Ek thi Nachaniya - 17 in Hindi Women Focused by Saroj Verma books and stories PDF | एक थी नचनिया--भाग(१७)

Featured Books
  • انکہی محبت

    ️ نورِ حیاتحصہ اول: الماس… خاموش محبت کا آئینہکالج کی پہلی ص...

  • شور

    شاعری کا سفر شاعری کے سفر میں شاعر چاند ستاروں سے آگے نکل گی...

  • Murda Khat

    صبح کے پانچ بج رہے تھے۔ سفید دیوار پر لگی گھڑی کی سوئیاں تھک...

  • پاپا کی سیٹی

    پاپا کی سیٹییہ کہانی میں نے اُس لمحے شروع کی تھی،جب ایک ورکش...

  • Khak O Khwab

    خاک و خواب"(خواب جو خاک میں ملے، اور خاک سے جنم لینے والی نئ...

Categories
Share

एक थी नचनिया--भाग(१७)

भवानी सिंह श्यामा को अपनी बेटी की तरह मानता था,उसने उसे कई बार समझाने की कोशिश की कि ये सब तुम्हारे लिए नहीं बना है,तुम वापस अपने घर लौट जाओ लेकिन श्यामा नहीं मानी और वो उन सभी डाकुओं के साथ वहीं रहने लगी,कुछ साल यूँ ही बीते और भवानी सिंह पुलिस मुठभेड़ में मारा गया,तब सभी डाकुओं ने फैसला किया कि अब से डकैतों की मुखिया श्यामा होगी और फिर क्या था श्यामा डकैतों की मुखिया बनकर चम्बल पर राज करने लगी,वो गरीब असहाय और अबला औरतों की सहायता करती , जो उन सभी पर जुल्म करता तो उन्हें मौत के घाट उतार देती....
बस लोगों की भलाई करते करते श्यामा जीजी ने अपना जीवन यूँ ही गुजार दिया और ये कहते कहते रामखिलावन चुप हो गया....
"तो ये थी श्यामा जीजी की दर्द भरी कहानी",माधुरी बोली....
"हाँ! अब ना जाने उन्हें कौन सी सजा सुनाएगी अदालत",रामखिलावन बोला...
"सही कह रहे हो भइया! बहुत मन कर रहा है उनसे मिलने का",माधुरी बोली...
"लेकिन अभी हम यहाँ का काम अधूरा छोड़कर श्यामा जीजी से मिलने नहीं जा सकते",रामखिलावन बोला...
"तो राम खिलावन भइया! कुछ ऐसी जुगाड़ लगाओ कि जुझार सिंह को वापस अपने गाँव लौटना पड़े और हम सभी भी अपने गाँव लौट चलें,तभी हम उससे बदला ले पाऐगें",माधुरी बोली...
"लेकिन ऐसा कौन सा जुगाड़ लग सकता है जो जुझार सिंह को उसके गाँव जाने पर मजबूर कर दे", मालती बोली...
"माधुरी बुआ! तुम ही शुभांकर को इस काम के लिए राजी कर सकती हो",दुर्गेश बोला...
"वो भला कैसें"?,माधुरी ने पूछा...
तब दुर्गेश बोला....
"वो ऐसे कि तुम अगर शुभांकर से ये कहो कि हमारे गाँव के आस पास के क्षेत्र में कोई भी फैक्ट्री या मिल नहीं है और हमारे क्षेत्र में बहुत ज्यादा बेरोजगारी है ,वो अगर वहाँ फैक्ट्री या मिल लगाएगा तो उसे वहाँ बहुत मुनाफा होगा और अगर शुभांकर तुम्हारी बात मानकर अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए वहाँ फैक्ट्री या मिल लगा देता है तो फिर उसे वहाँ आना ही पड़ेगा और अगर वो वहाँ आया तो जुझार सिंह भी वहाँ जरूर आएगा",
" क्या तुझे ये दाल भात पकाने जैसा काम लग रहा है,मैं शुभांकर से कहूँगी और वो मेरी बात मानकर हमारे क्षेत्र में फैक्ट्री लगा भी लेगा",माधुरी बोली....
