Mahila Purusho me takraav kyo ? - 71 in Hindi Human Science by Captain Dharnidhar books and stories PDF | महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 71

Featured Books
  • નિતુ - પ્રકરણ 64

    નિતુ : ૬૪(નવીન)નિતુ મનોમન સહજ ખુશ હતી, કારણ કે તેનો એક ડર ઓછ...

  • સંઘર્ષ - પ્રકરણ 20

    સિંહાસન સિરીઝ સિદ્ધાર્થ છાયા Disclaimer: સિંહાસન સિરીઝની તમા...

  • પિતા

    માઁ આપણને જન્મ આપે છે,આપણુ જતન કરે છે,પરિવાર નું ધ્યાન રાખે...

  • રહસ્ય,રહસ્ય અને રહસ્ય

    આપણને હંમેશા રહસ્ય ગમતું હોય છે કારણકે તેમાં એવું તત્વ હોય છ...

  • હાસ્યના લાભ

    હાસ્યના લાભ- રાકેશ ઠક્કર હાસ્યના લાભ જ લાભ છે. તેનાથી ક્યારે...

Categories
Share

महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 71

अभय होटल से अपने पूर्व ससुर से मिलने के लिए निकल गया है , अभय के मन मे सच जानने की जिज्ञासा है । केतकी से पहले ही धोखा खा चुका अभय फिर से केतकी से मिलने जा रहा है । केतकी की दी हुई वे अभद्र गालियां अब भी उसके कानों में गूंज रही है । उसे केतकी पर क्रोध तो है । शायद उसने केतकी को इसलिए ही रूकने को कहा होगा ।
टेक्सी केतकी के घर के सामने रूकती है । केतकी व उसके मम्मी पापा टेक्सी के गेटकी बंद होने की आवाज सुनकर घरके द्वार पर आगये ..न चाहते हुए भी मुस्कुराने की एक्टिंग की । केतकी के पिता ने बाहर आकर अभय का वेलकम किया ।
अभय ने औपचारिकता के लिए अपने सास ससुर को प्रणाम किया । केतकी भी अपने पूर्व पति के चरण छूने को झुकी ही थी कि अभय ने उसे रोक दिया .. और बोला ..यह अधिकार तुम खो चुकी हो .. केतकी ठिठक कर रूक गयी .. उसने कुछ नही कहा । अभय की सास संतोष ने केतकी से कहा ..तुम बैठो, मैं पानी लेकर आती हूँ । अभय अपनी सास को टोकते हुए बोला ..आप यह सब औपचारिकता रहने दीजिए.. मुझे क्यों बुलाया है ? वह सब बताइए। मेरे पास ज्यादा समय नहीं है , यह सुन अभय की सास भी रूक गयी ..ठीक है जैसी आपकी मर्जी .. यह कहकर संतोष भी वहीं चेयर पर बैठ जाती है । केतकी का चेहरा मुरझाया हुआ है , उसकी आंखों में लाल रंग के डोरे बने थे , एक आंख तो पूरी तरह लाल हो रखी थी । वह भी नीचे गर्दन किए बैठी हुई है । अभय का ससुर विजय भी चुप है .. वह सोच रहा है बात कैसे शुरू की जाए... अभय फिर से बोला ..आप चुप क्यों है ? कुछ कहेंगे अपनी सफाई मे ..या कोई नयी कहानी अभी घड़ नही पाये हैं । केतकी तरफ देखकर अभय ने कहा ..हां मेडम ! आप क्या सच बताने वाली थी ..जो भी कहना प्रमाण के साथ कहना ।
केतकी ने कातर दृष्टि से अभय को देखते हुए कहना शुरू किया ।
अभय ! बात उस समय की है जब मैं कॉलेज मे पढती थी । मेरे साथ यह दामिनी भी पढती थी , मुझे बस इतना पता था कि दामिनी से मिलने अजीब अजीब लोग आते थे । जब हम पूछते तो यह गुस्सा करती , कहती तुम्हें क्या ..मेरे पहचान के लोग है .. एक दिन मैं उसके पीछे पीछे चली गयी थी .. तब मैने उनकी बातें सुनी थी .. कोई इसे कह रहा था कि तुम आर्मी जॉइन कर लो ..तब इसने कहा था ..आर्मी मे जाना मुस्किल है.. उसमे तो मैं पकड़ी जाऊंगी .. फिर वह आदमी थोड़ा जोर देकर बोला ..मुझे पता नही है ... आर्मी के ऑपरेशन व लोकेशन .. की जानकारी तुम कैसे भी करके लाओ ..खासकर पुंछ राजोरी की ..दामिनी ने कहा ठीक है जनाब ।
मैं वहां से तुरन्त लौट आयी थी ..जब दामिनी से मिली तो ..मैने कह दिया कि तुम आर्मी की कौनसी जानकारी की बात कर रही थी ..वे कौन थे .. ? तुम्हारा अच्छे लोगों के साथ बैठना उठना नही है । सच बताओ ..वर्ना मैं प्रिंसीपल सर से कह दूंगी । मेरी बात को बीच मे ही काटते हुए दामिनी ने कहा ..अरे कुछ नही ..तुमने गलत सुना है .. मैने कहा मैने तुम्हारी सारी बात सुनी है ..तुम गलत लोगो के साथ मे काम कर रही हो ।