Ek Pyar Aisa Bhi in Hindi Love Stories by Ankit Kumar books and stories PDF | एक प्यार ऐसा भी

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एक प्यार ऐसा भी

मै अंकू बोल रहा हू ये मेरी और कोमल की कहानी है एक ऐसा प्यार जिसको याद कऱो तो दर्द के साथ हसी भी आती है, ये कैसा प्यार है। मै अंकू एक सिधा सा लड़का,दुनियादारी से अंजान अपनी दुनिया मे खोया रहने वाला,जिसे कभी प्यार नही हुआ, जिसे प्रेम की तलाश थी, प्रेम कहानिया बहुत पसन्द थी, हीर राँझा, सोनी महिवाल इनके बारे मे तो सुना था पर प्रेम सच्चा क्या होता है ये नही पता था। ये कहानी शुरू होती है जब मै अकेला महसूस करता था, कोइ दोस्त नही था, तब मैंने अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए लोगो के साथ घूलने मिलने की सोची, सोशल मीडिया पर दोस्त ढूँढने लगा ,सैक्डो से बात की पर किसी मे भी दोस्त बन सके ऐसी बात नही थी जिसे दिल का हाल बताया जा सके कुछ अपनी और कुछ उसकी बिना डरे सुना जा सके ऐसी बात नही थी किसी मे, एक सच्चे मित्र की तलाश थी। बहुत दिनों बाद एक लड़की से दोस्ती हुई जिसका नाम कोमल था, छ: महीने तक हम बस हेलो हाय करते रह गए, उसके बाद दोस्त बने। एक दिन कोमल ने एक पोस्ट डाली पता चला वो हमारे कम्युनिटि से है, जान पहचान की है,दूर की रिसतेदार है,  दूर की दोस्त निकली दोनों परिवार के बीच इस चीज ने हमे एक दूसरे के करीब ला दिया। जो झिझक शर्म थी डर था एक दूसरे को लेकर वो खत्म हो गया था । खुल के एक दूसरे के पक्के दोस्त बन गये। एक दूसरे के बारे मे बात करने लगे धीरे धीरे एक दूसरे के बारे मे पता चलता गया राज खुलते चले गए और हम एक दूसरे के हमराज हो गए। पता चला कोमल ने प्रेम विवाह किया था घर से भाग के उसके घर वालो ने उसका साथ छोड़ दिया था, उसके बाद जिस लड़के के साथ वो भागी वो बदल गया, मारने पिटने लगा और कोमल घरेलू हिंसा का शिकार हो गयी, घर वालो का साथ छूट गया था, पति बदल गया था, दो बच्चे हो गये थे उनका पालन पोषण और घर की सारी जिम्मेदारिया कोमल अकेले उठाती थी। पन्द्रह साल अकेले दर्द और तन्हाई मे काटा ना कोई दोस्त, ना घर से घूमने की आजादी और ना किसी से मिलने और बात करने दिया जाता था। बहुत सालों बाद फोन मिला तो कोमल सोसल मीडिया पर आई और अंकू से दोस्ती हुई। अंकू और कोमल दोनों बहुत तन्हा थे, दोनों को किसी साथी की जरूरत थी, अंकू बहुत खुश था की कोइ जान पहचान की मिल गई और अंकू ने घर पे बताया खुशी मे तो सब गुस्सा हुए क्योकि कोमल ने भाग के प्रेम विवाह किया था तो दोनों परीवारो मे बात फैली की मै और कोमल संपर्क  मे है तो बवाल हुआ और कोमल को अच्छा नही लगा और उन्होंने बात चित बंद कर दी। पर अंकू ने माफी मांग ली थी बहुत महीनों बाद कोमल का मेसेज आया तब दोनों मे सुलह हुई और फैसला लिया गया दोनों की दोसती दोनों तक ही रहेगी। कोमल को प्रेम से नफरत हो गयी थी जो उसने अनुभव किया था अपने पहले प्रेम के साथ और उसका अंजाम जो भी हुआ उसके बाद प्रेम शब्द से ही नफरत थी उसे। उसने अंकू को साफ साफ बोल दिया था प्रेम शब्द से नफरत है और दोस्ती से ज्यादा कुछ नही हो सकता और ना कभी होगा । अंकू भी राजी था इसके लिए । कोमल बहुत शांत स्वभाव, मिठी बोली, और हुस्न की मलिका थी । बहुत केयरिंग थी और बहुत अच्छी भी, कोमल अंकू को बहुत संमझती थी, उसकी हसी पे तो अंकू मर मिट गया था। जान भी दे सकता था उसके लिए बहुत प्यारी मुस्कान थी कोमल की। अंकू और कोमल रात रात भर बात करते, अंकू को एक शब्द बहुत प्यारी थी जब कोमल को बात करते करते नींद आती और वो बोलती सुनिये अगर बात करते करते सो जाऊ तो बुरा मत मानियेगा। ये शब्द अंकू को बहुत प्रिय थे। सुबह की गुड मॉर्निंग से रात की गूढनाइट तक दोनों लगे रहते थे, एक दूसरे मे खोये हुए थे, खाना पीना सब भूल गए थे । दोनों को एक दूसरे की आदत हो गई  थी। दोनों एक दीन भी एक दूसरे से बात किये बगैर नही रह सकते थे, देखते देखते कब प्यार हो गया दोनों को पता ही नही चला । अंकू को तो एहसास हो गया था की उसे प्यार हो गया है कोमल से पर वो चाह कर भी कोमल को नही बोल सकता था क्युकी कोमल को प्यार शब्द से ही नफरत थी तो प्यार क्या करती। पर अंकू ने हिम्मत करके कोमल को प्रेम का इजहार किया और जवाब तो पता ही था ना होनी है, पर अंकू ने हार नही मानी और कोशिस करता रहा। ना ना करते करते अंत मे कोमल को प्यार हो ही गया। और कोमल ने स्वीकार किया की वो अंकू से प्यार करती है। पर उसने बोला की वो कभी मूह से स्वीकार नही करेगी मतलब इजहार नही करेगी। अंकू ये प्रेम के दो शब्द सुनने के लिए तरस गया आई लव यू अंकू । कुछ दिनों बाद कोमल और अंकू का प्रेम परवान चढा और कोमल ने प्रेम का इजहार कर ही दिया अंकू मै तुमसे बहुत प्रेम करती हूँ। इसके बाद कोमल ने एक और शर्त रख दी कभी ना मिलने की उसके हिसाब से सच्चे प्रेम के लिए मिलना जरूरी नही था , उसे जिस्म वाला नही रूह वाला प्रेम चाहिए था । उसके हिसाब से पूरी जिंदगी वो बिना मिले प्रेम कर सकती थी। 
अंकू सोच रहा था ये कैसा प्यार है। और बोल रहा था भगवान् को ये कैसी अनोखी लड़की भेज दी जीवन मे हर चीज मे ना और शर्त। एक दिन अंकू के साथ अजीब घटना घटती है अंकू को ऑफिस मे फोन आता है और लड़की बोलती है अंकू जब पूछता है आप कौन तो बोलती है बस आपके चाहने वाले है ! ये सुन के अंकू के कान खड़े हो गए एक अजनबी लड़की से ऐसे शब्द सुन के। अंकू ने बात करने से मना कर दिया तो लड़की ने पटाने की कोशिस की आपकी आवाज बहुत अच्छी है, आप बहुत प्यारे हो। अंकू समझ गया ये जालसाजी है कोई उसे फसाना चाहता है इस लड़की के द्वारा वो समझ जाता है वो इन सब के पीछे कौन है पता करने के लिए लड़की से बात करने लगता है। अंकू भी उसके साथ रोमंटिक हो जाता है, ये बात वो अपनी दोस्त कोमल को बताता है की एक लड़की का फोन आया था उसका नाम रिया है उसके पति दुबई गए है और मन लगाने के लिए उसने फोन किया किसी अंजान सख्स को वो मै हूँ पर मुझे उसपे विश्वास नही है मुझे लगता है कोई उसे फसाना चाहता है वो बस इन सबके पीछे कौन है जानने के लिए उस लड़की से बात कर रहा है, लेकिन बाद मे पता चला