…… and he became the “COO” of a company. in Hindi Short Stories by Piyush Goel books and stories PDF | ……और वो एक कंपनी का “COO” हो गया.

Featured Books
  • ભીતરમન - 58

    અમારો આખો પરિવાર પોતપોતાના રૂમમાં ઊંઘવા માટે જતો રહ્યો હતો....

  • ખજાનો - 86

    " હા, તેને જોઈ શકાય છે. સામાન્ય રીતે રેડ કોલંબસ મંકી માનવ જા...

  • ફરે તે ફરફરે - 41

      "આજ ફિર જીનેકી તમન્ના હૈ ,આજ ફિર મરનેકા ઇરાદા હૈ "ખબર...

  • ભાગવત રહસ્ય - 119

    ભાગવત રહસ્ય-૧૧૯   વીરભદ્ર દક્ષના યજ્ઞ સ્થાને આવ્યો છે. મોટો...

  • પ્રેમ થાય કે કરાય? ભાગ - 21

    સગાઈ"મમ્મી હું મારા મિત્રો સાથે મોલમાં જાવ છું. તારે કંઈ લાવ...

Categories
Share

……और वो एक कंपनी का “COO” हो गया.

मैं अपने तीनों भाइयों में सबसे बड़ा और एक मध्यम वर्गीय परिवार में पला बड़ा हुआ, पिता जी द्वितीय श्रेणी के सरकारी कर्मचारी,मेरे पापा की पोस्टिंग मथुरा के एक गाँव में थी. चुकि हम तीन भाई थे ……बहन न होने के कारण माता जी के साथ घर के काम में हाथ बटाना पड़ता था, अब मैं घर में सबसे बड़ा था ज़िम्मेदारी मेरी सबसे ज़्यादा थी,सच बताऊँ घर में बहन का होना बहुत ज़रूरी हैं जब हम तीनों भाई साथ में होते हैं तो यही सोचते थे हमारे बहन क्यों नहीं हैं? जैसे-जैसे समय गुजरता रहा मेरे पापा का ट्रान्सफ़र मथुरा के ही दूसरे गाँव में हो गया,मैं अपनी पढ़ाई के लिए हॉस्टल चला गया, कुछ समय बाद मेरा छोटा भाई( बीच वाला) अपनी पढ़ाई के लिए घर से दूर चला गया,अब घर पर सिर्फ़ माता जी,पिता जी व सबसे छोटा भाई रह गये.जब कभी भी हम सभी त्यौहार पर घर पर इकट्ठे होते थे.छोटे भाई को देखकर मज़ाक़ भी करते थे और कई बार भाई को देख कर ये भी सोचते थे इसको भी पढ़ना चाहिए और साथ ही साथ ये भी सोचते थे माता जी कि उम्र हो रही हैं माता जी के साथ कोई ना कोई तो होना चाहिए. एक दिन हमें खबर मिली की हमारा छोटा भाई घर से भाग गया हैं. मैंने किसी तरह से घर पकड़ा घर पर पहले से ही मेरा बीच वाला भाई भी था, वो मेरे से पहले पहुँच गया.(उन दिनों मोबाइल नहीं हुआ करते थे), घर पर सब परेशान समान इधर-उधर फैला हुआ पड़ा था.रात को जब सब लोग साथ बैठे हुए थे मैंने माता जी व पिता जी से पूछा आप लोगों ने तो कुछ नहीं बोल दिया उसको,पिता जी बोले मेरा तो मतलब ही नहीं हैं,कुछ कहने का ….हाँ माता जी एक दम बोली, मैंने उस से एक बात बोली थी जब वो कमरे में पोछा लगा रहा था मैंने उस से कहा तू भी पढ़ लिख ले नहीं तो तू ऐसे ही पोछा लगता रहेगा,मैं तपाक से बोला अरे माता जी आप ने ये क्या कह दिया पता हैं वो कितना ग़ुस्से वाला हैं और भावुक हैं,शायद ये ही बात उसको लग गई,ख़ैर कोई बात नहीं, सुबह होने दो ढूँढते हैं उसको …. अगले दिन सुबह-सुबह दरवाज़े पर घंटी बजी मैंने जैसे ही दरवाज़ा खोला,मेरा सबसे छोटे वाला भाई सामने खड़ा था,पैर पकड़ कर बोला भैया मुझे माफ़ करना और गले लग कर बहुत रोया और रोते-रोते बोला भैया मुझे भी पढ़ना हैं घर में पोछा लगाते-लगाते थक गया हूँ.माता जी एक दिन मेरे से बोली तू भी पढ़ लिख ले नहीं तो ऐसे ही पोछा लगता रहेगा. भैया मैं कह नहीं पाया और मैं बिना बताएँ घर से चला गया मुझे आप सब माफ़ करना.छोटे बेटे और भाई को देख कर सब खुश हो गये … सबके पैर पकड़ कर माफ़ी माँगी … फिर उसके बाद उसने इतनी लगन से पढ़ाई की ….उसने एक नामी इंस्टिट्यूट में MBA की पढ़ाई की, लव मैरिज की, माता जी की एक छोटी सी बात ने उसके अंदर पढ़ाई की ऐसी लगन लगाई … वो बाद में बड़ी कंपनी के COO पद तक पहुँच गया. और मज़े की बात दोनों बड़े भाई अपना-अपना व्यापार कर रहे हैं …. और वो एक कंपनी का COO बन गया.