Saat fere Hum tere - 107 in Hindi Love Stories by RACHNA ROY books and stories PDF | सात फेरे हम तेरे - भाग 107

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सात फेरे हम तेरे - भाग 107

फिर अर्चना ने कहा कल फिर मिलेंगे और उसके बाद तुम अपने घर जाओगी।
नैना ने कहा मेरा कोई घर नहीं यहां पर।।
कुछ देर बाद विक्की आ गया और फिर बोला कि आज ही डिस्चार्ज मिल जाएगा तुम्हें।
नैना ने कहा हां ठीक है मैं होस्टल चली जाऊंगी।।

विक्की ने कहा नहीं नहीं अभी नहीं मुझे पहले तुमको ठीक करना है फिर जाओगी।
फिर नर्स ने डिस्चार्ज पेपर दे दिया और फिर बोली आज ही डिस्चार्ज हो गया।।
फिर विक्की ने नैना को हाथ देते हुए कहा कि चलो अब चलते हैं।
नैना खुद खड़ी हो गई और फिर विक्की के साथ जाने लगीं।
गाड़ी में दोनों साथ बैठ गए और ड्राईवर को कहा कि गाड़ी सीधे बंगले में चलों।
ड्राईवर ने कहा हां ठीक है।
फिर गाड़ी निकल गई और फिर नैना ने कहा मेरा बैग और मेरा सामान सब गया।
विक्की ने कहा हां किडनैपर्स वो सब डिस्पोजल कर दिए। किसी लेक पर।
और हां तुम टेंशन मत लो मैंने सब कुछ अरेंज कर के रखा है।
नैना ने कहा थैंक यू।
विक्की ने कहा देखो नैना तुम्हें यह सब से बाहर निकल जाना होगा।
फिर घर पहुंच गए।
दादी मां और दादाजी और अनिक सब नीचे ही थे।
उसके बाद जैसे ही नैना ने दरवाजा से अन्दर आने लगी तो दादी मां ने कहा रूक जाओ।
विक्की ने कहा अरे दादी मां नैना आई है देखो।
दादी मां ने कहा हां अब क्या देखु जो लड़की एक हफ्ते तक किसी पराये मर्दों के साथ रही हो उसका क्या हाल होगा।। और मेरे घर में ऐसा नहीं चलेगा।
विक्की ने कहा दादी मां ये आप कह रही हैं जिसने हमेशा सच्चाई का साथ दिया और फिर क्या क्या न किया। आज नैना एक अछूत हो गई।
दादी मां ने कहा हां जो सदियों से चला आ रहा है माता सीता को भी अग्नि परीक्षा देना पड़ा था तो ये नैना के साथ भी हो कर रहेगा।
नैना ने कहा हां ठीक है दादी मां मुझे भी अग्नि परीक्षा देना होगा उसके लिए आप ही बताइए कि क्या करना होगा।
दादी मां मैंने आपको एक मां का स्थान दिया था क्यों सदियों से सिर्फ औरतों को अग्नि परीक्षा देना पड़ता है क्यों एक पुरुष को नहीं।।
पर एक पुरुष ही नारी को असम्मान करता है और फिर ये सब एक नारी को ही सहना पड़ता है जहां मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया, जहां सीता ने भी रावण को न छोड़ा आप भी एक नारी हो और नारी का अपमान कर रही हैं।।
क्यों होता है ऐसा जिसमें मेरी को गलती नहीं।।
विक्की ने कहा दादी मां आज पहली बार आप ने मुझे शर्मिन्दा किया।
विक्की नैना के हाथ पकड़ कर आगे बढ़ने लगा।
दादी मां ने कहा हां ठीक है मैं ही गलत हुं।
पर जो भी हो नैना को भी अग्नि परीक्षा देना होगा।
दादाजी ने कहा कौशल्या क्या हो गया तुमको।
विक्की ने कहा हां जिस घर में औरत का सम्मान नहीं होता है।उस घर में देवताओं का भी वास नहीं होता है।

