Mahila Purusho me takraav kyo ? - 45 in Hindi Human Science by Captain Dharnidhar books and stories PDF | महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 45

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महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 45

दुल्हा दुल्हन की विदाई हो रही है लेकिन दोनों ही समान्य वेश में हैं , उन्हें देखकर लगता नही कि इनकी शादी हुई है । लेकिन जिन्होने दामिनी को पहले देखा था वे जरूर पहचान सकते हैं कि इसकी शादी हो गयी है । दामिनी की मांग मे हल्का सा सिंदूर लगा है, कलाई मे चूड़ियां हैं, हाथों मे मेहन्दी लगी है, बदन पर साड़ी उसे शादीशुदा बता रही है । दामिनी अपने हिंदू पहनावे मे अपने आपको देखकर संतोष का अनुभव कर रही है । उसे वह बुर्का याद आ जाता है ।
तभी अभय की बुआ कहती है ..क्या सोच रही हो ? गाड़ी में बैठो ..दामिनी ने चौंककर कहा ..हां हां ..दामिनी अपनी जिप्सी में आगे की सीट पर बैठ गयी .. बुआ ने कहा .. अभय कहा बैठेगा ? तभी अभय ने कहा मैं गाड़ी चलाऊंगा..अभय ने ड्राईवर से कहा आप पीछे बैठ जाओ .. बुआ से भी अभय ने कहा ..बुआ आप भी पापा के साथ उस गाड़ी मे बैठ जाओ , इसमे आप परेशान हो जाओगी । तभी दामिनी के फोन मे घंटी बजी ..दामिनी ने जयहिंद किया .. फोन पर उनके सीनीयर ने बधाई दी .. दामिनी ने धन्यवाद दिया ..अधिकारी ने दामिनी से ऑफिस होकर जाने को कहा ..ठीक है सर मैं ऑफिस होते हुए निकल जाऊंगी .. दामिनी ने अभय से कहा ..हम पहले ऑफिस जायेंगे, फिर उधर से निकल जायेंगे .. आप मम्मी पापा से कह दीजिए.. अभय ने मम्मी पापा को कह दिया ..वे सहमत हो गये ..
कुछ देर बाद...
मुख्य थाने के ऑफिस के बाहर टी पार्टी की व्यवस्था पुलिस की तरफ से थी ..एक लंबी टेबल लगी थी जिस पर प्लेटे दो मिठाई, समोसा, कोपता, चटनी, चाय की थरमस लगी थी .. सब लाइन से खड़े थे ..
हाथ मिलाकर अभय व दामिनी के साथ सभी का वेलकम किया । सभी ने चाय नास्ता किया । विदा लेते समय वरिष्ठ अधिकारी ने एक लिफाफा दामिनी को देते हुए मुस्कुराकर कहा ..दामिनी यह अस्थाई स्थानानंतरण पत्र है आप सीकर थाने में रिपोर्ट करे । यह हमारी तरफ से छोटा सा वेल्फेयर है । दामिनी ने लिफाफा लेकर मुस्कुराकर सलूट किया ।
गाड़ी में दामिनी की सास व बुआ देख रही थी ..कस्तुरी दामिनी की सास अपनी ननद से बोली ..बाईसा ..यह बहु अपने घर मे कैसे रहेगी ? मुझे तो डर लग रहा है । पता नही हमारे साथ इसकी निभेगी या नही .. बुआजी बोले ..भाभी हमारे साथ कहा रहेगी ..पुलिस की ड्यूटी करेगी .. कस्तुरी ने अपने हाथ जोड़े और ऊपर की तरफ देखकर बोली ..हे सालासर वाले बालाजी आप ही सब ठीक ठाक करना, आपका ही आसरा है बालाजी महाराज .. बस.. मै तो' चाहती हूँ घर की इज्जत बनी रहे..बाजार मे, न उछले ।
करीब एक घंटे बाद अभय के घर मे ..
कस्तुरी ने अपनी ननद से कहा ..आप इनकी आरती तो उतार दो ..
बुआ ने अभय और दामिनी को तिलक किया आरती उतारी और अंदर ले गयी .. दामिनी को पीढे पर बैठाया ..मीठा खिलाकर कहा ..बहु कहुं या दामिनी ..दामिनी अपनी मीठी आवाज मे बोली.. बुआजी आप बहु ही कहे', दामिनी कहने वाले तो बहुत हैं ..मुझे अच्छा लगेगा । ..बुआ बोली ..बहु ! पहले देव स्थान पर प्रणाम कर लो फिर अपने से बड़ों को प्रणाम करना ।
दामिनी थोड़े राजस्थानी रिवाज जानती थी ..उसने देव स्थान पर प्रणाम करके अपनी सास के पांवलगी फिर बुआ के पांव लगी, फिर सभी घर वालों को प्रणाम किया ..