Ek thi Nachaniya - 23 in Hindi Women Focused by Saroj Verma books and stories PDF | एक थी नचनिया - भाग(२३)

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एक थी नचनिया - भाग(२३)

डाक्टर मोरमुकुट सिंह टैक्सी से उस होटल पहुँचे जहाँ सभी रह रहे थे,उनके वहाँ पहुँचते ही सभी के चेहरों पर मुस्कान खिल उठी,उनके वहाँ पहुँचते ही पहले उन्हें नहाकर आराम करने को कहा गया,जब वें आराम करके जागे तो तब तक रात के खाने का वक्त हो चुका था,इसलिए पहले सभी ने साथ बैठकर रात्रि का भोजन किया और उसके बाद सभी अगली योजना को लेकर बात करने बैठे,पहले माधुरी बोली....
"डाक्टर भइया! आप हम सभी का साथ देने यहाँ आए,इसके लिए बहुत बहुत शुक्रिया",
"इसमें शुक्रिया की कोई बात नहीं माधुरी! मैं कस्तूरी के लिए इतना तो कर ही सकता हूँ", डाक्टर मोरमुकुट सिंह बोले...
"लेकिन फिर भी डाक्टर बाबू! आपकी बड़ी कृपा हुई हम सभी पर जो आप यहाँ आए",रामखिलावन बोला....
"कैसीं बातें कर रहे हैं रामखिलावन भइया! ऐसा कहकर आप मुझे शर्मिन्दा कर रहे हैं",डाक्टर मोरमुकुट सिंह बोले....
"लेकिन फिर भी आपकी बहुत बहुत मेहरबानी डाक्टर साहब जो आप यहाँ आएं", खुराना साहब बोलें....
"खुराना साहब! अब आप तो इन सभी की तरह बातें मत कीजिए,आप लोग ऐसी बातें कर रहे हैं तो मुझे अच्छा नहीं लग रहा",डाक्टर मोरमुकुट सिंह बोले....
"अच्छा! ठीक है,अब आपसे कोई भी कुछ नहीं कहेगा,ठीक है तो अब आगें की योजना पर बात करें", खुराना साहब बोले....
"वही तो मैं भी कह रहा था कि अब मुझे करना क्या है?, लेकिन मैं ये आपलोगों को पहले से बताएं दे रहा हूँ कि मुझे एक्टिंग वगैरह नहीं आती,वो तो आप लोगों ने गुजारिश की इसलिए मैं यहाँ चला आया",डाक्टर मोरमुकुट सिंह बोले....
"घबराइए नहीं डाक्टर भइया! वहाँ पर एक्टिंग करने लायक ऐसा कुछ भी नहीं है,बस आपको जरा सी रईसी झाड़नी और दौलत का ठसा दिखाना है,बस इतना कर लेगें तो काम चल जाएगा", रामखिलावन का बेटा दुर्गेश बोला....
"ओह....तो मुझे ये सब करना होगा",डाक्टर मोरमुकुट सिंह बोले....
"हाँ! डाक्टर बाबू! मैं भी जब रुपतारा रायजादा बनकर जुझार सिंह से मिलने गई थी तो मैंने भी वहाँ खूब रईसी झाड़ी",मालती बोली...
"रईसी तो कम ओवरएक्टिंग ज्यादा मालूम पड़ रही थी",खुराना साहब बोले....
"तो मैं कोई मझीं हुई कलाकार थोड़े ही हूँ,वो तो आप लोगों ने कहा तो मैं वहाँ चली गई",मालती मायूस होकर बोली....
"तो तुम्हें कोई कुछ सुना थोड़े ही रहा है जो तुम इतनी उदास हो रही हो",रामखिलावन बोला....
"लेकिन खुराना साहब तो नाराज़ हो रहे हैं ना!",मालती रुठते हुए बोली....
"मैं नाराज नहीं हो रहा हूँ मालती! बस इतना कह रहा हूँ कि अब हमें हर एक कदम बड़ा सम्भाल कर रखना होगा,कहीं किसी गलती से हमारी पोल खुल गई तो लेने के देने ना पड़ जाएं",खुराना साहब बोलें....
"खुराना साहब सही कह रहे हैं मालती!,हमारी एक गलती हमें गर्त में डाल सकती है",रामखिलावन बोला....
"ठीक है अब कोशिश करूँगी कि आइन्दा से कोई गलती ना हो",मालती बोली....
"मालती भाभी तो एक्टिंग कर ही लेगीं,लेकिन अब आपलोग मुझे ये बताइए कि मुझे करना क्या होगा?", डाक्टर मोरमुकुट सिंह ने पूछा....
तब खुराना साहब बोलें....
"आपको रुपतारा रायजादा का पोता बनना है,जो कि बहुत घमण्डी,अय्याश,बिगड़ैल और अकड़ू है,उसे अपने आगे कोई नहीं दिखता,मतलब कहा जाए तो बहुत ही स्वार्थी है वो,विलायत में उसका किसी गोरी मेम से चक्कर भी है,इसलिए अपनी दादी के हजार बार कहने पर भी वो शादी नहीं करना चाहता,उसे तो बस विलायत ही रास आता है,अगर सिनेमाहॉल खुलने की बात ना आती तो वो कभी भारत लौटता ही नहीं,उसे अपनी दादी की भी कोई चिन्ता नहीं है",
