Ziddi Ishq - 34 in Hindi Anything by Sabreen FA books and stories PDF | ज़िद्दी इश्क़ - 34

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ज़िद्दी इश्क़ - 34

किसी के मुंह हिलाने पर माहेरा ने अपनी सूजी हुई आंखे खोली।

कोई आदमी उसके सामने खड़ा था। माहेरा ने ध्यान से देखा तो येह वही आदमी था जिसने उसे सबसे पहले थापड़ मारा था।

"चलो लड़की जल्दी से खाना खाओ।"

वोह उसका हाथ खोलता हुआ और उसके मुँह पर से टेप निकालते हुए बोला।

माहेरा ने प्लेट में रखा दाल चावल देखा और चुप चाप खाने लगी क्योंकि वोह आदमी वही खड़ा था।

खाना खाते हुए माहेरा का दिमाग भी चलने लगा था।

उसने पानी का गिलास पकड़ा और जान बुझ कर नीचे गिरा दिया।

वोह गिलास ज़मीन पर गिर कर टुकड़े टुकड़े हो गया।

उस आदमी ने टूटा हुआ गिलास देख कर माहेरा को थप्पड़ मारा और दरवाजे से बाहर चला गया।

उसके बाहर जाते ही माहेरा ने कांच का एक टुकड़ा उठाया और अपनी मुट्ठी में छुपा लिया।

थोड़ी देर बाद वोह आदमी अपने एक साथी के साथ वापस आया और माहेरा का हाथ बांध कर वोह जगह साफ करके वापस बाहर चला गया।

तकलीफ की वजह से माहेरा की आंखों से आंसू गिर रहे थे लेकिन फिर उसने उन सबको नज़र अंदाज़ करते हुए अपने नए प्लान पर काम करना शुरू कर दिया। वोह जानती थी उसे यहाँ से खुद निकलना होगा क्योंकि कोई इसे यहां बचाने नही आएगा।

...........

रोम, इटली:

माज़ अपने स्टडी रूम में बैठे हुए सिगरेट के कश भर रहा था। पूरा स्टडी रूम सिगरेट के धुएं से भरा हुआ था।

दरवाज़ा खुलने की आवाज़ पर उसने दरवाज़े की तरफ देखा।

शेर खान उसे देखते हुए अंदर आये और जा कर बालकनी का दरवाजा खोल दिया।

वोह सीधा हो कर कुर्सी पर बैठ गया और अपनों सिगरेट बुझा दी।

"तुमने अपनी क्या हालत बना ली है माज़। मैं ने तुमसे कहा था माहेरा कुछ दिन में वापस जाएगी तो तुमने अपनी येह हालत क्यों बना ली है माज़।"

शेर खान उसकी हालत देख कर गुस्से से बोले।

"मुझे इस बारे में कोई बात नही करनी है डैड।"

वोह लापरवाही से बोला।

"माज़ मुझसे ज़्यादा बकवास करने की ज़रूरत नही है तुम मेरे सवाल का जवाब दो।"

शेर खान चिल्ला कर बोले।

"वोह मुझे छोड़ कर चली गयी है डैड। मैं उसे कभी खुद से दूर नही जाने देता लेकिन आपकी वजह से वोह मुझे छोड़ कर चली गयी।"

वोह आंखे बंद करके बोला।

"तुम बस इस हफ्ते इंतेज़ार करलो अगर वोह नही आई तो मैं खुद इंडिया जा कर उसे ले कर आऊंगा। अब उठो जाओ जा कर फ्रेश हो कर मेरे साथ चलो तुम्हारी वजह से अलीज़ा भी परेशान हो रही है।"

शेर खान से उसे समझाते हुए कहा।

"वोह कभी वापस नही आएगी और आप जाए मैं थोड़ी देर में आता हूं।"

वोह उदासी से मुस्कुराते हुए बोला।

"माज़ बस में ने कहा दिया ना वोह अगले हफ्ते यहां आ जायेगी तो बस अब जा कर फ्रेश हो जाओ और मेरे साथ चलो सलमान भी आने वाला होगा।"

शेर खान इस बार सख्त लहजे में बोले।

"ओके डैड आप जाए मैं आता हूं।"

माज़ ने कहा और उठ कर रूम से बाहर निकल गया।

................

