हाथ बढ़ाते हुए मेरा प्यारा बच्चा, ,, खबरदार अगर तुमने दोबारा कहा ,,,,,कि यह बच्चा तुम्हारा है ,,,

क्योंकि यह बच्चा सिर्फ मेरा है,,,सुना तुमने ,,,,और हा,,,, mr अल्फाज आप यहां से चले जाइए,,,,,क्योंकि अब आपका और हमारा कोई वास्ता नहीं है,,,,,,और तलाकशुदा औरत को गवारा नहीं,,,,,,,किसी अनजान इन्सान से बात करने की,,,,,,,तो आप यहां से जा सकते हैं ,,,,,,यह कह वह अपने बच्चों को गोद में ले,,,,,उसे प्यार से चुमने लगती है,, 

सोफिया की बात सुन अल्फाज की तो जैसे सीन फटने लगा था,,,,,उसे एक अजीब सा डर ,,,,और बेचैनी होने लगी थी,,,,जिससे वह,,,,एक गहरी लंबी सांस ले,,,,,दोबारा सोफिया की तरफ देखते हुए,,,,,सोफिया बस एक बार हमारे और इस बच्चे के लिए,,,,,,मैं अपनी सारी गलतियां सुधार लूंगा ,,,

बस एक बार ,,,जिसे सोफिया गुस्से से अल्फाज की तरफ देखते हुए,,,,,, आल्फाज,,,अब हम चाह कर भी एक नहीं हो सकते,,,,क्योंकि मैं अब दोबारा किसी से निकाह नहीं कर सकती,,,,,शायद आपको यह पता नहीं ,,,,,लेकिन दोबारा आपके पास आने के लिए,,,,,मुझे हलाला  नेकहा करना होगा ,,,,,, जो मैं चाह कर भी ,,,,,,किसी की नहीं हो सकती ,,,,,तो भूल जाओ अल्फाज ,,,,,,तुम्हारा हमारा रास्ता यहीं तक था ,,,,,,और अगर आप 5 मिनट के अंदर यहां से नहीं गए तो,,,,मैं यह घर भी छोड़ कर चली जाऊंगी ,, 

जिसे सुन अल्बाज की आंखों में आंसू आ जाते हैं ,,,,और फिर वह ना चाहते हुए भी ,,,,,उस घर से निकल जाता है ,,,,छोड़कर अपनी सारी खुशियां ,,,,,गम को लिए ,,,,,,वह वहां से दूर चला जाता है,,,