bachpan saval karta in Hindi Biography by Bharat(Raj) books and stories PDF | बचपन सवाल करता....

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बचपन सवाल करता....

आज कुछ ऐसा हुआ जो मै ना लिखूँ तो यह बचपन पर मेरा कुठारधात होगा।


मै लिखना चाहता हु शायाद आप के बच्चे भी, कुछ ऐसा ही सोचते होंगे या फिर ऐसे सवाल का कभी ना कभी आपने भी सामने किया होगा।


जो अपने ह्रदय को विचलित कर देते है

आज मेरे 10 वर्ष के बैटे ने स्कूल जाने से मना किया।


मैंने पूछा क्यों बैटा?


क्यों नही जाना तुझे स्कूल, तु ही तो कहा करता है पापा मे बढ़े होकर ट्रेन का इंजिनियर बनूंगा।


फिर तु स्कूल नही जायेगा तो कैसे बनेगा?

उसने अपने हाथ मे पकड़े स्कूल बैग को सोफे पर रखते हुए थोड़ी नज़र झुकाकर फिर सवाल किया पापा फिर भी मुझे स्कूल नही जाना।


मेरा मन अंदर से व्याकुल हो उठा आखिर ऐसा क्या हुआ की आज उसके चेहरे पर मुझे स्कूल के प्रति हजारो सवाल दिख रहे थे।


फिर मैंने उसे अपने पास बुलाया और कहा कोई बात नही तुझे नही जाना तो मत जाना पर यह तो बता क्यों नही जाना।


उसने दबी सी आवाज मे कहा "पापा मेरा स्कूल बैग है वो बहुत भारी है मै उसे उठा नही पाता हूँ, मै कई बार गिर जाता हु"।


उसके इस वाक्य ने मानो मेरे सामने हजारो सवाल खड़े कर दिये।


ह्रदय अंदर से विचिलत हो गया, एक बाप का अपने बेटे से प्यार मांनो उमडकर आँखों से आँसू बनकर बहने को लालायीत हो उठा।


एक मिनट के लिए तो मैं कुछ नही बोला पाया। फिर हिम्मत करके उसे आश्वासन दिया की आप को गाड़ी तक रोज पापा छोड़ने और लेने आयेंगे, और हाँ स्कूल मे मैडम को भी बोल देंगे ताकि आप का स्कूल मे भी ध्यान रखेंगे।


ठीक है ना।


उसने तुरंत हाँ मे अपनी गर्दन हिलाई।


लेकिन मेरे सामने अब भी कई सवाल थे?

क्यों बचपन को इन भारी भरकम बस्तो के बोझ तले दबा रहे है हम? क्या हमारी यह नैतिक जिम्मेदारी नही है की सरकार या स्कूल प्रशासन से मिलकर कुछ रास्ता निकाले।


अगर हाँ,

तो जल्दी करना चाहिए हमे ताकि और कोई बच्चा अपने पापा को इस तरह का सवाल ना कर सके।


अगर नही,

तो फिर ऐसे सवालों का सामना देश के हर कोने से हर रोज एक बाप सुनेगा और अंदर ही अंदर टूटता जायेगा।


क्या सारी किताब रोज ले जाना जरूरी होना चाहिए? या फिर अलग अलग दिन मे अलग अलग विषय की किताब ले जाना सही रहेगा।


मै तो ठहरा बैंकर लेकिन लाखों शिक्षाविद् है लाखों राइटर है। मै और इस देश का हर बाप आप से उम्मीद लगा रहा है। अपने शब्दो को धार दो और कुछ ना कुछ लिखो इस विषय पर ताकि सोया हुआ प्रशासन जाग जाये।


मै यह लडाई लड़ना चाहता हु आप मेरे साथ हो यही उम्मीद के साथ आप अपने विचार मुझ तक पहुचाये। एवं आने वाली पीढ़ी बस्ते के बोझ से बच सके। एक नया भविष्य एक नया भारत बना सके।इस उम्मीद और विश्वास के साथ में यह लेख आप के बीच रख रहा हु।


आप के सुझाव का बेसबरी से इंतजार है।


आप सबका दोस्त

भरत माली (राज)

Mobile no 9016638262

E mail id--- bharatkumarmali 2@gmail.com