तब डाक्टर मोरमुकुट सिंह बोले....
"हे! भगवान! ऐसा बनना होगा मुझे! मैं तो बचपन से बहुत शरीफ़ बच्चा था और जवानी में भी कभी ऐसा कोई काम नहीं किया जिससे मेरे परिवार वालों को मेरी वजह से कभी कोई शर्मिन्दगी उठानी पड़ी हो,लेकिन अब मुझे अपनी छवि के विपरीत बनना होगा,ये मेरे लिए जरा मुश्किल है लेकिन मैं पूरी कोशिश करूँगा कि एक अभद्र व्यक्ति बन सकूँ",
फिर डाक्टर साहब की बात सुनकर सभी हँसने लगे और तभी माधुरी बोली....
"लेकिन इनका नाम क्या होगा"?,
"ये तो मैंने सोचा ही नहीं",खुराना साहब बोले....
"तो फिर सोचिए",रामखिलावन बोला....
"अब सारे काम मैं ही करूँ,कुछ काम आप लोग भी तो करें,",खुराना साहब बोले....
"तो विचित्रवीर नाम कैसा रहेगा"?,दुर्गेश बोला...
"हाँ! नाम तो अच्छा है,वैसे भी विचित्र प्राणी है रुपतारा रायजादा का पोता,तो ये नाम काफी जमेगा उस पर",खुराना साहब बोलें....
"पहले उनसे तो पूछ लो,जिनका नाम रखा जाना है",मालती बोली....
"मुझे पसंद है",डाक्टर मोरमुकुट सिंह बोले....
"लो भाई! अब डाक्टर साहब को भी ये नाम पसंद है,तो फिर एकाध दिन में आप विचित्रवीर रायजादा की तरह व्यवहार करना सीख लीजिए,इसके बाद चलते हैं जुझार सिंह से मिलने",खुराना साहब बोलें....
"ठीक है,कोशिश करता हूँ कि मेरा व्यवहार रईसों की तरह हो जाए,विचित्रवीर बनने के लिए मुझे अपनी अन्तरात्मा को मारना होगा",डाक्टर मोरमुकुट सिंह मायूस होकर बोले...
डाक्टर मोरमुकुट सिंह ने ऐसा कहा तो उनकी बात पर सभी हँस पड़े और माधुरी बोली....
"डाक्टर भइया! फिक्र मत कीजिए! आप कभी भी विचित्रवीर जैसे बुरे इन्सान नहीं बन पाऐगें,क्योंकि आप जैसे अच्छे इन्सान की आत्मा हमेशा अच्छी ही रहती है"
"ऐसा ही हो माधुरी! क्योंकि जैसा विचित्रवीर का चरित्र है तो उसका अभिनय करते हुए तो मेरा दम घुटने लगेगा,इसलिए जितना जल्दी हो सकें तो आप लोग अपना काम निपटाने की कोशिश कीजिएगा,मुझे वापस भी लौटना है क्योंकि कस्तूरी मेरे सिवाय और किसी का कहा नहीं मानती",डाक्टर मोरमुकुट सिंह बोले...
"हाँ! हम सबकी कोशिश तो यही रहेगी",खुराना साहब बोले.....
और इसी तरह सबके बीच बातचीत चलती रही,सबके बीच योजना का पूरा खाँचा खिच चुका था कि कैसें क्या क्या करना है,डाक्टर मोरमुकुट सिंह ने भी विचित्रवीर के चरित्र को भली प्रकार से समझ लिया था और एकाध दिनों की प्रैक्टिस के बाद वें अब विचित्रवीर बनकर तैयार थे,तैयारी पूरी होने के बाद खुराना साहब ने जुझार सिंह को टेलीफोन किया कि उनकी मालकिन रुपतारा रायजादा का पोता विचित्रवीर रायजादा विलायत से आ चुका है और वो सिनेमाहॉल के सिलसिले में आपसे मिलना चाहता है और फिर क्या था,रुपतारा रायजादा अपने पोते विचित्रवीर रायजादा और अपने मैनेजर के साथ जुझार सिंह से अपनी बड़ी सी मोटर में मिलने पहुँची,मोटर रेस्तराँ के सामने रुकी और जुझार सिंह रुपतारा रायजादा और उनके पोते विचित्रवीर रायजादा का स्वागत करने उनकी मोटर के पास पहुँचा तो जुझार सिंह को देखते ही विचित्रवीर रायजादा बोलें....
"तुम्हारे मालिक को जरा भी अकल नहीं है क्या? खुद ना आकर एक नौकर को भेज दिया हमारे स्वागत के लिए",
विचित्रवीर रायजादा की बात सुनकर जुझार सिंह सन्न रह गया.....

क्रमशः....
सरोज वर्मा....