Sath Zindgi Bhar ka - 2 in Hindi Love Stories by Khushbu Pal books and stories PDF | साथ जिंदगी भर का - भाग 2

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साथ जिंदगी भर का - भाग 2

आइए देखते हैं अब क्या हुआ

अपने पीछे के खतरे से अनजान आपका घर पहुंची फ्रेश होकर खाना खाया अब तो उसे कुछ दिन पढ़ाई भी नहीं करनी थी तो अपना थोड़ा का काम किया और आंगन में ही रखी हुई चारपाई पर सो गई वैसे भी उसके घर को चारों ओर से बड़ी-बड़ी दीवारे थी इस वजह से उसे कुछ नहीं लगा 5:30 बजे के आसपास उसकी नींद खुली वह इतने दिनों से सोई नहीं थी तो उसे कुछ नहीं लगा फ्लैश होकर घर के काम किया और अपनी मां के लिए खाना बनाया आज उन्हें आने में बहुत लेट हो गया था 7:00 बज रहे थे अभी तक वह नहीं आई थी दरवाजे पर दस्तक होने की वजह से आस्था ने दरवाजा खोला उसे लगा कि उसकी मां है लेकिन उसे क्या पता था कि दरवाजे के बाहर बहुत बड़ा खतरा उसके इंतजार कर रहा है

आप कौन आस्था अंदर तो आने दो नीरव जी वह मैं घर पर नहीं है बाद में आइए आप आस्था

पता है वह घर पर नहीं है और जल्दी भी नहीं आएंगी उन्हें हमने बंद करके जो रखा है नीरज ने कहा और जब बजट जबरदस्ती अंदर आ गया उसकी गंदी नजर आस्था के बदन को देख रही थी क्या बदतमीजी है यह निकलो मेरे घर से आस्था

ऐसे कैसे बेबी यार तुम से अकेले मिलने के लिए कितने पापड़ बेलने पड़े हैं पता भी है तुम्हें तुम्हारी मां को बंद करना आसान काम थोड़ी ना था नीरव ने कहते हुए अपने हाथ उसकी कमर पर लपेट लिए

छोड़ो मुझे जाने दो आस्था ने अपने हाथों से उसे धकेलना शुरू कर दिया लेकिन उसके मजबूत हाथों की पकड़ से छूट पाना उसके लिए ना मोनिक नामुमकिन था नीरज ने अपनी पकड़ उस पर और भी ज्यादा मजबूत कर ली और उसके गले को चूमने ही वाला था तब तक आस्था ने अपनी उंगलियां उसकी उसके आंखों में चुभो दी

जैसे ही उसकी पकड़ ढीली हो गई आस्था वहां से घर के अंदर भागने लगे लेकिन उतने में ही नीरव ने उसे पकड़ लिया और उसे ज़ोर से ही वही आंगन में मौजूद चारपाई पर फेंक दिया

आस्था की आंखें भर आई उसके उठने से पहले ही वह उस पर आ गिरा और जबरदस्ती उसकी ओढ़नी खींचने लगा आस्था भी पूरे जोर से अपनी ओढ़नी को पकड़े हुए थे जाने दो ना प्लीज मैंन क्या बिगाड़ा है तुम्हारा आस्था रोती हुई बोलने लगी

नीरव सिर्फ पागलों की तरह हंस रहा था वह था कि और झुक गया इससे पहले कि कुछ कर पाता किसी ने उसे पीछे से खींच लिया मां कहते हुए आशा उनसे लिपट गई तुम्हें तो बंद किया था ना नीरज मैं वहां से भाग गए मुझे मेरी बेटी को जो बचाना था लेकिन अब तुझे मुझसे कोई नहीं बचा सकता

कहते हुए उन्होंने अपने पैर हाथ में की लकड़ी उसे मार दी निरहू स्मार्ट से बचने की कोशिश कर रहा था लेकिन एक माह की ताकत के आगे उसकी ताकत कम पड़ गई थी नीरव ने गुस्से में आकर उन्हें धक्का दे दिया और वहां से भाग गया वह संभाल भी नहीं पाई और पीछे की ओर जा गिरी उनका सर वहीं मौजूद पत्थर पर जा गिरा और कुछ ही पल में वहां से खून की धार निकल आई

मां उठो क्या हुआ है तुम्हें मां आस्था ने रोते हुए कहा यह सब दरवाजे पर खड़े अजिंक्य जी देख रहे थे वह कुछ कर पाते उससे पहले ही नी रब रा वृंदा जी को धक्का दे चुका था

