Mahila Purusho me takraav kyo ? - 63 in Hindi Human Science by Captain Dharnidhar books and stories PDF | महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 63 - अभय केतकी का झगड़ा

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महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 63 - अभय केतकी का झगड़ा

दामिनी व केतकी में अंदर गुप्त मंत्रणा होने के बाद वे दोनों बाहर आगयी । डॉक्टर अंकल को दामिनी ने अपने पास बुलाकर कहा अंकल ! आपने जो भी किया वह केतकी के कहने पर किया , मै आपका इसमे कोई दोष नही देख रही , अतः आप यहां से अभी कही ओर चले जाओ । बाहर इंतजार कर रहे मेरे साथी यदि यहां आगये तो आप बेमतलब फंस जाओगे । आप जाओ मै सब संभाल लूंगी , ऐसा कह दामिनी डॉक्टर साहब को देखकर मुस्कुराई ।डॉक्टर साहब ने केतकी की ओर देखा ..केतकी ने अपनी आंख झपकते हुए अपनी गर्दन से जाने का इशारा किया । डॉक्टर साहब वहां से चले गये ..
डॉक्टर साहब के साहब के जाने के बाद दामिनी ने अभय को फोन करके कहा .. अभय ! आप अंदर आजाइए ।
अभय ने बद्री काका को टेक्सी में छोड़ दिया खुद अंदर आगया ।
अभय ने केतकी को देखा और देखता ही रह गया ..केतकी ने भी अभय को देखा और उसकी गोद मे नन्ही सी गुडिया को देखा और मुस्कुराकर अपनी आंखे फेर ली । दामिनी अभय से कहने लगी ..अभय ! मैने कहा था , केतकी नौटंकीबाज है, यह वेदिका नही केतकी ही है ...अभय आश्चर्य से बोला ..यह केतकी है ? पर ? यह तो मना कर रही थी, तुमने कैसे पता किया ? यदि यह केतकी है तो वेदिका क्यों बनी ? इसने मरने का नाटक क्यों किया ?
दामिनी ने उत्तर दिया.. मेरे से बदला लेने के लिए । अभय ने कहा कैसा बदला ? अभय इसका सपना था सैकेंड हैंड हसबैंड से मेरी शादी हो । अभय ने कहा.. यह इतनी सी बात के लिए कोई इतना बड़ा नाटक थोड़े ही करेगी ।
अभय ने केतकी की तरफ देखते हुए कहा ... केतकी ! मुझ मे ऐसी क्या कमी थी जो तुमने मुझे छोड़ा । यदि तुम मुझे पसंद नही करती थी तो कह देती । हम तलाक लेकर अलग हो सकते थे । तुम तो खुश ही लग रही थी मुझे कभी लगा ही नही कि तुम नाराज हो । केतकी अभय से कहने लगी....भूल गये तुम ! अपने उस रवैये को, जो तुमने मेरी फोन पर बात को लेकर किया था । मैने निर्णय तो उसी समय कर लिया था कि अब मै तेरे साथ नहीं रहुंगी । और तुझसे तलाक लेती तो तलाक मे सालभर लग जाता , हमारा तलाक होता देख बहुतेरे उपदेश झाड़ने लोग आ खड़े होते ।
हां यदि तलाक ही देना है तो इस दामिनी को दो । मै फिर से वापस आने पर विचार कर सकती हूँ । अभय ने केतकी पर मुँह बिगाड़ते हुए कहा .. थू तुझ पर । तेरी जैसी औरत का न कोई इमान है , न धर्म है । इतना सब होने के बाद तुझे मै फिर अपनाऊं यह हो ही नही सकता । अरी मतलबपरस्त औरत तुम मेरी दामिनी के नाख़ून के बराबर भी नही हो ..
केतकी सर्पिणी की तरह फुफकारते हुए लंबी श्वास भरने लगी ..फिर चिल्लाकर गाली देकर बोली अपनी~~~ यहां आया है । अभय की नन्ही बेटी केतकी की तेज आवाज सुन रोने लग जाती है ।
अभय केतकी की गाली-गलौज सुन उत्तेजित हो गया ..उसकी भी श्वासे फूलने लगी वह कुछ कहने ही वाला था कि दामिनी ने अभय से कहा ...प्लीज प्लीज अभय ! इसके मुह मत लगो, इसे छोड़ो ..हम घर चलते है ... अभय का हाथ खींचते हुए दामिनी उसे बाहर ले जा रही है । अभय ने जाते जाते कहा ..तुम औरत जात पर कलंक हो ...
दामिनी अभय को टेक्सी मे बैठाते हुए कहती है प्लीज रास्ते मे कुछ न कहना ..हम होटल चलकर बात कर लेंगे ।