Aurat ek Shakti - 4 in Hindi Women Focused by Shubhi Gupta books and stories PDF | औरत एक शक्ति - भाग 4

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औरत एक शक्ति - भाग 4

शिव्या को घर आये हुए एक हफ्ता हो गया था.। इस बीच केशव के बेहेवियर मे कोई अंतर नहीं आया था। उसका रोज का घर आना और पीके तमाशा करना। लिकेन आज तो उसने हद ही कर दी थी। पंखुरी सुबह काम पर जाती तो शिव्या को गीता के पास छोड़ जाती थी। और शाम को जब वापिस अति तो शिव्या को लेती और अपने काम निपटाकर शिव्या के साथ खेलती थी।
ऐसे ही हस्ते खेलते हुए दिन बीत रहे थे। लिकेन हर दिन एक से नहीं होते। शायद वो दिन आज था. आज पंखुरी की छुट्टी थी इसलिए वो घर पी ही थी। पंखुरी काम कर रही थी. और शिव्या वही साड़ी के बंधे झूले मे लेटी हुई खेल रही है।
पंखुरी,, लाडो मजा आरहा है ना झूलने मे।
यह कहेके वो उसे झूला झूला देती. है. फिर वो किचन मे जाकर बैठकर काम कर रही थी।.

पता है लाडो आज और कल मेरी छुट्टी है तेरी माँ तेरे साथ रेहगी । तभी केशव भागता हुआ अंदर आता है। पंखुरी,, क्या हुआ है तुम्हे.। केशव कुछ ढूंढ रहा था..। पंखुरी केशव के पास आकर क्या हुआ है क्या ढूंढ रहे हो। तुम बताओ. तो मुझे
केशव धक्का देते हुए हट जा मुझे पैसे चाहिए। ला दे मुझे।
पंखुरी उठते हुए पैसे कैसे पैसे मेरे पास कोई पैसे वैसे नहीं है. केशव पंखुरी के पास जाकर उसके बाल को खीच कर बता पैसे कहा रखे देदे वरना acha नहीं होगा। पंखुरी की आँख से असू आरहे थे वो रोते हुए मेरे पास कोई पैसे वैसे नहीं है। छोड़ दो मुझे।
तभी उनके घर का गेट कोई जोर जोर से पीतता है। और वाहर से आवाज आरही थी। साले गेट खोल पैसे लेकर भाग गया। अब लुटा मेरे पास।
पंखुरी और केशव उस तरफ देखता है। केशव के माथे पे पसीना आरहा था।
पंखुरी कौन है यह लोग यहाँ क्या कर रहे अब कुछ बोलो।
केशव,, चुप कर कुछ मत बोल और बाहर जाकर बोल मे घर पर नहीं हु. वो आगे कुछ बोलता उसे पहले वो लोग जो बाहर थे.। वो गेट खुलकर अंदर आजाते है।
पंखुरी देखती है दो आदमी थे। वो अंदर आकर केशव के पेट पे घुस्सा मरते हुए क्यों बे भाग कहा रहा है। पंखुरी केशव को छुड़ाते हुए क्यों मर रहे हो मेरे पति को। छोड़ दो।
वो आदमी पंखुरी को धक्का देते हुए कैसे छोड़ दे तेरे पति को साला रोज शराब पिने आता है अड्डे पर जैसे इसके बाप का अड्डा हो पैसे कौन देगा। इसके यह कहेके वो केशव को देखते हुए निकाल मेरे पैसे.
केशव हाथ जोड़ते हुए मेरे पास कोई पैसे नहीं है। तभी शिव्या रोने लगती है तो पंखुरी उसे अपनी गोद मे उठाकर चुप करने लगती है।
वो आदमी तेरे पास पैसे नहीं है। तो हम क्या करें यह कहेके वो पूरा घर छानने लगते है। इसके घर मे तो कुछ भी नहीं है। तभी उसकी नज़र शिव्या पर पड़ी. वो लोग पंखुरी के करीब आरहे थे। पंखुरी मेरे पास क्यों आरहे हो।
वो आदमी शिव्या को जबरदस्ती उसके गोदी मे से लेकर इसको लेकर चलते है। अच्छी लड़की कोई ना कोई तो खरीद लेगा इसे।
पंखुरी,, छोड़ दो मेरी बच्ची को। केशव यह मेरी बच्ची को लेजायगे उसे बचा लो.
वो लोग जाने लगते है तो पंखुरी उनके पैर पकड़ते हुए छोड़ दो मेरी बच्ची को कितने रुपए चाहिए मे देती हु तुम्हे.
वो आदमी हस्ते हुए तू देगी पैसे हमें तेरे पास पैसे है
पंखुरी खड़ी होते हुए भगति हुई वो संदूक के पास जाती है और उसमे से एक पोटली निकलते हुए यह लो इसमें मेरी बची हुई कमाई यह लो मेरी बच्ची को छोड़ दो।....