उन्होंने बिना समय गवाएं ड्राइवर से वृंदा जी को उठाने को कहा और गाड़ी की ओर बढ़ गए आस्था भी भूत बने उनके पीछे आ गई थी

गाड़ी फुल स्पीड में दौड़ रही थी कुछ ही मिनटों में वह पुणे के एक बड़े हॉस्पिटल में पहुंच चुके थे डॉक्टर बचाइए इन्हें पैसों की फिक्र आप मत कीजिए जस्ट सेव हर लाइव अजिंक्य ऑपरेशन थिएटर में वृंदा जी पर इलाज चालू था आस्था का रो रो कर बुरा हाल हो चुका था और अजिंक्य जी बस खड़े हुए देख रहे थे

वह जिन से अपने बेटे की जान बचाने के लिए उम्मीद लेकर आए थे उनकी जान खतरे में थी कुछ देर बाद वहां महागुरु भी आ गए 6 घंटे तक ऑपरेशन जारी रहा डॉक्टर बाहर आ गए आस्था के मुंह से एक ही अल्फाज निकल रहा था माँ ............ माँ ............. वह बस सिसकियां ले रही थी

अजिंक्य जी ने ही सामने आकर कहा डॉक्टर कैसी हैं वह अजिंक्य अजिंक्य जी क्रिटिकल कंडीशन है उनके पास ज्यादा वक्त नहीं है सर पर बहुत गहरी चोट लगी है ज्यादा से ज्यादा कुछ ही मिनट है उनके पास उन्हें रूम में शिफ्ट कर दीजिए आप मिल लीजिए

डॉक्टर की यह बात सुनकर आस्था घुटनों के बल नीचे बैठ गई और रोने लगी अजिंक्य जी ने उसे उठाकर बेंच पर बिठा दिया मैं मां से मैं मी मी मी लव ना है आस्था हां लेकिन पहले मैं मिलकर आता हूं अजिंक्य आता वहां बैठी रही अजिंक्य और महा गुरु जी वृंदा से मिलने अंदर चले गए

शांत रहिए आप सादा बातों से आपको तकलीफ होगी यह यही समय तो नहीं है फिर भी फिर भी मैं चाहता हूं कि आप आज तक की शादी मेरे बेटे एकांश से करवा दीजिए अजिंक्य जी ने एक साथ में कहा वह भी मजबूत है

अपने बेटे के लिए वृंदा जी की आंखों से आंसू निकल गए बेटा देखो उन दोनों की किस्मत एक दूसरे से जुड़ी हुई है वह हमसफ़र हैं एक दूसरे के मान जाओ इस रिश्ते के लिए स्वामी नंदा जी वृंदा जी सिर्फ सिर्फ आंसू बहाती रही

देखिए आपके जाने के बाद आस्था वैसे भी अकेली हो जाएगी अकेली रहे इस से अच्छा है कि वह हमारे साथ हमारे घर की बहू बन कर रहे आप ही बताइए क्या आपको अच्छा लगेगा कि उसका अकेले रहना अजिंक्य जी ने कहा वृंदा जी सोच में पड़ गई

मेरे होते हुए यह सब हो गया तो मेरे जाने के बाद नहीं नहीं नहीं मेरी आस्था ठीक है आस्था को बुलाइए वृंदा आस्था को नर्स ने बुलाया बोर होते हुए उनसे लिपट गई सिर्फ मां ही अल्फाज उसके मुंह से निकला

आस्था ए के बेटे से शादी कर कर लो मैं मेरे बाद इनके साथ साथ जाओ खुश रहो हमेशा रो रो रोना नहीं है वादा करो मां से हम वादा करते हैं वृंदा मां लेकिन मुझे छोड़कर मत जाओ आस्था कहा ना रो रो रोना नहीं है

मां ने उसके सर पर हाथ रखा आस्था उनका हाथ थाम थी उससे पहले ही वह बेजान हो गई मां कहते हुए आस्था बेतहाशा रोए जा रही थी अजिंक्य जी ने उसके सर पर हाथ रखा और कुछ देर के लिए वह बाहर चली गई

वृंदा जी को गए हुए 13 दिन हो चुके थे ............

अजिंक्य जी ने हॉस्पिटल के सारी फॉर्मेलिटी पूरी की और......

पूरे रित से उनका अंतिम संस्कार किया.....

आस्था की ऐसी हालत नहीं थी कि उसे.......

राजस्थान ले जाया जाए इसलिए उन्होंने .......

दाई मां एकांश और बाकी सब बच्चों को जिन्होंने संभाला था और जो बहुत सालों से अजिंक्य की वफादार थी....

