Muzrim ya Mulzim? - 5 in Hindi Thriller by anita bashal books and stories PDF | मुजरिम या मुलजिम? - 5

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मुजरिम या मुलजिम? - 5

श्रुति ने जैसे ही बाहर आकर बिना से यह सवाल पूछा कि क्या गोदावरी आंटी ने जो कहा वह सच है या नहीं तब बिना ने आसपास देखते हुए उस बात को झूठ बताया और कहा।
" सब लोग वही बोलेंगे जो उन्होंने सुना है लेकिन मैं मित्तल की दोस्त थी। मानती हूं कि मैं पक्की वाली दोस्ती नहीं थी लेकिन इतनी तो थी कि उसके बारे में बहुत कुछ जान सकूं। निहाल सर देखने में काफी अच्छे थे और इसलिए और बाकी लड़कियां भी उनसे बार-बार बातें किया करती थी।
जब भी कोई प्रश्न का जवाब चाहिए होता था तो सब लड़कियां निहाल सर को ही ढुंढती थी। और जब भी कभी ऐसा होता था तुम मित्तल को बहुत गुस्सा आता था। उसने ही तो अपने पेरेंट्स से कहा था कि वह निहाल सर के पास ट्यूशन जाना चाहती है क्योंकि वह उनके साथ ज्यादा समय बिता सकें।"
श्रुति और अंकुश बिना की बातों से बहुत ज्यादा हैरान थे। अंकुश ने श्रुति की तरफ देखकर कहा।
" मैं जब लड़कियों के साथ फ्लर्ट करता हूं और उनको अपने किस्से बढ़ा चढ़ाकर बताता हूं तो तुम मुझे बोलती हो कि मैं यह गलत कर रहा हूं। यह लड़की तो सिर्फ 12 साल की थी। जब वो छोटी बच्ची ऐसा कांड कर सकती है तो मेरी क्या गलती है मैं तो 24 साल का हूं।"
श्रुति ने अपनी उंगली नाक पर नाक पर रख कर उसको चुप होने का इशारा किया और बिना से सवाल किया।
" देखो तुम्हें डरने की जरूरत नहीं है हम तुम्हारा नाम भी नहीं लेंगे और ना ही हम इसे रिकॉर्ड कर रहे हैं हम तो सिर्फ सच जानना चाहते हैं। तुम यह बताओ कि क्या निहाल दत्त मित्तल के साथ वह सब कुछ कर सकते थे जो बताया गया है?"
श्रुति यह देख पा रही थी कि बिना बताने में हिचकीचा रही हैं और अपने आसपास देख रही है क्योंकि उसे डर था कि कोई उसकी बातों को सुन ना ले। श्रुति बिना के कंधे पर हाथ रखा और उस को समझाते हुए कहा।
" देखो मैंने कहा ना कि तुम्हें डरने की जरूरत नहीं है। देखो निहाल दत्त के बारे में क्या कुछ बोला गया है यह सब तुम्हें पता है। क्या तुम एक बेगुनाह को न्याय दिलाने में हमारी मदद नहीं करोगी?"
बिना कुछ पल के लिए सोचने लगी और फिर उसने कहा।
" निहाल सर ऐसे नहीं थे। सच बात कुछ और ही है। उनके बारे में कहा जा रहा था कि वो नेक्स्ट प्रिंसिपल भी बन सकते है, लेकिन ये बात किसी को भी पसंद नहीं थी। खास कर के उस स्कूल के करंट प्रिंसिपल को।"
इतना कह कर बिना चुप हो गई। श्रुति ने कुछ सोचते हुवे पूछा।
" क्या नाम है उस स्कूल का?"
" लावण्या गर्ल स्कूल।"
बिना ने धीमे से जवाब दिया। श्रुति ने तुरंत उस स्कूल का एड्रेस लिया और मित्तल की फैमिली की करंट लोकेसन जानने की कोशिश की। बिना उसके बारे में कुछ भी नहीं जानती थी। श्रुति को उसके बारे में कुछ पता नहीं चला। वो दोनो वहा से चले गए। गाड़ी में बैठने के बाद अंकुश ने पूछा।
" तुम्हे क्या लगता है ये लड़की बिना सच कह रही थी?"
श्रुति अभी भी वो सब ही सोच रही थी उसने कुछ सुना ही नहीं। अंकुश ने उसके चहेरे के पास चुटकी बजाई। उसकी आवाज से श्रुति होश में आई। उसने पूछा।
" हम्म क्या हुआ? कुछ कहा क्या?"
अंकुश ने अपना एक हाथ स्टेरिंग पर रखा और दूसरा हाथ अपने सर पर रख कर कहा।
" क्या बात है? सच-सच बताना किसके बारे में सोच रही हो?"
