Revati - 1 in Hindi Motivational Stories by Suresh Chaudhary books and stories PDF | रेवती - 1

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रेवती - 1

आज फिर से रोज सुबह की तरह रेवती नहा धो कर चाय के इंतजार में अपने बिस्तर पर बैठी हुई बार बार कमरे के बाहर देखती रही। रेवती जानती है कि बहु और बेटा नौ बजे से पहले नही उठेंगे, लेकिन शायद यह रेवती का रूटीन बन गया है। खुद किचन में भी तो नहीं जा सकतीं। किचन बेटा बहू के बेडरूम से लगा हुआ है, किचन में खट पट होगी तो फिर से बहु चिलाएगी। अभी दो दिन पहले ही की तो बात है, जब आधी रात को सर मे तेज दर्द हुआ तो गर्म पानी के साथ दवा लेनी थीं, डरते डरते रेवती ने बीना कोइ आवाज किए किचन में पानी गर्म करना चाहा, न जाने कैसे बहु की आंख खुल गई और बहु चिल्लाने लगी।
,, यह क्या मां जी दिन भर हम ऑफिस में काम करते हैं और रात को तुम हमें सोने भी नहीं देती,,।
,, बहु सर मे तेज दर्द हुआ है इसलिए थोड़ा पानी गर्म करना था,,। रेवती ने डरते हुए कहा
,, अरे तुम मर तो नही गई थी सुबह होने तक,,। बहु चिल्लाई, तब ठंडे पानी से ही दर्द की टेबलेट ले कर लेट गई। सुबह दस बातें बेटे ने सुना दी।
आज फिर से रेवती को बहुत देर से चाय की इच्छा हो रही है, लेकिन बेटे बहु के कारण किचन में जानें की हिम्मत नहीं हो रही है। तभी रेवती को रमन की बातें याद आ गई।
,, रेवती यह सुबह चार बजे चाय पीने की आदत छोड़ दो अरे दिन निकल जानें दो,,।
,, यह तो आप इसलिए कह रहे हो, कहीं तुम्हें चाय न बनानी पड़ जाएं,,।
,, मेरे लिए तो तुम पूरी दुनिया हों रेवती, अगर आधी रात भी कहोगी तो मैं चाय क्या, जो भी तुम कहोगी वही बना कर दूंगा, लेकिन भगवान न करें अगर मै कहीं तुमसे पहले इस दुनियां से चला गया तो कौन तुम्हें इस टाइम चाय बना कर देगा,,।
रमन के शब्द याद आते ही आंखों में आंसू आ गए।
,, रेवती तुम हंसते हुईं अच्छी लगती हो, रोती हुई नही, प्लीज रोना नहीं,,। रमन के कहे शब्द कानों में गुजने लगे।
अचानक रेवती ने मन ही मन कुछ निर्णय लिया और एक बैग में कपडे लगाए।
नौ बजे बेटा उठा, तब तक काम करने वाली भी आ गई, नाश्ते के नाम पर एक कप खाली चाय आ गईं, जबकि आज न जाने क्यों काफी भूख लगी थी। ठीक दस बजे बेटा बहु ऑफिस जाने के लिए तैयार हो गए।
,, बेटे, अगर मैं कुछ कहूं तो,,।
,, मां कई बार कहा कि आफिस जाते हुऐ टोकना नही चाहिएं, लेकिन तुम हो की मानती ही नहीं, कर दिया ना सारा मूड खराब, आज का सारा दिन खराब जायेगा, कहो क्या कहना है,,।
,, मैं चाहती हूं कि तुम मुझे किसी ओल्ड एज होम में छोड़ आओ,,। रेवती ने दिल पर पत्थर रखते हुए कहा।
,, यह तो बहुत ही अच्छा सोचा तुमने, वहां तुम्हारे साथ की और भी होंगी, तुम्हारा मन भी लग जायेगा,,। बहु ने खुश होते हुए कहा।
,, ठीक है चलो,,। बेते ने भी खुश होते हुए कहा

रेवती भीगी हुई आंखो के साथ अपना बैग उठा कर पीछे पीछे चल पड़ी।