इन सब के पीछे कोमल थी और वो लड़को रिया कोमल की सहेली वो पता करना चाहती थी अंकू सही लड़का है या नहीं की हर लड़की से प्यार करने लगता है। अंकू फस तो गया था पर वो हर बात कोमल को बताता था तो बच गया वरना प्रेम कहानी शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाती। एक दिन अंकू और कोमल बात कर रहे थे थोड़ी बाते हुई बीच मे कोमल कही गई थी काम से बात मेसेज पे हो रही थी तो उसके पति ने फोन ले लिया और अंकू से कोमल बनके बात करने लगा। अंकू को तो अंदाजा भी नही था की ऐसा कुछ भी हो सकता है अंकू ने बहुत सारी बाते बोल दी अंजाने मे जो नही बोलनी चाहिए थी और मामला बिगड़ गया, कोमल और उसके पति के बीच झगड़ा हुआ और अंकू ने कोमल से बात करना बंद कर दिया । कुछ दिन बाद कोमल ने मेसज् किया और अंकू को अपना फोन नम्बर दिया, तब दोनों की बात चित शुरु हुई। बहुत समय गुजर गया और समय के साथ अंकू की कोमल के साथ मिलने की तड़प भी बढ़ती चली गयी। एक बार कोमल का पति एक हफ्ते के लिए बाहर गया हुआ था कोमल अकेले थी पर उसने अंकू को नही बताया एक हफ्ते बाद पता चला की कोमल ने जान बुझ के बात छुपाई कही अंकू मिलने की जिद ना करने लगे अंकू और कोमल दोनों अलग जिले मे रहते थे मिलना आसान नही था ये देख के अंकू का दिल बहुत दुखा की कोमल मिलना नही चाहती और अंकू कोमल को कुछ पल के लिए ही सही देखा चाहता था भला अपने प्रेम को कौन देखना मिलना नही चाहता पर कोमल ऐसा नही चाहती थी । अंकू नाराज हुआ तो कोमल ने बोला की सबकुछ नया है थोड़ा टाइम लगेगा। बच्चे है बच्चों के साथ वो मिल नही सकती, घर से बाहर घूमने जाने दिया नही जाता था तो वो भी संभव नही था इसलीये उसने नही बताया की कोई बवाल ना हो जाय, उसका पति शक्की है, मार पिट करता है, पागल है थोड़ा बात बात पे गुस्सा करता है, कैद करके रखता है, किसी भी चीज की आजादी नही है उसे अपने मन की कुछ नही कर सकती वो तुम से बात हो पा रही है ये ही बहुत बड़ी बात है। 
ये सब सुन के अंकू सदमे मे चला गया और सोचने लगा ये कैसा प्यार है जिसे चाहता है ना मिल सकता है, ना देख सकता है और ना ही समय व्यतीत कर सकता है सिर्फ फोन तक ही सीमित है फ़ोन खत्म प्यार खत्म और हस रहा था खुद पे। लेकिन हार नही मानी समय के साथ कोई जुगाड़ लगाया दूर के रिश्तेदार तो थे ही इस बात का फ़ायदा उठाने की सोची। दोनों फैमिली को मिलाया एक दूसरे से किसी तरीके से जान पहचान करवाया। और कोमल को अपने घर पे आने का निमन्त्रन भिजवाया। उसने हा तो बोल दिया पर कतराने लगी बोलने लगी उसके पति से पूछना पड़ेगा , फिर कुछ ऐसा हुआ उसने बोल दिया वो कभी अंकू से मिलने नही आयेगी। क्युकी उसके घर वालो ने नही बुलाया अंकू बुला रहा है अंकू ने घर वालो से बुलवाया है बोलने लगी जब अंकू के घर वाले खुद दिल से कोमल को बुलाएँगे तब आयेगी,ये सुन के अंकू का दिमाग खराब हो गया। क्युकी ये योजना दोनों की थी मिलने के लिए और बाद मे कोमल मे अभिमान की भावना आ गयी। 
आत्मस्वाभिमान जाग गया उसका। बाद मे अंकू ने किसी तरह से मम्मी से बोल कर कोमल को फोन करवाया और बुलाने के लिए बोला। तब जा के मानी वो। बहुत सी रुकावटे आई, कोमल की छोटी बच्ची बीमार हो गई, फिर सास आ गई गाँव से बहुत इंतजार करने के बाद अंकू कोमल को लेने उसके शहर चंडीगढ़ गया लुधियाना से। कभी मिले नही थे तड़प बहुत ज्यादा थी, अंकू को घर ढूँढने मे बहुत वक्त लग गया। अंकू घर के बाहर खड़ा था कोमल बाहर आई घर से दोनों की दिल की धड़कने बहुत तेज थी, आँखों मे तेज था चेहरे पे मुस्कान थी, कोमल अंकू को घर के अंदर ले गई, दोनों बेचैन थे असहज थे कभी मिले नही थे सिर्फ फोन पे बाते हुई थी, कोमल ने बच्चों से मिलाया, और कोई था नही, पति जॉब पे गया हुआ था उसे पता था कोमल का कोई रिश्तेदार आयेगा लेने के लिये। स ब कुछ पहले से तय था। पहली बार अंकू और कोमल मिले तो कोमल नहा के आई थी, बालों मे तौलिया लपेटे हुए था, हरे रंग का नाइट शू ट पहन रखा था। 
पहली बार दोनों ने एक दूसरे को देखा और एक दूसरे के आँखों मे डूब गए। कोमल ने नाश्ता पानी दिया अंकू को और उसके पास बैठ गई। दोनों असहज थे पहली मु ला का त् थी, एक दूसरे की तरफ देखते, मुस्कराते बाते करने लगे, जब झिझक दूर हो गई तब अंकू ने धीरे से और बड़े प्यार से कोमल का हाथ पकड़ा और अपने हाथो से पकड़ लिया और बात करने लगा। कोमल ने अपने हाथो से अंकू को खाना खिलाया अंकू ने भी कोमल को बड़े प्यार से अपने हाथो से खिलाया। बच्चे दूसरे रूम मे खेल रहे थे। खिलाते खिलाते अंकू ने कोमल का हाथ चूम लिया और बोला खाने से ज्यादा आपके हाथो मे स्वाद है और दोनों हसने लगे। खाने के बाद अंकू ने बोला कुछ मिठा खाना है तो कोमल रसगुल्ले लेकर आई और अंकू को खिलाने लगी तो अंकू बोलने लगा उसे लाल होठो का मिठा रस पीना है रसगुल्ले से उसकी प्यास नही बुझेगी और कोमल को अपनी और हाथ पकड़ के खिच लेता है और बड़े प्यार से अपने होठो को कोमल के होठो के करीब लाकर चूम लेता है, कोमल के दिल की धड़कन बहुत तेज थी, शर्म से लाल थी अपने प्रेमी के बाहों मे खुद को समर्पित कर दिया था दोनों एक दूसरे के बाहों मे थे, घंटो एक दूसरे को निहार ते रहते, बहुत तड़पने के बाद दोनों मिले जैसे भगत और भगवान का मिलते हो। दोनों ने खुद को एक दूसरे के हवाले कर दिया आज मन तन आत्मा तीनो का मिलन हो गया। दोनों एक दूसरे के हो गए। शाम का वक्त हुआ अंकू कोमल और बच्चों को लेकर लुधियाना के लिए निकलता है, रास्ते भर अंकू और कोमल एक दूसरे का हाथ पकड़ के बैठे रहे, अंकू अपना सर कोमल के कन्धों पे रख कर सो जाता है, तभी सामने वाली सीट पर एक लड़की बैठी थी वो अंकू को निहार रही थी कोमल ये देख के जल भून गई और अंकू को बोलने लगी वो लड़की तुम्हे ही देखे जा रही है तो अंकू ने बोला कोई बात नही तुम ध्यान मत दो मै तुम्हारे पास हूँ ना फिर क्यों चिंतित हो। अंकू को ये जलन बहुत अच्छी लगी। लुधियाना आया और अंकू कोमल और बच्चों को घर ले गया बच्चों से मिलाया पहली बार सब मिले अंकू के घरवालो ने खातिरदारी की। अंकू की माता जी और कोमल अच्छे दोस्त बन गए की अंकू और कोमल को बात कर ने का भी समय नही मिलता था रात हुई, उधर कोमल के पति ने कोमल को परेशान करना शुरू कर दिया क्युकी वो नही चाहता था कोमल कही जाय खासकर अपने रिश्तेदारों के पास। वो गुस्से मे था कोमल को सुना रहा था। कोमल ने उससे बात नही की।
