Ishq da Mara - 2 in Hindi Love Stories by shama parveen books and stories PDF | इश्क दा मारा - 2

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इश्क दा मारा - 2

युवान और गीतिका की कार टकरा जाती है। जिससे की युवी को बहुत ही गुस्सा आता है और वो कार से उतरता है और गीतिका की कार के पास जाता हैं और ड्राइवर से चिल्ला कर बोलता है, "अबे ओ बूढ़े तुझे दिखाई नही दे रही है इतनी बड़ी कार जो सुबह सुबह टक्कर मार रहा है"।

तभी गीतिका कार से उतरती हैं और बोलती है, "आपको बात करने की तमीज नही है किसी से"।

तब यूवी बोलता है, "नही..........

तब गितिका का ड्राईवर उतरकर गीतिका से बोलता है, "बेटी आप क्यो कार से उतर गई हो, आप अंदर जाओ, इससे मै बात कर लूंगा "।

तब गीतिका बोलती है, "आप क्या बात करेंगे इससे, इसे बात करने की तमीज भी है, एक तो गलती की है और ऊपर से हम से ही लड़ रहा है"।

तब यूवी बोलता है, "ओह मैडम गलती मेरी नही है इस बूढ़े की है और, वैसे तो शक्ल से पैसे वाली नज़र आ रही हो, तो फिर किसी जवान जहान को ही अपना ड्राइवर रख लो "।

तब गीतिका बोलती है, "मुझे ना तुम जैसे गुंडो से एडवाइस लेने की जरुरत नही है, समझे "।

तब यूवी बोलता है, "ये बूढ़ा है, तभी छोड़ रहा हूं अगर कोइ और होता ना, तो सर फाड़ देता उसका कसम से "।

ये बोलते ही युवी वहा से चला जाता हैं।

तब गीतिका का ड्राइवर गीतिका से बोलता है, "बेटा आपको कार से बाहर नही निकलना चाहिए था, अगर ये बात बड़े साहब को पता चल गई तो मेरी नौकरी चली जाएगी "।

तब गीतिका बोलती है, "आप इतना डरते क्यों है काका, किसी को कुछ भी पता नही चलेगा "।

उधर युवान घर पहुंच जाता हैं और चिल्लाता है, "मां मां मां........ कहा हो मां, बहुत ही भूख लग रही है कुछ खाने का दे दो, मजनू भाई मां कहा है ???????

तभी युवी की मां आती हैं और बोलती है, "तुम ये किस तरीके से बात कर रहे हो अपने भाई से"।

तब युवान बोलता है, "मैं कुछ गलत थोड़े ही बोल रहा हूं, मैं तो वहीं बोल रहा हूं जो सच है, आपका बेटा मजनू ही तो बन गया है उस लड़की के इश्क में और मेरा भाई है ये, तो मजनू प्लस भाई क्या हुआ....... मजनू भाई "।

तब यश बोलता है, "उड़ा लो तुम भी मेरा मजाक, मगर देखना जिस दिन तुम्हे भी किसी से प्यार होगा ना, उस दिन तुम भी मेरी तरह मजनू बन जाओगे "।

ये सुनते ही युवी जोर जोर से हंसने लगता है और बोलता है, "प्यार और मुझे, ऐसा हो ही नही सकता, क्योंकि युवी की डिक्शनरी में प्यार नाम का कोई शब्द ही नहीं है, और आप शायद भूल रहे हो की हम गुंडे है , और हमारे अन्दर दिल नही पत्थर होता है, तो तुम कुछ भी कर लो, मुझे तो ये प्यार व्यार नही होने वाला है, और मै तुम्हे भी समझा रहा हूं कि पापा ने जो लड़की तुम्हारे लिए पसंद की है उससे आराम से शादी कर लो, तुम नही जानते की उस लड़की से शादी के बाद हमे कितना फायदा होगा "।

तब यश बोलता है, "तुम सच में पापा की ही औलाद हो, बिल्कुल उन्ही की तरह सोचते हो "।

तब यूवी बोलता है, "जब औलाद उनकी हू तो उनकी ही तरह सोचूंगा ना "।

तब युवी की मां बोलती है, "चलो अब अपना मुंह बंद करो और चुप चाप से नाश्ता कर लो "।

उसके बाद युवी नाश्ता करने के लिए चला जाता हैं।

उधर युवी के पापा अपने आदमियों के साथ मीटिंग कर रहे होते हैं। तभी एक आदमी बोलता है, "मालिक वो जो मिनिस्टर है वो अब हमारे लिए बहुत ही बड़ा खतरा बनता जा रहा है, हमे जल्दी ही उसका कुछ करना पड़ेगा.............