और अपने 2 लोगों को आस्था के rishtedar बताकर उसके घर पर रुका दिया.........

उस रात के हादसे के बारे में किसी को कुछ भी जानकारी नहीं थी सभी को यही बताया गया था कि उनकी गिरने की वजह से मौत हो गई है गांव के लोगों ने भी आस्था से हरदा हमदर्दी जताई इन 13 दिनों में आस्था की हालात बहुत ही ज्यादा खराब हो चुकी थी

ना कुछ खा रही थी और ना ही ठीक से सो रही थी हमेशा रोती रहती थी दाई मा के बहुत समझाने पर फिर भी उसकी हालत जैसे कि वैसे ही थी दाई मां के अपने बच्चे नहीं थे वह सबसे ज्यादा एकांश से प्यार ही करती थी उन्हें एकांश की कुंडली के बारे में सारी जानकारी थी और यह भी पता था कि सिर्फ आस्था ही ऐसी है जिसकी वजह से उनके कुंवर सा का मृत्यु योग कर सकता है

इसलिए वह आस्था को अपनी बेटी जैसा ध्यान रख रही थी इन दिनों आस्था भी उनसे थोड़ी बहुत जुड़ चुकी थी आस्था बेटा कुछ तो खा लो दाई मा भूख नहीं है आस्था ऐसे कैसे तुमने कुछ भी नहीं खाया है बेटा दाई मा आस्था मां क्यों चली गई मैं उनके बिना नहीं रह सकती उनसे कहो ना वापस आ जाएं दाई मा बेटा जो एक बार चला गया है वह वापस थोड़ी ना आता है

आस्था मुझे मां चाहिए दाई मा मैं भी तो तुम्हारे मां जैसी हूं फिर भी मां चाहिए आस्था ने रोते हुए कहा उसकी हालत देखकर दाई मा को भी बहुत बुरा लग रहा था तो वह 15 साल की बच्ची ना जिसकी दुनिया सिर्फ उसकी मां के आसपास ही थी और आज वह उसके साथ नहीं थी

उसके सारी खुशियां उससे दूर हो चुकी थी दाई मा के काफी समझाने पर भी उसने कुछ नहीं खाया बस रोती रही आखिर थककर दाई मां ने अजिंक्य जी को फोन किया और सारी बातें बता दे अजिंक्य जी ने अपने बाबा सा और स्वामी नंद गुरु जी से बात की हमें पता है कि यह समय ठीक नहीं है लेकिन दो दिन बाद बहुत ही शुभ मुहूर्त है

अगर उस समय के कुंवर सा और आस्था का विवाह हो जाए तो यह उन दोनों के लिए बहुत शुभ होगा स्वामी नंद जी आप जैसा कहेंगे वैसा ही होगा क्यों अजिंक्य दादा सा जी कुछ कहा आपने बाबा साहब अजिंक्य क्या हुआ किस बारे में सोच रहे हैं आप दादा सा बाबा सा एकांश नहीं मानेंगे शादी के लिए

अजिंक्य यह तो आपने सही कहा वह भगवान में विश्वास रखते हैं लेकिन कुंडली मूरत इन सब को अंधविश्वास मानते हैं और इन सबके चलते वह यह व्यवहार नहीं करेंगे दादा साहब और एक बात और बाबसा

आस्था सिर्फ 15 साल की है मानता हूं मैंने गलत किया बहुत गलत किया उनके साथ उनकी मां के अंतिम समय में मैंने अपने स्वार्थ के लिए इन दोनों के शादी की बात की और वह मान ली है लेकिन फिर भी वापस आ पता नहीं है क्यों मेरा दिल इसे के लिए नहीं मान रहा है छोटी है वह अभी शादी जैसे रिश्ते को कैसे संभाल पाएगी अजिंक्य

अजिंक्य क्या कह रहे हैं आप यह शादी हम हमारे एकांश कुंवर सा के हिफाजत के लिए कर रहे हैं और आप हैं कि दादा साहब सॉरी बाबा साहब वह बस हमें अब एकांश से बात करनी होगी 2 दिन बाद शादी है और आस्था को भी यही लाना है अजिंक्य ना दादा सा ने सभी को हॉल में बुलाया वह सब एकांश का इंतजार कर रहे थे

एकांश के आने के बाद अजिंक्य जी ने कहा एकांश आपकी शादी हो रही है 2 दिन बाद अजिंक्य जी ने बाबसा क्या कहा आपने एकांश ने हैरानी से पूछा इसके साथ-साथ घर के बाकी सभी लोग भी बहुत ज्यादा हैरान थे