रात हुई कोमल और अंकू खुले आसमांन मे एक दूसरे के साथ थे, चान्दनी रात थी, खुला हसीन मोसम था दोनों एक दूसरे के पास थे, सब लोग आस पास थे पर फिर भी दोनों को बहुत अच्छा लग रहा था, ठंडी ठण्दी हवा चल रही थी और दोनों को क्या चाहिए दोनों साथ थे, मिलने का जो स्वप्न था वो पूरा हो गया था, कोमल और अंकू ने एक दूसरे के पास ही बिस्तर लगा लिया आमने सामने थे ताकि एक दूसरे को देख सके निहार सके बाते कर सके, लोगो का भी डर था लोग क्या सोचेंगे सब का ख्याल रखा उन्होंने। आधी रात हुई सब सो गए। अंधेरी रात थी, सुहाना मौसम खुल्ला आस्मना और चाँदनी रोशनी मे दो प्यार करने वाले अंकू ने अपना बिस्तर कोमल के पास मे लगा  दिया और एक दूसरे को निहारने लगे। अंकू ने अपना हाथ कोमल के गालो पर रख दिया और अंकू के हाथो का स्पर्श से कोमल के बदन मे बिजली सी सिहरन होने लगी कोमल तडपने लगी पिया मिलन के लिए। अंकू अपने उंगलियों से होंठो को छू ता है, कोमल उंगलियों को चूम लेति है फिर अंकू अपने उंगलियों को चूम लेता है, उसके बालों मे हाथ फेरता है। अपने होठो से उसके होठो को चूमता है, डर भी था कही कोई जाग ना जाय और प्यार की तड़प भी थी पूरी रात दोनों एक दूसरे से बाते करते हुए निकाल देते है सोते नही हैं। अगले दिन दोनों का सर भारी होता है पर दोनों बहुत खुश होते है, कोमल नहा के तयार हो रही होती है, लिपस्टिक मेकप लगा रही होती हैं अंकू शरारत करने लगता है कोमल के साथ कोमल के कमर पे चुटी काटने लगता है कोमल चीख पड़ती है उ ई मा। फिर अंकू कोमल को पीछे से पकड़ लेता है अपनी बाहों मे और गर्दन पे प्यार से चुम्बन देता है, बालों को सूंघता है खेलता है उन हसिंन जुल्फो के साथ और कोमल के नशे मे माधोष् हो जाता है, उसके गालो से अपने गालो को लगाता हैं और होठो पर प्यारी सी चुम्बन लेता है और सारा लिपस्टिक खा जाता है मेकप बिगाड़ देता है इतने मे ऑफिस का समय हो जाता है अंकू जाने की कोशिश करता है तो कोमल अपने बाहों मे भर लेती है और छोड़ती नही है दोनों एक दूसरे मे खो जाते है और बोलते है काश ये पल खुशिया यही थम जाए और भाउक हो जाते है दोनों। अंकू ऑफिस चला जाता है। 
प्यार का नशा ऐसा चढ़ा दोनों पर चार पाँच दिन और रात मे सोये ही नही। एक दूसरे मे ही निकाल दिया सारा समय। कोमल की ख्वाहिस थी बारिश हो और अंकू साथ हो चांदनी रात मे भगवान ने ये भी सुन ली जैसे प्रकृति खुद दोनों के प्रेम की गवाह हो। अंकू कोमल परिवार के साथ अमृतसर घूमने गए वहा स्वर्ण मन्दिर मे माथा टेका दिन मे बहुत गर्मी थी पर जैसे ही अमृतसर गए रात को मोसम ठंडा हो गया ठंडी हवाएं चलने लगी। बहुत रोमांचित हो गया था सबकुछ। तभी एक दर्द भरी घटना घटी कोमल का पैर गाड़ी के नीचे आ गया बच गया पर चोट लग गयी, कोमल दर्द से कराहने लगी ये देख के अंकू घबरा गया ज्यादा चोट तो नही आई पर कोमल का पैर सूज गया था, आस पास मेडिकल शोप नही थी तो अंकू बर्फ लाने चला गया ताकि कोमल के पैर को सेका जा सके बर्फ से पर बर्फ कही नही मिला, रात हो गइ थी। दुकाने बंद थी, तो अंकू ने आइस्क्रीम ली और उससे चोट को सेका बड़े प्यार से। अपने प्रेम स्नेह और आँसुओ से दर्द कोमल को जरूर हो रहा था पर महसूस अंकू को हो रहा था। कोमल के लिए ये सपने जैसा था आज तक इतना किसी ने उसके लिए कुछ नही किया था। वो खुद को बहुत भाग्यशाली महसूस कर रही थी और अंकू को शुक्रिया बोला उसके जीवन मे एक दोस्त बन के आने के लिए। पूरी रात दोनों एके दूसरे को देखते रहे, दर्शन किये और अगले दिन लुधियाना आ गए। काफी दिन हो गए थे कोमल को लुधियाना आये हुए उसके ससुराल वालो ने फोन कर कर के परेशान कर दिया था अंत मे कोमल ने अपने घर चंडीगढ़ जाने का फैसला लिया और आज आखरी दिन था कोमल को अंकू के घर पर। आज की रात अंकू दुःखी था की कोमल कल चली जाएगी फिर पता नही मुलाकात होगी या नही। इसलिए पूरी रात उसके साथ व्यतीत करना चाहता था। आधि रात तक दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़ कर बैठे रहे और प्यार भरी बाते करते रहे। अगले दिन का सूरज निकला और सुबह होते ही कोमल अंकू के पास आई और उसके होठो को चूम लिया और आई लव यू अंकू बोल कर बोला उठ जा ओ मेरी जान ऑफिस जाना है और छोड़ने भी जाना है रेलवे स्टेशन और अंकू प्यार भरी मुस्कान के साथ आँखे खोलता है और कोमल की बाह पकड़ के अपने उपर खिच लेता है और गालो पे प्यारी सी चुम्बन लेकर बालों को गर्दन से दूर करके माथे को चूमता है और बोलता है डार्लिंग थोड़ी देर मे तैयार हो जाता हूँ। कोमल अंकू के लिए चांदी की अंगूठी लाई थी वो अंकू को पहनाती है और बोलती है आज से तुम मेरे हो और मै तुम्हारी तुम पे सिर्फ मेरा हक है किसी की तरफ देखा भी तो खा जाऊंगी। बोलते हुए बहुत प्यारी लग रही थी कोमल। कोमल अंकू के माँ के और बहन के लिए भी कपड़े लाई थी। सब बहुत खुश थे कोमल से वो थी ही इतनी अच्छी शब्दो और व्यवहार मे इतनी मिठास थी सब उसके कायल हो जाते थे। फिर अंकू कोमल और बच्चो के साथ रेलवे स्टेशन ले कर जाता है टिकट खरीदता है और सब स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार करने लगते है, सब भाऊक होते है कोमल अंकू को बोलती है तुम अपना ख्याल रखना, इतना प्यार इज्जत मान सम्मान देने के लिए शुक्रिया। हमने जो यादे बनाई है वो हम कभी नही भूलेंगे मरते दम तक याद रखेंगे। अंकू कोमल का हाथ थाम के बोलता है आप चिंता मत करो अपना और बच्चों का ख्याल रखना खुश रहना, जिंदगी मे मौका मिला तो फिर मिलेंगे। दोनों के आँखों मे आँसू थे और बड़े दर्द के साथ अंकू ने सब को विदा किया। 

