Vishwash - 34 in Hindi Human Science by सीमा बी. books and stories PDF | विश्वास - कहानी दो दोस्तों की - 34

Featured Books
  • You Are My Choice - 41

    श्रेया अपने दोनो हाथों से आकाश का हाथ कसके पकड़कर सो रही थी।...

  • Podcast mein Comedy

    1.       Carryminati podcastकैरी     तो कैसे है आप लोग चलो श...

  • जिंदगी के रंग हजार - 16

    कोई न कोई ऐसा ही कारनामा करता रहता था।और अटक लड़ाई मोल लेना उ...

  • I Hate Love - 7

     जानवी की भी अब उठ कर वहां से जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी,...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 48

    पिछले भाग में हम ने देखा कि लूना के कातिल पिता का किसी ने बह...

Categories
Share

विश्वास - कहानी दो दोस्तों की - 34

विश्वास (भाग --34)

सुबह टीना जल्दी उठ गयी थी। घर में काम करने वाले लोग कई थे। पर रसोई में ज्यादा- तर काम भुवन की माँ ही करती थी।
सुबह टीना ने सबके लिए चाय बनायी। भुवन के पापा तो गुस्सा हो गए।
टीना बिटिया तुझे कोई काम नहीं करना है, बस तुझे तो देखना है कि सब काम ठीक से हो रहा है या नहीं।
"ठीक है अँकल जी वो भी देख लूँगी, पहले चाय पी कर बताओ आपकी बिटिया ने कैसी बनायी है"?
चाय तो बहुत अच्छी बनी है बिटिया , क्यो शांता ?
हाँ टीना बहुत अच्छी बनी है, बिल्कुल जैसे तुम्हारे घर पर बनी थी।
अँकल जी गुस्सा मत करना ,पर आज का नाश्ता मैं बनाऊँगी, आँटी जी के हाथ का तो रोज खाते हो।
ठीक है बिटिया पर मोहन या कजरी को साथ रखना मदद के लिए।
टीना ने सबके लिए पोहा और ढोकला बनाया। नाश्ता बनने तक रवि वगैरह भी आ गए।
पहले दिन टीना के हाथ का नाश्ता करके सब ने उसकी खूब तारीफ की। भुवन ने टीना को बताया कि नाश्ता सच में बहुत अच्छा था शेरनी।
बाकी का सारा दिन भुवन और उसके भाईयों के साथ थोड़े बहुत काम और खूब मस्ती में बिता दिया।
नरेन के साथ सरला चाची को मिल कर आयी और दादी की भेजी मिठाई भी दी।
कुछ देर वो संध्या को मिल कर आई।
नरेन उसको छोड़ कर ये कह कर चला गया कि जब आना हो तो फोन कर देना।
भुवन का दो दिन घर से निकलना बंद था।
संध्या के हाथों पर कल मेंहदी लगनी थी, जो टीना के हाथ भेजी गयी।
संध्या दी, जैसे भुवन आपको संधु कहते हैं तो आप उनको प्यार से कुछ बोला करो मेरे दोस्त को अच्छा लगेगा।
"भुवन तो संधु मेरी माँ कहती थी, इसलिए कहता है, उसको तो सब भुवन कहते हैं तो तुम बताओ क्या बोलना चाहिए"? संध्या ने हँसते हुए कहा।
आप "भुवी" कहो, अच्छा लगेगा।
तुम भुवी कहती हो?
नहीं मैं तो भुवन ही बोलती हूँ । टीना ने कहा
भुवन ठीक कह रहा था कि तुम अपनी बात मनवाना जानती हो।
"नहीं दी, अगर आप कहना चाहो तो कहना, जबरदस्ती नहीं है, मैंने तो स्वीट लगेगा इसलिए सुझाव दिया बस"। टीना को लगा कि संध्या को पसंद नहीं आया इसलिए उसने तुरंत अपनी सफाई दे डाली।
"रिलैक्स टीना, मैं मजाक रही हूँ। मुझे अच्छा लगा कि तुम इतना सोचती हो मेरे बारे में"।

