Ziddi Ishq - 33 in Hindi Anything by Sabreen FA books and stories PDF | ज़िद्दी इश्क़ - 33

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ज़िद्दी इश्क़ - 33

मिलान, इटली:

सलमान ने अपनी सारी पैकिंग कर ली थी और लीना के साथ अपने अपार्टमेंट बैठा मूवी देख रहा था। वोह आज उसके साथ ही रुकने वाली थी इसीलिए सलमान ने दूसरा कमरा भी साफ करवा दिया था।

उन दोनों ने थोड़ी देर बाते की और अपने अपने कमरों में चले गए।

.....

सलमान नींद में था जब उसे अपने रूम में हलचल हुई वैसे भी उसकी नींद बहोत कच्ची थी। छोटी सी आवाज़ पर ही उसकी नींद खराब हो जाती थी।

उसे लगा कोई उसके बेड के करीब आ रहा है। उसने अपने तकिये के नीचे डाला और गन पकड़ ली लेकिन गन को उठाया नही।

उसे बेड पर दूसरे इंसान का वजन महसूस हुआ।
उसने थोड़ी सी अपने आंखे खोली और कमरे की हल्की रौशनी में लीना को देख कर उसे ज़्यादा हैरानी नही हुई।

लीना धीरे से सलमान के बेड पर चढ़ी और अपने कांपते हाथो से उसकी गर्दन पर चाकू रखा।

सलमान अपनी गर्दन पर चाकू के साथ साथ उसके हाथ की कपकपाहट भी महसूस कर सकता था।

वोह उदास से मुस्कुराया और झट से अपनी आंखें खोल कर लीना का चाकू वाला हाथ पकड़ कर झटक दिया। लीना की कमज़ोर पकड़ की वजह से वोह चाकू दूर जा कर गिरा। सलमान ने लीना को बेड पर गिराया और उसके ऊपर गन तान कर साइड लैंप ऑन किया।

लीना का चेहरा डर की वजह से सफेद हो गया था और उसकी आँखों से आंसू गिर रहे थे।

"तुमने मेरे जज़्बात से खेल कर अच्छा नही किया लीना।"

ठाह.............

ठाह.............

ठाह.............

वोह गन का रुख दीवार की तरफ करके गोली चलाते हुए बोला।

"स.....सलमान स...सॉरी...म....मैं येह सब नही करना चाहती थी...प.प्लीज मुझे जाने दो।"

लीना डर कर बोली तो सलमान अपनी गन उसके चेहरे लर फेरते हुए बोला।

"किस बात के लिए, मेरे जज़्बातों से खेलने के लिए या तुम पर अंधाधुन भरोसा करने के लिए या तुमने जो अभी मुझे मारने की कोशिश की है उसके लिए।"

लीना गन अपने चेहरे पर महसूस करते हुए कपकपाने लगी थी। डर उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा था।

"मुझे सच जानना है लीना.....वैसे एक बात बताओ तुम्हारा नाम लीना है भी या नही??.₹?"

"मुझे एक आदमी ने तुम्हारे साथ येह सब करने के लिए कहा था। मुझे तो यह भी नही पता मैं कौन हूं? मैं अपने पास्ट के बारे में कुछ नही जानती। उन लोगो ने मुझसे कहा था अगर मैं ने तुम्हे मार दिया तो वोह मुझे मेरी फैमिली के पास ले कर जाएंगे और अगर मैं ने ऐसा नही किया तो वोह मेरी फैमिली को मार देंगे।"

वोह रुंधी हुई आवाज़ में बोली। वोह एक साल पहले ही कोमा से होश में आई थी लेकिन वोह अपनी यादाश्त खो चुकी थी।

"मैं एक सवाल पूछुंगा उसका जवाब मुझे सच सच देना अगर तुमने झूठ बोलने की कोशिश की तो जो गोली मैं ने दीवार पर चलाई है तुम पर चलाने में देर नही करूँगा।"

उसकी बात सुनकर लीना ने जल्दी से अपना सिर हां में हिलाया।

"मुझ से प्यार करती हो???? सिर्फ सच बोलना झूठ बोलने की कोशिश भी मत केरना।"

सलमान उसे धमकी देते हुए बोला।

"म......मुझे नही प...पता मैं तुमसे प...प्यार करती हूं या नही लेकिन इतना ज़रूर पता है येह दिल बस तुम्हे ही देख कर धड़कता है।"

लीना ने डरते हुए कहा।

उसकी आँखों मे सच्चाई देख कर और उसका जवाब सुनकर सलमान को बेहद खुशी हुई।

........

