Sath Zindgi Bhar ka - 9 in Hindi Love Stories by Khushbu Pal books and stories PDF | साथ जिंदगी भर का - भाग 9

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साथ जिंदगी भर का - भाग 9

इस episode को समझने के लिए इस से पहले वाला episode जरूर पढे ।

अब देखिए आगे क्या हुआ

आस्था की जिंदगी आज से पूरी तरह बदलने वाली थी .... और उसे तो इस बात का अंदाजा भी नहीं था ....

उसके दिन की शुरुवात हर रोज की तरह शिवजी की आराधना करते हुये हुयी .... और एकांश की उसे देखते हुये .....

आस्था पूजा कर के किचन मे गयी और सबके लिये चाय नाश्ता बनाकर अपने कमरे में जाकर बैठ गयी ... कुँवराणीसा ....

आपको कुँवरसा बाहर बुला रहे हे नाश्ता करने के लिये . सर्वेंट ने आकर कहा आस्था फिर से घबरा गयी ....

उसे एकांश के सामने जाने से डर लगता था .... सिर्फ एकांश ही नही घर के और भी लोगो के सामने जाने से वो डरती थी .......

दाईमाँ और रुद्र छोड़कर उसने तो किसी से बात भी नही की थी ...

आस्था डरते हुये बाहर आ गयी ... छोटिसी भाभीसा .... आईये .... यहा भाईसा के के पास बैठीये ....

रुद्र ने उठकर एकांश के बाजू की चेयर पीछे खिच दी .... एकांश की नजरे उसकी और चली गयी ....

और हर बार की तरह इस बार भी उसके चेहरे पर डर देखकर उसे बुरा लगा

आस्था कैसे तभी घबराते हुये वहा बैठ गयी ... सर्वेट ने आकर उसे खाना सर्व किया ....

बाइट लेते हुये भी उसके हाथ काप रहे थे ..... वो एक भी निवाला ठीक से नहीं खा पा रही थी ....

आस्था ब्रेकफास्ट के बाद हमे बात करनी है ..... हमारे कमरे में आ जाईयेंगा ....

एकांश ने धीरे से उसके करीब आकर कहा और बस आस्था की सारी हिम्मत वही खत्म हो गयी ....

उसके बाद उसने एक भी निवाला नहीं खाया एकांश अपने रुम मे आस्था का इंतजार कर रहा था .....

आस्था किसी तरह वहा पहोच गयी .... उसका सर निचे ही था .... और वो अपने ओढनी पर की अपनी पकड मजबूत कर रही थी ....

क्या आप यहा कमफरटेबल नही है ..एकांश ने उसकी बेचैनी को देखते हुये कहा

बा ... बाहर बात क ... करे .... आस्था ने धीरे से कहा .... एकांश का इस तरह उसे अपने रुम में बुलाने का मतलब उसने अलग ही निकाल दिया था ....

वो थी तो एक बच्ची ही ना ....

जिसे उसकी माँ ने हमेशा यही बताया था की मर्दों से दूर रहे ..... किसी के नियत का कुछ कह नही सकते ....

और उस रात के हादसे के बाद तो उसके दिल में मर्दो को लेकर और भी डर बैठ चुका था ..

एकांश को उसकी हरकते देखते हुये अंदाजा आ . चुका था की वो क्या सोच रही है ..... आस्था हमारे बारे मे ये सोचती है ....

ये बात जानकर उसे बहोत बुरा लगा ...... अगर आप चाहे तो हम बाहर गार्डन में भी बात कर एकांश ने कहा सकते है .... !

आस्था ने झट से हा कहा और उसकी और देखा ..... फिर से उसकी वो हरी आखें देखकर एकांश उसमे खो गया ....

और आस्था उसे अपनी और इस तरह देखता हुये पाकर असहज हो गयी ....

उसने अपना सर झुका लिया चले .... एकांश आगे बढ़ गया और आस्था उसके पीछे ...

दोनो गार्डन में आ गये एकांश समज चुका था की आस्था उससे इतने जल्दी फ्रेंडशीप नही करने वाली ....

उसकी दुनिया हमारी दुनिया से बहोत अलग है ....

इसिलिए उसने फ्रेंडशीप वाली बात बोलना अवोइड़ कर दी

आपकी तबियत कैसी हे अब ... filling better na ..

एकांश हा ....

आस्था मेडिसिन ली .... एकांश

हम्म . आस्था

कोई प्रोब्लेम हे क्या .... एकांश

नही आस्था

आस्था का इस तरह से हा और ना में जवाब देना एकांश को बहोत बुरा लग रहा था ...

फिर भी उसने आगे कहा आप आज जाकर कॉलेज की फोर्मलिटी पुरी कर दिजीये ....

नेक्स्ट विक से आपका कॉलेज शुरू हो जायगा......

एकांश हम्म .... आस्था के चेहरे पर स्माइल आ गयी ..... और साथ ही में उसके गालो पर डिपल ....

एकांश उसे देखता ही रह गया ये थोडे पैसे ले लिजिये .... दाईमाँ के साथ जाकर शॉपिंग किजीये .

एकांश ने उसे नोटो की गद्दी देते हुये कहा क्या शॉपिंग करु . आस्था का मासूमी भरा

सवाल

जो आपको चाहिये .... यूनिफॉर्म .... बूक्स .... और भी .... जो आपको पसंद आये .... एकांश ने मुस्कुराते हुये जवाब दिया

हम्म .... आस्था

आप कॉलेज अकेले जा पायेंगी .... या फिर हम हमारा मतलब रुद्र को भेजे आपके आये . साथ ....

एकांश खुद ही उसके साथ जाना चाहता था ....

और ये कहते हुये वो रुक गया और रुद्र का नाम ले लिया नही ... मैं जाऊंगी .... अकेले .... आस्था ओके ....

एकांश ने कहा और वहा से वो चला गया ...

आस्था भी उसकी तरफ देखने लगी . जब तक उसकी कार गेट से बाहर नही चली गयी ..

🤩🤩🤩🤩

दाईमाँ .... आस्था ने खुश होकर आवाज दी क्या बात हे आज हमारी बेटी बहोत खुश लग रही हे .....

दाईमाँ ने प्यार से उसके सर पर हाथ रखते हुये कहा

हम आज कॉलेज जा रहे हे .... कुँवरजी ने कहा .. आस्था ये तो बहोत अच्छी बात हे .... दाईमाँ

दाईमाँ .... ये पैसे .... कुँवरजी ने दिये .... शॉपिंग करने के लिये ....

आस्था तो फिर कब जा रही हे आप शॉपिंग के लिये ... दाईमाँ

जब आपके पास वक्त हो ........

हम अकेले थोड़ी जायेंगे .... आस्था अच्छा ठीक है .... कल चलते हे .... आज तो आप कॉलेज जायेंगी ना ....

दाईमाँ हा .... ये पैसे आप अपने पास रख दिजीये ना ..... हमे नही चाहिये .... हमारे पास हे हमारे पैसे ... आस्था

Hey guys ......

आपके लिये न्यू स्टोरी लिख रही हु

...... लेकिन इसे कब पोस्ट करना हे ये आपके कमेंट पर डिपेंड ह

........ अगर आपको ये स्टोरी रीड करने के लिये पसंद आयी तो बहोत सारे

COMMENT किजीये

ताकी इसका पार्ट जल्दी जल्दी पोस्ट कर सकू

Thankyuu

" और इस डेस्टिनी का पाठ कल तक आ जाएगा "


Plzz guys support my first story


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To be continued .......... .......... .......

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