Shyambabu And SeX - 2 in Hindi Drama by Swati Grover books and stories PDF | Shyambabu And SeX - 2

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Shyambabu And SeX - 2

2

पुलिस की रेड

 

 

 

श्याम को ध्यान से देखते हुए उसने कहा,  “पानी उधर रखा है। श्याम ने सामने मेज़ पर रखी पानी की बोतल को उठाया और एक ही बारी में आधी बोतल खाली कर दीं।“  थैंक्स !!! अब उसने चाँदनी को गौर से देखा, साँवला रंग, स्कर्ट के साथ ब्लाउज़ पहना हुआ है, हल्का मेकअप, बालों में चोटी गूँथी हुई है।  वह भी उसे गौर से देख रहीं है।  अब उसने पूछा,

 

यह आसपास के कमरे खाली क्यों है?

 

क्यों वहाँ जाना है? उसने ज़वाब नहीं दिया तो वह ही बोल  पड़ी,  “जो लड़कियाँ वहाँ रहती थीं, वे सब मुंबई चली गई।  वहाँ काम का ज़्यादा स्कोप है।“

 

तुम नहीं गई? मुंबई ।

 

तू यहाँ जो करने आया है, वो कर और निकल।  वैसे जग्गी ने कितने पैसे लिए है ?

 

दो हज़ार !!! तुम्हें तो आठ ही लेने हैं न??

 

यह जग्गी भी कमाल है,  कहता है,  दूसरे बेवकूफ बनायेगे और फिर खुद ही बेवकूफ बनाता है।  दस हज़ार लूंगी। नहीं जमता तो निकल यहाँ से।

 

नहीं, कोई बात नहीं!!!! तुम्हें एक्सपीरयंस तो होगा ही!!! वह ज़ोर से हँसी। 

 

लेकिन तू तो मुझे चोमू लग रहा है, करता क्या है?

 

प्रोफेसर हूँ। 

 

शादी हो गई। 

 

नहीं!!!

 

उम्र ??

 

33 का हुआ हूँ। 

 

“सेहत तो ठीक है, मगर शक्ल पर 40-42 की उम्र वाले  बारह बजे हुए हैं। लगता है, ज़्यादा किताबे पढ़ ली।  खैर, मुझे क्या!!!”

 

अब उसने दरवाजा बंद किया,  फिर वह अपने कपड़े उतारने लगी। फिर बिना कपड़ो के बिस्तर पर लेट गई। श्याम ने बहुत सी अंग्रेजी पिक्चर देखी है, मगर आज पहली बार, किसी लड़की  को अपने जीवन में  उसने नग्न  अवस्था में देखा है।  वह खड़ा हो गया,  उसने अपनी पेंट पकड़ ली।  फिर बाथरूम का पूछकर,  उसमे घुस गया।  उसके माथे पर पसीना है। उसने अपने पूरे बदन को हाथ लगाया, फिर ख़ुद को सांत्वना देते हुए बोला, “सब ठीक है।“  अब बाहर आया और अपनी शर्ट के बटन खोलने लगा और चांदनी को देखते हुए बोला,  “चाँदनी! मुझे सब आता है।“ 

 

मगर वह उसे अनसुना करते हुए, उसे शर्ट के बटन खोलते हुए देख रही है।  “इतना टाइम बटन खोलने में  लगा रहा है।“ अब उसने पैंट की जिप पर हाथ लगाया तो चांदनी बोली,  “ओह !! फ्रेशर जल्दी कर, टाइम नहीं है।  फ्रेशर सुनकर श्याम बिदक गया और वही बिस्तर पर बैठ गया?  तेरी प्रॉब्लम क्या है, अब वह भी उसके साथ बैठ गयी।  वह नज़रें चुराने लगा।  अब चांदनी ने उसे बिस्तर पर धक्का मारा और उस पर सवार हो गई,  श्याम को लगा, अब वो पल आ गया है, यह चांदनी मेरे जज़्बात समझती है।  चॉँदनी ने उसकी पैंट की ज़िप खोली कि तभी दरवाजे अपर दस्तक हुई?  “कौन?” वह चिल्लाई। “इंस्पेक्टर जगदीश मलिक !!!” इंस्पेक्टर का नाम सुनते ही उसने चाँदनी को एक तरफ किया और जल्दी से शर्ट पहनी,  जिप बंद की और चश्मा चेहरे पर ठीक करते हुए चाँदनी से डरते हुए पूछने लगा,

 

पुलिस की रेड पड़ गई है??

 

ओह !! पागल आदमी !!! मैं इसे जानती हूँ,  अब वह भी कपड़े पहनने लगी। 

 

मगर टाइम तो मेरा है। 

 

कुछ काम होगा,  तू अंदर कमरे में जा और हाँ, पहले पैसे ट्रांसफर कर । 

 

पर क्यों ???

 

तू फट्टू है, पीछे से भाग जायेगा । 

 

पर कुछ हुआ तो है नहीं?

 

इसमें गलती किसकी है। 

 

जल्दी कर,  वरना रेड पड़वा दूंगी। 

 

यह सही नहीं है, अब वह पैसे ट्रांसफर कर दूसरे कमरे में चला गया। 

 

अब चांदनी ने दरवाजा खोला। 

 

बिजी थी?? इंस्पेक्टर के चेहरे पर मुस्कान है।

 

बिजी होने की कोशिश कर रही थीं।  वह हँसी।

 

झबरू यहाँ आया था?

 

वो मुंबई भाग गया है, साहब !!!

 

पक्की खबर है ??

 

हाँ,  अब श्याम ने कमरे पर लगे पर्दे से झाँका तो इंस्पेक्टर को देखकर उसके होश उड़ गए।   अगर इसने मुझे यहाँ देख लिया तो मेरी बर्बाद ज़िन्दगी और बर्बाद हो जाएगी।