लखनऊ, इंडिया:

माहेरा ने अपनी आंखें धीरे से खोली तो उसके सिर में बहोत तेज़ दर्द हो रहा था।

उसके होंठ सूख चुके थे लेकिन वोह अपने मुंह पर लगे टेप की वजह से उन्हें तर भी नही कर सकती थी।

प्यास की वजह से उसे अपने गले मे काँटे चुभते हुए महसूस हो रहे थे। उसने अपने आस पास देखा उसे ज़रा भी देर नही लगी इस कमरे को पहचानने में यही वही कमरा था जिस में उस आदमी ने उसकी मॉम को मारा था।

वोह इंडिया अपने पेरेंट्स से इन्ही सब बातों का जवाब लेने आयी थी लेकिन उसे क्या पता था कुछ ऐसा हो जाएगा।

उसे बाहर से हल्की हल्की आवाज़े सुनाई दे रही थी फिर एक आदमी दरवाज़ा खोल कर अंदर आया।

माहेरा ने आंखे उठा कर आने वाले आदमी को देखा तो पुलिस इंस्पेक्टर शैतानी मुस्कुराहट होंटो पे लिए उसे ही देख रहा था।

वोह कल ही तो उसे केस रिओपेन करने की धमकी दे कर आई थी और अब कुछ ऐसा हो गया था। अब उसे कुछ कुछ समझ आ रहा था।

"कैसी है आप मैडम जी??"

इंस्पेक्टर मुस्कुराते हुए बोला।

"ओह तो आप बोल ही नही सकती है बहोत अफसोस कि बात है।......चले फिर आप मेरी ही सुनले।"

वोह उसके सामने खड़ा था और माहेरा का दिल किया कि उसका मुंह ही नोचले मगर अभी उसका दिमाग ठीक से काम नही कर रहा था और वोह उससे पंगा ले कर अपना बुरा हाल नही कराना चाहती थी।

"हमने तुम्हे जाने का मौका दिया था लेकिन तुमने हमे धमकी दी थी अब उसका नतीजा खुद ही भुक्तो।"

वोह उसके बालो को पकड़ कर ज़ोर से झटका देते हुए बोला।

"मुझे पता है तुम्हारे पास कोई ना कोई सबूत ज़रूर है इसीलिए चुप चाप हमे बता दो वोह कहा है वरना...."

वोह उसके मुंह से टेप खींच कर निकालते हुए बोला तो माहेरा को अपने चेहरे पर दर्द महसूस हुआ।

"मेरे पास कोई सबूत नही है और मैं तो जानती भी नही की तुम किस सबूत की बात कर रहे हो???"

वोह अपने होंटो को तर करते हुए बोली। उसे अब सब कुछ समझ आ गया था येह लोग ही उसके पेरेंट्स के मर्डर में शामिल थे।

"हाहाहाहा......चालक लोमड़ी तुमन मुझे बेवकूफ समझ रखा है जो मैं तुम्हारी बातो में आ जाऊंगा।"

वोह अपने पेंट की जेब से चाकू निकालते हुए बोला।

चाकू देख कर माहेरा की आंखे डर से फैल गयी।

वोह अब चाकू से उसके गले पर हल्के हल्के कट लगाने लगा।

"आह....."

प्ली...प्लीज मुझे छोड़ दो, मुझे नही पता किसी सबूत के बारे में......."

"आह......"

वोह उसकी गर्दन पर कट लगाने के बाद मुस्कुराते हुए बोला।

जबकि माहेरा को तकलीफ की वजह से सिर्फ माज़ की याद आ रही थी। उसके आंखों से आंसू बह रहे थे।

शाम को मैं फिर तुमसे मिलने आऊंगा तब तक इन्ही ज़ख्मो से गुज़ारा करो और अगर शाम को भी तुमने उस सबूत के बारे में नही बताया तो इससे भी बुरा हाल करूँगा।

...........

रोम, इटली:

रामिश आज सोफिया से मिलने उसका घर आया था क्योंकि आज सैम साहब भी घर पर नही थे और माज़ ने भी उसे बख्श दिया था।

"मैं आपको ही याद कर रही थी रामिश।"

सोफिया उसके पास बैठे हुए बोली।

"आह.........माहेरा के जाने बाद माज़ ने इतना काम बढ़ा दिया था कि तुमसे मिलने नही आ पाया था।

रामिश उसका गाल चूम कर बोला।

"वैसे तुम अकेले क्या कर रही थी??"

रामिश ने उससे पूछा।

सोफिया ने उसे चुप रहने का इशारा किया और अपने फोन में कुछ टाइप करने लगी। टाइप करने के बाद उसने फोन रामिश को दिखाया और बोली।

"मैं बस बोर हो रही थी अच्छा हुआ तुम आ गए।"

"चलो बाहर चलते है।"

रामिश ने उसका फोन उसे दिया और उसका हाथ पकड़ कर बाहर ले कर निकल गया।

............

