The Six Sense - 2 in Hindi Thriller by रितेश एम. भटनागर... शब्दकार books and stories PDF | द सिक्स्थ सेंस... - 2

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द सिक्स्थ सेंस... - 2

राजवीर के सिर पर गहरी चोटें थीं, गर्दन की हड्डी में भी सूजन थी ऐसा लग रहा था कि किसी ने उसे जान से मारने की कोशिश की हो और उसके बेहोश हो जाने पर उसे मरा हुआ समझ कर वहां उसे छोड़कर भाग गया हो |

पुलिस हर एंगल से जांच कर रही थी और जांच के जो एंगल फिलहाल उनके सामने थे वो थे-
-राकेश सिंघानिया का कोई बिज़नेस राइवल
- राकेश सिंघानिया की किसी से पर्सनल दुश्मनी
- अय्याश किस्म के राकेश सिंघानिया का कोई अवैध संबंध या कोई अवैध संतान

पुलिस वालों के पास राकेश सिंघानिया के अलावा उसकी पत्नी और राजवीर की मां प्रीती सिंघानिया को लेकर भी कुछ डाउट थे और वो डाउट भी उनके किसी गैरमर्द के साथ अवैध संबंधों को लेकर ही थे!! हो सकता था कि कोई ऐसा हो प्रीती की लाइफ में जो उसे तो हासिल कर चुका हो लेकिन उसकी दौलत और बिज़नेस को हासिल ना कर पाने की एवज में उसे सबक सिखाने के लिये राजवीर को रास्ते से हटा देना चाहता हो या ये भी हो सकता था कि अमीर बाप के बेटे राजवीर को फिरौती के लिये किडनैप करने की कोशिश की गयी हो और हट्टे कट्टे, मजबूत शरीर वाले राजवीर को किडनैप करने में नाकाम रहने पर उसको कई लोगों ने बुरी तरह पीट दिया हो और मरा समझ के वहां से भाग गये हों...कारण कुछ भी हो सकता था!!

चूंकि ये एक हाई प्रोफाइल केस था इसलिये पुलिस वालों पर ऊपर से भी काफी दबाव था, राकेश और प्रीती के ऊपर शक इसलिये नहीं किया जा सकता था क्योंकि उन दोनों ने ही आपसी सहमति से पुलिस को हर तरह के एंगल पर जांच करने की खुली छूट और जांच में हर तरह के सहयोग का भरोसा दिलाया था |

पुलिस ने हर एंगल को ध्यान में रखते हुये पूछताछ शुरू तो कर दी थी लेकिन ऐसा कोई सुराग उनके हाथ नहीं लग रहा था जिससे राजवीर को बुरी तरह पीटने वालों का कुछ पता चल सके, चूंकि राजवीर अभी कुछ समय पहले ही यूएसए से वापस आया था तो कहीं ना कहीं एक एंगल और था पुलिस के दिमाग में जिसे वो जानने की कोशिश कर तो रहे थे लेकिन उसका भी कुछ पता नहीं चल पा रहा था और वो एंगल था यूएसए में पढ़ाई के दौरान उसकी किसी से कोई दुश्मनी या कोई झगड़ा जो इतना बड़ा हो कि उसकी आंच यहां दिल्ली तक भी राजवीर के साथ आ गयी हो लेकिन उसके बारे में भी पुलिस पता करे तो कैसे करे क्योंकि घायल राजवीर के पास से उसका मोबाइल भी नहीं मिला था और राकेश और प्रीती को उसके दोस्तों के बारे में कुछ पता नहीं था|

एक एक करके दिन गुजर रहे थे लेकिन पुलिस के हाथ अभी तक खाली थे लेकिन अच्छी बात ये सामने आ रही थी कि राजवीर की हालत अब स्थिर हो गयी थी, वो था तो कोमा में ही लेकिन उसकी चोटें भरने लगी थीं, डॉक्टरों का कहना था कि सिर की चोट काफी गहरी है किसी तेज धारदार चीज से राजवीर के सिर पर वार किया गया था जिसके कारण काफी अंदर तक उसका घाव बना हुआ है, घाव अगर एक मिली मीटर भी और अंदर हुआ होता तो राजवीर ना बच पाता, सिर का घाव भरने पर उसके कोमा से बाहर आने के चांसेज बढ़ जायेंगे |

राकेश सिंघानिया ने पहले ही प्राथमिक उपचार के बाद राजवीर को दिल्ली के एक बड़े और आलीशान अस्पताल में भर्ती करवा दिया था जहां पर उसकी देखरेख में उस अस्पताल के बड़े बड़े डॉक्टरों की टीमें लगी हुयी थीं, सब लोगों को इंतजार था तो बस इस बात का कि कब राजवीर को होश आये और कब वो अपने ऊपर हमला करने वालों के बारे में कुछ बता पाये |

राकेश और प्रीती भले ही अपनी अपनी जिंदगियों में व्यस्त रहते थे और जिंदगी का पूरा लुत्फ उठाते थे, भले उन दोनों ने ही परवरिश के लिये राजवीर को बचपन से ही आया के सहारे छोड़ दिया था लेकिन राजवीर उनका एकलौता लड़का था इसलिये उसकी सुख सुविधाओं में उन दोनों ने कभी कोई कमी नहीं रखी थी, राजवीर को पता ही नहीं था कि दिक्कतें आखिर होती क्या हैं..!!

राजवीर की जहां तक बात करें तो इतनी ऐशो आराम की जिंदगी जीने के बावजूद भी वो खुद बिल्कुल भी अय्याश नहीं था वो एक डीप थिंकर था, पता नहीं क्यों वो बोलता कम था और सोचता जादा था, उसे कहानियां लिखने का शौक था और उसे उन किरदारों के बारे में सोचना और उनके साथ रहना ही जादा पसंद था जिन्हें वो अपनी कहानियों में गढ़ता था ऐसे में ऐसे लड़के का कौन दुश्मन हो सकता था ये एक बहुत बड़ा सवाल था जिसका जवाब अब सिर्फ एक ही शख्स दे सकता था और वो था खुद... राजवीर!!

क्रमश: