sauteli maa se maa banne ka safar.....episode 5 in Hindi Women Focused by Tripti Singh books and stories PDF | सौतेली माँ से माँ बनने का सफर...... भाग - 5

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सौतेली माँ से माँ बनने का सफर...... भाग - 5

कुछ वक्त बाद


त्रिवेणी अपने ससुराल आ चुकी थी। और बुआ जी ने उसका ग्रह प्रवेश कराया। इसी तरह से विवाह के बाद की सभी रस्मे भी
पूरी हो गई।

और फिर बुआ जी त्रिवेणी को लेकर अपने कमरे में आ गई।फिर उन्होंने कमरे का दरवाजा हल्का सा बंद करने के बाद पीछे मुड़ते हुए कहा कि "आज से इस घर की जिम्मेदारीयाँ तुम्हारी हुई। अब तुम्हें ही इस घर को और घर के लोगों को सम्भलना है। खासकर अखंड को"
त्रिवेणी ने भी मुस्कुराते हुए कहा "हाँ जी बुआ जी अब से सब की जिम्मेदारी मेरी है। और मैं अपनी पूरी सच्ची श्रद्धा और निष्ठा से ये जिम्मेदारीयाँ निभाउंगी।


ये सुन कर तो बुआ जी बेहद खुश हो गई। और मुस्कराते हुए त्रिवेणी के सिर पर हाथ फेरती हुई बोली "चलो अब तुम्हें तुम्हारी अमानत भी सौप दूँ फिर मैं भी निश्चिंत हो जाऊँगी।


त्रिवेणी बुआ जी का कहने का मतलब समझ गई। और ना जाने क्यों उसके आँखों से आंसू छलक आए शायद ये खुशी और मातृत्व के आंसू थे।


बुआ जी ने बिस्तर पर सोये अखंड को अपनी गोद में उठाया तो वो हिलने के कारण जग गया।
और अपनी छोटी छोटी प्यारी सी आँखों को टिमटिमाते हुए उस तरफ देखने लगा जिस तरफ त्रिवेणी खड़ी थी। त्रिवेणी की नजरें भी लगातार अखंड के चेहरे पर बनी हुई थी।
आज पहली बार त्रिवेणी अखंड को अपनी गोद में लेने वालीं थी। जिसकी खुशी उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी।

बुआ जी ने बहुत आराम से धीरे-धीरे अखंड को त्रिवेणी की तरफ बढ़ाने लगी, जिसे देखते हुए त्रिवेणी ने भी अपने हाथों को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया।
और अब वो वक्त था जब त्रिवेणी अखंड को छूने वाली थी बस कुछ ही सेकंड्स में।
बुआ जी ने पूरी तरह से अखंड को त्रिवेणी की गोद में दे दिया।
उसने भी बहुत आराम और बेहद प्यार से अखंड को गोद में ले लिया और छुपा लिया उसे अपने ममता के आँचल में, अखंड ने भी अपने छोटे छोटे हाथों मे त्रिवेणी के आँचल को लेकर एक मजबूत सी मुट्ठी बाँध ली।
इधर त्रिवेणी के आँखों में तो मानो सैलाब ही उमड़ आया हो उसके तो आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे।
आज वो एक दूसरी ही दुनिया में खुद को महसूस कर रही थी, जहाँ उसका बेटा अखंड और वो है। वो इस वक्त खुद को ही भूल सिर्फ अखंड को अपने सीने से लगाए, उस पर अपनी ममता लुटाये जा रहीं थीं।
और इधर आज अखंड के चेहरे पर तो एक अलग ही मुस्कान छाई हुई थी, जिसे बुआ जी महसूस कर पा रही थी।

ये ममत्व से परिपूर्ण दृश्य को देख कर तो बेहद कठोर हृदय रखने वाली बुआ जी की आंखे भी खुद को न सम्भाल पाई, और उनकी भी आँखों से अश्रुधारा बहती हुई गाल पर आ गई। जिसे न उन्होंने उसे रोकने की कोशिश ना ही छुपाने की, लेकिन ये तो उस खुशी के आंसू थे जिसका न जाने उन्हें कब से इंतजार था। इसीलिए इन आंसुओं के साथ उनके चेहरे पर मुस्कान बरकरार थी।

ये सारा दृश्य कमरे के दरवाजे पर खड़े शिवराज जी भी देख रहे हैं थे। और यही हाल उनका भी था, जैसा बुआ जी का था।
वो मुस्कुरा रहे थे जिसका साफ मतलब था, कि उनकी सारी चिंताए दूर हो गई थी।
ये सब देखने के बाद वो अपने कमरे की ओर बढ़ गए, वो कमरे में आकर रचना जी की तस्वीर के पास खड़े हो गए। आज उनके चेहरे पर काफी अरसे बाद मुस्कान थी।
वो कुछ देर रचना जी की तस्वीर को देखते रहे। फिर उन्होंने कहना शुरू किया "जानती हो रचना तुम्हारे जाने के बाद तो मैंने ये उम्मीद ही खो दी थी। की कभी हमारे अखंड को माँ की ममता उसका प्यार उसे नसीब होगा भी। लेकिन सिर्फ बुआ जी के कारण आज हमारे बेटे को माँ की ममता मिल गई।


आज जो भी भूल हुई हो उसके लिए माफी चाहूँगी।🙏
अगर कहानी अच्छी लगे तो रेटिंग अवश्य दें। 🙏