हमने कहा आपकी शादी है 2 दिन बाद अजिंक्य शादी मूवी दो दिन बाद अजिंक्य क्या कह रहे हैं आप धनुष Ji Bhai Sahab

हमारे कुंवर सा की शादी है अजिंक्य लेकिन किसके साथ कहां की प्रिंसेस है या फिर किसी बिजनेसमैन की बेटी है मृणाल एक आम लड़की है गांव में रहती है अजिंक्य गांव की लड़की के साथ शादी लेकिन क्यों बड़ी दादी

क्योंकि उनकी मां की मौत हमें बताते हुए हुई है apni जान गवा कर उन्होंने हमें बचाया है और इसके बदले हमने आपका और उनकी बेटी के शादी का वचन दिया है अजिंक्य ने झूठ बोला वह जानते थे सब सच जानने के बाद एकांश कभी भी यह शादी नहीं करेगा जान बचाने के बदले शादी ऐसा कौन करता है अजिंक्य छोटी दादी

आप कहिए एकांश आपके बाबा सा का वचन आप पूरा करेंगे या नहीं अजिंक्य ठीक है हम तैयार हैं एकांश जब तू और साथ ही मान गए हैं तो हमें भी कोई एतराज नहीं है तस्वीर दिखाइए हम हमारे होने वाली कुंवर रानी सा की बड़ी दादी सा ने कहा और सभी ने उनकी बात को समर्थन दिया

अभी तस्वीर नहीं है आप शादी के वक्त मिल लीजिएगा और वैसे भी फिलहाल ये शादी सीक्रेट ही रहेगी और मंदिर में ही होगी दादा सा ने कहा और सबको अपने अपने रूम में भेज दिया

एकांश भी अपने कमरे में आ गया अपने बाबा साहब के फैसले से वह काफी सरप्राइज था लेकिन फिर भी वो उनके लिए वचन को तोड़ना नहीं चाहता था किसी सोच में गुम है

आप एकांश अजिंक्य ने उनके कमरे में आते हुए कहा कुछ नहीं बाबा सा आप आइए एकांश आप तैयार है ना अब इनके आपका वचन हमारे लिए बहुत मायने रखता है बाबा साहब हम तैयार हैं शादी के लिए लेकिन एक मर जाने हैं आप पर हमला कब और कैसे एकांश

इस बात को छोड़िए एकांश आराम कीजिए कल बहुत काम है अजिंक्य

बाबा सा शादी इतनी जल्दी अभी तो उनकी मां की मौत हुई है क्या यह सही रहेगा एकांश आस्था का भी अभी कोई नहीं

अपने पिता को वह बचपन में ही खो चुकी थी अकेले रहने से अच्छा है वह हमारे साथ रहे इसलिए शादी 2 दिन के बाद ही होगी अजिंक्य ठीक है एकांश ने ज्यादा कुछ नहीं कहा अपनी बाबा का कुछ सवाल करना मतलब उनका अपमान करना और एकांश यह कभी नहीं चाहते थे

उसने आकाश और अजय को अपने बाबा सब पर हुए हमले के बारे में पता लगाने को बोला साथ ही मैं आस्था को की भी इंफॉर्मेशन निकालने के लिए कहा अगले दिन सुबह सब शॉपिंग पर गए थे और अजिंक्य जी आस्था से मिलने आस्था आप ठीक है अब अजय के जी आस्था ने सर झुकाते हुए कहा लेकिन है ना आपने हमें पहचाना होगा अजिंक्य आपको कैसे भूल सकती हूं

आपके जैसे तो मैं इस मुसीबत से बच पाई हूं और मां का इलाज भी आगे आस्था कुछ बोल ही नहीं पाई अजिंक्य जी ने उसके सर पर हाथ रखा हमें अफसोस हैं हम उन्हें बचा नहीं पाए अजिंक्य आपने कोशिश की थी लेकिन मां का साथ उतना ही था आस्था अपने आंसुओं को रोकने की कोशिश करते हुए कहा अपनी मां की अंतिम इच्छा निभाएंगे

आस्था वह आपकी और हमारे एकांश की शादी चाहती ज थी जानते हैं आपके लिए अभी मुश्किल वक्त है लेकिन क्या आप तैयार हैं शादी के लिए अजिंक्य आस्था के आंखों से आंसू बहने लगे कितने सपने थे

