Pyar ka Daag - 6 in Hindi Classic Stories by SWARNIM स्वर्णिम books and stories PDF | प्यार का दाग - 6 (अन्तिम भाग)

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प्यार का दाग - 6 (अन्तिम भाग)

बोतलबंद पानी लेने और रसोई का दरवाजा बंद करने के बाद, मैं उस कमरे में लौट आयी जहाँ वह था। वह फोन पर बात कर रहा था। मैं दूसरे बिस्तर पर गयी और बैठ गयी। जो उस बिस्तर के ठीक सामने था जहाँ वह बैठा था।

बात करते करते अचानक से उसने फोन काट दिया और मुझसे पूछा- "तुम्हारे पैर को क्या हुआ? खून बह रहा है?"

सैन्डिल को उतारने के बाद राहत महसूस हुई थी इसलिए मुझे अपने पैरों पर ध्यान नहीं था। अब वह खुद ही जान गया था कि मैनें रास्ते में उससे पहले क्या नहीं बताया था।

"यह और कुछ नहीं बल्कि सैन्डिल से लगी हुई छोटी सी चोट के निशान हैं।" मैंने पैर छुपाते हुए कहा।

उसने पास आकर मेरे पैर को अपने हाथ से पकड़ लिया और कहा - "इतना दर्द होते हुए भी तुमने मुझे नहीं बताया? ऐसा लगा जैसे जब मुझे घुमाया गया तो मैंने घाव कर दिया।"

"यह एक छोटा सा घाव है, यह एक या दो दिन में अपने आप ठीक हो जाएगा।" मैंने मेरी टांगों से उसकी हाथ हटाते हुए कहा।

" चाहे घाव छोटा हो या बड़ा यह दर्द तो समान ही होता है ना!? तूम इसे कैसे अनदेखा कर सकती हो?"

उसने अपने बैग से टिश्यू और पट्टी निकाली और मेरे पैर के घाव को टिश्यू से साफ किया और पट्टी बांध दी। मैं हतप्रभ होकर उसे देखती रही।

"जिसे यह आदमी मिलता है वह वास्तव में भाग्यशाली है," मैंने मन ही मन सोचा।

"साढ़े ग्यारह बज चुके हैं। आज कितनी तेजी से बीत गया। मुझे कल पहली फ्लाइट लेनी है नहीं तो मैं ऑफिस ठीक टाइम पर नहीं पहुंच पाऊंगा।"- अयान ने घड़ी की ओर देखते हुए कहा।

"क्या आप कल वापस जाने वाले हैं? आप दो या तीन दिनों के लिए छुट्टी तो ले ही सकते हैं। यदि आप कर सकते हैं, तो एक दिन के लिए क्यों आएं?" मैंने घुरकि लगाते हुए पूछा।

"तुमने बुलाया और मैं तुमसे मिलने आया।" उसने सरलता से उत्तर दिया।

मैं उनके जवाब पर प्रतिक्रिया किए बिना चुप रही।

"तूम नाराज़ क्यों हो, मैं बाद में आता हूँ। मैं फेस्टिवाल की छुट्टी के दौरान तुम्हारे साथ काठमांडू घुमने कि लिए आऊंगा। तुम मेरे लिए समय निकालोगी, ना?" उसने बच्चे की समझाने कि तरह मेरे बालों को सहलाते हुए कहा।

"प्रामिस?" मैंने प्रतिप्रश्न किया।

प्रत्युत्तर में वह बिना कुछ कहे धीरे से अपने होंठ मेरे माथे पर ले आया। मैंने अपना सिर उठाकर उसके सीने पर छिपा लिया। उसने मुझे अपनी बाँहों से कसकर गले लगा लिया। मैंने महसूस किया कि इस तरह उसके सीने में कितना अधिक सुरक्षित हूं।

सुबह छह बजे वह उठा और फ्रेश होने लगा। मैंने भी उठकर हम दोनों के लिए गुनगुना पानी और लेमन टी तैयार की। आज कॉलेज में पहला पीरियड लेज़र था। इसलिए पहले पीरियड को पूरा करने की कोई जल्दी नहीं थी।

अयान और मैंने एक साथ चाय के लिए बाहर जाने की योजना बनाई। उसने मुझे कॉलेज छोड़कर उसी टैक्सी से एयरपर्ट जाने को कहा। मैं उसके प्रपोजल पर राजी हो गयी और हम दोनों कमरे से निकल गए।

मुझे प्रदर्शनी मार्ग पर छोड़कर, वह एयरपर्ट की ओर चल पड़ा। उसकी फ्लाइट 8:30 बजे कि थी। अयान ने घर पहुंचने और ऑफिस से मिलने की योजना बनाते हुए पोखरा के लिए पहली फ्लाइट बुक की थी।

क्लास चलने के दौरान मोबाइल में वाइब्रेशन हुआ। इनबॉक्स में अयान का मैसेज आया था। इसमें लिखा था- "I'm about to go. You sit well. Take care of yourself. I will never forget the moments I spent with you. Miss you."

