Ziddi Ishq - 29 in Hindi Anything by Sabreen FA books and stories PDF | ज़िद्दी इश्क़ - 29

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ज़िद्दी इश्क़ - 29

माज़ जिसने गाड़ी का दरवाजा खोलते ही अपनी गन माहेरा की गाड़ी की तरफ पॉइंट की थी माहेरा को गाड़ी से निकलते देख उस ने चैन की सांस ली।

माहेरा को ज़ख़्मी देख उसकी दिल की धड़कने बंद होने लगी थी। इससे पहेले की माहेरा बेहोश हो कर नीचे गिरती माज़ भागते हुए उसके पास आया और आगे बढ़ कर उसे अपनी बाहों में ले लिया।

उसने माहेरा को अपनी बाहों में उठाया और भागता हुआ अपनी कार की तरफ आया। रामिश जल्दी से ड्राइविंग सीट पर बैठ गया। माज़ ने माहेरा को कार में ले कर आया तो रामिश ने कार स्टार्ट करके फुल स्पीड से हॉस्पिटल की रास्ते पर दौड़ा दी।

रामिश ने कार एक प्राइवेट हॉस्पिटल के सामने रोकी तो माज़ जल्दी से माहेरा को लेकर हॉस्पिटल के अंदर चला गया।

रामिश भी उसके साथ अंदर आया। उसने पहेले नज़र आने वाले डॉक्टर को पकड़ा और माहेरा को चेक करने के लिए कहा। वोह डॉक्टर उसे ले कर जल्दी से एमेरजेंसीय रूम में चले गए।

..........

तीन दिन बाद...........

माहेरा को अपने कानों में किसी के बोलने की आवाज़ आ रही थी।

"येह कब उठेगी! तुमने कहा था आज इसे होश आ जायेगा?"

माज़ की फिक्र भरी आवाज़ सुनकर उसने मुस्कुराने की कोशिश की लेकिन वोह खुद को हिला नही पा रही थी। उसे बस आवाज़े सुनाई दे रही थी।

"सर वोह जल्दी होश में आ जाएंगी अगर आज उन्हें होश नही आया तो हमें पूरा यकीन है कल तक इन्हें होश आ जायेगा।"

उसे किसी अजनबी की आवाज़ आयी।

"अगर कल तक इसे होश ना आया तो मैं तुम्हे और तुम्हारे पूरे हॉस्पिटल को तबाह कर दूंगा। अब जो यहां से मेरा मुंह क्या देख रहे हो।"

माहेरा ने माज़ की गुस्से भरी आवाज़ सुनकर अपनी आँखें खोलने की कोशिश की मगर वोह खोल नही पा रही थी। उसे अपने आस पास बस अंधेरा ही नज़र आ रहा था।

उसने एक बार फिर कोशिश की मगर इस बार भी वोह कामियाब नही हो पाई।

फिर अचानक उसे अपने माथे पर माज़ का स्पर्श महसूस हुआ।

"माहेरा प्लीज उठ जाओ तुम्हारे बिना मुझे अपने हर तरफ अंधेरा ही नज़र आ रहा है। तुम मेरी ज़िंदगी मे रोशनी की वोह किरण हो जिसने मुझे हँसना सिखाया, लड़ना सिखाया और ज़िन्दगी जीना सिखाया। मेरी ज़िंदगी तुम्हारे बिना अधूरी है। प्लीज माहेरा उठ जाओ यार।"

उसे माज़ के स्पर्श के साथ साथ अब धीरी धीरी आवाज़े भी सुनाई दे रही थी।

इस बार उसने पूरा जोर लगा कर अपनी आंखें खोलने की कोशिश की और वोह कामियाब भी हो गयी। उसने अपनी आंखें खोली तो कमरे में तेज रोशनी की वजह से उसे दोबारा अपनी आंखें बंद करनी पड़ी।

जबकि माज़ अपना सिर माहेरा के सिर से टिकाये आंखे बंद किये खड़ा था।

"म.....माज़।"

माहेरा धीरी आवाज़ में अपनी जुबान से होंठो को तर करते हुए मुश्किल से बोली।

माज़ को जब माहेरा की आवाज़ सुनाई दी तो उसने अपनी आंखें झट से खोली और खुशी से माहेरा की तरफ देखा जो आंखे खोले उसे ही देख रही थी।

