Ek Ruh ki Aatmkatha - 51 in Hindi Human Science by Ranjana Jaiswal books and stories PDF | एक रूह की आत्मकथा - 51

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एक रूह की आत्मकथा - 51

प्रेम एक खूबसूरत अहसास है।कब, कहाँ,किससे, कैसे, क्यूँ जैसे तर्कों से परे।हजारों की भीड़ में कोई एक चेहरा आँखों के रास्ते दिल में उतर जाता है और फिर वहाँ से तभी निकलता है,जब दिल ही टूट जाए।
अमृता को भी लगता था कि उसे समर के बेटे अमन से प्रेम हो गया है।शिमला के स्कूल टूर के समय वे एक -दूसरे के काफी करीब आ गए थे।बोर्डिंग स्कूल के कठोर अनुशासन के कारण वे एक -दूसरे से मिल नहीं पाते थे।वहाँ लड़के और लड़कियां के लिए अलग छात्रावास थे।सिर्फ किसी खास इवेंट के समय ही लड़के लड़कियाँ इकट्ठे होते थे ,वह भी अध्यापकों के कठोर निगरानी में । अमर और अमृता एक -दूसरे को उन अवसरों पर बस एक- दूसरे को देख लेते थे या फिर सबकी आँख बचाकर कुछ बातें कर लेते थे पर उतने से ही उनका मन प्रफुल्लित हो जाता था। कभी तीज -त्योहारों या छुट्टियों में दोनों अपने- अपने घर जाते तो किसी न किसी बहाने एक- दूसरे से मिल लेते!
पिछले साल बैलेंटाइन डे पर समर ने उसे एक खूबसूरत कार्ड दिया था ,जिसके भीतर एक खूबसूरत कविता लिखी हुई थी।इस कविता को पढ़कर अमृता को लग गया था कि वह भी उससे प्यार करता है।
'आपके आने से जिंदगी कितनी खूबसूरत है
दिल में बसाई है जो वो आपकी सूरत है
दूर जाना नहीं हमसे कभी भूलकर भी
हमें हर कदम पर आपकी जरूरत है।
वो प्यारी सी हंसी वो खिलखिलाना आपका
वो मासूमियत से नज़रें मिलाना आपका
जो देखूं मैं, तो शरमाना आपका
मेरे दिल में हज़ारों उमंगें जगाना आपका
गुलाब की खूबसूरती भी फीकी लगती है,
जब तेरे चेहरे पर मुस्कान खिल उठती है
यूं ही मुस्कुराते रहना मेरे प्यार तू,
तेरी खुशियों से मेरी सांसे जी उठती हैं।
तुम्हारे साथ रहते-रहते,तुम्हारी चाहत -सी हो गयी है।
तुमसे बात करते-करते,तुम्हारी आदत -सी हो गयी है।
एक पल न मिले तो बेचैनी -सी लगती है
दोस्ती निभाते-निभाते तुमसे मोहब्बत हो गयी है।"
अमृता ने उस कार्ड को बड़े जतन से संभालकर रखा है।
उसे क्या पता था कि अचानक ऐसा कुछ हो जाएगा कि उसकी मोहब्बत की कली फूल बनने से पहले ही मुरझा जाएगी।दोनों ने ही तय किया था कि अब वे अपने शहर के ही किसी कॉलेज में पढ़ेंगे और अपनी मोहब्बत की कहानी को आगे बढ़ाएंगे,पर घर लौटते ही अमन बदल गया और फिर उसने उसे खूब खरी -खोटी सुनाकर उससे रिश्ता ही तोड़ लिया।कितना रोई थी वह उस रात।एक तो अमन ने उसकी माँ के बारे में बुरी- बुरी बातें कहीं और फिर खुद ही उससे रूठ गया।उसकी माँ की हत्या के बाद उसने एक बार भी उससे सहानुभूति नहीं जताई।उल्टे अपने पिता के जेल जाने का आरोप भी उसी के ऊपर लगा दिया। माना कि वह अपनी माँ के प्रेम में ऐसा कर रहा था पर क्या उसको उस पर इतना ही विश्वास था?आखिर इन सबमें उसका क्या दोष था?अमन ने उसका दिल तोड़ दिया था।
इधर शायद उसे अपनी गलती का अहसास हो गया है या फिर अपने पिता के बाइज्जत बरी हो जाने से उसका गुस्सा कम हो गया है।अब वह उससे फिर से दोस्ती करना चाहता है,पर वह उसे माफ़ नहीं कर पाई है।
