nakl ya akl - 37 in Hindi Fiction Stories by Swati Grover books and stories PDF | नक़ल या अक्ल - 37

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नक़ल या अक्ल - 37

37

फिल्म

 

नन्हें बेचैन मन से नंदन का ही इंतज़ार कर रहा है। वह बार बार दरवाजे के पास जाकर देखता कि नंदन अभी तक आया क्यों नहीं। उसे इस तरह देखकर किशोर ने उससे पूछा, “क्या बात बात है?” मगर उसने उसकी बात को टाल  दिया। उसने उसे फ़ोन भी किया मगर नंदन का फ़ोन बंद आ रहा है, उसने उसके घर जाने की भी सोची, मगर फिर रुक गया। “मुझे नहीं लगता इस गधे से कुछ  होगा।“ उसने चिढ़ते  हुए मन ही मन  कहा।

 

सोनाली ने घड़ी देखी तो दस बजे हैं, अब उसने जीन्स के साथ एक कुर्ता पहना गले में स्ट्रॉल  लटकाया  और कॉलेज का बताकर घर से निकल गई। आज वह पहली बार शहर के मॉल में जाकर फिल्म देखेंगी। अगर किसी दोस्त ने साथ दिया होता तो शायद वह पहले ही देख चुकी होती, हालाँकि राजवीर कई बार उससे पहले भी पूछ चुका है, मगर तब उसको उसके साथ जाने में हिचक थीं पर अगर अब भी वो ऐसे ही घबराती रही तो हो गया काम, उसे यह पछतावा  रह जाएगा कि उसने अपने कुँवारे समय में कोई फ़िल्म मॉल में नहीं देखी। सोना रिक्शा लेकर गॉंव के बाहर पहुँच गई तो देखा कि राजवीर वहाँ पहले से ही बाइक लिए खड़ा  है। उसे अपना चेहरा स्ट्रॉल से अच्छे से ढका और फिर इधर-उधर देखते हुए उसकी बाइक पर बैंठ गयी। “अरे !! डरती क्यों है, कोई नहीं है।“ राजवीर ने उसे आश्वस्त किया।

 

दोनों बाइक पर ग़ाज़ियाबाद के शिप्रा मॉल की तरफ जाते जा रहें हैं। राजवीर ने सिर पर टोपी और आँखों में काले रंग के शेड्स लगाये हुए हैं। वह खुद को भी किसी हीरो से कम नहीं समझता। उसकी बाइक मॉल के बाहर आकर रुकी तो पहले उसने बाइक को पार्किंग में लगाया, फिर इठलाता हुआ सोना के साथ  मॉल के अंदर दाखिल हुआ। उसने देखा यहाँ तो एक से बढ़कर एक लड़कियाँ कसे हुए कपड़े पहने क़यामत लग रही है। सोना भी उन लड़कियों के छोटे और तंग कपडे देखकर ख़ुद को उनके सामने गँवार  महसूस कर रही है। अब राजवीर उसे चिढ़ाते  हुए बोला,

 

 

मुझे नहीं लगता कि  तुम कभी इतने मॉडर्न कपड़े पहन पाओगी।

 

चुनौती दे रहे  हो? उसने राजवीर को घूरा ।

 

यही समझ लो।

 

एक दिन तुम्हारी यह ग़लतफहमी भी दूर कर दूँगी। अब ज़रा मुझे नीमवती का पता बताओ।

 

ठीक है, उसने अब जेब से एक कागज़ निकाला और सोना की तरफ बढ़ा दिया।

 

“वैसे तुमने ख़ुद को आईने में देखा है क्या,  यह रंगीन शर्ट और घिसी पिटी जीन्स में  आ गए  हो। यहाँ के लड़के देखो, इनके पास स्टाइल है।“ सोना  ने कुछ लड़कों की तरफ ईशारा करकर कहा तो वह चिढ़ गया।

 

मैं भी कम स्टाइलिस्ट नहीं हूँ, सोना ।

 

“पता है पता है, गॉंव के बाँके गबरू तो तुम हो ही।“उसने उसका मज़ाक उड़ाते हुए कहा तो उसकी त्योरियाँ  चढ़ गई।

 

“अब फिल्म की टिकट लें लें या ऐसे ही तेवर दिखाते हुए घूमते रहोंगे।“ सोना की बात सुनकर अब दोनों इलेक्ट्रिक सीढ़ियों से तीसरे फ्लोर पर बने हॉल की तरफ़ जाने लगे।

 