माज़ खुश होते हुए जगह जगह उसके चेहरे पर अपने होंठों का स्पर्श छोड़ने लगा तो उसे फिर से माहेरा की आवाज़ सुनाई दी।

"प....पानी।"

वोह माज़ को रोकने के लिए धीरी आवाज़ में बोली। वैसे भी पानी ना पीने की वजह से उसको अपने गले मे काँटे चुभते हुए महसूस हो रहे थे।

माज़ जल्दी से पीछे हटा और माहेरा को सहारा दे कर पानी पिलाने लगा। पानी पिलाने के बाद उसने दोबारा माहेरा को बेड पर लेटा दिया और जल्दी से उठ कर डॉक्टर को बुलाने लगा जो भागते हुए उसके रूम में आया।

डॉक्टर माहेरा का चेकउप करने लगा और माज़ को बाहर जाने के लिए कहा।

माज़ ने घूर कर उस डॉक्टर को देखा तो डॉक्टर चुप चाप दोबारा अपना काम करने लगा।

"आपको को कैसा फील हो रहा? आप को कहि और दर्द तो नही हो रहा है?"

डॉक्टर ने माहेरा से पूछा।

"मुझे बस सिर के इलावा कहि भी दर्द नही हो रहा है।"

माहेरा ने धीरी आवाज़ में जवाब दिया।

"सिर पर चोट लगने की वजह से आपको दर्द हो रहा है जो मैडिसन लेने से ठीक हो जाएगा।"

डॉक्टर ने उसकी चोट को चेक करते हुए जवाब दिया।

"मैं कितने दिन से बेहोश थी?"

डॉक्टर की बात सुनकर माहेरा ने पूछा।

"आप तीन दिन से बेहोश है। हमें यकीन था कि आज आपको होश आ जायेगा वैसे आपके होश में आने की दुआ पूरा हॉस्पिटल कर रहा था। अब आप दिमाग पर ज़्यादा ज़ोर मत डेल नही तो आपके सिर में और दर्द होगा।"

डॉटर ने कहा तो उसकी बात सुनकर माहेरा बोली।

"अपने ऐसा क्यों कहा कि मेरे होश में आने की दुआ पूरा हॉस्पिटल कर रहा था?"

"वोह आपके हस्बैंड ने धमकी दी थी अगर आज आपको होश नही आया तो वोह पूरे हॉस्पिटल को गायब कर देंगे। अब आप रेस्ट करे मैं शाम को दोबारा चेक करने आऊंगा।"

डॉक्टर ने माहेरा से कहा और माज़ को बिना देखे कमरे से बाहर निकल गया।

जबकि डॉक्टर की बात सुनकर माहेरा मुस्कुराने लगी।

डॉक्टर के वहा से जाते ही माज़ माहेरा के पास आ कर बैठ गया और उसे मुस्कुराते हुए देखने लगा।

"कैसा लग रहा है? अगर ज़्यादा दर्द है तो मैडिसन दे देता हूं। तुम थोड़ी देर रेस्ट करलो।"

माज़ ने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए पूछा।

"बिल्कुल नही अभी तो जगी हु और तुम चाहते हो मैं दोबारा सो जाऊं।"

माहेरा ने हल्का सा अपना सिर ना में हिलाते हुए कहा।

"कभी नही तुम सोच भी नही सकती येह तीन दिन मैं ने कितनी मुश्किल से गुजारे है। एक एक मिनट मिंट मुझे एक घण्टे से कम नही लगता था।"

माज़ ने उसका हाथ पकड़ कर उसके करीब बैठते हुए कहा।

"मज़ाक कर रहे हो? मेरे ख्याल से तुम खुश हो गए होंगे कि चलो अब तुम्हारी मुझ से जान छुटी और अब तुम आराम से दोबारा अपनी सड़ी हुई बोरिंग ज़िन्दगी मेरे बिना जियोगे।"

माहेरा मुस्कुराते हुए शरारत से बोली।

"हम्म...तुम सही कह रही हो वैसे तुम फिक्र मत करो इतने भी बोर दिन नही गुज़रे मेरे, वैसे तुम्हे पता है कल हॉस्पिटल की एक डॉक्टर ने मुझे परपोज़ किया था।....वाह..क्या खूबसूरत डॉक्टर थी। मुझे से कह रही थी मैं आपसे शादी करना चाहती हु। पांच साल पहेले उस ने मुझे एक रेस्टुरेंट में देखा था कह रही थी देखते ही मेरे प्यार में पागल हो गयी थी।....."

