Chudail Ki Vasna Ya Prem ( Adult Horror) in Hindi Horror Stories by Ankit Kumar books and stories PDF | चुड़ैल कि वासना या प्रेम

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चुड़ैल कि वासना या प्रेम

ये कहानी है तरुन कि , गाँव का एक छौरा जो शहर मे रहता है, अपनी पढाई भी करता है और पार्ट टाइम काम भी करता है । उसी से पढाई कि फीस भी देता है और अपना गुजारा भी करता है , पिता किसान है ज्यादा कुछ कर नही सकते तो तरून को खूद ही आगे बढ़ने के लिए मेहनत करना पड़ता है। कई बार तरून को काम से घर पे आते - आते रात के ग्यारह- बारह भी बज जाते। एक बार तरून जब आ रहा था तो काफी देर हो गई, रात के एक बज गए ,आने जाने का साधन था नहीं तो पैदल ही घर कि ओर चल पड़ा, ठंड थी सूनसांन रास्ता था कोई ना आदमी दिखे और ना कोई जानवर धूंध थी कोहरा था संनाटा था। कही - कही बिजली थी कही - कही नही थी । आस पास जंगल था , मैन रोड था पर कोई आवा जाहि नही थी सबकुझ खाली था अब रास्ते मे तरुन को डर लगने लगा, किसी छोटे जानवर की आहट भी तरुन कि दिल की धड़कनो को रोकने के लिए काफी थी। ठंड के मौसम मे भी तरून को पसीने आ रहे थे। रास्ते मे पीपल का पेड़ था, पेड़ के नीचे बैंठने के लिए चबूतरा बना था, उसपे एक परछाई बैठी हुई दिखी दूर से धुँधली दिख रही थी। धीरे - धीरे तरुन जैसे जैसे आगे बढ़ता गया वो परछाई स्त्री के रूप मे दिखने लगी
घने बाल कालि साड़ी खूबसूरत चेहरा उभरी हुई छाती मध्य कद
किसी अप्सरा से कम नही लग रही थी । वो अकेली बैठी थी परेशान दिख रही थी, चेहरा मायूस था, तो तरुण गया उसके पास और पूछा मैडम क्या हुआ आप इतनी अंधेरी रात मे सुंसान सड़क पर क्यों बैठे हो ? डर नही लगता आपको क्या परेशानी है आपको, कुछ समय तक तो वो कुछ बोली नही फिर मुस्कुराई और हसने लगी फिर कुछ देर बाद रोने लगती ये देख के तरून का दिमाग चकरा गया उसे कुछ समझ नही आ रहा था । थोड़ा डर गया माहौल भयानक हो गया। आसमान मे पंछी उड़ने लगे कौवे काव - काव करने लगे तरुन को पसीने आने लगे फिर वो औरत बोली मै बेसहारा हूँ मेरा कोई नही है इस दुनिया मे कुछ जान पहचान के थे तो वो भी छोड़ के चले गये मै बेसहारा हू ना खाने को भोजन है और ना रहने को घर अब तो ये जंगल ही मेरा घर है , ये जानवर ही मेरा परिवार, मेरे पास कोई नही है जिससे मै बाते कर सकू। दिल का हाल बया कर सकूँ, मेरी छोड़ो अपनी सुनाओ तुम कौन हो कहा से आये हो और कहा जाओगे इतनी रात को यहाँ क्या कर रहे हो डर नही लगता तुम्हे। तो उसने बताया कि वो विधार्थी है और काम करके लौट रहा है , कुछ साधन नही है घर जाने को तो वो पैद्ल ही घर जा रहा है।
आपको दुखी देखा तो आपके पास आ गया,औरत ने बताया कि उसका नाम चांदनी है वो सदियों से यहाँ अकेली रह रही है । उसका कोई नही है इसलिए वो दुःखी है। उसे एक दोस्त हमदर्द साथी कि जरूरत है वरना वो आत्महत्या कर लेगी अकेले मे खूद को मारने का जी करता है अकेलापन उसे काटता है, अगर तुम मेरे मित्र नही बनोगे तो मै मर जाऊंगी ये बाते सुन कर तरुन को सदमा लग गया, कुछ देर तक तो वो कुछ बोल भी नही पाया उसके दिमाग ने काम करना बंद कर दिया । थोड़ी देर बाद वो होश मे आया तो उसे पता चला वो फस गया है अगर वो उस औरत को छोड़ता है वो आत्म हत्त्या कर लेगी फिर इसके बाद उसे जेल भी हो सकती है, इस डर के कारण वो उसका मित्र बनने के लिए तैयार हो जाता है अब चान्दनी मोहित हो जाती है तरुण पर अब वो उसे बोलती है तुम्हे यही रहना पड़ेगा मेरे साथ मेरे घर मे, ये जंगल ही हमारा घर होगा ,तुम्हे जो चाहिए तुम्हे वो मिलेगा । कुछ दिन रहो फिर चले