The Six Sense - 29 in Hindi Thriller by रितेश एम. भटनागर... शब्दकार books and stories PDF | द सिक्स्थ सेंस... - 29

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द सिक्स्थ सेंस... - 29

शर्माये हुये, ठिठके हुये से कदमों से चलकर सुहासी राजवीर के पास आयी और शर्माती हुयी सी नजरों से उसकी तरफ देखकर बोली- तुम्हे पता है राजवीर जब हम पहली बार मिले थे तब तुम्हे देखकर मुझे तुम बाकि लड़कों की तरह ही लगे थे, ऐसे लड़के जो एक लड़की की हल्की सी स्माइल को देखकर ही ये सोचने लगते हैं कि ये तो इज़ी टारगेट है लेकिन जैसे जैसे मैंने तुम्हे जाना, तुम्हे समझा, तुम्हारा नेचर देखा, तुम्हारी नजर और तुम्हारा नजरिया देखा वैसे वैसे मुझे ये यकीन होने लगा कि तुम बाकि लड़कों जैसे बिल्कुल नहीं हो, तुम्हारा बात करने का तरीका बहुत अलग है, एक अजीब सा ठहराव महसूस होता है तुम्हारी बातों में, तुम्हारी आंखे सिर्फ मेरी आंखों को देखती हैं कहीं इधर उधर नहीं, मुझे तुम्हारे साथ बहुत सेफ फील होता है राजवीर, सच तो ये है कि मैं भी तुम्हारे बारे में सोचती हूं, रात को जब सोने के लिये लेटती हूं तो आंखे बंद करते ही तुम्हारा पॉजिटिव सा स्माइल करता चेहरा मेरी आंखो के सामने नाचने लगता है ऐसा लगता है कि कितनी जल्दी सुबह हो और कितनी जल्दी मैं तुमसे मिलूं, तुमसे बात करूं और तुम्हारे साथ वक्त बिताऊं, मैं जानती हूं कि तुम भी मेरे लिये ऐसा ही कुछ सोचते हो बस फर्क इतना है कि तुम अपने दिल की बातें अपनी डायरी में लिखकर दिल ही दिल में जब चाहे तब मुझसे बात कर लेते हो और मैं उन चीजों को सिर्फ महसूस कर पाती हूं, किसी से कह नहीं पाती..!!

अपनी बात कहते कहते सुहासी राजवीर की तरफ बढ़ी और उसका हाथ अपने हाथ में लेकर बोली- राजवीर... I too love you and i love you so much!! तुमने सीरियसली कहा था ना कि तुम मुझसे प्यार करते हो, वो तो कोई मजाक नहीं था ना?

सुहासी के मुंह से आई लव यू सुनकर राजवीर को एक तरफ जहां हद से जादा खुशी महसूस हो रही थी वहीं दूसरी तरफ वो थोड़ा भावुक भी हो रहा था, पता नहीं क्या चल रहा था उसके मन में कि भावुक होते होते उसकी आंखो में आंसू आने लगे थे, अपनी आंखो में आंसू लिये राजवीर ने सुहासी को अपनी तरफ खींचा और उसे अपने सीने से लगा लिया और सीने से लगाकर बोला- नहीं सुहासी मैं प्यार के नाम पर कभी मजाक नहीं कर सकता, मैं seriously, genuinely तुमसे बहुत प्यार करता हूं!!

एक दूसरे की बांहों में समाये सुहासी और राजवीर दोनों थोड़ी देर के लिये जैसे एक दूसरे में ही खोये रह गये, इसके बाद अपने आप को संभालते हुये वो दोनों अलग हुये और थोड़ी देर वहां रुक कर.. कल सुबह कॉलेज जल्दी पंहुचने का वादा करके दोनों अपने अपने हॉस्टल चले गये!!

आज का दिन दिल्ली में राजवीर के घर पर---

सुहासी की बात सुनकर राजवीर तेज तेज सांसे लेता हुआ बोला- आज भी पहले प्यार की वो पहली खुश्बू मुझे एक अलग खुशी का एहसास करा रही है सुहासी, कितना प्यारा था ना वो दिन?

सुहासी बोली- हां सच में वो फीलिंग शब्दों में बयां नही की जा सकती, तुम्हे याद है राजवीर उसकेकुछ दिन बाद फ्रेशर्स पार्टी में हमने "बैंग बैंग सॉन्ग" पर स्टेज परफॉर्मेंस भी दिया था!!

राजवीर अपने दिमाग पर थोड़ा जोर डालते हुये बोला- हां.. हां हां यार हमने डांस किया था!!

सुहासी बोली- और उसी डांस की वजह से हमें मिस्टर फ्रेशर और मिस फ्रेशर का अवॉर्ड भी मिला था!!

राजवीर फिर से दिमाग पर जोर सा डालते हुये बोला- हां यार हमें अवॉर्ड भी मिला था कितना खुश थे हम दोनों उस दिन इन्फैक्ट सब खुश थे!!

सुहासी थोड़ा सीरियस होते हुये बोली- नहीं राजवीर सब खुश नहीं थे, कोई था जो बिल्कुल खुश नहीं था!!

राजवीर ने पूछा- कौन?

सुहासी बोली- जुबैर...!! जुबैर बिल्कुल खुश नहीं था!!

6 साल पहले - - -

फ्रेशर्स पार्टी में राजवीर और सुहासी के डांस परफॉर्मेंस के बाद जब उन्हे मिस्टर ऐंड मिस फ्रेशर का खिताब मिला और उसके बाद जब वो दोनों जुबैर के पास आये तो उन्होंने देखा कि जुबैर का मुंह उतरा हुआ है और वो उन दोनों को इग्नोर कर रहा है, उसे ऐसे खुद को इग्नोर करते देख सुहासी से रहा नहीं गया और वो थोड़ा खीजते हुये जुबैर से बोली- क्या हुआ ज़ुबी यार देख हम जीत गये, तू खुश नहीं है क्या?

सुहासी की बात सुनकर जुबैर ने अजीब सा उदास उदास सा रियेक्शन दिया और पार्टी वैन्यू से बाहर जाने लगा, उसे ऐसे बाहर जाते देख सुहासी ने खिसियाते हुये राजवीर से कहा- राजवीर ये ऐसा क्यों कर रहा है?

राजवीर को शायद कुछ कुछ समझ आ गया था जुबैर के इस उदास रियेक्शन का रीज़न इसलिये वो सुहासी से बोला- सुहासी तुम जाओ और अकेले में उससे बात करो!!

राजवीर के कहने पर सुहासी जुबैर के पीछे पीछे पार्टी वेन्यू से बाहर चली गयी|

क्रमशः