माज़ ने अपनी हँसी छुपाते हुए उससे कहा।

माज़ की बात सुनकर माहेरा ने घूर कर उसे देखा और फिर ज़ोर ज़ोर से हसने लगी।

"तुम इतने भी हैंडसम नही हो कि राह चलते लोग तुम्हारे प्यार में पागल हो जाये और तुम्हे क्या पता यूनिवर्सिटी में आधे से ज़्यादा लड़के मेरे दीवाने थे। कई बार लड़को ने मुझे परपोज़ भी किया मगर मैं ही किसी को घास नही डालती थी।"

माहेरा ने मुस्कुराते हुए माज़ से कहा।

अब की बार माज़ ने उसे घूर कर देखा तो माहेरा फिर से हसने लगी। उसकी हँसी सुनकर माज़ के दिल को सुकून मिल रहा था।

"तुम जेलेस हो रहे हो माज़ और तुम्हरा चेहरा भी लाल हो गया है।"

माहेरा ने हस्ते हुए कहा।

उसकी बात सुनकर माज़ ने अपने मुंह पर हाथ फेरा और माहेरा से बोला।

"मेरा चेहरा कमरे की गर्मी की वजह से लाल हो रहा और मैं क्यों उन लड़कों से जेलेस होऊंगा तुम अब मेरी बीवी हो तो अब उन लड़कों को जेलेस होना चाहिए।"

"इस छोटे से कमरे मे फुल ऐसी चल रहा है और मुझे हल्की हल्की ठंड लग रही है और तुम कह रहे हो कमरे में गर्मी है।...हुन....बंदा बहाना भी कोई अच्छा सा बनाता है।"

माहेरा ने शरारत से उसे घूरते हुए कहा।

माज़ उस की बात सुनकर कुछ कहने ही वाला था की तभी दरवाज़ा खोल कर एक नर्स अंदर आयी। वो नर्स माज़ को देख कर मुस्कुराने लगी।

माहेरा का दिल किया कि उस नर्स का मुंह नोच ले।

"सर...मैम की ड्रिप चेंज करने का वक़्त हो गया ह।"

वोह अपनी मीठी वाज़ में माज़ से बोली।

माहेरा का गुस्से से लाल होता चेहरा देख कर माज़ उस नर्स को देख कर मुस्कुराने लगा।

"चुड़ैल, डायन, चली जाओ यहां से इससे पहले की मैं बेड से उठ कर तुम्हारा मुंह नोच लू।"

माहेरा गुस्से से चीखते हुए नर्स से बोली।

वोह नर्स उसकी बात सुनकर कमरे से बाहर चली गयी।

"और अगर तुमने अब दोबारा किसी लड़की की तरफ मुस्कुरा कर देखा तो मैं तुम्हारे दांत तोड़ दूंगी और अब मुझ से बात करने की कोशिश मत करना।"

वोह माज़ को देखते हुए बोली जो अपनी हँसी रोकने की कोशिश कर रहा था।

लेकिन वो ज़्यादा देर तक अपनी हँसी नही रोक पाए और ज़ोर ज़ोर से हसने लगा। माहेरा ने गुस्से से उसे देखा और दूसरी तरफ मुंह करके लेट गयी।

माज़ अपनी हँसी रोक कर स्टूल से उठा। माहेरा को लगा कि वोह उसे मनाने का रहा है लेकिन वोह उसे मनाने की बजाए वोह कमरे से बाहर निकल गया। माहेरा ने घूर कर दरवाज़े की तरफ देखा और मुंह बिगाड़ते हुए आंखे बंद करके लेट गयी।

माज़ ने कमरे से बाहर निकलने के बाद गार्ड्स के साथ खड़े जैक्सन से कैंटीन से सूप लेन के लिए कह कर और रामिश और शेर खान को माहेरा के होश में आने की खबर दे कर और एक नर्स को कमरे भेजने का बोल कर वापस कमरे में आ गया जहां माहेरा नाराज़ हो कर लेती हुई थी। सेदेख कर वोह फिर मुस्कुरा उठा।

.......