दोनों एक दूसरे से बिछड़े तो बेचैन हो गए, रहना एक दूसरे के बगैैर मुश्किल हो गया। एक दूसरे के साथ पुरा जीवन जीने का स्वप्न देखने लगे, शादी तक का ख्वाब देखने लगे। इस कदर पागल हो गए थे एक दूसरे के प्यार मे। प्यार मे दुश्मन ना हो तो वो अधूरा रहता है, कोमल के मामी को जब पता चला कोमल अंकू के घर पे है तब उन्होंने दोनों के रिश्तें को लेकर बहुत सारी अफ़वाहे फैला दी कोमल को बदनाम करने के लिए कोमल लुधियाना गई थी अंकू के साथ सोइ शादी शुदा होते हुए और कोमल के परिवार वालो को सबने ताना मारा, जलील किया तुम्हारी बेटी का चरित्र सही नही है, ये बात कोमल को पता लगी की उसकी वजह से उसके परिवार वालो को जलील होना पड़ रहा है तो बहुत दुखी हुई रोने लगी और अंकू से फोन पे बहुत लडी फुट फुट के रोने लगी, अंकू को सुनाने लगी तुमने और तुम्हारे घर वालो ने मेरी इज्जत उच्छाली, मेरी बदुआ है तुम सब कभी खुश नही रह पाओगे, तुम्हारी बेटी के साथ भी एक दिन ऐसा ही होगा वो भी रोयेगी और रोने लगी। अंकू ने बोला " होइहि सोइ जो राम रचि राखा " मेरे और आपके हाथ मे क्या है। दुखी मत हो सब ठीक हो जायेगा। ईधर अंकू कोमल के लिए तड़प रहा था उसकी यादें पीछा नही छोड़ रही थी दोनों एक दूसरे के बिना नही रह पा रहे थे, कोमल अपने पति से पीछा छुड़ाना चाहती थी और अंकू के रूप मे उसे उम्मीद दिखी पर ये बहुत मुशिकल था अंकू को पाना कोमल शादी शुदा थी, दो बच्चों की माँ थी बच्चे छोटे थे और अंकू अभी जवानी से निकल कर मर्द बना था, कोमल खुली आँखों से सपना तो देख रही थी पर जानती थी ये असान नही है अंकू के घर वाले कभी नही मानेंगे। 
अंकू कोमल को मनाने के लिए कोई भेंट देना चाहत था तो उसे समझ नही आ रहा था कोमल को क्या दे वो औरो की तरह नही थी जितना उसके पास था उसमे खुश रहने वाली थी किसी चीज की खास ख्वाहिश नही थी बहुत सुलझी हुई स्त्री थी, आँखों मे शर्म, जबान पर मिठास, कपड़ो मे महक और बदन मे गुलाब जैसी खुशबू का एहसास, चेहरे की मुस्कान, ब्ल्खाते कमर की चाल, पायल की झनकार माथे की बिंदी की वो सादा पन किसी को भी आकर्षत करने के लिए काफी था। जिसे किसी चीज की चाह ना हो उसे खुश करना बहुत कठिन काम है, कोमल अपने माता पिता भाई बहन को याद करके बहुत रोती थी तो अंकू ने सबकी फोटो फ्रेम करवाके कोमल को भेज दी ताकि कोमल उस फ्रेम को सीने से लगा सके और जब भी देखे अंकू को याद करे और मुस्कराए और खुश हो जाए। इससे अच्छा उपहार क्या ही किसी को दिया जा सकता था। कोमल को जब उपहार मिला कोमल खुशी के मारे रो पड़ी उसे अंकू को गले लगाना चाहती थी इतनी खुश थी उसे पहली बार किसी ने इतना अच्छा उपहार दिया किसी ने उसके लिए कुछ किया। तब जा के कोमल मानी और अंकू से अच्छे से बात करने लगी। कुछ दिन बाद अंकू ने कोमल को बोला मै आपसे विवाह करना चाहता हूँ, आपके बिना रह नही सकता आप ही दोस्त, प्रेमिका, पत्नी सब हो आपको सबकुछ माना है, अपने पति को तलाक़ दे दो। कोमल ने सोचने के लिए कुछ वक़्त माँगा क्योकि ये छोटी बात नही थी उसके बच्चों के भविष्य का भी सवाल था तो वो थोड़ा समय लेना चाहती थी। अंकू हर रोज पूछता कोमल से वो उसने क्या फैसला किया है पर वो टालने की कोशिस करती और उसने कुछ समय माँगा, कुछ दिनों के बाद कोमल ने सोचने समझने के बाद मना कर दिया बोला कि एक वो कमाती नही है, बच्चों को छोड़ कर नौकरी करने नही जा शक्ति, दूसरा वो किराए के मकान मे नही रह शक्ति यहाँ तो बच्चों के पास कम से कम अपना घर तो है छत तो है आसरे के लिए किसी का मूह तो नही देखना, तीसरा परिवार चाहिए जिसमे इसकी ब ह न जैसी नन्द् हो, मा जैसी सास हो और पिता जैसे ससुर हो एक हस्ता खेलता परिवार हो जो उसका साथ दे सके। अंकू का सीर घूम गया सुन के जाहिर सी बात है उसके परिवार वाले नही मानते और अभी अभी कमाना शुरू किया था तो मकान अपना नही ले सकता था थोड़ा समय लगता। अंकू अपने सपनो पर पानी फिरता देख बहुत दुखी हुआ। दिल टूट गया बेचारे का। पर अंकू कोमल से शादी करना चाहता था तो अंकू ने बोला कोई बात नही जिस तरह से पंचाली के पाँच पति हो सकते है तुम्हारे भी हो सकते है, एक आदमी तीन चार पत्नी रख सकता है तो एक औरत दो मर्द क्यो नही। फिर कोमल ने हामी भरी। कोमल को हमेशा डर था अंकू को लेकर की मर्द हमेशा औरत का जिस्म पाने के बाद हमेशा बदल जाते है पर अंकू नही बदला बहुत खुश नसीब मानती थी और कोमल अंकू को लेकर डरने लगी कहीं उसे खो ना दे। कोई दूसरी लड़की ना आ जाय। कोमल अंकू को लेकर काफी चिंतित रहती थी और ध्यान रखती थी की कोई और लड़की तो दोस्त नही है। अंकू हर बात कोमल को बताता था तो कोमल को पता था ऐसा कुछ है तो आज नही तो कल सामने आ ही जायेगा। फिर अंकू कोमल के घर जाने की योजना बनाता है, जब बच्चे स्कूल जायेंगे, और पति घर पे नही होगा तब अंकू ने जाना था। पर उल्टा हुआ जिस दिन अंकू को कोमल के घर जाना था उस दिन बच्चे स्कूल नही गए जब कोमल ने आने से मना किया तो अंकू बहुत गुस्सा हुआ की बच्चों को स्कूल क्यों नही भेजा, तुमने जान के किया तुम मिलना नही चाहती , अब मै कभी आपसे नही मिलूँगा। तो कोमल ने बोला बच्चों का मन नही था और वो जोर जबर्दस्ती नही कर सकती थी क्युकी उसका पति लड़ने लगता और बच्चों को बचा लेता वो मजबूर थी। अंकू का पूरा दिन काम मे मन नही लगा दो पहर को कोमल ने अंकू को फ़ोन किया की वो आ जाय कल वो पूरा ख्याल रखेगी और माफी मांगी अंकू से तो अंकू मान गया । अगले दिन सुबह अंकू कोमल को फोन करता है की आये की ना आये तो उसका फोन बंद आ रहा होता है, अब अंकू घबरा जाता है की जाय की ना जाय कही ऐसा ना हो अंकू कोमल के घर जाय वहा सब हो और जवाब देना मुश्किल हो जाय। फिर कोमल ने किसी और के फोन से कौल किया की आ जाओ मेरा मुबाइल् खराब है। तब जा के अंकू के जान मे जान आई।