विक्की ने कहा ये लो दादी ये नैना का मेडिकल रिपोर्ट।
दादाजी ने कहा हां ठीक है मैं देखता हूं।। फिर विक्रम सिंह शेखावत नैना को लेकर कमरे में चला गया और नैना ने कहा मुझे प्लीज़ होस्टल में छोड़ दो‌।
विक्की ने कहा अरे बाबा तुम भी ना दादी मां का उम्र हो गया है तो वो कुछ भी बोल रही है।

दादाजी ने कहा देखो कौशल्या तुम ऐसा नहीं करो जिससे विक्की टूट जाए।
दादी मां ने कहा नहीं नहीं जब नैना इस घर की बहु बनेगी तो उसे अग्नि परीक्षा देना होगा।।

वरना ये कभी बहु का दर्जा नहीं मिलेगा।।
दादाजी ने कहा अरे पर मेडिकल रिपोर्ट तो देखो।।

दादी मां ने कहा कि जो भी हो मैं उसे अग्नि परीक्षा देने के लिए राजी कर लुंगी।

उधर ऊपर नैना बहुत ही विचलित हो रही थी और विक्की ने नैना को सूप पिलाने लगा।
और फिर नैना ने कहा मुझे नहीं पीना है।
विक्की ने कहा आपका मुड ठीक करने के लिए कुछ करें।

विक्की गाना गाने लगे हैं नैना को खुश करने की कोशिश करने लगे।
नैना रोने लगी।
।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
ज़िन्दगी गले लगा ले
हमने भी तेरे हर इक गम को
गले से लगाया है
है ना?

हमने बहाने से, छुपके ज़माने से
पलकों के परदे में घर भर लिया
तेरा सहारा मिल गया है ज़िन्दगी
ऐ ज़िन्दगी गले लगा ले...

छोटा सा साया था, आँखों में आया था
हमने दो बूंदों से मन भर लिया
हमको किनारा मिल गया है ज़िन्दगी
ऐ ज़िन्दगी गले लगा ले.।

विक्की ने कहा अब सो जाओ मैं हुं। नैना ने जैसे ही आंख बंद किया तो उसके आंखों के सामने वही मंजर आ गया जब नैना गोदाम में थी और रो रही थी चिल्ला रही थी पर वो फिर आंख खोल दिया और फिर रोने लगी।।

विक्की ने कहा अरे बाबा खुश रहो खुद को मजबूत रहो।
विक्की ने कहा अच्छा आओ तुम मेरे गोंद में लेट जाओ।
नैना को विक्की ने अपनी गोद में सुला कर बालों को सहलाने लगा और फिर नैना सो गई।
विक्की अपने कमरे में जाकर बैठ गया और फिर सोचने लगा कि कैसे नैना को इस सब से बाहर निकालें।
अनिक ने कहा अरे विक्की मुझे लगता है कि नैना को कहीं घुमाने ले जाना चाहिए।
विक्की ने कहा हां वही तो।
तभी कांता बाई आ कर बोली कि दादी मां ने बुलाया है।
विक्की ने कहा अरे बाबा अब क्या हुआ।
विक्की दादाजी के रूम में गया और बोला कि दादी मां आपने बुलाया।
दादी मां ने कहा देखो अगर नैना से शादी करना चाहते हो तो नैना को अग्नि परीक्षा देना होगा और तभी वो इस घर में रह सकती है।
विक्की ने कहा ये क्या नाटक है अब दादी मां ये सही नहीं है अगर मेरे साथ कुछ ऐसा हुआ होता तो क्या मुझे भी अग्नि परीक्षा देना होता।
दादी मां ने कहा ऐसा कैसे हो सकता है पुरुष को कभी ये सब परीक्षा नहीं देना पड़ता है।

जो भी हो उसे कल मैं अग्नि परीक्षा देने के लिए राजी करवा लुंगी।
उसे छ महीने के लिए वनवास में जाना होगा। तुम उससे नहीं मिलोगे और ना ही बात करोगे।
विक्की ने कहा दादी मां आप एक औरत हो कर एक दूसरे औरत को कैसे ये सजा दे सकती है।