सोफिया लाउंज में बैठी सैम साहब का इंतज़ार कर रही थी जो कल रात से घर नही आये थे। वोह कल माहेरा को हॉस्पिटल में देख कर आई थी तब उसे होश नही आया था। थोड़ी देर उसके पास बैठ कर जब वोह वापस आयी तो सैम साहब घर पर नही थे। उसे लगा वोह रात को वापस आ जाएंगे मगर अब दोपहर हो गयी थी इर वोह अब तक घर नही आये थे।

उसकी सैम साहब से ड्रग्स के बारे में एक बार बात हुई थी तब उन्होंने उसे थप्पड़ मार कर खामोश करवा दिया था।

वोह अपनी सोचो में गुम थी जब उसे लाउंज में किसी के आने का अहसास हुआ। उसने नज़रे उठा कर यूजर देखा तो सैम साहब लड़खड़ाते हुए आ रहे थे और उनके हाथ मे एक लिफाफा था। उस लिफाफे को देख सोफिया समझ गयी थी कि उसमें ड्रग्स है।

"आप ने फिर से येह सारे काम शुरू कर दिए है? और आप कहा से आ रहे है डैड?! मुझे पता चल गया है जुआ खेल कर आ रहे है ना आप और हारने के बाद ड्रग्स ले कर रात को कहि पड़े होंगे और सुबह होश आया होगा तो सोचा होगा आपकी एक बेटी ज़िंदा है इसीलिए वापस आ गए होंगे।"

सोफिया अपनी जगह से उठ कर गुस्से से बोली।

"मॉम ठीक कहती थी एक शराबी जुआरी कभी भी ठीक नही हो सकता अब अगर आप ने दोबारा ड्रग्स लिया तो मैं आपको छोड़ कर चली जाउंगी।"

"यह सब जो हमारे साथ हो रहा है आपजी वजह से हो रहा है। हम पहेले ही इतनी मुश्किलात में फसे हुए है और आपको सिर्फ अपनी पड़ी हुई है। अब अपको अपनी पुरानी आदते अपना कर सुकून मिल गया ना तो अब आप अकेले ही रहे मैं आपको छोड़ कर जा रही हु।"

वोह गुस्सेसे बोलती हुई अपने कमरे में चली गयी जबकि सैम साहब जो नशे में थे उसकी बात और ध्यान दिए बिना ही लड़खड़ाते हुए अपने कमरे ने से गये।

वोह गुस्सेसे अपने कमरे में आई और अपनी आंखों में आये आंसुओ को बेदर्दी से रगड़ते हुए उसने साफ किया और अपने कपड़े बदल कर माहेरा से मिलने जाने के बारे में सोचने लगी।

सोफिया कैब से हॉस्पिटल जा रही थी जब उसे रामिश का फोन आया।

"हेलो।"
सोफिया ने फोन उठा कर कहा।

"सोफिया माहेरा को होश आ गया है अगर तुम्हें उससे मिलना है तो तैयार हो जाओ मैं बस घर से निकल रहा हु।"

रामिश ने खुशी से कह।

"नही, उसकी जरूरत नही है। मैं उससे मिलने के लिए निकल चुकी हूं अब तो बस पहुचने ही वाली हु।"

सोफिया ने रामिश से कहा।

"ठीक है फिर वहां पहोंच कर बात करते है।"

उसने बात पूरी की और फोन कट कर दिया।

.....