लखनऊ, इंडिया:

वोह आंखे बंद किये बैठी थी तभी उसे दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आयी। उसे पता था इंस्पेक्टर ही आया होगा।

उसने अपनी आंखें खोली तो वोह मुस्कुराते हुए उसे ही देख रहा था जबकि उसकी लाल आंखे देख कर माहेरा को डर लग रहा था।

उसने माहेरा का सूजा हुआ मुंह दबोच कर पूछा।

"जल्दी बताओ वोह सबूत तुमने कहा छुपाया है वरना मार मार कर मैं तुम्हारी हालत बुरी कर दूंगा।"

"मुझे सच मे नही पता कि तुम किस बारे में बात कर रहे हो।"

वोह धीरे आवाज़ में बोली।

"ह्म्म्म.....सच बोल रो हो???"

वोह उसका चेहरा ज़ोर से दबोच कर बोला तो माहेरा की आंखों में आंसू आ गए।

माहेरा ने अपना सिर जल्दी से हां में हिलाया तो उसने गुस्से से माहेरा के मुंह पर थप्पड़ मारा और कमरे से चला गया।

जबकि थप्पड़ की वजह से उसके होंठो से खून टपक कर ज़मीन पर गिर रहा था।

.........

रात का अंधेरा चारो तरफ फैला हुआ था और रात के इसी पहर एक घर के कमरे में माहेरा को बेदर्दी से कुर्सी पर बाँधा गया था।

टिप टिप करके खून की बूंदे उसके चेहरे से टपक कर फर्श पर गिर रही थी जिसकी वजह से पूरा फर्श लाल हो गया था।

लेकिन अब खून सूख चुका था। उसका चेहरा सूजा हुआ था और उसकी गर्दन पर चाकू से कट लगा हुआ था।
उसके बाल बिखरे हुए थे जैसे उसे बालो से पकड़ कर घसीटा गया था।

उसकी हालत देखने मे बहोत खौफनाक लग रही थी ऐसा लग रहा था जैसे उसके जिस्म में अब जान ही नही रही।

अचानक उस की बॉडी में थोड़ी हलचल हुई। उसने अपनी सूजी हुई आंखों को खोला और अपने हाथ मे लिए हुए शीशे से रस्सी को काटने लगी।

बाहर से आती आवाज़ों को सुनकर वोह फिर अपनी पहली वाली हालात में चली गयी। जब आवाज़ें आनी बंद हो गयी वोह फिर रस्सी को काटने लगी।

रस्सी खोलने के बाद वोह दरवाज़े के पास गई और दरवाज़े को खोल कर इधर उधर देखने लगी। यह देख कर की बाहर कोई नही है वोह आहिस्ता आहिस्ता कदम उठाते हुए ऊपर की तरफ चली गयी।

वोह ऊपर के फ्लोर के राइट साइड के कार्नर वाले रूम में चली गयी और अलमारी से सारे कपड़े निकाल कर बाहर फेंकने लगी। सारे कपड़े बहार निकलने के बाद उसे वहां एक बटन नज़र आई। उसने बटन को दबाया तो वहां से एक सेफ बाहर आया उसने पासवर्ड डाल कर सेफ को ओपन किया और अपना पासपोर्ट और बेड के नीचे से लिफाफा निकाल कर एक जैकेट पहेन कर वहां से निकल कर बाकलनी से पाईप का सहारा ले कर नीचे उतरने लगी और तभी उसका पैर फिसल गया और वोह गिरते गिरते बची।

वोह वहां से निकल कर एक होटल में आई। उसने खुद को फ्रेश किया और वहां से निकल कर एयरपोर्ट पर आ गयी क्योंकि यहां रहना उसके लिए खतरे से खाली नही था।

रोम, इटली:

माज़ आज थोड़ा लेट उठा था। पहेले उसे रात को नींद नही आ रही थी और सुबह के करीब उसकी आंख लगी तभी दरवाज़े पर नॉक होने की वजह से वोह उठ गया।

रोज़ी उसे नाश्ते के लिए बुलाने आयी थी क्योंकि सब नाश्ते पर उसका इंतेज़ार कर रहे थे।

वोह जल्दी से उठा उसने टाइम देखा तो दस बज रहे थे। वोह जल्दी से फ्रेश हो कर डाइनिंग रूम में चल गया।

मेंशन में इस वक़्त उसकी फैमिली के इलावा कोई भी नही था सिवाए रोज़ी के क्योंकि आज अलीज़ा भी उनके साथ नाश्ता कर रही थी।

वोह सबको एक नज़र देख कर मुस्कुराते हुए अलीज़ा के पास वाली कुर्सी पर बैठ गया।

सबकी नजरें उस पर ही टिकी थी। उसने सबको एक नज़र देखा और नाश्ता करने लगा।

"माज़ तुम शादी कब कर रहे हो?"

