Vishwash - 12 in Hindi Human Science by सीमा बी. books and stories PDF | विश्वास - कहानी दो दोस्तों की - 12

Featured Books
  • એઠો ગોળ

    એઠો ગોળ धेनुं धीराः सूनृतां वाचमाहुः, यथा धेनु सहस्त्रेषु वत...

  • પહેલી નજર નો પ્રેમ!!

    સવાર નો સમય! જે.કે. માર્ટસવાર નો સમય હોવા થી માર્ટ માં ગણતરી...

  • એક મર્ડર

    'ઓગણીસ તારીખે તારી અને આકાશની વચ્ચે રાણકી વાવમાં ઝઘડો થય...

  • વિશ્વનાં ખતરનાક આદમખોર

     આમ તો વિશ્વમાં સૌથી ખતરનાક પ્રાણી જો કોઇ હોય તો તે માનવી જ...

  • રડવું

             *“રડવુ પડે તો એક ઈશ્વર પાસે રડજો...             ”*જ...

Categories
Share

विश्वास - कहानी दो दोस्तों की - 12

विश्वास (भाग --12)

मीनल के घर जाने का टाइम हो रहा था, "माँ मैं चलती हूँ, किसी चीज की जरूरत हो तो आप फोन कर देना"। "ठीक है", कर दूँगी। "कल सुबह वीरेश को भेज देना, कल तुम थोड़ा आराम करना"। "ठीक है माँ, आप लोग लंच टाइम पर कर लेना, सरला जी को बोल दिया है वो आ जाँएगीं और आप अपना भी ध्यान रखो",कह मीनल वहाँ से चल दी।

"सरला मेरा खाना तो यहीं से आता है, मैं खा लूँगा तुम अपनी दीदी के साथ वहीं खा कर आओ, थोड़ा मन भी बहल जाऐगा तुम्हारा"। "ठीक है चली जाऊँगी पर आपके खाने के बाद, मास्टर जी"!!! ठीक है मास्टरनी जी कहते हुए मुस्करा दिए।

दोनो बेटियों की शादी के बाद अकेले हो गए हैं ,मास्टर जी तो स्कूल पढ़ाने में बिजी हो जाते हैं। बाकी का टाइम खेतों में बिता लेते हैं। उधर सरला जी ने अपने गाँव की लड़कियों को सिलाई कढ़ाई सिखाने में व्यस्त कर लिया है। यहाँ आकर हास्पिटल के इस कमरे में दोनो कैद हो गये हैं।

उमा जी और उनके परिवार की बातें सुन कर उन्हें अच्छा लगा कि सरला के साथ बात करने के लिए कोई तो है। मीनल को उन्होने इसके लिए धन्यवाद बोला तो मीनल का जवाब सुन उन्हें अपनी बेटियों की याद आ गयी, "अंकल जी आप लोग मेरे मम्मी पापा के समान हैं तो आप अपनी इस बेटी को थैंक्स बोल कर शर्मिंदा मत कीजिए"।

शहर के लोग संवेदनहीन होते हैं अक्सर सुनते आए हैं, पर कितनी गलत अवधारणा है, ये आज वो और उनकी पत्नी जान गए हैं। मास्टर जी को खाना खिला कर सरला जाने को हुई, "सरला अब मैं सोऊँगा तो तुम आराम से खाना खा कर आना, कोई परेशानी हुई तो फोन कर दूँगा"। हाँ ठीक है मास्टर जी आप सो जाओ।

खाना खाते हुए इधर उधर की बातों मे टाइम का ध्यान किसी को नही आता अगर नर्स और अटेंडेंट टीना को थैरेपी के लिए लेने नहीं आते। सरसा जी अपने कमरे मे आयी तो मास्टर जी अखबार पढ़ रहे थे।

थैरेपी के बाद सॉयक्लोजिस्ट से मुलाकात के बारे में नर्स ने दादी को बताया और कहा कि टीना से अकेले मिलेंगे, आप को जब अंदर बुलाया जाएगा तब जाना है। "वो तो ठीक है, पर टीना कैसे बताएगी अपनी तकलीफ वो तो ..." दादी को चिंता थी," डॉ टीना के इशारों और लिख कर बताने से पूरी बात समझ आएगी"???

"दादी जी आप टेंशन मत लो, डॉ को टीना की केस हिस्ट्री पता है वो सब अपने आप दैख लेंगे, और फिर भी कुछ पूछना होगा तो आप से पूछ लेंगे"। नर्स के आश्वासन से दादी की थोडी़ चिंता कम हुई ।

काफी देर बाद डॉ ने उमा जी को अंदर बुलाया और टीना को नर्स के साथ बाहर रुकने को कहा। "कैसी है मेरी पोती डॉ."?
"टीना बिल्कुल ठीक है, आप चिंता मत कीजिए बस थोड़ा उसको प्रोत्साहन की जरूरत है। कुछ सैशन करने पड़ेगें, उसके लिए यहाँ एडमिट रहने की जरूरत नही है, आप लोग पर्सनली भी सैशन करवा सकते हैं"। क्रमश:(03-04-2020)