आज बैलेंटाइन डे है।आज जाने क्यों उसे अमन की बहुत याद आ रही है।शायद वह भी उसे मिस कर रहा होगा।तभी बाहर से कुरियर वाले की आवाज आई।वह भागी हुई बाहर पहुंची तो लाल गुलाब के गुलदस्ते के साथ एक कार्ड उसका इंतज़ार कर रहा था।
वह उन्हें लेकर अपने कमरे में पहुँची।कार्ड खोला तो भीतर कविता लिखी थी।
कभी हँसाता है ये प्यार,
कभी रुलाता है ये प्यार,
प्यार के पलों की याद दिलाता है ये प्यार,
चाहो या ना चाहो पर आपके होने का
एहसास दिलाता है ये प्यार।
कार्ड पर भेजने वाले का नाम नहीं था।अमृता पहले ही समझ गई थी कि यह अमन का भेजा हुआ तोहफ़ा है।
बुके के बीच में एक छोटी -सी स्लीप थी।उसमें लिखा था कि 'अगर मेरी दोस्ती कूबूल है तो होटल पैलेस के बैलेंटाइन पार्टी में शाम को सात बजे।'
अमृता ने अमन की लिखी वह चिट फाड़ दी।उसने सोच लिया कि उसे पार्टी में नहीं जाना है और न ही अमन से मिलना है।वैसे भी समर अंकल से इजाज़त लिए बिना वह देर शाम बाहर नहीं निकलती ।उनसे वह कैसे बताएगी कि उनका बेटा अमन ही उसका दोस्त है और वह उससे ही मिलने जा रही है। फिर उसे तो अगले ही महीने लंदन जाना है फिर अमन से दुबारा दोस्ती बढ़ाने का क्या हासिल?
वे दोनों कभी एक नहीं हो पाएंगे। ठीक है कि दोनों के दिल मिल चुके हैं पर वे एक- दूसरे के नहीं हो सकते।न तो लीला आंटी यह होने देंगी ,यह अमर अंकल यह चाहेंगे।उसकी माँ होती तो शायद वो भी इसकी इजाज़त नहीं देती।
पहले की बात और थी पर अब तो स्थितियाँ और भी जटिल हो गई हैं ।
फिर भी उसका दिल बेचैन हो रहा था।वह समझ नहीं पा रही थी कि किससे अपने दिल की बात शेयर करे और इस सम्बंध में राय माँगे।कौन उसकी बात समझेगा?टीन एज का प्यार वैसे ही ऑपोजिट सेक्स आकर्षण मात्र समझा जाता है।उसे कोई गम्भीरता से नहीं लेता।वह मात्र पन्द्रह की है अभी हाईस्कूल की परीक्षा पास की है।अमन भी सत्रह का है उसने अभी बी .एस .सी पार्ट वन में दाखिला लिया है।
दोनों के बीच के लगाव को कोई नहीं समझेगा।
'नहीं, उसे नहीं जाना।' सोचकर वह अपने बिस्तर पर लेट गई और टी.वी खोल दिया।टीवी पर भी बैलेंटाइन डे स्पेशल आ रहा था।रोमांटिक गाने बज रहे थे।
'पहला पहला प्यार है ।पहली पहली बार है।जानकर भी अनजाना ऐसा मेरा प्यार है।'
उसे लगा जैसे अमन ही ये गा रहा है।वह उठकर बैठ गई।उसने कुछ सोचा फिर उसने समर को फोन लगाया।
"अंकल मुझे एक बैलेंटाइन डे स्पेशल पार्टी में जाना है।मेरी सारी दोस्त उसमें आ रही हैं।अगर आप इजाज़त देंगे तो ही जाऊँगी।"
"लेकिन बेटा,ऐसी पार्टियां देर तक चलती हैं।"
"मैं जल्दी निकल आऊंगी अंकल।अगले महीने तो मुझे चले जाना है वो भी कई वर्षों के लिए,इसलिए मेरी दोस्त नहीं मान रहीं।"
"ठीक है बेटा,पर ध्यान रखना।अपनी गाड़ी से जाना।ड्राइवर वहीं तुम्हारा इंतजार कर लेगा।जल्द निकलने की कोशिश करना और ध्यान रखना कि नो ड्रिंक्स.....।"
"इत्मीनान रखिए अंकल ।मैं हर बात का ध्यान रखूँगी।"
"ओके बेटा....।"
समर अंकल से झूठ बोलकर अमृता को अच्छा नहीं लगा पर वह दिल के हाथों मजबूर थी।