Love Contract - 1 in Hindi Love Stories by Manshi K books and stories PDF | Love Contract - 1

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Love Contract - 1


घड़ी की सुइयों के साथ भागता ये वक़्त कितना जल्दी - जल्दी ख़तम हो गया , हमें तो पता भी नहीं चला कब छुट्टियां ख़तम हो गई थी

उन बगीचों में फूलों का खुशबू , तितलियों के साथ खेलना वो भी क्या बचपन था ?? थोड़ा उसके साथ लड़ना , एक दूसरे से रूठ जाना फिर एक - दूसरे को माना । मानो कल ही तो ये सब हो रहा था आंखों के सामने जैसा सब याद है मुझे ।

आस - पास के लोगों को कितना परेशान करते थे हम दोनों मिलकर , चुपके चुपके अपने - अपने घर से निकलकर छुपकर फूलों के बीच खेलना और शाम होते ही दादी मां के पीछे - पीछे मंदिर में जाकर शाम की आरती में शामिल होना ... फिर आरती के समय चड़ावे में से कुछ पैसे चुराकर अगले दिन सुबह - सुबह उठकर सबसे पहले डॉग्स को बिस्किट और ब्रेड खिलाना ।

सब कुछ बचपन में कितना खूबसूरत लगता था , जब भी कोई लड़का उससे दोस्ती करने की कोशिश करता उसे मार - मार कर चेहरा लाल कर देना । वजह पूछने पर मेरा यूं शर्मा कर मुस्कुराना वो भी क्या दिन थे यार ?

भाई तुम तो ' किसी बॉलीवुड के फिल्मी हीरो से कम नहीं हो और न तुम्हारी ये बचपन वाली लव स्टोरी '
तुम तो यहां यूएस में और वो कहां इंडिया में है और तुम्हारा उससे कोई कॉन्टैक्ट भी नहीं है आजतक।

तुम पर तो लड़कियां अपना जान छिड़कती है अब समझ आया मुझे आखिर उन्हें भाव क्यों नहीं दिया करते थे तुम ??
अरे यार जो हिन्दुस्तानी लड़कियों में खूबसूरती है वो इन विदेशन में कहां ??

बात तो सही कह रहा है यार , मगर वो ऐटिट्यूड वाली क्या नाम था वो भी तो तुम पर मरती है और वो तो हिन्दुस्तानी के साथ - साथ बहुत बड़े बिजनेसमैन कि बेटी भी है खूबसूरत तो है ही । याद आया उसका नाम ' वेदिता ' था ।

देख भाई विराज मुझे तो बस अपनी चुहिया चाहिए .... जो दिल की सच्ची और सूरत की भोली ... कोई एट्टीट्यूड नहीं , दिल की साफ और सबकी हेल्प करने वाली ,
उसके जैसी नहीं जो लोगों को मुसीबत से निकालने के बजाय और उनमें धकेल देती है ।

' विराज ' देख भाई रिवान वो तुझे बचपन में प्यार करती थी अब करती है या नहीं ये तो तुझे भी नहीं पता , उसके कितने बॉयफ्रेंड्स होगा आजकल तो ये आम बात है ये तुम भी जानते हो ।

' रीवान ' थोड़ा मायूस हो जाता है , मुझे याद भी करती होगी कि नहीं या बचपना समझकर भूल गई होगी ।
कुछ दिन बाद हमें हमारा डिग्री मिल जाएगा , फिर यहां से अपना देश इंडिया जाऊंगा .... तुम भी तो चल रहा विराज इंडिया , मैं तो बहुत एक्साइटेड हूं उससे मिलने के लिए ।

' विराज ' नहीं रीवान मैं सोच रहा था यही किसी कंपनी में जॉब करूंगा , इंडिया से अच्छा यहां सैलरी पैकेज मिलता है और तुम तो जानते हो मेरे पापा बहुत मुश्किल से पढ़ाए है बाकी तुम मदद किया ।

' रीवान ' मुझपे भरोसा है या नहीं तुझे । भाई मैं खुद से ज्यादा तुम पर भरोसा करता हूं । फिर अपना बैग पैक कर लेना हम दोनों इंडिया जा रहे हैं ।

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परिचय
*****

' रीवान ' उम्र 23 - 24 साल के आस पास होगा । जो अभी - अभी यूएस के एक कॉलेज से अपना M BA पूरा किया है । रंग गेहुंआ , हाइट - 5.8 , भुरी आंखे उन आंखों में एक ऐसी चमक जो किसी को आकर्षिक कर ले अपनी ओर और सामने वाला इंसान अपने जुबान रोकने पर मजबुर हो जाए,
पर्सनालिटी बिजनेस मैन के लिए परफेक्ट था l
थोड़ा सादगी भरा एट्टीट्यूड भी था लेकिन घमंड बिल्कुल भी नहीं । उसके नजर में गलत तो गलत ही होता था लेकिन बात जब किसी के चेहरे की हंसी की हो तो जोक्स भी सुनाया करता था।

सबसे ज्यादा प्यार वो अपनी दादी से करता था जिसे प्यार से ' डीएम ' बुलाया करता है ।

' विराज ' रीवान का सबसे करीबी और अच्छा दोस्त दोनों भाई के जैसा एक साथ रहते थे । लगभग ये भी
रीवान के उम्र का था और एक ही कॉलेज में साथ थे ।

' वेदिता ' इंडिया के बिजनेसमैन की इकलौती बेटी जो अपने पैसों का घमंड हर वक़्त अपने पास रखती थी । बहुत सुंदर थी लेकिन कहते हैं न ' चेहरे की खूबसूरती से ज्यादा जरूरी उस इंसान का दिल होना चाहिए लोगो के प्रति ।

अगले भाग में मिलते है इस कहानी कि हीरोइन से ..




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