"तो तुम उससे ये कहो कि वो वहाँ कोई थियेटर या सिनेमा हाँल खोल ले और तुम उसके थियेटर में काम कर लेना",दुर्गेश बोला....
"नहीं! ऐसा नहीं हो सकता, फिर खुराना साहब के थियेटर का क्या होगा?, हमें कुछ और ही सोचना होगा", रामखिलावन बोला....
"एक और उपाय हो सकता है",दुर्गेश बोला.....
"वो क्या"?,रामखिलावन ने पूछा...
"कोई अगर जुझार सिंह के पास जाकर ये कहे कि वो हमारे क्षेत्र में रेस्टोरेंट विथ बार खोलना चाहता है और उसे रुपयों की जरूरत है और उस रेस्टोरेंट से जो भी मुनाफा आएगा तो आधा आधा बाँट लेगें" दुर्गेश बोला....
"अब ये कौन सी बला है रेस्टोरेंट विथ बार",रामखिलावन ने पूछा....
"जैसे तुम ठेके पर दारू पीने जाते हो तो वैसे ही अमीर लोग बार में अंग्रेजी शराब पीने जाते हैं और वहीं पर महंँगा महँगा मीट-माँस खाते हैं",दुर्गेश बोला....
"तुझे ये सब किसने बताया",रामखिलावन ने दुर्गेश से पूछा...
"मुझे सब पता है,मैंने अमीरो को ऐसा करते देखा है",दुर्गेश बोला....
"लेकिन बिल्ली के गले में घण्टी बाँधेगा कौन? मतलब जुझार सिंह के पास ऐसा प्रस्ताव लेकर जाएगा कौन?",मालती ने पूछा....
"अब इस काम के लिए तो थोड़ा पढ़ा लिखा और ऐसा इन्सान चाहिए,जो अमीर भी हो",रामखिलावन बोला...
"अब ऐसा इन्सान कहाँ से ढूढ़ कर लाएँ"?,माधुरी बोली...
तभी दुर्गेश बोला.....
"इस काम में हमारी मदद खुराना साहब कर सकते हैं,",
"हाँ! ये तो बहुत अच्छा सुझाव है,लेकिन क्या वो हमारी मदद करने के लिए मानेगे",माधुरी बोली....
"हाँ! क्यों नहीं! उन्हें जब हम सारी सच्चाई बताऐगें तो वें जरूर हमारी मदद करने के लिए राजी हो जाऐगें", रामखिलावन बोला.....
"लेकिन जब हम कलकत्ता छोड़ेगे तभी तो आगें की योजना बना पाऐगें",माधुरी बोली....
"लेकिन अभी तो शुभांकर पूरी तरह से हमारे जाल में फँसा ही नहीं है,जब तक वो पूरी तरह हमारे जाल में ना फँस जाए तब तक हम कलकत्ता नहीं छोड़ सकते",रामखिलावन बोला....
"तो अब क्या करें"?,मालती ने पूछा....
"क्यों ना हम पहले खुराना साहब को यहाँ बुलवाकर उनको सारी बात बता दें और तब वें जुझार सिंह से मिलकर रेस्टोरेंट खोलने की बात कहें",दुर्गेश बोला....
"तो चलो फिर देर किस बात की अभी मैं उन्हें टेलीफोन कर देता हूँ तो एक दो दिन में वो यहाँ पहुँच जाऐगें ", रामखिलावन बोला....
"हाँ! भइया! नेक काम में देर नहीं करनी चाहिए",माधुरी बोली....
और फिर सबकी रजामंदी पर रामखिलावन ने चमनलाल खुराना साहब को फोन किया और उनसे कहा कि वो जब यहाँ पहुँच जाऐगें तब उन्हें पूरी बात बता दी जाएगी,बस इतनी गुजारिश है कि वो जल्द से जल्द कलकत्ता पहुँच जाएं और खुराना साहब ने कलकत्ता आने के लिए हाँ कर दी और बोले कि वो एकाध दो दिन में वहाँ पहुँच जाऐगें और इधर माधुरी शुभांकर पर अपने हुस्न का जादू चलाने लगी और उसे थियेटर देखने आने को कहा और शुभांकर उसका नृत्य देखने थियेटर पहुँचा भी और जब उसने थियेटर में उसका नृत्य देखा तो उस पर और भी लट्टू हो गया.....