संध्या ने आगे कहा, "ठीक है भुवी बोलूँगी देखती हूँ तुम्हारा दोस्त नोटिस भी करेगा या नहीं" , इस बार संध्या ने मुस्करा कर कहा तो टीना भी थोडी मुस्करा दी।
टीना शगुन की मेंहदी लायी थी तो संध्या के पापा ने उसे शगुन और मिठाई दी।
नरेन को फोन किया तो वो तुरंत आ गया।
घर जा कर उसने शगुन और मिठाई भुवन की माँ के हाथों में दी।
टीना शगुन तुम रखो और मिठाई तुम जाते हुए ताजी ले कर जाना।
आँटी जी शगुन तो हम सबका हुआ। उसने नरेन, रवि, राजेश और श्याम के साथ बाँट लिया।
भुवन जब भी टीना से मिला उसको हमेशा टीना का एक अलग रूप ही देखने को मिला।
पापा को टीना से इतना लगाव उसके लिए एक चमत्कार से कम नहीं है।
खैर जो भी है, पर टीना बहुत खास लडकी है, उसकी दोस्ती की अहमियत समझता है वो।
यही सब टीना कई बार भुवन और उसके परिवार के लिए सोचती है।
रवि को टीना के आने से घर का माहौल थोड़ा हलका सा लगने लगा है, पहले तो हर वक्त पढाई और किताबें ही डिसक्स होती
रहती थी।

राजेश और श्याम को तो जैसे बड़ी बहन मिल गयी है।
जो टीना कहती है वही करते हैं।
बस एक नरेन है, जो जैसे पहले था वैसे ही मस्तमौला अब भी है।
अगले दिन भुवन को भी थोडी मेंहदी लगा कर रस्म करनी थी।
भुवन ने ज्यादा मेंहदी स् साफ मना कर दिया।
टीना ने उसकी एक हथेली में मैंहदी से संध्या का S और भुवन का B लिख दिया।
दूसरी हथेली में बीच में मेंहदी रख दी। गोलाकार कर दिया गया, जैसे सिक्का रख दिया हो।
रात को संगीत की महफिल जमी हुई थी।
आस पड़ोस की औरते लोकगीत गा रही थी, जो टीना को कम ही समझ आ रहे थे।
भुवन उस टाइम किसी से फोन पर बात कर रहा था।
एकदम से म्यूजिक सिस्टम पर नरेन ने गाना चला दिया.... डी़ जे. वाले बाबू मेरे गाना चला दो, बस फिर क्या था.... सब बच्चे नाचना शुरू हो गए।
टीना जो सबको नाचते हुए खुश हो रही थी, नरेन और राजेश उसको भी खींच कर ले गए।
टीना ने मना किया पर सब उसे थोड़ा सा ड़ांस करने की जिद करने लगे तो टीना को करना पड़ा।
तब तक भुवन भी आ गया था। जब टीना ने डांस करना शुरू किया तो बाकी के लड़को को हटा दिया गया।
बस टीना के साथ 2-3 लड़कियाँ डाँस कर रही थी।
भुवन ने गाना खतिम होते ही उसको इशारे से अपने पास बुला लिया।
"शेरनी कौन सा काम है जो तुझे नहीं आता? हर काम में एक्सपर्ट हो, मुझे पता ही नहीं था"।।
"अच्छा एक बात बता, संध्या को भुवी बोलने का आइडिया तूने ही दिया है न", "हाँ मैंने ही बोला क्यों अच्छा नहीं लगा"? भुवन के सवाल पर टीना ने सवाल पूछा।
मुझे अच्छा लगा, कि तुझे मेरी जिंदगी को नीरसता से बचाने की फिक्र है।
"हाँ बिल्कुल है, एक ही दोस्त हो तुम मेरे, और वो भी बोरिंग सी जिंदगी जिएगा तो मुझे तो डिप्रेशन आ जाएगा"। टीना की बच्ची दुबारा ये सब मत कहना।

"नहीं कहूँगी पर आप भी प्राॉमिस करो कि कभी कोई कैसी भी दिक्कत हो, मुझे जरूर बताओगे"। "पक्का प्रॉमिस कुछ नही छिपाएगा तुम्हारा दोस्त"। भुवन ने प्यार से उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा।

अब ठीक है, मिस्टर मोटीवेशनल!!
" एक बात बताओ दी ने भुवी कहा तो आपको कैसा लगा"?? अच्छा लगा पर आइडिया अगर उसका अपना होता तो फीलिंग्स के साथ कहती, बस वही मिसिंग था, पर मुझे लगता है कि बोलती रहेगी तो उसे फील भी आने लगेगी।