जैसे हि अंकू लुधियाना से चंडीगढ़ के लिए बस पकड़ता है बहुत खुश होता है पर हर चीज आसानी से मिल जाय प्रेम मे ऐसा कहा, " आग का दरिया है और डूब कर जाना है " बारिश होने लगी वो भी बहुत तेज जितनी भी खुशी थी कोमल से मिलने की सब धराशाही हो गई। अब अंकू डर गया कहीं बारिश के कारण बच्चे और पति घर पे रूक गए तो सब व्यर्थ हो जायेगा। अंकू भागवान से प्रार्थना करता है की सब अच्छा हो बहुत दिल से प्रार्थना की तो ईश्वर ने कृपा कर दी और कोमल का फोन आया बारिश थोड़ी देर के लिए रुकी थी तो बच्चे स्कूल गए और पति उसका ऑफिस वो आ जाय जल्दी वो उसका इंतजार कर रही थी। ये सुन के अंकू के खुशी का ठिकाना न रहा बहुत खुश हुआ रास्ते मे कोमल के लिए गुलाब का फूल लिया, चौकलेट ली, पर बारिश और तेज हो गई, रुकने का नाम ही नही ले रही थी, उधर कोमल इंतजार कर रही थी गरमा गर्म खाने के लिए अंकू के लिए बना रही थी उधर अंकू घर का रास्ता भूल गया सब घर एक जैसे लग रहे थे ऊपर से बारिश अंकू पूरी तरह भीग गया कपड़ो से पानी टपक रहा था, अंकू को पार्क याद आया जब पिछली बार गया था तब वो था उस पार्क के सहारे कोमल के घर पहुँचा तो दरवाजा खटखटाया तो कोमल ने दरवाजा खोला और अंकू की ऐसी हालत देख के हसने लगी, कोमल को हस्ता देख अंकू भी हसने लगा । कोमल ने बोला क्या बात है मिलने के लिए बड़ी मेहनत करके आ रहे है जनाब फिर कोमल ने अंकू को कपड़े खोलने के लिए दिये ताकि वो उन्हे सुखा सके और अंकू को तालियां दिया शरीर पोछने के लिए वरना बीमार पड़ जाता है। कोमल अंकू को बोलती है मै आपके लिए कुछ खाने के लिए लाती हूँ तो अंकू कोमल को रोकता है और उसका हाथ पकड़ता है मुझे कुछ नही चाहिए मै बहुत थक गया हूँ मुझे आराम चाहिए। आपकी बाहों मे सूकून चाहिए। अंकू कोमल का हाथ पकड़ता और अपनी और खीच लेता है अपने बाहों मे ले लेता है दोनों एक दूसरे के गले मे होते है अंकू कोमल को कस कर बाहों मे भर लेता है और बोलता है ओ मेरी कोमल मेरी जान क्या आपको मेरी याद नही आ रही थी उसके बालों मे हाथ फेरता है गालो को छु ता है, गर्दन को सेहलाता है, होठो पे प्यारी सी चुम्बन लेता है और गोद मे उठा के बेड पे सुला देता है, धीरे धीरे दोनों एक दूसरे के आघोस मे समा जाते है दो जिस्म एक जान हो जाते है, बहुत प्रेम करते है और एक दूसरे की बाहों मे सो जाते है थोड़ी देर बाद दोनों उठते है कोमल अंकू के लिए रसगुल्ले, आइस्करिम, कोल्डरिंक, पनीर के पकोड़े देती है। अंकू रसगुला कोमल के होठो पर रखता है और अपने होठो से चूस कर खा जाता है बोलता है इससे रसगुला और भी मिठा हो गया। आइसक्रीम कोमल के पूरे बदन पर लगा देता है और खाता है वो कोमल को आइस्करिम बोलता है मै अपनी आइस्करिम को खाऊंगा कोमल देख के हस्ती है और अंकू के प्रेम मे खुद को खो जाने देती है, फिर कोमल चॉकलेट लेकर अंकू के होठों पर रखती है बोलती है आपको बहुत शौक है ना मिठा खाने का अभी खिलाती हूँ चॉकलेट को जोर से दबा के खा ती है होठो को चूसती है और काट देती है होठों से अंकू के खून बहने लगता है कोमल मे बोलती है वो प्यार ही क्या जिसमे आशिको के लहू ना निकले और दोनों मुस्कराने लगते है अंकू उसी खून को अपनी उन्गलियो पर लगाता है और कोमल की मांग भर देता है और मन्दिर के सामने ईश्वर को साक्षी मान कर बोलता है आज से तुम और मै पति पत्नी है दिये की अग्नि का आशीर्वाद लेते है, अंकू कोमल को मंगलसूत्र पहनाता है, कोमल चुन्नी पहनती है और दोनों भगवान को साक्षी मान कर एक दूसरे को पति पत्नी के रूप मे स्वीकार करते है। कोमल अंकू के पैर लगती है और अंकू कौंमल को गले लगा लेता है और आई लव यूं बोलता है पत्नी जी कोमल भी बोलती सेम टू यू पति जी दोनों हसने लगते है फिर एक दूसरे को अपने हाथो से खाना खिलाते है और एक दूसरे की बाहों मे बैठ कर बाते करते है अब अंकू के जाने का समय होता है और दोबारा मिलेंगे अपना ख्याल रखना बोल कर अंकू अलविदा कहता है और लुधियाना लौट आता है। 
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अंकू के लुधियाना लाॅट्ने के बाद कोमल और अंकू का झगड़ा हो जाता है किसी बात पे और दो चार दिन तक दोनों बात नही करते है फिर अंकू कोमल को बड़े प्यार से मनाता है, कोमल लड़की होने का पुरा फ़ायदा उठाती है और बहुत नखरे दिखाती है और अंकू खुद को अपनी प्रेमिका को समर्पित कर देता है। कुछ समय बाद कोमल को लगता है वो प्रेग्नेंट है ऐसा महसूस होता है, सारे लक्ष्ण ये भी बताते है चक्कर आना, उल्टी आना, खट्टा खाने का मन करना वो मान लेती है की उसके पेट मे गर्भ ठ हर गया है और अंकू का बच्चा है। वो अंकू को बोलती है इस बच्चे का क्या करना है वो किसी और के साथ है वो अपने पति राकेश को क्या बोलेगी। किसी और की पत्नी होते हुए किसी और का बच्चा। बच्चा किसी और का पाले कोई और वो बोल रही थी बच्चा चाहिए अंकू आपको तो मुझे यहाँ से ले जाओ वरना भूल जाओ बच्चे को। अंकू बोलता है डार्लिंग ये हमारे प्रेम की निशानी है, हमारे खूबसूरत पलो का और हमारे सपनो का ताज है। बहुत समझाने के बाद अंकू कोमल को मना लेता है। और दोनों योजना बना लेते है की राकेश को यकींन हो जाय ये उसका बच्चा है। अब अंकू और कोमल बच्चे के स्वपन देखने लगते है उसके बारे मे बाते करते है बड़ा होगा तो कैसा होगा, क्या बनेगा, कोमल अंकू को मिलने से तो नही रोकेगी, कभी अंकू पे ग़ुस्सा आयेगा तो वो उसका ग़ुस्सा बच्चे पे उतारेगी ऐसे ही बाते करते करते दोनों सारा दिन निकाल देते है दोनों बहुत खुश रहते है बच्चे का नाम तक रख लेते है अनिकेत,अंकू और कोमल का अनिकेत, अंकू के लिए पहला समय होता है जब कुछ खास महसूस करता है बाप होने की खुशी। एक रात अंकू और कोमल बात करते करते बहसने लगे अंकू ने बोल दिया उसे बच्चा नही चाहिए वो नही चाहता उसका बच्चा किसी और के घर पर पले, अंकू को उसे देखने के लिए तड़पना पड़े और अभी सब ठीक है अंकू कोमल के बीच कल को झगड़ा हो गया तो कोमल अंकू को अपने बच्चे से मिलने भी नही देगी ना कभी अंकू हक जता पायेगा। कोमल ये सुन के दुखी हो जाती है रोने लगती है अंकू से लड़ने लगती है और बोलने लगती है की नही चाहिए था तो इतना आगे नही बढ़ना चाहिए था इतने सपने दिखाने के बाद तुम बोलते हो नही चाहिए बच्चा, तुम्हारे लिए अपने पति को धोका दिया तुमने किसी को प्रेग्नेंट कर दिया वो अंकू को बर्बाद कर देगी बोलती है तुम कभी खुश नही रह पाओगे और अंकू से बात चित बंद कर देती है। अगले दिन अंकू को अपनी गलती का एहसास होता है और वो कोमल से माफी मांगता है । बहुत माफी मांगने पर कोमल अंकू को माफ कर देती है कुछ दिनों बाद पता चलता है कोमल प्रेग्नेंट नही है बस पेट खराब था जिस वजह से गर्भ से होने के लक्ष्ण दिख रहे थे, दोनों बहुत हसे अपनी बेवकूफी पर जो था ही नही उसके लिए लड़ रहे थे। 