इधर दो तीन दिनों में खुराना साहब भी कलकत्ता आ पहुँचे और फिर जब उन्हें पूरी बात पता चली तो वें बोले....
"मैं थियेटर चलाता हूँ यार! एक्टिंग नहीं करता,ये एक्टिंग-वैक्टिंग मुझसे ना हो पाएगी",
"अब आप ही हमारा आखिरी सहारा हैं,आप ही हमारी नइया पार लगा सकते हैं",रामखिलावन बोला....
"अब ज्यादा हाथ जोड़ने की जरूरत नहीं है,अब ये बताओ कि मुझे करना क्या होगा"?खुराना साहब बोले....
फिर खुराना साहब की बात सुनकर सभी खुश हो गए और फिर दुर्गेश बोला....
"आपको अमीर व्यापारी की एक्टिंग करनी होगी",
"फिर इसके आगें",खुराना साहब ने पूछा...
तब दुर्गेश बोला....
"फिर रुआब के साथ जुझार सिंह के पास जाकर उसे पार्टनर बनने की गुजारिश करनी होगी और उससे ये भी कहना होगा कि मैंने सुना है कि आप तो उसी इलाके के हैं इसलिए आपसे गुजारिश है कि मेरे इस काम में पार्टनर बन जाइए,वो थोड़े अकड़े तो तब भी आप उसकी अकड़ बरदाश्त कर लेना",
"लेकिन मेरे पास इससे भी अच्छा आइडिया है",खुराना साहब बोले...
"वो क्या"?,सबने एक साथ पूछा...
"मैं रेस्टोरेंट की जगह जुझार सिंह से वहाँ सिनेमा हाँल खोलने की बात कहूँगा और मैं मालिक की नहीं मैनेजर की हैसियत से उसके पास गुजारिश लेकर जाऊँगा", खुराना साहब बोले....
"अगर आप मैनेजर बनेगे तो आपका मालिक कौन बनेगा"?,रामखिलावन ने पूछा....
"मैं चण्डीगढ़ की सबसे अमीर बूढ़ी महिला का मैनेजर बनकर उसके पास जाऊँगा",खुराना साहब बोलें....
"लेकिन वो अमीर बूढ़ी महिला कौन होगी"?,माधुरी ने पूछा...
"अब ये तुम्हारी परेशानी है कि अमीर बूढ़ी महिला की एक्टिंग कौन करने वाला है"?,खुराना साहब बोले...
"ये तो आपने बड़ी परेशानी में डाल दिया खुराना साहब"!,मालती बोली....
"अच्छा! मालती! अगर तुम बूढ़ी अमीर महिला बन जाओ तो",खुराना साहब बोलें....
"मैं....वो भला कैसें,मैं तो पढ़ी लिखी भी नहीं हूँ,अँगूठा छाप हूँ...ना भाई कोई गड़बड़ हो गई तो मैं कैसें सम्भाल पाऊँगी",मालती बोली....
"सभी अमीर बूढ़ी महिलाएंँ पढ़ी लिखीं नहीं होतीं मालती! तुम ऐसा क्यों सोचती हो कि कुछ गड़बड़ हो जाएगी",खुराना साहब बोले....
"हाँ! माँ! वैसे ही बिलकुल सही रहेगा,ऐसा करते हैं मैं तुम्हारा जवान पोता बन जाता हूँ जो अपने पैरों पर खड़े होने के लिए सिनेमा हाँल खोलना चाहता है और खुराना साहब हमारे मैनेजर बन जाऐगें,ये कैसा रहेगा",दुर्गेश बोला....
"ये तो एकदम सही रहेगा,लेकिन यहाँ पर एक दिक्कत है",माधुरी बोली....
"वो क्या"?,रामखिलावन ने पूछा....
" शुभांकर और उसकी बहन यामिनी तुम्हें देख चुके हैं और कभी तुम्हारी मुलाकात उन दोनों से हुई तो वें तुम्हें पहचान लेगें",माधुरी बोली...
"हाँ! माधुरी सही कह रही है",खुराना साहब बोले....
"तो अब क्या किया जाए"?,दुर्गेश ने पूछा....
"अब मालती भाभी ही एक्टिंग करेगीं बूढ़ी अमीर महिला का और खुराना साहब बनेगे मैनेजर",माधुरी बोली...
" हाँ! यही सही रहेगा",खुराना साहब बोलें....
और सभी इस योजना पर पुनः विचार करने लगे.....

क्रमशः....
सरोज वर्मा....