अलीज़ा ने उससे पूछा।

फिलहाल वोह माहेरा के बारे में कुछ भी नही जानती थी।

जबकि उसकी बात सुनकर माज़ ने शिकायत भरी नज़र शेर खान पर डाली।

सलमान और रामिश भी इस वक़्त उसी को ही देख रहे थे।

"भाई मॉम ठीक कह रही है। आप शादी करले फिर रामिश भाई और मेरी बारी आएगी।"

सलमान खुश होते हुए बोला।

"तुम हमे छोड़ो अगर तुम्हें शादी करनी है तो बताओ हम तुम्हारी शादी करवा देते है।"

माज़ अपनी शादी की बात नज़र अंदाज़ करते हुए बोला।

"हाहाहाहा....भाई मॉम पहेले अपमी शादी करेंगी अभी मेरी किस्मत इतनी भी अच्छी नही है। आप येह सब इसीलिए कर रहे है ना कि आपकी शादी ना हो लेकिन मॉम ने और मैं ने सोच लिया है इस बार आपकी रूखी सुखी ज़िन्दगी में हम किसी है हसीन पारी को ला कर रहेंगे।"

सलमान ने हस्ते हुए कहा।

"सलमान इस बात को छोड़ो हम इस बारे में बाद में बात करेंगे।"

शेर खान ने माज़ का मूड खराब होता देख कर सलमान से कहा तो वोह खामोशी से नाश्ता करने लगा।

वोह लोग अभी नाश्ता कर रहे थे तभी कोई बाहर से माज़ को अपना नाम पुकारने लगा।

माज़ नाश्ता करते हुए जो उनसे थोड़ी बहोत बातें कर रहा था बाहर से जानी पहचानी आवाज़ सुनकर उठ गया।

वोह लम्बे लम्बे कदम लेता बाहर आया तो सोफिया गार्ड से बहेस कर रही थी।

माज़ को देखते ही सोफिया गार्ड को धक्का दे कर उसके पास आई।

"सोफिया तुम यहाँ क्या कर रही हो?"

रामिश जो माज़ के पीछे आया था सोफिया को वहां देख कर हैरान हो कर पूछा।

"वो...वोह माहेरा...."

वोह इतना बोल कर रोने लगी जबकि माज़ माहेरा का नाम सुनके उसे देखते हुए बोला।

"क्या हुआ माहेरा को??? वोह कहा है??"

"वोह उसकी हालत बहोत खराब है। वोह इस वक़्त मेरे घर पर है। मैं कब से आप लोगो को कॉल कर रही हु लेकिन कोई उठा ही नही रहा था।"

सोफिया ने रोते हुए कहा।

वोह माहेरा को ले कर हॉस्पिटल जाना चाहती थी लेकिन उसके ज़ख्मो को देख कर वोह उसे ले कर नही गयी वरना पुलिस इस मामले में पड़ जाती।

माज़ जल्दी से से सोफिया के साथ उसके घर के लिए निकल गया। रामिश भी उसके साथ था।उसने माज़ को सारी बातें बता दी थी।

वोह लोग सोफिया के घर पहोंचे तो माज़ भागते हुए अंदर गया जबकि रामिश और सोफिया बाहर ही रुक गए।

माज़ अंदर गया तो माहेरा के होंठ के नीचे ज़ख्म को और उसके चेहरे पर सूजन देख कर उसने गुस्से में अपने होंठ भींच लिए।

वोह धीरे से चलते हुए उसके पास गया। उसकी जैकेट की वजह से उसने अभी माहेरा की गर्दन पर लगा कट नही देखा था।

वोह उसे बाहों में उठा कर बाहर लाया और कर में लेटा कर वहां से निकल गया।