दादी मां ने कहा देखो विक्की मैं जो कर रही हुं अच्छे के लिए हां।।
और रही बात तेरी शादी की तो फिर तू किसी और से शादी कर लें।
विक्की ने कहा अच्छा ऐसा कभी नहीं हो सकता है ये आप जानती है इतने सालों में कितनी लड़कियां आईं और गईं पर मैं सिर्फ उसी एक साथी का इंतजार करता रहा था और फिर जब वो मिली तो कितना समय लग गया उसे मनाने में। नैना को तो कितना दुख तकलीफ़ मिला है दादी मां अब आप ये सब।
दादी मां ने कहा हम जिस सामाज में रहते हैं वहां का नियम ये है।
विक्की ने कहा किस सामाज की बात कर रही है कहां था आपका सामाज जब नैना की किडनैपिंग हो गई थी।
दादी मां ने कहा बहस करना बेकार है।
ये वनवास खत्म होगा जरुर।
विक्की ने कहा हां ठीक है मैं भी देखता हूं।
विक्की वहां से चला गया।

विक्की रात भर सो नहीं पाया और अब वह परेशान हो गए थे पर अब क्या होगा।।
विक्की ने रेडियो चला दिया।।

नाराज़ सवेरा है।
नाराज़ सवेरा है
हर ओर अँधेरा है
नाराज़ सवेरा है
हर ओर अँधेरा है
कोई किरण तो आये कहीं से
आये आये
नाराज़ सवेरा है
हर ओर अँधेरा है
नाराज़ सवेरा है
हर ओर अँधेरा है
कोई किरण तो आये कहीं से
आये आये

नाराज़ सवेरा है…
ज़िन्दगी
दर्द है नाम है
हर ख़ुशी ढलती हुई
दुःख भरी शाम है
साँसों के ख़ज़ानून का
ये वक़्त लूटेरा है
कोई किरण तो आये कहीं से
रात की खामोशियों में
अनसुना हूर है
खींचती बांधे बिना ही
कौन सी ये दौर है

बेजान सलखूं ने
मेरी रूह को घेरा है
कोई किरण तो आये कहीं से
आये आये
नाराज़ सवेरा है…
वह मेरे बचपन का मौसम
वह ज़माना खो गया
मौत के साये में रह के
बुबान मैं हो गया
ज़ख्मों की ज़मीनों पे
ज़ुलमून का बसेरा है
कोई किरण तो आये कहीं से
आये आये।

गाना खत्म हुआ तो विक्की भी सो गया।


दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर तैयार हो कर विक्की नैना के कमरे में पहुंच गए पर नैना वहां नहीं थी।
फिर विक्की नीचे पहुंच गए तो देखा नैना को एक कटघरे में खड़ा कर दिया गया था और सब तमाशा देख रहे थे।
विक्की ने कहा दादी मां ये क्या हो रहा है।
नैना ने कहा अरे विक्की दादी मां को जो सही लगेगा वो करेंगी तुम कुछ मत बोलो।
दादी मां ने कहा हां छः महीने की बात है मेरे गुरु जी से बात भी हो गई है नैना को छ महीने तक वहां जाकर रहना होगा शुद्धीकरण के बाद ही नैना पवित्र हो जाएगी।
नैना को वहां पर सब काम करना होगा।
पौधों की देखभाल, जीवों की रक्षा और देखभाल।
अगर नैना ये सब अच्छे से कर लेंगी तो हो सकता है तीन महीने में ही वो वापस आ जाएं।
नैना ने कहा दादी मां मैं भी ये अग्नि परीक्षा देना चाहती हुं मैं एक नारी हुं और अपने सम्मान और आत्म रक्षा के लिए ये जरूर करूंगी।
विक्की ने कहा नैना तुम।
नैना ने कहा हां विक्की ये ठीक है।
दादी मां ने कहा हां नैना को वो सब कुछ त्याग करना होगा जिसका उसे मोह है उसकी चाह है।
वहां उसे सादा भोजन और सादा जीवन बिताना होगा।
नैना ने कहा हां ठीक है कब जाना होगा।
दादी मां ने कहा हां अभी कुछ देर बाद ही वहां से गाड़ी आएंगी।
नैना ने कहा हां ठीक है मैं तैयार हूं अपनी अग्नि परीक्षा देने के लिए।

क्रमशः।