जाना उससे पहले जाने कि जिद्द कि तो मैं खूद को खत्म कर लुंगी या तुम्हे मार दूँगी ये बात सुनते ही तरुन के होश उड़ गए अंदर से बहुत डर गया अब वो सोचने लगा क्या बला है ये किस चक्कर मे पड गया वो एक दुखियारी औरत को देख कर इंसानियत के नाते उसकी सहायता के लिए इतनी रात को आया इसके पास , इसके विपरीत इसने उसे ही अपने जाल मे फसा दिया वो अपने आप को कोसने लगा लेकिन अब कोई फायदा नही अब जो चांदनी कहेगी करना पड़ेगा वरना जान भी जा सकती है उसकी। वो चांदनी की बात मान गया इसके अलावा उसके पास कोई विकल्प नही था । चाँदनी तरुन का हाथ पकड़ कर उसे अपने घर के अंदर ले गई जैसे ही तरुन घर के अंदर प्रवेश किया बहुत सारे चमगादर घर के अंदर से बाहर निकले , खट् खट् कि आवाज आने लगी ये देख के तरुन बहुत डर गया,वो बेचारा कुछ कर नही सकता था रोने और अफसोस करने के अलावा ।
अंदर बिजली जलती है रोशनी के आने से तरुन के अंदर सास आती है वो थोड़ा स्थिर होता है, चांदनी उसे थोड़ा पीने के लिए शराब् देती है पर वो पिता नही है, उसे खाने को घोस्ट देती है वो भी नही खाता है , ये देख के चांदनी तरुन से पूछती है तुम कुछ खा - पी क्यों नही रहे हो ? क्या तुम यहाँ खूश नही हो , मुझे तुम बहुत पसंद हो, बड़े प्यारे हो , इतने मे बिजली चली जाती है बादल गरजने लगते है माहौल शांत और डरावना लगने लगता है,चांदनी दिया जलाती है और हसने लगती है आसमान मे बिजली कड़कती है उसकी हॅसी भयानक और डरावनी लग रही थी जैसे कोई चुड़ैल हस रही हो ये देख के तरुन का गला सुख गया। शरीर ठण्डा पड़ गया।
चांदनी मुस्कराते हुए तरुन कि तरफ देखती हैं । धीरे - धीरे वो अपनी साड़ी को अपने जीस्म से अलग करती है, पायल कि खन - खन कि आवाज शोर करती है और वो अब अर्धनंग हो जाती है , उसकी उभरी हुई छाती गोरा बदन ,पतली कमर,रसभरे होंठ , अपसरावो जैसी नाभि मदहोश जवानी जो किसी को भी अपना दीवाना बना दे तरुन के सामने थी ।
नागिन जैसी आँखे, घने बाल कुछ देर के लिए तरुन उनमे खो सा जाता है चाँदनी उसके पास जाती है अपनी और खिचती है । उसका एक हाथ अपने कमर पे दूसरा अपनी छाती पर रखती है और उसके होठों से अपने होठों का मेल कराती है और उसके मुख से उसका थोड़ा खून पी जाती हैं थोड़ा दर्द होता है तरुन को पर वो खोया रहता है उसकी जवानि मे उसे पता नही चलता धीरे धीरे दोनों आगे बढ़ते है और प्रेम जाल के बंधन मे फस जाते है। जवानी का जोश उबाल मारता है और दोनों अपनी चरम सीमा पर है । तरुन उसके गर्दन पर अपने प्यार का एक चुबंन् देता है पूरे बदन पर हाथ फेरता है उसके जिस्म को महसूस करता है, प्यार करता है और अपनी जवानी के मजे लेता है, धीरे - धीरे वो चाँदनी के हुस्न मे सब कुझ भूल जाता है जैसे उसे किसी बात का डर ही न हो, वो चुड़ैल इसी वासना को चाहती थी सदियों से भूखी थी, आज उसकी भूख मिट रही थी, अब वो चाँदनी को पुरा नग्न कर देता है अपने होठो से उसके जिस्म पर हर जगह चुम्बन् करता है कली को फूल बनाता है काटता है नोचता है जैसे हैवान बन गया हो, वासना ने सब कुछ भूला दिया हो,चांदनी हस रही है जैसे चुड़ैल कि भूख मिट रही हो ,वासना कि पूर्ती हो रही हो,वो जैसे ही संभोग करता है उसका वीर्य चुड़ैल कि यौनी मे प्रेवश् करते ही तरुन कि चीख निकलती है असहनीय पीड़ा होती है और उसके प्राण निकल जाते है । चुड़ैल को संतुष्टि मिलती है उसकी वासना का अंत होता है और एक इंसान के जीवन कि समाप्ति होती है । वो चुड़ैल अपने असली रूप मे आती है और इंसान के जिस्म के इतने टुकड़े करती है कि रूह भी काप् जाए अब वो उसे खा जाती है और अपने नये शिकार पर निकल जाती है।