एक दिन अचानक अंकू को कोमल बताती है उसका पैर टूट गया है फेकचर् हो गया और प्लास्टर लग गया है तो वो बताती है छत पर सैंडल पहन कर कपड़े उतारने के लिए गई थी सीढियो से उतरते समय पैर फिसल गया और पैर मूड गया वो दर्द से कराह रही थी किसी को लेकर हॉस्पिटल आई है दिखाने अंकू कोमल की बेवकूफी पर बहुत नाराज होता है बहुत सुनाता है कोमल को , कोमल अंकू को बोलती है एक तो पैर टूट गया दर्द मे हू उपर से आप सुना रहे हो कहा मेरा दर्द पूछना चाहिए मै ठीक हू या नही हर समय बस चढ़ जाते हो, अंकू माफी मांगता है और कोमल को धीरज बंधता है सब ठीक हो जायेगा। कोमल के पति राकेश के रिश्तेदार कोमल को देखने आते है तो कोमल को बहाना मिल जाता है अंकू को रिश्तेदार के तौर पर बुलाने का। रात को कोमल और अंकू फोन पे बात करते है तो कोमल अंकू को बोलती है जान इस दर्द मे मुझे बस आपकी याद आ रही है, आपको देखे मिले बिना मेरे प्राण ना चले जाय आप आओ और मिल लो मुझे आपकी जरूरत है आप से मिल लुंगी तो हर दर्द हस्ते हुए सह लुंगी आप कल सुबह आ जावो । आज तक मैने कुछ नही माँगा है आप से आज मांगती हूँ आपका साथ अंकू इतनी प्यारी बातें सून कर हामी भर दी। अंकू सुबह उठते नहा धो के चंडीगढ़ के लिए निकल जाता है। कोमल को देने के लिए फल, बिस्किट और भी चीजे ले लेता है जो कोमल को पसन्द होती है। अंकू चंडीगढ़ उतर कर बस से कोमल के पास पहुँचता है और देखता है कोमल के पैर मे प्लास्टर लगा हुआ है कोमल की ये हालत देख के बहुत दुखी होता है। वो ना उठ शक्ति है ना कही जा सकती है बस लेते रहती है। अंकू कोमल से हाल चाल पूछता है, उसके पास बैठता है कोमल अंकू को देखकर गले लगा लेती है और भाउक हो जाती है और बोल्ती है मुझे सिर्फ आप चाहिए थे। कोमल का पति घर पे नही था सिर्फ बच्चे थे, कोमल ने अपने पति को बता दिया था की उसके रिस्तेदार आने वाले थे उसका हाल चाल पूछने के लिए। राकेश किसी पार्टी मे गया हुआ था उसने बोल दिया अंकू का अच्छे से खातिर दारी करना आज ये ही रोक लेना रात को कल भेज देना। कोमल को पता चलता है राकेश नही आने वाला है तो कौंमल और अंकू के खुशी का ठिकाना नही होता है, कोमल बच्चों को दूसरे कमरे मे भेज देती है, अब अंकू और कोमल अकेले होते है कोमल अंकू को खाने के लिए मिठाई देती है, अंकू मना कर देता है, बोलता है आपको देख लिया मन वैसे ही भर गया। कोमल अंकू के कंधे पर सर रख कर लेट जाती है और एक दूसरे का हाथ पकड़ कर दोनों एक दूसरे को देखने लगते है, अंकू कोमल को बोलता है जान सुख मे तो सब साथ होते है जो प्रेमी दुःख मे एक दूसरे के साथ होते है इससे बड़ा सुख संसार मे कोई नही है। ईस जन्म मे तो आपको पत्नी रूप मे नही पा पाया लेकिन ईश्वर से ये ही कामना है हर जन्म मे आपको ही पत्नी स्वरूप मे प्राप्त करू और इस जन्म की जितनी भी ख्वाहिशे है पति के रूप मे पूरे करू और कोमल के माथे पर चूमता है और दोनों लेटे लेटे एक दूसरे को पूरी रात बात करते हुए निकाल देते है। अगले दिन राकेश आता है और अंकू से मिलता है और बोलता है माफ कीजियेगा आपकी खातिरदारी करने के लिए मै नही था। अंकू बोलता है चिंता मत कीजिये मुझे कोई परेशानी नही हुई कोमल जी का ख्याल रखियेगा और दवा समय पर देते रहियेगा। आप सब अपना ख्याल रखियेगा बोल कर चला जाता है। कुछ दिनों मे कोमल की सास आ जाती है और कोमल को सम्भाल लेती है, लेकिन अंकू से बात करना मुश्किल हो जाता है कोमल के लिए सास के सामने दोनों एक दूसरे के लिए तड़पते रहते है, कुछ दिन सब ठीक रहता है फिर कोमल सब की आँखों मे खटकने लगती है सब कुछ उसकी सास और पति को घर का सारा काम सम्भालना पड़ता है दो चार दिन तो मन से करते आ लेकिन बाद मे चिड़ जाते है, कोमल को सुनाने लगते है और कोमल को बीमारी की हालत मे भी काम करना पड़ता है। डॉक्टर ने कोमल को पैरो पर जोर देने के लिए मना किया होता है वरना उसका पैर ठीक नही होगा। पर कोमल को मजबूरी मे सब करना पड़ता है, कैसे भी बैंठ के खाना बनाती है। दो महीने बाद प्लास्टर उतरता है और कोमल चलने फिरने लगती है पहले की तरह कोमल एक खबर सुनाती है की उसके पति राकेश का चाचा और सास का चक्कर है अंकू को यकीन नही होता है। वो बोलती है सास, चाचा से छुप छुप कर बात करती है। कोमल के ससुर नही है तो कोमल की सास अपने देवर के साथ ही रहती है और दोनों को आपस मे लगाव हो जाता है। ये बात कोमल अंकू को बता के सास के मजे लेती है। 

सब कुछ अच्छा चल रहा होता है लेकिन एक दिन कोमल और अंकू के जीवन मे नया मोड ले आता है उनके जीवन का नया अध्याय शुरु होने जा रहा होता है। कोमल और उसके पति के बीच झगड़ा होता है वो भी मामूली बात पे कोमल अपने पति राकेश को जूस लाने के लिए बोलती है । उसका मन जूस पीने का होता है पर राकेश जूस के नाम पे कोमल से लड़ने लगता है बोलता है मै यहाँ सुखी रोटी खा रहा हूँ महारानी को जूस चाहिए। कोमल के साथ हाथा पाई भी करता है कोमल घबरा जाती है और अंकू को फोन करती है की एसी ऐसी बात है उसे अपने पैरो पर खड़ा होना है ताकि लोगो के सामने हाथ ना फैलाना पड़े वो अब राकेश के साथ नही रह सकती उसे घूटन महसूस हो रही है और उस घर मे उसकी तबियत भी सही नही रहती। कोमल अब अपने और बच्चों का ख्याल अपने दम पर रखना चाहती है अंकू बोलता है ठीक है आप लुधियाना आ जाओ हम दोनों देख लेंगे कैसे क्या करना है। उधर राकेश कोमल के घर वालो को फोन करके कोमल की शिकायत करता है और कोमल के भाई को बोलता है तुम्हारी बहन जूस मांग रही है आज तक मै रखी सुखी खाना खा रहा हूँ, बिना खाये ऑफिस जाता हूँ। ये सून जी कोमल के भाई का पारा बढ़ जाता है की एक जूस के लिए मेरी ब ह न से लड़ रहा है वो कोमल को फोन करता है और बोलता है तुम्हे राकेश को बोलने की जरूरत नही है तुम्हारा भाई अभी जिंदा है जो भी चाहिए होगा मै दूंगा हर महीने घर का खर्च, इस पर कोमल रो पड़ती है और अपने भाई को सारा हाल बताती है कि वो राकेश के साथ नही रहना चाहती, वो अपनी जिम्मेदारिया नही निभाता है,हर बात पे लड़ता है, घर खर्च नही देता, यहाँ उसे आजादी नही है वो अपने दम पर कुछ करना चाहती है। वो अंकू के बारे मे बताती है की अंकू लुधियाना मे बुला रहे है, नौकरी भी देख रखी है वो लुधियाना जाना चाहती है, कोमल का भाई बोलता है ठीक है चले जाओ मै सब सम्भाल लूंगा, किसी चीज की कमी हो तो बता देना।