Manzil Apni Apni - 4 in Hindi Short Stories by Awantika Palewale books and stories PDF | मंजिल अपनी अपनी - 4

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मंजिल अपनी अपनी - 4

चंदा बोली आपको पता है सभी देशों में सरकार ने ओल्ड हाउस खोल रखे हैं सारे बूढ़े वही एक साथ रहते हैं।

सूरज बोला तुम उन्हें सभ्य समाज कहती हो जहां सभी औलाद मां-बाप को न पूछे।

चंदा बोली अगर कोई किसी को किसी की जान की आफत बन जाए तो.... ।

सूरज टोकते हुए बोला बस बस रहने दो अब बत्ती बंद कर रहा हूं

दूसरे दिन सूरज उत्साहित होकर बोला हेलो चंदा डार्लिंग इतनी देर लगा दी दरवाजा खोलने में आज मैं बहुत खुश हूं आज सारा दिन स्टाफ कल की हमारी पार्टी के फूल बांधता रहा पार्टी दो तो सूरज की तरह से वरना मत दो।।।


चंदा सीसकते हुए बोली।।।

सूरज ने कहा अरे तुम्हें क्या हुआ चंदा कुछ बोलो तो फिर सिसक ने की आवाज तुम्हें मेरी कसम।।।।

चंदा बोली उन्हें रोकिए प्लीज।।

सूरज ने कहा मैं समझा नहीं साफ-साफ कहो ना।

चंदा ने कहा आज फिर आपके चाचा आए थे।।

सूरज ने कहा तो क्या बात हुई?

चंदा ने कहा आज तो हद कर दी पहले तो बोले कल शाम को खांसी का ऐसा दौर उठा कि नहीं आ पाया। तुम लोगों की पार्टी में सोचा चलो आज ही बधाई दे आओ। फिर इस झोले में से यह निकाल कर दे गए लकड़ी का खिलौना दिखाते हुए बोली इसका असर होगा।।।

सूरज ने कहा खिलौने अपने हाथ में लेते हुए वह यह लकड़ी का गोल मटोल लाल लाल गालों वाला गुड्डा लगता है जैसे सचमुच का बच्चा है अभी हमसे बातें करने लगेगा।।।

चंदा जरा चीढ कर बोली तो रखिए इसे अपने निजी कमरे में मुझे नहीं चाहिए उनका क्या है जब भी मालूम हुआ झोला लटकाए चले आए लो बहू तुम्हारे लिए मूंगफली लाया हूं ।आज सेब बहुत सस्ते थे खा लो चलो यह भी सही पर ऊपर से एक रात एक खिलौना तो होना ही चाहिए पता नहीं इस बुड्ढे को हमारी इतनी फिक्र क्यों रखा है जा रही है।।

सूरज ने कहा पर इसमें बुरा मानने की क्या बात है ।मुझे भी कहते हैं मैं उन्हें समझाता हूं ।हम दोनों ने मेडिकल चेकअप करवा लिया है ।सब सामान्य है सब कहते हैं 6 साल तो बहुत होते हैं कोई और यत्न करना होगा मैं समझता हूं पूजा पाठ व्रत जप जैसी तरकी में बताना चाहते हैं मैं टल जाता हूं।

चंदा बोली आप उन्हें यहां आने से मना कर दीजिए आप नहीं करेंगे तो मैं ही कर दूंगी।।

सूरज हाथ जोड़ते हुए ऐसा मत करना प्लीज उसे बुजुर्ग को ठेस पहुंचेगी उनके हमारे परिवार पर बहुत एहसान है और तो और बचपन में मैं एक बार मरणासन्न हो गया था।मेरे माता-पिता यही मानते हैं कि उन्हें के तप से मैं ठीक हुआ वरना सारे डॉक्टर तो जवाब दे चुके थे।।

चंदा ने कहा मैं इन दकियानू सी बातों को नहीं मानती।।

सूरज ने कहा मानता तो मैं भी नहीं पर बड़े बूढ़ों की भावनाओं के आगे हम क्यों आए चलो उठो उठो ना तैयार हो जाओ आज कोई नई फिल्म देखकर आएंगे।।।।

मोहन चाचा बोले ऊंची आवाज में सूरज बेटे घर पर हो।घर में प्रवेश करता है।सब अच्छे तो हो।।