Mahila Purusho me takraav kyo ? - 104 in Hindi Moral Stories by Captain Dharnidhar books and stories PDF | महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 104

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महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 104

बदली ने अभय को सॉरी कहा तो अभय मुस्कुराकर बोला ..बदली ! तुम्हारा शकिया दिमाग किसी दिन जीव का जंजाल बन जायेगा । तुम्हारी शादी होजाने पर तो तुम्हारे हसबैंड की वाट लग जायेगी । बदली ने अभय को देखा और अपनी दोनो मुट्ठी बांधकर उसके सीने पर हल्का प्रहार किया .. जीजू आप भी बात कहां से कहां लेजाते हो । केतकी ने बदली का पक्ष लेते हुए कहा आप इसके पीछे क्यों पड़े हो ? आप मर्द भी  शकिया कम नही होते । अभय ने कहा चलो चलो स्टेशन आगया.. बदली ने मौका देखकर अभय की कमर पर चकोटी काटी । अभय एकाएक हिल गया ..केतकी से टकराया ..केतकी गिरने ही वाली थी कि अभय ने अपनी बलिष्ठ भुजाओ से थाम लिया । पीछे से एक सवारी ने कहा भाई थोड़ा हटिए हटिए..मुझे उतरना है । अभय ने कहा भाईसाहब हम भी यही उतरेंगे ..सवारी ने कहा ठीक है ठीक है ..आप आगे बढ़ो ! 

तीनो अब स्टेशन के बाहर आगये थे ...बदली ने कहा जीजू रिक्सा मे बैठकर चले ..शहर को देखते भी चलेंगे । अभय ने मना कर दिया ..हम लेट हो जायेंगे ..। क्या जीजू , घूमने ही तो आये हैं । केतकी ने भी बदली की बात का समर्थन किया ..यह ठीक ही कह रही है ..टेक्सी से चलेंगे तो सड़क के सिवाय क्या देखेंगे । अभय ने सहमति दे दी । बदली ने पास खड़े रिक्सा से मैल भाव किया ..वह तैयार होगया ..आपको पहले कहां चलना है ? 

अभय ने कहा मीरा होटल चलो हमने वहां पर कमरा बुक किया है । चलिए साहब ..आइए बैठिए.. अभय ने कहा इसमे तो दो ही बैठ सकते है । रिक्सा वाला बोला ..साहब एक पीछे मुह करके बैठ जाये दो आगे करके ..बदली ने कहा मुझे बैठाओ कैसे बैठना है । नही मेम साहब आप नही बैठ पाओगे । साहब बैठ जायेंगे । बदली का अहंकार जाग गया ..उसने कहा अब तो मैं ही बैठूंगी।  अभय ने और केतकी ने भी समझाया लेकिन बदली ने जिद्द करली । पीछे की तरफ एक छोटी पट्टीनुमा सीट थी बदली जाकर बैठ गयी । 

रिक्सा रवाना हो गया , तीनो खुशमिजाज चारो तरफ के नजारे देखते हुए चल रहे है । कुछ देर बाद मीरा होटल दिखाई देने लगा ..अभय ने कहा ..लो केतकी होटल भी आगया ..बदली ने मुड़कर आगे देखना शुरू कर दिया ...आऽ...आऽ..की आवाज के साथ बदली चिल्लाई रोको रोको ..रिक्सा रूका किन्तु बदली की एक तरफ की पेंट खिंचकर रिक्सा की चेन की चक्री मे लिपट गई...अभय ने और केतकी ने पीछे देखा ..अभय को सब कहानी समझ मे आगयी..उसने तुरंत केतकी की चुन्नी उसको दी ताकि वह अपना खुला पांव ढक सके । बदली शरम से पानी पानी होगयी ..रिक्से वाले पर चिल्लाई..कैसा रिक्सा रखते हो ...इसे रोका भी नही ..अब कैसे जाऊंगी ..अभय ने चारों तरफ देखा किंतु वहां ऐसा कुछ भी नजर नही आया ..बदली अपनी पेंट चेंज कर सके । राहगीर व दुकान पर खड़े लोग बदली को ही देख रहे थे । उनमे कुछ महिलाए भी थी जो हल्की सी मुस्कुरा रही थी । तभी एक दुकानदार एक साड़ी लेकर भागता हुआ आया ..उसने वह साड़ी बदली को दी और अपनी दुकान मे चेंजिंग रूम होने की बात कही ..बदली ने अभय की ओर देखा ..अभय ने आंखो से इशारा किया ... बदली के साथ केतकी भी दुकान की ओर बढ गयी । बदली चैजिंग रूम मे थी ..अभय ने दुकानदार को थैंक्स कहा और साड़ी की कीमत पूछी । दुकानदार बोला भाईसाहब आप कैसी बात कर रहे है ..यह मेरी छोटी बहिन है ..भाई बहिन की इज्जत बचाने की कीमत थोड़े ही लेता है । दुकानदार के माथे पर लगा तिलक बता रहा था वह एक श्रीकृष्ण का भक्त है ।