Mahila Purusho me takraav kyo ? - 103 in Hindi Moral Stories by Captain Dharnidhar books and stories PDF | महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 103

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महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 103

अभय और केतकी जैन महिला से बात कर रहे हैं , किन्तु बदली को यह सब ठीक नही लग रहा था । वह बोर हो रही थी । यह सब बदली को अच्छा न लगने का कारण उसकी मानसिकता ही है । जिसका मन संयमित न हो या रखना ही न  चाहती हो , उसे ऐसी बाते कैसे अच्छी लगेगी । बातचीत बंद हो जाये ..आगे कोई चर्चा संथारा पर न हो ..इस लिए बदली ने लाइट ऑफ करने को कहा । 

अभय ने घड़ी देखी और बदली की बात को पुष्ट करते हुए कहा ..हां अब हमे सो जाना चाहिए। बदली ने अभय से कहा जीजू आप चद्दर बिछा लीजिए।  अभय ने पहले केतकी की नीचे की सीट पर चद्दर बिछादी।  अब खुद अपनी बीच की सीट पर चद्दर बिछाने लगा । बदली ने अपनी सीट पर चद्दर बिछाना शुरू ही किया था कि टीटी आगया । बदली ने तीन टिकट दिखाये सीट नंबर चिन्हित किये । फिर बदली से कहा ..मेडम आपकी बर्थ तो साइड की है । बदली ने जैन महिला की ओर इशारा करते हुए कहा ..हमने एक्स्चेंज कर लिया है । ओके कहकर टीटी चला गया ..बदली ने उस महिला से पूछा अंटी आप उदयपुर ही जारही है न ? महिला ने कहा हां टिकट उदयपुर का ही है आप निश्चिंत होकर सो जाइए । अभय ने लाइट बंद करदी , अब डिब्बे में शान्ति थी , सिर्फ ट्रेन की आवाज आरही थी । कभी कभी लगता था की ट्रेन स्पीड मे चल रही है और कभी ट्रेन मंथर गति से चल रही है । अब डिब्बे मे सन्नाटा था खर्राटे की आवाज बगल की केबिन से आरही थी । केतकी को नींद आचुकी थी । अभय ने केतकी को कंबल ओढाई और खुद आंखे बंद करके सो गया । बदली यह सब देख रही थी वह आंखे बंद कर सोने का नाटक कर रही थी । वह प्रतीक्षा कर रही थी की अभय उसको भी कंबल ओढायेगा, लेकिन ऐसा नही हुआ।  बदली ने कहा जीजू मुझे भी ठंड लग रही है ..कंबल मुझे भी चाहिए।  अभय ने कहा आपके पास है न दो कंबल एक ओढ लीजिए ऐसा कहते हुए अभय ने बदली के पांवो के पास रखी कंबल ओढ़नेेको दी । 

सुबह होगयी, अभय ने बदली को जगाया । बदली से कहा केतकी को उठाओ । अपना सामान व्यवस्थित करलो , बाथरूम जाना हो तो हो आवो । बदली ने देखा वहा पर रखा सामान गायब था । जीजू ! हमारा सामान गायब है । अभय ने कहा मेरा बैग तो मेरे पास है आपने अपना बैग कहां रखा था ? बदली ने कहा सीट के नीचे रखा था । साइड की बर्थ पर जैन महिला नही थी । उसे वहां न देखकर बदली ने कहा ..वह महिला कहां गयी ? वह बड़ी बड़ी बाते कर रही थी ..वही सब सामान उठाकर ले गयी । साध्वी बन रही थी , चोर कही की , ऐसे लोग धर्म का सहारा लेते हैं । वह यह सब कह ही रही थी कि वह जैन महिला बाथरूम की तरफ से आती हुई दिखाई दी । जैन महिला ने कहा क्या बात है ? सब ठीक है न ? बदली ने कहा मेरा बैग गायब है । महिला मुस्कुराई और कहा ... रास्ते में बरसात हुई थी ..बरसात का पानी सीट के नीचे आरहा था ..मैने मेरा बैग व आपका बैग ऊपर की सीट पर रख दिया था । आप परेशान मत होवो । बदली ने ऊपर की सीट जो खाली थी उस पर कई बैग रखे थे उनमे अपना बैग देखकर..अभय की ओर देखकर सॉरी जीजू!