Vishwash - 13 in Hindi Human Science by सीमा बी. books and stories PDF | विश्वास - कहानी दो दोस्तों की - 13

Featured Books
  • THIEF BECOME A PRESEDENT - PART 5

    भाग 5 (मजेदार मोड़): एक सनकी हसीना का आगमन टिमडेबिट ने सब सच...

  • बेवफा - 44

    ### एपिसोड 44: नई सुबह की ओरसमीरा की ज़िन्दगी में सबकुछ बदल...

  • सर्वथा मौलिक चिंतन

    भूमिका मित्रों उपनिषद कहता है सर्व खल्विदं बृम्ह,सबकुछ परमात...

  • Zom-Bai - 1

    EPISODE #1Episode#1 First Blood"लेफ्ट राईट, लेफ्ट राईट लेफ्ट...

  • शोहरत का घमंड - 155

    सोमवार का दिन........अरुण वकील को जेल ले कर आ जाता है और सार...

Categories
Share

विश्वास - कहानी दो दोस्तों की - 13

विश्वास (भाग--13)

डॉ. से मिल कर उमा जी को तसल्ली हुई। कमरे में आकर उन्होंने मीनल को फोन करके सब बताया। "हाँ माँ अब उसको घर ही ले आएगें बाकी सब तो घर से ही हम मैनेज कर लेंगे"। मीनल ने कहा तो उन्होंने भी "ठीक कह रही हो बहु", अच्छा अब फोन रखती हूँ।

सब कुछ रोज जैसा ही चल रहा था। टीना और दादी लूडो खेल कर हटी तो उसने दादी को सरला जी के कमरे से हो कर आने को कहा। "ठीक है मेरी दादी माँ देख आती हूँ, तू इतनी समझदार क्यों है मेरी परी"। दादी की बात सुन कर मुस्करा दी और इशारे से बोली "पोती किसकी हूँ"??

वो लिख कर अपनी बात कहे या इशारों से उमा जी उसकी बात बिन कहे ही समझ जाती हैं तो टीना को भी आप लोग कम मत समझिए, उसको भी पता है कि दादी को सरला दादी से बात करना अच्छा लगता है। दादी पोती झट से सामने वाले को रिश्ते में बाँधना आता है। दादी ने सरला को बहन बनाया तो टीना ने मन ही मन उनको दादी बना लिया।

उमा जी भी सरला जी के पास आयी तो पता चला कि "उनके पति का ऑपरेशन अच्छे से हो गया है पर अभी उनको 6 हफ्ते कम से कम लगेंगे चलने फिरने में। डॉ. ने कहा है कि 2-3 दिन में डिस्चार्ज मिल जाएगा"। "सरला ये तो बहुत अच्छा हुआ, हम भी टीना को 3-4 दिन में ले जा सकते हैं"। उमा जी की बात सुन कर सरला ने भी खुशी जताई और उनके पति ने मदद के लिए आभार जताया।

"भाई साहब आप यूँ शर्मिंदा मत कीजिए। इंसान ही इंसान के काम आता है, मेरी जगह कोई भी होता तो यही करता"। मास्टर जी और सरला भावुक होते देख उमा जी ने कहा चलिए इसी बहाने मुझे एक बहन मिल गयी। तीनो ही मुस्करा दिए। अभी बातों का सिलसिला चल ही रहा था कि भुवन भी आ गया। तीनो ंके पैर छू कर, मास्टर जी से उनका हाल चाल पूछने लगा।

"अच्छा जी मैं चलती हूँ, आप लोग बातें कीजिए, टीना अकेली है"। उमा जी उठ गयी। "माँ जी आप अगर ठीक समझो तो मैं टीना के पास बैठ जाता हूँ आप यहाँ बैठ कर बातें कीजिए, मैं टीना से बातें कर लूँगा।उमा जी को भुवन देखने में तो अच्छा लगा, फिर भी विश्वास करना ठीक है?? अभी यही सोच रही थी क्या कहे भुवन को??

सरला जी की भी दो बेटियाँ हैं तो वो उमा जू की कशमकश भाँप गयी। "हाँ बेटा तुम जाओ और टीना का ध्यान रखना, थोड़ा बात करेगी तो उसका मन भी बहल जाएगा", सरला ने उमा जी के कंधे पर थपथपाते हुए कहा, सरला की आँखों में एक मौन आश्वासन या कहूँ की भुवन की ओर से गारंटी थी तो गलत नही होगा जिसे देख उमा जी ने भी हामी भर दी।

"भुवन बेटा तुम भी मुझे दादी कहो, मुझे अच्छा लगेगा", उमा ने भुवन को कहा तो वो मुस्करा कर ठीक है दादी, कह कर टीना के रूम में चला गया। टीना फैमिना मैगज़ीन के पन्ने उलट रही थी, भुवन को अचानक सामने देख चौंक गयी।

"दादी चाची और सर से बातें कर रही हैं तो मैंने सोचा कि मैं आप से मिल लूँ",अपना हाथ मिलाने के लिए आगे बढ़ाते हुए बोला।
टीना ने हाथ मिलाते हुए उसे बैठने का इशारा किया। भुवन उसकी पढ़ाई , करियर और सपनों की बाते पूछता जा रहा था और वो कम से कम शब्दों में लिख कर जवाब दे रही थी।

क्रमश;