तुम्हारे लिए घर भी ले लेंगे ताकी तुम्हे राकेश के साथ ना रहना पड़े और अपने और बच्चों का अच्छे से लालन पोषण ना करना पडे।कोमल बच्चों को लेकर अगले दिन लुधियाना आ जाती है और राकेश को बोलती है रिश्तेदार के पास जा रही है कुछ दिन के लिए यहा उसकी तबियत सही नही रहती। उधर राकेश आग बाबुला हो जाता है वो कोमल के भाई को फोन करता है और लड़ता है तुम्हारी ब हन लुधियाना गई है बिना पूछे, तुम अपने पास बुला लो पर लुधियाना मत भेजो इस पर कोमल का भाई बोलता है कोमल उससे पूछ कर गई है और उसने आज्ञा दी है कोमल को लुधियाना जाने के लिए ताकि थोड़ा मन लग सके। उधर कोमल और अंकू लॉज मे रुकते है बच्चों के साथ कोमल डरती है कही बच्चे ना बतादे अपने पापा को की लॉज मे रुके है पर अंकू धीरज बाँधता है वो सब सम्भाल लेगा। दशहरे का दिन था अंकू,कोमल और बच्चे मूह हाथ धो के मेला घूमने जाते है,उसके बाद आ के लॉज मे खाना खाते है और बच्चों के सोने को इंतजार करते है ताकि दोनों एक दूसरे संग समय व्यतीत कर सके। उधर राकेश कोमल को फोन पे फोन करना शुरू कर देता है,वीडियो काल पे बात करने के लिए बोलता है उसे अंकू और कोमल पे शक होता है,कोमल अपना फोन बन्द करके रख देती है,अंकू घर पर बताता है वो ऑफिस के काम से बाहर आया है। अब सब शांन्त सब सो गए, रात का अंधेरा था इतनी शांति थी की कोमल और अंकू अपनी साँसे तक सुन सकते थे। कोमल अंकू के कन्धे पर सर रख के सो गई,अंकू कोमल के सर पे हाथ रख के सेह लाते हुए बोलता है घबराने की जरूरत नही है सब ठीक है, वो है ना कोमल के लिए।कोमल अंकू को अपने बाहों मे भर लेती है और उसको चूमने लगती है। कोमल अंकू को बोलती है आज से पूरी तरह वो अंकू की है और वो अंकू का। दोनों एक दूसरे से प्रेम करने लगते है सारे लाज शर्म को त्याग एक दूसरे के प्रेम मे खो जाते है और दो जिस्म एक जान हो जाते है।कोमल अंकू को प्रेमिका का सुख देती है अपना सर्वस्व अंकू को न्यो छावर् कर देती है। दो दिन हो जाते है कोमल को लॉज मे अब राकेश अंकू और कोमल को लेकर तरह तरह की बाते करने लगता है, अंकू को कोमल की चिंता होती हैं कही उसकी वजह से उसके चरित्र पर दाग ना लगे। वो योजना बनाता है कोमल को बोलता है मेरे घर पर फोन करो मम्मी को बोलो उसे लुधियाना मे कुछ काम है वो और बच्चे लुधियाना आ रहे है कुछ दिनों के लिए। अगले दिन कोमल और बच्चे अंकू के घर पर चले जाते है फिर कोमल वीडियो काल करती है बच्चों से बात कराती है, अपने रिश्तेदारों से बात कराती है तब जा के यकीन होता है राकेश को की कोमल अपने रिस्तेदारो के पास है और कोमल के भी सास मे सास आती है। 
दोनों हस्ते खेलते है एक दूसरे मे गुम हो जाते है, घूमते है निहार ते है, बाइक पे पीछे कोमल को बिठा कर उसका हाथ पकड़ के बाइक को चलाना और कोमल द्वारा अंकू को पीछे से जोर से पकड़ लेना, एक दूसरे को गोल गप्पे खिलाना ये छोटी छोटी चीजे उनके जीवन मे प्रेम मयी जीवन को खुशियों से भर देते है। दोनों एक दूसरे के इतने आदि हो जाते है की बिछड़ने का ख्याल भी दोनों के लिए बहुत दुखदायक होता है। अंकू कोमल को बोलता है जान अब आप कहा जाओगे मुझे छोड़ के क्या रखा है राकेश के पास प्रेम मुझसे करते हो, खुश मेरे साथ हो सु ब ह की पहली किरण से लेकर रात की चाँदनी रोशनी तक हम एक दूसरे के साथ होते है चाहे पास हो या दूर। दोस्त, प्रेमी, पति पत्नी हर रूप मे हमने एक दूसरे को ही माना है। वहा जा के फिर से वही लड़ाई झगड़े इसलिए आप यही रहो मेरे पास जॉब करो अपने पैरो पर भी खड़े हो जावोगे और हम साथ भी रहेंगे। कोमल हामी भरति है और अंकू और कोमल घर देखने जाते है किराये के लिए बहुत ढूँढने के बाद मिल जाता है जो अंकू के घर के बिल्कुल पास होता है। अब कोमल और बच्चे अंकू के घरवालो से अलविदा हो कर किराये के घर मे चले जाते है। अंकू के घर वा लो को पता नही होता की कोमल लुधियाना मे ही है वो समझते है अपने पति के पास गई चन्धिगढ गई। अब अंकू और कोमल नई जीवन की शुरुआत करते है। अंकू घर का सारा समान लाता है, सुख सुविधाओ का अभाव होता है पर सब बहुत खुश होते है। अब अंकू रोज सुब्ह ऑफिस जाने से पहले कोमल से मिलता और आने के बाद कोमल से मिल के ही घर जाता था। वक़्त गुजरता गया काफी दिन हो गये कोमल और अंकू को साथ रहते हुए। सब खुश थे एक दिन अचानक अंकू का भांडा फुट गया, घर वालो को पता लग गया कोमल चंडीगढ़ नही गई है लुधियाना मे ही है अंकू के पास, अंकू कोमल का तलाक़ करवा के शादी करना चाहता है कोमल के साथ बस फिर क्या था अंकू के बुरे दिन शुरू हो गए। घरवाले अंकू के पीछे हाथ धो के पड़ गए, सुबह शाम अंकू को कोसते रहते अंकू को दाटते, समझाते अलग अलग लोगो से अंकू फोन करवाते, कोमल सही लड़की नही है, उसके दो बच्चे है वो भी दोनों लड़किया, दोनों की शादी करनी है, कल को तुम्हारा बच्चा होगा वो ध्यान दे पायेगी, तुम कवारे हो कोई भी मिल जायेगी, परिवार का माँन सम्मान सब मिट्टी मे मिल जायेगा, बहन छोटी है उसकी शादी कैसे होगी, कोमल का तलाक़ भी नही हुआ है पर प्यार अंधा, बहरा सब होता है कहा कुछ दिखता है जब इंसान प्यार मे पड़ जाय किसी के तो। उधर कोमल को जब पता चलता है तो वो अंकू को धीरज बंधाती है, आज नही तो कल सब को पता लगना ही था, सब ठीक हो जायेगा, उधर अंकू के घर वाले मरने की धमकी देखते है अंकू को की तुमने दूसरी शादी की तो मर जायेंगे। रोने बिलखने लगते है, अंकू का जीना हराम कर देते है। उधर कोमल को जब पता चलता है अंकू के घर वाले अंकू के लिए रिश्ता देख रहे है वो रोने लगती है, मरने की धमकी देती है, अंकू अपना सर पकड़ लेता है अब ये लड़ाई झगड़े रोज होने लगे अंकू ना सो पाता था ना चैन से जी पा रहा था, उधर कोमल ने शादी के लिए वकील से बोला तो उसने भी मना कर दिया बिना तलाक़ लिए शादी नही हो सकती अंकू और कोमल की। कोमल का सारा समान चंडीगढ़ था वो सबसे बड़ी समस्या थी, कोमल और बच्चों के कागज चंडीगढ़ मे ही थे, उसका बिना कुछ भी सम्भव नही था ना बच्चों की एडमिशन हो सकता था स्कूल मे और ना कोमल की नौकरी लग शकती थी। जेवर भी कोमल के चंडीगढ़ मे ही