वोह उसे दी फ्लोर केफे में ले कर आया तो सोफिया बोली।

"रामिश यहां ले कर क्यों आये हो हम कहि और चलते है।"

"फिक्र मत करो येह मेरा ही केफे है। इसके पीछे मेरा एक प्राइवेट रूम है।"

वोह गाड़ी से निकल कर उसे बाहर निकालते हुए बोला।

सोफिया ने न समझी से उसे देखा। वो और माहेरा इतने साल से उस केफे में काम कर रही थी लेकिन वोह कभी उस केफे के ओनर से नही मिली थी। उसे अब समझ आ गया था कि माज़ के उस आदमी के मर्डर करने पर भी कुछ क्यों नही हुआ था।

वोह उसे ले कर अपने प्राइवेट रूम में ले कर आया था।

चलो बताओ क्या बात है जो तुम मुझे बताना चाहती थी।

उसकी बात सुनकर सोफिया ने अपना होंठ तर किया और उसे बताना शरू किया।

पास्ट...............

मेरी माँ के मरने के बाद मेरे डैड ने जुआ खेलना और ड्रग्स लेना शुरू कर दिया था। बिज़नेस पर ध्यान न देने की वजह से उन्हें बिज़नेस में बहोत लॉस हो गया था। डैड ने जुआ खेलने के लिए अल्बर्टो से बहोत से उधार ले लिए रहे लेकिन वोह उन्हें लौटा नही पाए थे।

मेरी एक बहेन थी अन्नू।

जब डैड उन्हें पैसे लौटा नही पाए तो उन लोगो ने हमे अपने कब्जे में ले लिया था।

मैं तो खुद जाने के लिए तैयार थी लेकिन अन्नू को अपने साथ नही ले जाना चाहती थी।

क्योंकि अन्नू मुझसे ज़्यादा प्यारी थी इसीलिए अल्बर्टो ने उसे अपने पास रख लिया था और मुझसे क्लब में डांस करवाना शरू कर दिया था।

मैं ने उस दरिंदे के पास से अपनी बहन को छुड़ाने की बहोत कोशिश की लेकिन मेरे बस में नही था। वोह हम दोनों को बेदर्दी से मारा जाता था।

एक दिन अन्नू ने मुझे बताया कि अल्बर्टो किसी मीटिंग मी जा रहा है और वोह शाम तक वापस आएगा।

उस दिन हमने वहां से भागने का प्लान बनाया हम कामियाब भी हो गए लेकिन फिर अचानक पीछे से एक गाड़ी ने हम दोनों को टक्कर मार दी थी। मेरे हाथ और पैर बहोत चोट आई थी जबकि अन्नू के सिर पर बहोत गहरी चोट आई थी और उससे तेज़ी से खून बह रहा था। मैं ने बेहोश होने से पहेले उसे आखिरी बार देखा जो पहेले से ही बेहोश पड़ी थी।

.......

एक हफ्ते बाद जब मुझे होश आया तो मेरे डैड मेरे सामने ही बैठे थे। मैं ने उनसे अन्नू के बारे में पूछा तो उन्होंने मुझे यही बताया कि सिर्फ मुझे ही हॉस्पिटल लाया गया था क्योंकि उस हॉस्पिटल के एक डॉक्टर उनके जानने वाले थे इसीलिए उन्होंने डैड को खबर देदी थी।

अन्नू के मिसिंग होने के बाद मैं ने उसे ढूंढने की कोशिश की और जब वभ नही मिली तो मैं फिर से अपनी पढ़ाई कंप्लीट करने के लिए एडमिशन ले लिया। उसी दौरान मैं माहेरा से मिली थी उसे में ने अन्नू के गयेब होने की बात बताई थी लेकिन वोह भी पूरा सच नही जानती थी।

उस दिन जब तुम और माज़ केफे आये थे उसी रात मुझे एक मैसेज आया था जिसमे अन्नू की फ़ोटो थी। मैं ने उस नम्बर पर कॉल की लेकिन किसी ने फोन नही उठाया।

फिर दो दिन बाद मुझे उसी नम्बर से कॉल आया और उस आदमी ने मुझे तुम्हे अपने प्यार में फसाने के लिए कहा था। मैं ने उनकी बात मान ली थी लेकिन उसने मुझे धमकी दी थी अगर इस बारे में मैं ने किसी को भी बताया तो वोह अन्नू को मार देगा।

.........