उसके पढ़ाई करना अपनी मां को अच्छे से जिंदगी बिना गाड़ी लेना लेकिन इस हादसे के बाद सब बदल गया वैसे ही रोते हुए उसने हां में सर हिला दिया अपनी मां की ख्वाहिश के लिए अपने सपनों को छोड़ दिया खुश रहिए अजिंक्य ने उसके सर पर हाथ रखा अपना सारा सामान ले लीजिए हम अब राजस्थान जा रहे हैं हमेशा के लिए कल आपकी शादी होगी अजिंक्य

आस्था अपना सामान बांध ने लगी और मां की सभी तस्वीर उसने ले ली अपनी बुक लेते हुए उसको ख्याल आया कि पता नहीं आगे से पढ़ने में को मिलेगा या नहीं मैं रखे हुए कंप्यूटर को देख कर उसे याद आया कि मां ने कितनी मेहनत करके उसके लिए वह खरीदा था घर के हर कोने में उन दोनों की यादें बसी हुई थी

कुछ दिन पहले उसने अपनी मां को खो दिया अब उनकी शादी सारी यादों को खोने जा रही थी वह बेतहाशा रोए जा रही थी लेकिन आज उसके आंसू पहुंचने वाली उसकी मां कहीं भी नहीं थी आप अपना पूरा सामान लेकर बाहर आ गई अजिंक्य जी की गाड़ी आगे निकल चुकी थी दूसरी गाड़ी में वह दाई मां दोनों बैठ गए बूझे मन से ही सही लेकिन उसने अपने हमसफर को और अपना कदम बढ़ाया था

यकीनन आगे उसे बहुत खुशियां मिलने वाले थे लेकिन उन खुशियों को पाने के लिए पता नहीं कितने गमों को सहना था राजस्थान को आते आते उन्हें सुबह हो गई नाश्ता करके वह थोड़ी देर सो गई शाम को उसकी शादी थी एक ऐसे शख्स के साथ जिसका सिर्फ उसे नाम ही पता था उसके लिए अजिंक्य जी ने मेकअप आर्टिस्ट को भेजा था

जिसे आस्था ने मना करके वापस भेज दिया और खुद से ही तैयार हो गई सुर्ख लाल जोड़ा बारीगे ने कंगन चूड़ियां और भी बहुत कुछ आया था उसके लिए भले ही उसका रंग काला था लेकिन मैंने बहुत ही अच्छे थे उसकी हरि आंखें और घुटनों तक के बाल जिनका बन बांधा हुआ था और उसके लुक और को और अच्छा बना रहे थ

प्यारी लग रही हैं आप दाई मां आस्था सिर्फ इतनी सी हंसी मुस्कुरा दी दाई मा ने उसका चेहरा घुंघट ढक दिया और उसे लेकर मंदिर की ओर चल दी

एकांश अपने पूरे फैमिली के साथ पहले ही मंदिर में आ चुका था दूल्हे के जोड़े में बम बहुत ही हैंडसम दिख रहा था उसका गोरा रंग हल्की बेयर्ड किलर स्माइल आस्था के आते ही पंडित जी ने शादी की रस्मों को शुरू कर दिया

आस्था किसी बेजुबान गुड़िया के जैसे ही हर एक रसम को निभा रही थी आनंदी में आकर दोनों का गठबंधन किया बिना आस्था को देते ही एकांश ने उसके गले में मंगलसूत्र बांध दिया मांग में सिंदूर भर दिया

उन्होंने फेरे लिए हर एक फेरे के साथ एकांश सच्चे दिल से आस्था का साथ निभाने का वचन दे रहा था सारी विधियों को पूरा कर वह सब पैलेस लौट आए और पूरे रीति रिवाजों के साथ आस्था कहां ग्रह प्रवेश हुआ आखिर में बारी आई मुंह दिखाई की जैसे ही आस्था का घूंघट हटाया गया सबके चेहरे पर गुस्से से मिले जुले भाव आ गए

सी यू इन नेक्स्ट पार्ट

कमेंटिंग एंड स्टे कनेक्टेड

Hey guys ......

आपके लिये न्यू स्टोरी लिख रही हु

...... लेकिन इसे कब पोस्ट करना हे ये आपके कमेंट पर डिपेंड हे

........ अगर आपको ये स्टोरी रीड करने के लिये पसंद आयी तो बहोत सारे

COMMENT किजीये

ताकी इसका पार्ट जल्दी जल्दी पोस्ट कर सकू

Thankyuuuu

" और का पाठ कल तक आ जाएगा "

Plzz guys support my first story

.............. ... . ..

To be continued .......... .......... .......

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