श्रुति ने अपना मुंह बनाकर आंखें घुमा के उसकी तरफ देख कर कहा।
" तुम्हारे बारे में तो बिल्कुल भी नहीं सोच रही हूं।"
अंकुश ने अपना एक कंधा उसका कर जवाब दिया।
" वह तो मुझे भी पता है। लेट मी गैस, कहीं तुम अच्युत सर के बारे में तो नहीं सोच रही हो ना?"
अंकुश की यह बात सुनकर श्रुति ने उसकी तरफ हैरानी से देखा और उसकी तरफ गुस्से भरी आंखों से कहा।
" मैं भला अच्युत सर के बारे में क्यों सोचूंगी? मैं तो उस स्कूल में जाने के बारे में सोच रही हूं जहां पर निहाल दत्त पढ़ा रहे थे। क्या नाम बताया था उसका हां, लावण्या गर्ल स्कूल।"
अंकुश ने एक पल के लिए सोचा और फिर पूछा।
" लेकिन हम वहां जाकर क्या कहेंगे कि हम क्यों आए हैं? देखो हम किसी भी स्कूल में पूछताछ नहीं कर सकते क्योंकि इसके लिए हमें लीगल परमिशन लेटर चाहिए। तुम्हें तो पता है कि यह हमें नहीं मिलने वाला है तो हम कैसे पूछताछ करेंगे?"
श्रुति कुछ सोचने लगी। अंकुश की बात कहीं ना कहीं तो सच ही थी क्योंकि डायरेक्ट किसी स्कूल के ऊपर कोई इल्जाम नहीं लगा सकता। किसी भी स्कूल से किसी टीचर या फिर स्टूडेंट के बारे में पर्सनल इंफॉर्मेशन निकालना गलत बात होती है। उसके लिए परमिशन लेटर भी लगेगा और वह उन्हें नहीं मिलने वाला था।
श्रुति ने कुछ सोचा और फिर बिना के बताए हुए एड्रेस की तरफ जाने को कहा। अंकुश ने रास्ते की तरफ देख कर कहा।
" क्या हम उसी स्कूल में जा रहे हैं?"
" हम्म्।"
श्रुति ने सिर्फ इतना ही जवाब दिया। अंकुश ए बात अच्छी तरीके से जानता था कि अगर कोई भी इंसान किसी भी सवाल का जवाब सिर्फ हमम् या उहु् दे तो समझ जाना चाहिए कि वह इंसान और कुछ बात करने के मूड में नहीं है। इसलिए वह चुप रहा और अपनी ड्राइविंग में ध्यान देने लगा।
कुछ ही देर में वह लोग स्कूल के बाहर पहुंच गए थे। श्रुति ने अंकुश की तरफ देखा और फिर कहा।
" अंकुश तुम्हारे बाल बहुत बिखरे हुए रहते हैं पहले इसे सेट करना होगा।"
कहते हुए उसने अपने पर्स में से एक कंगी निकाली और अंकुश के बिखरे बालों को ठीक करने लगी। अंकुश ने श्रुति का हाथ हटाते हुए कहा।
" अरे मेरा इतना सेक्सी हेयर स्टाइल क्यों खराब कर रही हो? कितने अच्छे से इसे सेट किया था और तुम ऐसे बिगाड़ रही हो।"
" चुप हो जाओ।"
कहते हुए श्रुति उसके बालों को ठीक करने लगी। अंकुश शर्ट के ऊपर एक तरह का जैकेट पहनता था जो उसे कुल लुक देता था। श्रुति ने अंकुश को उस जैकेट को निकालकर रखने के लिए कहा। उसके शर्ट के बटन लगाने को कहा और एक बिना नंबर का चश्मा पहना दिया। श्रुति में एक बार अच्छे से अंकुश को देखा और फिर अंगूठे और उंगली से गोल आकार बनाते हुए कहा।
" वाओ! अंकुश मुझे नहीं पता था कि तुम इतना हैंडसम हो?"
अंकुश ने गाड़ी का मीटर अपनी तरफ किया और एक गंदी सा मूंह बनाकर कहा।
" मेरे जैसे हैंडसम लड़के को यह तुमने क्या बना दिया है? मैं तो मिस्टर चिपकु लाल बन गया हूं।"
श्रुति ने अपने दोनों हाथों को आपस में झटक ते हुए कहा।
" चलो अब स्कूल में जाते हैं तुम्हारी बेटी का एडमिशन कराने अभी तक पैदा नहीं हुई है।"
क्या श्रुति स्कूल में से कोई इंफॉर्मेशन निकल पाएगी? अंकुश इस अवतार में किसी का सामना कैसे करेगा?