लेकिन अब वोह खजड उससे प्यार करने लगी थी।

अभी दो दिन पहले ही उसे रामिश को ज़ाहिर देने के लिए कहा गया था।

वोह अब सोच में पड़ गयी थी कि अन्नू और रामिश में से वोह किसे चुने फिर माहेरा की बात याद करते हुए उसने रामिश को सब कुछ बताने का फैसला किया।

रामिश को सच बताने के बाद अब वोह इसका चेहरा देख रही थी जिस पर कोई भी एक्सप्रेशन नही था।

"क....क्या तुम्हे मेरे पास्ट से कोई प्रॉब्लम है?"

सोफिया ने रामिश का सपाट चेहरा देख कर डरते हुए पूछा।

रामिश ने एक नज़र सोफिया को देखा जो परेशान सी बैठी अपनी उंगलिया मरोड़ रही थी और उसकी आंखों में आंसू थे।

"नही....अगर मुझे कहि और से पता चल तब ऐसा होता।"

सोफिया नम आंखों से मुस्कुरा दी।

"मेरी मॉम भी ह्यूमेन ट्रेफिकिंग का शिकार थी और वोह भी एक क्लब में डांसर थी इसीलिए मुझे तुम्हारे पास्ट से कोई प्रॉब्लम नही है।"

"लेकिन तुमने मुझे पहेले क्यों नही बताया??? अब बताने का फैसला क्यों किया??"

"वो...वोह मुझे...द...दो दिन पहले आपको ज़ाहिर देने के लिए कहा गया था।"

सोफिया ने डरते हुए कहा।

रामिश उसके पास से उठ कर अपनी जेब से सिगरेट निकाल कर सुलगाने लगा।

"तो तुमने मुझे ज़ाहिर क्यों नही दिया मुझे बताया क्यों?? मेरे खयाल से तुम्हे अपनी बहेन ज़्यादा प्यारी थी जिसकी खातिर तुमने मुझे अपनी मासूमियत से बेवकूफ बनाया।"

उज़्ने सिगरेट पीते हुए सुलगते हुए लहजे में कहा।

"वोह...म...मुझे अपनी बहेन को ब....बचाने के लिए त...तुम्हारी मदद चाहिए थी। मैं तुम्हे मारना नही चाहती थी।"

सोफिया रोते हुए बोली।

"क्यों?? क्यों नही मारना चाहती?? इस तरह तो तुम्हारी बहेन भी तुम्हे मिल जाएगी।....चलो मैं तुम्हारे लिए आसानी कर देता हूं।"

वोह जैकेट से अपनी गन निकाल कर सुलगते लहजे में बोला और उसकी तरफ गया जो आंखे फैलाये उसे ही देख रही थी।

रामिश मुस्कुराते हुए उसके करीब गया और उसके कांपते हाथो को जबरदस्ती पकड़ कर अपनी गन उसके हाथ मे पकड़ाई।"

"प....प्लीज मैं ऐसा नही करना चाहती हु।"

सोफिया ने गन का पॉइंट रामिश के दिल की तरफ देख कर रोते हुए कहा।

"अब रो क्यों रही हो, तुम तो यही चाहती थी ना कि पहेले मुझे अपना दीवाना बना लो और फिर मुझे मार दो।"

वोह तंजिया मुस्कुराते हुए बोला।

"म...मैं ऐसा नही कर सकती...म..में आप से मोहब्बत करती हूं।"

वोह सिर ना में हिलाते हुए काँपती आवाज़ में बोली।

सोफिया की बात ठंडे पानी की तरह उसके सुलगते दिल पर पड़ी और उसके हाथ और रामिश कि पकड़ ढीली हो गयी।

रामिश ने उसे अपनी बाहों में लिया।

उसकी बाहों में जाते ही सोफिया ज़ोर ज़ोर से रोने लगी।

"मुझे अन्नू वापस चाहिए रामिश...प्लीज मेरी मदद करे।"

"मैं बहोत तकलीफ में हु।"

"डैड फिर से ड्रग्स लेने लगे है। उन्हें अन्नू की कोई परवाह नही है।"

"वोह हमसे बिल्कुल भी प्यार नही करते।"

"प्लीज आप मुंह कभी छोड़ कर मत जाना।"

वोह रोते हुए हिचकियो के साथ उससे बोल रही थी और रामिश उसकी कमर सहलाते हुए खामोशी से उसकी बात सुन रहा था।

"शु...शु....मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा।"

वोह उसे खुद से अलग करते हुए उसकी भीगी आंखों पर किस करते हुए बोला।

उसने सोफिया के आंसू साफ किये और दोबारा उसे अपने सीने से लगा लिया।

वोह भी उसके सीने से लग कर खामोशी से आंखे बंद किये बैठी थी। आज उसके दिल से एक बोझ उतर गया था।