"Have a safe journey and you too take care..."

मैंने क्लास के अंदर से ही लिखा और उसे भेज दिया।

इसके बाद उसकी ओर से कोई जवाब नहीं आया। वह पहुंचा या नहीं, इस बारे में उसने कोई जानकारी नहीं दी।कॉलेज के बाद मैंने उसे कॉल करने की कोशिश की लेकिन मोबाइल वही टोन दोहराता रहा- "जिस मोबाइल से आप संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं वह स्विच ऑफ हो गया है।"

कमरे में पहुंचने पर भी उसका फोन नहीं आया। मैंने दरवाजा खोला और बैग को बाहर से बिस्तर पर फेंक दिया। मैं हैरान थी कि अयान का फोन स्विच ऑफ था।

यह पहली बार था कि जब मैंने उसे फोन किया तो उसका मोबाइल स्विच ऑफ था। "क्या वजा हुआ फोन बंद करने का? या उसे मेरे से इतना बुरा क्या लगा, जो उसे फोन बंद करना पड़ा?" मेरे दिमाग में ऐसा ही कुछ चलता रहा।

भले ही मैं कल उपवास कर रही थी, फिर भी मैं खाना पकाने अौर खाने के मूड नहीं थी। मैंने कॉलेज जाते समय जो कपड़े पहने थे। वे कमरे में आरामदायक नहीं थे। कपड़े बदलने के लिए आपनी कपडे निकाली तो अयान की जैकेट जमीन पर गिर गई। जो उसने मुझे कल टैक्सी में पहनना दिया था। मुझे अचानक एहसास हुआ कि उसकी जैकेट यहा छुट गई थी।

"किस तरह के व्यक्ति है यह अपने कपड़े तो खुद लाने चाहिए था।" मैंने स्वयं से कहा। वहां सुनने के लिए कोई दूसरा व्यक्ति नहीं था।

इस बार मैंने उसे फिर से फोन करके बताना चाया कि उसकी कपड़े यह ओर रह पडा हैं। पहले की तरह वही स्वर सुनाई दे रहा था कि मोबाइल बंद है। मैंने मोबाइल डेटा चालू किया और उसकी Viber आक्टिभिटी की जाँच की। रविवार को सक्रिय वहां लिखा गया था। कल मुझे पता चला कि उसने हमारे चैट के बाद Viber चालू नहीं किया।

मैंने तुरंत Viber से बाहर निकल कर Facebook चालू कर दिया। फेसबुक पर मैंने जो पहली तस्वीर देखी, उससे मेरी आंखे एकीन ही नही कर पाया। सड़क दुर्घटना की खूनी तस्वीर को देखने में असमर्थ हो कर मैंने मोबाइल स्क्रीन को नीचे स्क्रॉल किया।

फोटो में अयान मुस्कुराते हुए नजर आ रहा था।लेकिन इसके कैप्शन ने मुझे अयान की तस्वीर के साथ मुस्कुराने नहीं दिया। अचानक दिल ठंडा हो गया। शरीर कांपने लगा और अचानक मोबाइल फोन मेरे हाथ से जमीन पर गिर गया।

मेरी हिम्मत नहीं हुई कि मैं अपना मोबाइल फोन उठाऊं और फिर से देखूं। भले ही मेने जो दृश्य देखा उससे मेरा दिल एकीन नहीं कर पाया, लेकिन यीन आंखों से आंसू निकलने में देर नहीं लगी। अपनी आंखों से आंसू पोंछे बिना, मैंने अयान की काली जैकेट जो फर्श पर गिरी थी, वो अपने कांपते हाथों से उठाई और अपनी छाती पर रख ली।

परफ्यूम की महक अभी भी जैकेट से महक रही थी। कुछ ही देर में जैकेट से जमीन पर कुछ गिरने की आवाज सुनाई दी। नीचे देखने पर हीरे जड़ित एक अँगूठी चमक रही थी। मेरे दिल ने मुझे इसे तुरंत लेने का निर्देश नहीं दिया।

खड़े-खड़े मैंने इधर-उधर देखा, सुबह उसने जो बिस्तर बनाया था, वह अब भी वसा ही था। "वह मेरे घाव पर अपनी पट्टी के स्पर्श, उसकी छाती की सकून जहां मैंने अपना सिर छुपाया था, उसकी जैकेट पर रही पर्फ्युम की महक, यीन सब को रहते हुई हमेशा के लिए इस दुनिया से वो कैसे जा सकता है ?" मैंने खुद से सवाल किया।

हिजो उसैले सफा गरेर लगाइदिएको मेरो घाउमाथीको उसको ब्यान्डेजको स्पर्श, मैले आफ्नो शिर लुकाएको उसको छातीको न्यानोपन, उसको ज्याकेटको पर्फ्युमको सुगन्ध सबैसबै नहराउँदै कसरी यो संसारबाट ऊ सधैंका लागि बिलिन हुन सक्छ?" मैले आफ्नै मनसंग प्रश्न गरेँ।