Pyaar ka Zeher - 47 in Hindi Love Stories by Mehul Pasaya books and stories PDF | प्यार का ज़हर - 47

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प्यार का ज़हर - 47

रिहान : मेने इस काम के लिए खुदको जैसे तैसे मना तो लिए है. लेकिन कर पाऊंगा की नहीं ये नहीं पता मुझे. कहीं अगर इं गुंडों को पता लग गया कि में क्या करने वाला हूं. तो मेरी शामत आ जाएगी. इस लिए जो भी करना है. मुझे बहुत सोच समझ कर करना होगा. और जल्दी करना होगा. लेकिन शुरूआत कहा से करूंगा ये समझ नहीं आ रहा है.

कार्तिक : रिहान भाई अब हम चलते है. आप अपना खयाल रखना.

विकी : रिहान भाई रिहान.... भाई. कमाल है. कहा खो गए थे आप.

राज : क्या हुआ रिहान भाई आपको आप ठीक तो है ना.

सरस : वहीं तो पता नही चल रहा है. इनके दिमाग में चल क्या रहा है.

रिहान : अरे आप सब फिक्र क्यू कर रहे हो. वो तो बस आप लोग जा रहे हो इस लिए बस थोड़ा भावुक हो गया था.

रितेश : अरे रिहान ऐसा क्यों बोल रहे हो. हम तुम्हे बंदी बनाकर थोड़ी रखने वाले है. बस तुम्हे काम दिया जाएगा वो करते रहना बस. और कुछ करना नहीं है. और तुम्हे जहा जाना है. जा सकते हो.

रिहान : अरे नहीं ऐसी बात नहीं है. खैर चलो अब आप लोग जाओ वरना में यहा रहने की कोशिश नहीं कर पाऊंगा.

राज : ठीक है फिर चलो सब. और हा धन्यवाद आपका बहुत बहुत आपने मेरी बहेन की जान बचाई.

रिहान : अरे इसकी कोई जरूरत नहीं है. अब आप बस शांति से घर चले जाइए.

[ कुछ देर बाद... ]

महेर : राहुल भैया आ गए. चलो अब आप आराम करलो ठीक है. और बाद में हम घूमने जाएंगे.

राहुल : हा ठीक है. लेकिन एक खुश खबरी तो सून लो तुम्हारे लिए ही है.

महेर : हा तो सुनाओ क्या खुश खबरी है. मेरे लिए बोलिए.

राहुल : कल आपको लेकर जाएंगे स्कूल. और कल नाम लिखवा देंगे और फिर कल से ही तुम पढ़ने जा पाओगे.

महेर : अरे वाह ये तो वाकई बहुत अच्छी खुश खबरी है. आख़िर कार कल में स्कूल जा पाऊंगी. ये. रुको आप में चाची को बताकर आती हूं.

राहुल : अरे आराम से छोटी गिर मत जाना.

दिव्या : अरे रे आराम से. गिर मत जाना. वरना चोट लग जाएगी.

महेर : चाची चाची सुनो कल से में स्कूल जाऊंगी. अब आप देखना में डॉक्टर तो बन ही जाऊंगी. और भैया की तरह ही सारे दर्दी लोगो का इलाज करूंगा.

दिव्या : ठीक है. सब करना जो अच्छा लगे लेकिन अभी मन लगा कर पढ़ाई करना ठीक है.

महेर : आप फिकर मत करिए में पूरा मन लगा कर पढ़ाई करूंगी.

राहुल : अरे वाह क्या बात है. तुम दोनों की तो बहुत अच्छी बनने लगी है.

दिव्या : हा ये चोटी सी लड़की है. लेकिन सबको भाती है. अब ना इसके बिना किसिका भी मन नहीं लगेगा.

राहुल : हा ये तो सही बोला तुमने. पूरे घर में ये सबकी लाडली है. अब तो इसको दादी और दादा जी भी बहुत लाड प्यार करते है. कोई भी सदस्य नहीं बचा है. जो इसे ना चाहता हो.

महेर : हा भैया की हम है ही ऐसे. क्यू की हमने सबको जीता है.

[ कुछ देर बाद... ]

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