Revati - 2 in Hindi Motivational Stories by Suresh Chaudhary books and stories PDF | रेवती - 2

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रेवती - 2

ओल्ड एज होम मे आ कर बहु की प्रताड़ना तो खत्म हो गई, लेकिन पति को याद कर कर के आंखो में आंसुओ ने डेरा डाल लिया। रह रह कर शादी से लेकर बहु के कड़वे शब्द तक का सफ़र आंखो के सामने घूमने लगे। पूरी पूरी रात बिना नींद के कटने लगी।
कहने के लिए तीन चार हम उम्र महिलाए दोस्त बन गई। उनके समझाने पर समय पर थोड़ा थोड़ा खाना भी खाने लगी। अचानक एक रात याद करते करते पति की छेड़ छाड़ याद आ गई।,,

हां उस दिन पति के ऑफिस में छुट्टी थी और मेरे पति मेरे साथ लगकर चिप्स और पापड़ बनवा रहे थे।
,, रेवती तुम इतने अच्छे चिप्स और पापड़ बना लेती हो, अगर चाहो तो एक छोटा बिज़नेस कर सकती हों,,।
पति की बात याद आते ही आंखो में एक चमक उभर आई। सुबह होते ही रेवती ने अपने विचार अपनी सहेली निकिता के सामने रखे। रेवती के विचार से निकिता और मधु सहमत हो गई। इस सहमति से खुश रेवती आश्रम के मैनेजर के पास गई और अपनी योजना मैनेजर के सामने रखी।
रेवती की योजना से मैनेजर भी खुश हो गया और आवश्यक सामग्री आश्रम की ओर से मंगा दी।
नए उत्साह से रेवती के साथ साथ निकिता मधु के अलावा और भी कई महिलाएं चिप्स और पापड़ बनाने के काम में लग गई। चिप्स और पापड़ का नाम भी रेवती चिप्स और रेवती पापड़ रख दिया गया। जी एस टी विभाग में भी रजिस्टर्ड करा दिया और देखते ही देखते चिप्स और पापड़ का काम अपना असर दिखाने लगा और पूरे शहर में रेवती के चिप्स और पापड़ का नाम हो गया।
और पैसे आने के बाद रेवती ने आश्रम से बाहर एक मकान ले कर अपनी सहेलियों को भी आश्रम से निकाल कर अपने साथ ही सेट कर ली।
चिप्स और पापड़ का बिज़नेस हजारों रूपए से निकल कर लाखों रुपए महीना तक हो गया।
उधर रेवती के बेटे से अपने ऑफिस में कोई गलती हो गई, इसलिए रेवती के बेटे को नोकरी से निकाल दिया गया। इस लिए नौकरी के लिए इधर उधर घूमने लगा। थक हार कर एक दिन रेवती कंपनी में काम के लिए आ गया। शानदार ऑफिस में इंटरव्यू देने वाले उम्मीदवारों के साथ बड़ी लॉबी में बैठ गया। क़रीब चार घंटे बाद रेवती के बेटे को ऑफिस के अंदर बुलाया गया।
ऑफिस में प्रवेश करते ही एक बड़ी टेबल के पीछे बैठी हुई महिलाओं को देखते ही बेटे की आंखों के सामने जैसे पूरी दुनिया ही घूम गई। बेटे को आशा ही नहीं थी कि यह भी हो सकता है। पैर जैसे जम गए हो, चाह कर भी पैरों को आगे या पीछे उठा नही सका।
,, आइए मिस्टर,,। बेटे के कानों में तभी निकिता की आवाज पड़ी। बेटे को लगा कि जैसे दोनों पैर बहुत ही भारी हो गए। और किसी तरह से धीरे धीरे अपने दोनों पैरों को लगभग घसीटते हुए टेबल के इस ओर लगी चेयर तक आ गया।
,, बैठिये,, इस बार कहा मधु ने।
,, मां,,,। चेयर पर बैठते ही बेटे ने कहा
,, आप की योग्यता फ़ाइल,,। बेटे के शब्दों को अनसुना करते हुए निकिता ने कहा।
,, इनकी योग्यता, मैं बताती हूं,,। इस बार थोड़ी ऊंची आवाज में कहा रेवती ने। बेटे ने यह सुनते ही मां की ओर देखना चाहा लेकिन देख नही सका।
,, जो लडका अपने माता पिता को इज्जत नहीं दे सकता, उसके लिए हमारे पास कोई काम नहीं, आप जा सकते हैं,,। रेवती ने कड़े शब्दों में कहा, लेकिन अंदर ही अंदर दिल चित्कार करने लगा।