थे, उपर से कोमल सारा दिन सोचती रहती थी वो सही कर रही है या नही बच्चों को पाल पायेगी या नही, ऊपर से अंकू के पास जो धन था वो खत्म हो रहा था, कोमल के पास जो पैसे थे खत्म हो रहे थे, कमाई का साधन नही था पर्याप्त। कोमल के भाई ने बोला था कोमल को थोड़े पैसों की सहायता करने के लिए पर उसने भी कोमल से बात करना बंद कर दिया, साथ छोड़ दिया ना कोमल के माता पिता साथ थे, सारी मुसीबत एक साथ आ गई। अंत मे अंकू ने कोमल को नौकरी पे लोगो को लगवाने का बिजनेस खुलवा के दिया पर किस्मत खराब थी कोमल को पता नही क्या हो गया, बिजनेस को लेकर पहले दिन ही अंकू से लड़ने लगी, किसी वश बिजनेस कोमल के नाम नही हो पाया तो वो बहुत गुसा हुई, बोलने लगी तुमने मुझे ठगा है, मेरा ही पैसा लेकर बिजनेस शुरू किया और मेरे नाम पर ही नही किया, उसने काम करने से मना कर दिया । वो बोलने लगी जो मर्जी हो जाय वो इसमें काम नही करेगी नया बिजनेस शुरू करेगी अपने नाम से अब अंकू कोमल को समझा समझा के थक गया की उसके कागज नही थे जींस वजह से उसके नाम पर नही पाया पर कोमल समझने को तयार नही थी, अंकू ने बोला ये बिजनेस आखरी उम्मीद है डूबती हुई नया का अगर नही चला तो ऊसे चंडीगढ़ पुराने पति के पास जाना पड सकता है, अंकू के पास जितना जमा पूंजी थी उसने घर बनाने मे लगा दिये थे अंकू के पास कुछ नही था, अंकू चिंतित हो गया अगर कोमल ने काम नही किया तो पैसा बर्बाद हो जायेगा जो लगा है आखिर ये संभालेगा कौन, कोमल के लिए ही तो शुरू किया गया था ता की अपने पैरो पर खड़ी हो सके, पर कोमल अपने फैसले से टस से मस नही हुई अंत मे अंकू को कोमल के जिद और घमन्ड के आगे झुकना पड़ा, अंकू ने बिजनेस कोमल के नाम पे करवाया तब जा के कोमल ने काम करना शुरू किया, पर इस चीज ने अंकू को अंदर तक हिला दिया सोचने पर मजबूर कर दिया जिस कोमल के लिए दुनिया से लड़ रहा है वो एक छोटे से व्यापार के लिए उसे छोड़ने के लिए भी तैयार थी, कल को बोलेगी घर मेरे नाम पर करो वरना मै तुम्हारे साथ नही रहूँगी ये बात अंकू के दिल पर लग जाती है और अंकू उदास हो जाता है, मन पर ये बात बहुत प्रभाव डालती है। कोमल का जन्म दिन आता है अंकू बेसब्री से इस दिन का इंतजार करता है पर पता नही अंकू ऑफिस मे होता है और कोमल का फोन आता है वो अंकू से लड़ने लगती है की तुमने झूठ बोला की तुम सारा खर्च उठाओगे सब काम घर का मुझे ही करना पड़ता है, राशन तक तुम नही लाते हो आज तक सब्जी तक खरीद कर नही लाये अपनी जिमेदारियो से पीछे हट गए अंकू समझाने की कोशिस करता है ऐसा नही है उसे समय नही मिलता वो छूटी होते ही पहले कोमल से मिलता है फिर अपने माता पिता के पास जाता है पर कोमल गुस्से मे होती है समझती नही, अंकू बोलता है शांत हो जाओ आज आपका जन्म दिन है पर वो बोलती है भाड़ मे जाय जन्म दिन मुझे नही मनाना मै जा रही हूँ चण्डीगढ़ , मुझे तुम्हारे जैसे झूठे इंसान के साथ नही रहना मै और बच्चे जा रहे है, चाभी पड़ोसन को दे दूँगी ले लेना। अंकू घबरा जाता है कही सच मे कोमल ना चली जाय, पसीना आने लगता है अंकू को, अंकू बीच मे ही ऑफिस से छूटी ले के कोमल के पास जाता है मोटर साइकल से। जब कोमल और बच्चों को देखता है घर पे तब जान मे जान आती है अंकू के। कोमल चारपाई पे लेती होती है अंकू कोमल के पास जाता है पर वो देखती भी नही है अंकू को, हाथ लगा ता है तो दूर कर देती है, अंकू माफी मांगता है पैर भी पकड़ता है हाथ जोड़ता है आगे से वो पूरा ख्याल रखेगा शिकायत का एक भी मौका नही देगा । कोमल का जन्म दिन धूम्म धाम से मनाता है। अगले दिन कोमल का भाई कोमल के पति के साथ मिल जाता है और राकेश को जबान दे देता है की कोमल परसो तक आ जायेगी उसके पास। कोमल अंकू को बताती है अंकू टूट जाता है की कोमल के भाई ने साथ छोड़ दिया पर कोमल अंकू को बोलती है चिंता मत करो मेरी जिंदगी है जब तक मैं नही चाहूँगी कोई कुछ नही कर सकता पर हमारे पास बहुत कम समय है जो भी करना है जल्द ही करना पड़ेगा वरना कोमल का पति केस कर देगा सब पर बच्चों और बीवी को बेहला फुसला के ले जाने का। जो भी लेना है तलाक़ या कुछ और जल्द ही करना पड़ेगा। अंकू और कोमल दुकान करने की सोचते है पर पैसा नही होता दोनों के पास कोमल अपनी मा को बताती है तो वो बोलती है की बात नही चिंता मत करो मै साथ हूँ तुम्हारे, मै पौसे दे दूँगी मेरी बात करा देना अंकू से। रात को कोमल और अंकू बात करते है तो दोनों भविष्य को लेकर चिंतित होते है की कमाई का कोई स्थिर साधन नही, किसी का साथ नही और किराये के मकान मे कब तक रह पाएंगे। कोमल के भाई ने भी साथ छोड़ दिया उसने बोला था कोमल को घर बना के देगा पर वो भी मुकर गया और उसके पति से जा कर मिल गया उसने ये भी बोल दिया कल कोमल उसके पास चली जायेगी, ज्यादा समय भी नही है कोमल का तलाक़ भी नही हुआ अंकू कोमल को ज्यादा देर तक अपने पास नही रख सकता था, अंकू खुद को बेबस और कमजोर महसूस कर रहा था, अंकू को समय चाहिए था किसी का साथ चाहिए था पर वो था नही अंत मे दोनों ने निर्णय लिया की फिलहाल जब तक सबकुछ ठीक नही हो जाता एक बार कोमल को चंडीगढ़ जाना चाहिए और बाद मे देखेंगे क्या करना है। रात मे कोमल बहुत रोती है जाने के नाम से अंकू को खोने से, वो अपनी स हेली से भी बात करती है सब बताती है वो भी कोमल को राय देती है मत जाओ कदम बहुत आगे बढ़ा चुके हो पीछे मत मुड़ो पर कोमल कह ती वो अब किस के सहारे रहे। अगले दिन समान बांधते है और जाने के लिए तैयार हो जाते है अंकू आता है सब मिलते है स्टेशन जाने को जैसे ही होते है कोमल अंकू को बोलती है पैसे की दिक्कत है तो वो कुछ ना कुछ कर लेगी, मा ने भी बोला है साथ देने के लिए इस पर अंकू बोलता है पता नही दुकान चले या ना, कोमल बोलती है वो राकेश को जल्द से जल्द तलाक़ दे देगी अंकू बोलता है समान लाने के लिए तो जाना ही होगा, कोमल बहुत गिड़गिडाती है ताकि ना जाना पडे पर अंकू के आँखों मे पट्टी बन्धि होती है वो नही मानता है अंत मे कोमल अंकू को बोलती है अपना ख्याल रखना बचे सब रोने लगते है कोई भी अलग नही होना चाहता पर मजबूरी मे सब को अलग होना ही पड़ता है। और कोमल बच्चे चण्डी गढ चले जाते है।