बिरजू गोदाम में अपने दोस्तों के साथ बैठा ताश खेल रहा है, मुंशी किसी काम के बहाने से गोदाम में  आया और उसकी नज़रों से दूर वह उसे ताश खेलते देखता रहा। उसे लगा कि शायद बिरजू फिर कोई हरकत करते पकड़ा जाए तो वह उसकी पोल खोल दें। तभी बिरजू के एक दोस्त ने धीरे से कहा,

 

बिरजू एक पुड़िया  दियो।

 

यहाँ कोई नहीं पियेगा वो मुंशी मुझ पर नज़र रखें  हुए हैं। उसे भी धीरे से ज़वाब  दिया।

 

अरे !! कोई नहीं है। दे दें।

 

नहीं यार !! समझ ।

 

ठीक है, पुड़िया दे दें, मैं बाहर जाकर पी लूँगा।

 

“जब जाने लगेगा, तब दे दूँगा।“ अब दोनों एक दूसरे को घूरने लगें। तभी मुंशी का हाथ लगकर कोई  सामान गिरा और गिरने की आवाज आते ही बिरजू ने उस तरफ देखा तो उसे मुंशी नज़र आया। मुंशी ने भी अपनी हड़बड़ाहट छुपाते हुए उसे दूर से ही राम! राम! कहा और वहाँ से चला गया।

 

देखा ! मैंने कहा था न, यह चूहा यही कहीं छिपा होगा। यह कमीना हाथ धोकर मेरे पीछे पड़ गया है।  उसके दोस्त भी उसकी बात सहमत है ।

 

अब राजवीर ने जवानी दीवानी फिल्म की दो टिकट ली और उसे लेकर हॉल में घुस गया। फिर दोनों  कार्नर वाली सीट लेकर बैठ गए। “तुम हमेशा पीछे की कॉर्नर वाली सीट क्यों लेते हों?” “फिल्म देखने का मज़ा कॉर्नर वाली सीट पर ही है।“ उसके चेहरे पर शरारती मुस्कान देखकर सोना बोल पड़ी, “यह उनके लिए है, जिनका आपस में कोई चक्कर चल रहा हो। हम सिर्फ यहाँ फिल्म देखने आये हैं।“ सोना ने उसे घूरा तो वह बड़े ही नरम लहज़े में बोला, “हाँ, मैं समझ गया और उसने फिर नज़रें, स्क्रीन की तरफ कर ली तो सोना भी फिल्म देखने लगी। 

 

बिरजू के दोस्त जाने लगे तो उसने उन सबको एक एक पुड़िया थमा दी। वे लोग जानते है कि  बिरजू  अमीर है, इसलिए वह उससे हमेशा चिपके रहते हैं। नशे की पुड़िया वो खरीदता है और वो लोग उससे लेकर अपने पैसे बचाकर, नशे का आनंद भी लेते। बिरजू ने देखा कि पैकेट में सिर्फ दो पुड़िया ही बची है।  “इन निकम्मों ने तो सब खत्म कर दिया। आख़िर मैं कब तक इन्हें देता रहूँगा, इन लोगों की वजह से ही मैं मर नहीं पा रहा हूँ।“ वह चिढ़ते हुए बोला। 

 

पिक्चर अपने इंटरवल पर पहुँच गई। दोनों बाहर आये और बाथरूम की ओर मुड़ गए। बाथरूम से निकली सोना को राजवीर ने कहा कि “वह अंदर हॉल में जाकर बैठे, वह कुछ खाने को लेकर आता है।“  सोना के अंदर जाते ही उसने दो बर्गर ख़रीदे और साथ में दो कोल्ड्रिंक ली। फिर उसने चुपके से अपनी कमीज के अंदर छुपी छोटी सी प्लास्टिक की बोतल निकाली और बोतल में रखी शराब, कोल्डड्रिंक में मिला दी और फिर जल्दी से उसे वापिस कमीज में ही छुपा लिया। अब वह हॉल के अंदर जाता हुआ सोच रहा है, “सोना, मैं कोई बेवकूफ हूँ जो तुम्हें इतनी दूर से सिर्फ फिल्म दिखाने लाया हूँ, फिल्म का असली मज़ा तो अब आएगा, जब यह नशा तुम पर हावी होगा तब मैं भी तुम पर हावी हो जाऊँगा।“ उसके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान है और उसके इरादो से बेखबर सोना इंटरवल के बाद शुरू हुई फिल्म को बड़े मज़े से देख रही हैं।