Shayarana_Fiza... - 2 in Hindi Poems by Utpal Tomar books and stories PDF | शायराना फिज़ा... 2 - किस्से, तेरे-मेरे।

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शायराना फिज़ा... 2 - किस्से, तेरे-मेरे।


~किस्से तेरे-मेरे ~
कुछ किस्से बुनूं, तेरे और मेरे ,
कुछ ख्वाब देखू जिनमें, मैं हूं और तू हो
लिखूं कुछ कहानी तेरी और मेरी
कोई सफर तय करूं, मुझसे जो तुझ तक हो,
एक ऐलान करूं, जिसमें नाम हो तेरा
सुनकर नाम तेरा, लोग ज़िक्र मेरा करें
जिक्र हो हमारे किसी पुराने किस्से का,
किस्सा कोई, जिसमें तू रूठी हो
रूठी, तेरी आंखों में कुछ शिकवे हो
शिकवों में मेरा नाम आए...
मेरा नाम आए, तू चुप हो जाए,
इस चुप्पी में एक शोर मचे
शोर में भी, नाम मेरा आए,
अब यह नाम एक ख्वाब सा हो,
ख्वाब, तू खुली आंखों से देखे
आंखों को बस चांद दिखे,
चांद तुझे फिर बहकाए,
चंद तुझे फिर बहकाए ,
बहक जाए तू, और मेरे पास आए
तू पास आए ,दूर हों शिकवे
थी दरमियां दूरियां जो, दरकिनार हो
मैं गुम हो जाऊं तुझ में, तू मुझ में खो जाए
सोचो कितना हसीं मंजर हो,
अगर लफ्ज़ मेरे हकीकत हो जाएँ
गुजरे ये उम्र तेरी पनाहों में,
जागूं हर सुबह, तेरी बाहों में,
तेरी बाहों में, मेरी हर शाम सो जाए ।।
~तोमर
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♡ यह दिल-बस्तगी है जाना मोहब्बत ना समझना,
जो समझो मोहब्बत तो बेहद ना समझना ||
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~जीने का सहारा ~
मैं तुझे जीने का सहारा नहीं,
जीने की वजह बनना चाहता हूं |
मैं तुझे अरमानों की झूठी दुनिया नहीं,
मोहब्बत का एक सच्चा जहां दिखाना चाहता हूं |
मैं जिंदगी के हर पहलू में तुझको नहीं,
तुझ में जिंदगी के हर पहलू को पाना चाहता हूं ||
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♡ तू ही था जिसने मुझे मुझसे मिलाया ,
तुझसे तो मोहब्बत बेतहाशा थी, पर तूने मुझे ,
खुद से मोहब्बत करना सिखाया ||
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~हीर ~
मालूम नहीं मेरी मोहब्बत सच है, या उसकी
कई दिनों से अपने आप से कहता हूं |
वह अपनी हीर से कहता है, कि तुझे महफूज रखूंगा, मगर
मैं अपनी हीर के संग महफ़ूज़ रहता हूं ||
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♡ गुलाम नहीं तेरा ,मगर मोहब्बत की इस रियासत पर अपनी बादशाहत भी नहीं समझता,
तुझे हक है मुझे छोड़ जाने का मगर मुझे भी हक है उम्र भर
तुझे चाहते जाने का ||
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~रूह ~
ज़माना जिस्म का दीवाना समझता है मुझे,
कोई खुशनसीब, कोई ना गवारा समझता है मुझे
कैसे अपने दिल के जज्बात इन्हें दिखाऊं मैं,
तेरी ही रूह ने अपनी रूह से मिलाया है मुझे,
तो फिर क्यों ना तुझे, और सिर्फ तुझे ही चाहूं मैं...
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♡ मोहब्बत की कश्मकश में, ये दिल कुछ गज़ब कर बैठा
मेरी ख्वाहिश थी दिलबस्तगी की, कमबख्त दिल्लगी कर बैठा ||
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♡ ये जहां खुदा से दुआ करता है कि खूबसूरत हो तुमसा
कोई ऐसा यार दे देना...
मगर खुदा ने तुम्हें मुझको दिया जब मैने उससे कहा कि
मुझे बस प्यार दे देना ||
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♡ कभी अनजान थी तू, अब रिश्ता सा है
तेरी हर तारीफ से...

♡ बेशुमार इश्क की वफा तुम हो,
मेरे हर मर्ज की दवा तुम हो...

♡ मैंने माफी मांगी नहीं कभी,
वह हर दफा मुझे माफ करता है
हर गुनाह पर मेरे मुस्कुरा कर,
वो बिन कहे इंसाफ करता है...
~तोमर
♡♡♡