वोह नॉक करके कमरे में आई तो माज़ माहेरा को ज़बरदस्ती सूप पिला रहा जबकि माहेरा उसे खूंखार नज़रो से घूर रही थी।

माहेरा सोफिया को देख कर मुस्कुराने लगी।

"बस अब येह बाकी सूप तुम पी लो।"

माहेरा ने माज़ को घूरते हुए कहा और सोफिया को देखा जो अब उसके पास आ गयी थी।

"खुद तो तीन दिन से मज़े से सो रही हो और यहां हम सबकी जान निकाल दी।"

सोफिया ने मुस्कुराते हुए माहेरा से कहा।

"तो ब तुम लोगो को मेरी वैल्यू का पता चल गया ना।"

माहेरा ने हस्ते हुए कहा।

"हाहाहाहा...तुम अपनी कदर हॉस्पिटल वालो से पूछो जिनकी जान तीन दिन से सूली पर लटक रही थी।"

सोफिया ने हस्ते हुए कहा और अ कर उसके पास बैठ गयी क्योंकि माज़ पहेले ही कमरे से जा चुका था।

"सोफी, तुम ठीक तो हो ना?? तुम्हरी आंखे तुम्हरी हँसी का साथ नही दे रही है!!! क्या तुम्हें कोई प्रॉब्लम है?"

माहेरा ने ध्यान से सोफिया की शक्ल देखते हुए पूछा।

"न....नही मुझे कोई परेशनी नही है।"

सोफिया उसकी बात सुनकर गड़बड़ा कर बोली।

"क्या तुम्हें फिर से उसकी याद आ रही है?"

माहेरा ने उसकी बात को नजरअंदाज करके पूछा।

"वोह भूलती ही नही उसे याद क्या करूँ!"

सोफिया उदासी से मुस्कुराते हुए बोली जबकि उसकी आँखों से आंसू गिरने लगे थे।

"शु..शु.. वोह तुम्हारे साथ है तुम उसे महसूस किया करो और मुझे यकीन है अगर वोह तुम्हे रोते हुए देखती तो तुम पर ज़रूर गुस्सा करती। क्या तुमने रामिश को अपने पास्ट के बारे में बता दिया?"

माहेरा ने उसे तस्सली दे कर आखिर में पूछा।

"न..नही अभी नही बताया। मुझे डर लगता है कहि सच जान कर वोह मुझे छोड़ कर ना चला जाये।"

सोफिया ने धीमी आवाज़ में उसे जवाब दिया।

"तुम्हे उसे बताया देना चाहिए इससे पहले की उसे किसी और से इस बारे में पता चले और तुम फिक्र मत करो अगर उसने तुम्हे कुछ भी कहा तो देखना मैं उसके साथ क्या करती हूं।"

माहेरा की बात सुनकर उसने अपना सिर होलाय और मुस्कुराते हुए उसे देखा जो सिर्फ आधी असलियत जानती थी लेकिन फिर भी उसका साथ दे रही थी।

वोह दोनो बात कर ही रही थी कि तभी दरवाज़ा खोल कर माज़ रामिश और शेर खान अंदर आये।

सोफिया उन लोगो को देख कर अपनी जगह से खड़ी होने लगी थी की माज़ ने उसे बैठे रहने का इशारा किया।

शेर खान और रामिश ने उसकी तबियत के बारे में पूछा तो माहेरा ने मुस्कुराते हुए उनका जवाब दिया।

"वैसे माहेरा एक बात बताओ तुम उन लोगो से बच कर कैसे भागी? मैं तो तुम्हारी बहादुरी का फैन हो गया हूं।"

रामिश ने मुस्कुराते हुए माहेरा से पूछा जिसके बारे में सभी जानना चाहते थे।

फिर क्या था माहेरा उन्हें अपनी बहादुरी के किस्से सुनने लगी और सब उसकी अक्लमन्दी से इम्प्रेस्ड हो गए जबकि माज़ उसके गाड़ी से कूदने और बाल खींचे जाने जा सुनकर अपना गुस्सा कंट्रोल करने की कोशिश करने लगा।

सबक जाने के बाद एक नर्स वहां आयी और माहेरा को दवाई दे बाहर चली गयी। उसके बाहर जाने के बाद माज़ चिपक कर उसके साथ बेड पर लेट गया। दवाई के असर की वजह से माहेरा की आंखे बंद होने लगी थी।

माज़ ने उसके होंठो पर किस किया और फिर माथे पर किस करके उसके साथ लेट गया।