Dor to Dor Campaign - 5 in Hindi Children Stories by Prabodh Kumar Govil books and stories PDF | डोर टू डोर कैंपेन - 5

Featured Books
  • જીવન પથ - ભાગ 33

    જીવન પથ-રાકેશ ઠક્કરભાગ-૩૩        ‘જીતવાથી તમે સારી વ્યક્તિ ન...

  • MH 370 - 19

    19. કો પાયલોટની કાયમી ઉડાનહવે રાત પડી ચૂકી હતી. તેઓ ચાંદની ર...

  • સ્નેહ સંબંધ - 6

    આગળ ના ભાગ માં આપણે જોયુ કે...સાગર અને  વિરેન બંન્ને શ્રેયા,...

  • હું અને મારા અહસાસ - 129

    ઝાકળ મેં જીવનના વૃક્ષને આશાના ઝાકળથી શણગાર્યું છે. મેં મારા...

  • મારી કવિતા ની સફર - 3

    મારી કવિતા ની સફર 1. અમદાવાદ પ્લેન દુર્ઘટનામાં મૃત આત્માઓ મા...

Categories
Share

डोर टू डोर कैंपेन - 5

लेकिन आज कुत्तों का असली इम्तहान था। आज वो जहां जाने वाले थे वहां अपनी बात समझा पाना टेढ़ी खीर थी।

आज उन्होंने भैंस के घर जाने का प्लान बनाया था। सब जानते थे कि भैंस के आगे बीन बजाना बेहद मुश्किल काम है क्योंकि अभी तक ये फ़ैसला ही नहीं हो सका है कि अक्ल बड़ी या भैंस?
पर कुत्तों को अपने पुरुषार्थ पर पूरा भरोसा था। चल दिए भैंस के तबेले की ओर।
पहले - पहले तो कुत्तों की बात सुन कर भैंस गुस्सा ही हो गई। जब एक कुत्ते ने कहा कि शेर हमेशा से हमारा राजा बना हुआ है, इस बार हम कुत्तों ने राजा बनने की ठानी है, आपको इसमें हमारा साथ देना है, तो भैंस ने उपेक्षा से मुंह फेर लिया।
कुत्ते डर गए। उन्हें लगा कि भैंस शायद हमारा समर्थन नहीं करना चाहती। हमें इससे पूछना चाहिए कि ये हमसे किस बात पर नाराज़ है?
पूछने से पहले ही भैंस बड़बड़ाने लगी, बोली- तुम सब एक से हो। शेर हो या तुम। सब केवल राजा- राजा करते रहते हो। अरे तुम्हें कभी किसी को रानी बनाने का ख्याल क्यों नहीं आता? क्या राजपाट कोई रानी नहीं संभाल सकती?
कुत्ते सकपका गए। ये तो उन्होंने कभी सोचा ही नहीं था।
उनकी चुप्पी से भैंस को बल मिला, बोली- शेर करता क्या है? सबको मार कर खाने के अलावा। फ़िर भी राजा बना घूमता है। अरे राजा तो वो होता है जो सबका ख्याल रखे, सबका भला करे, सबकी रक्षा करे। मुझे देखो, रोज़ दूध देती हूं। मेरे बच्चे को मिले या न मिले, पर लोगों को ढेर सारा दूध देती हूं। लोग दूध से दही बनाते हैं, छाछ बनाते हैं, मक्खन बनाते हैं, घी बनाते हैं, पनीर बनाते हैं, मावा बनाते हैं...
एक छोटा पिल्ला बीच में बोल पड़ा- चाय बनाते हैं।
भैंस ने उसकी ओर प्यार से देखा, फ़िर अपने गुस्से को बरकरार रखते हुए बोली- और राजा बनता है शेर! जो सबकी जान लेता है, सारे में दहाड़ता घूमता है।
भैंस का क्रोध देख कर एक बुजुर्ग से कुत्ते ने आगे बढ़कर बात संभाली। बोला- आप ठीक कहती हैं। हम राजा बनेंगे तो आप जैसे दूसरों का भला करने वाले पशुओं का सम्मान करेंगे।
छोटा पप्पी बोला- आपको और गाय आंटी को "जंगल रत्न" का पुरस्कार देंगे।
भैंस का गुस्सा ठंडा हो गया। उसने कुत्तों को पूरा सहयोग देने का वचन दिया और पास के वाटर टैंक में नहाने के लिए बढ़ चली।
कुत्ते ख़ुश होकर बोले- चलो, गई भैंस पानी में!

अगली सुबह डोर टू डोर कैंपेन के लिए निकलने को जब सब श्वान एक पेड़ के नीचे इकट्ठे हुए तो उनमें आपस में चर्चा छिड़ गई।

एक दुबला पतला सा कुत्ता बोला- भाइयो, अभी तक तो हम सब ऐसे प्राणियों से मिले हैं जिनका हमने कभी कुछ बुरा नहीं किया, वो तो हमें सपोर्ट देंगे ही। पर जिन जानवरों का हमने कुछ न कुछ बुरा किया है उनका इरादा भी तो जान लो। यदि उन्हें नहीं मनाया तो हमारा काम खराब कर सकते हैं।
बात तो सही है। ये तो बड़ी दूर की सोची। मुखिया डॉगी ने कहा।
- ऐसा कौन है जिसका हमने कुछ बुरा किया हो, आज उसी के पास चलेंगे। एक कुत्ते ने कहा।
- भूल गए? जिसको सब मौसी- मौसी कहते हैं उस बिल्ली को तो देखते ही मारने के लिए झपट पड़ते हो! वो हमारा साथ क्यों देगी? एक नन्हे से विलायती पिल्ले ने कहा।
सब चुप हो गए। सन्नाटा सा छा गया।
वही पप्पी फ़िर बोला- और वो बिल्ली तो वैसे भी शेर की प्रजाति की ही है, वो शेर का ही सपोर्ट करेगी, हमारा क्यों?
- पर उसे समझाना तो बहुत ज़रूरी है। वो तो ख़ुद घर घर दूध पीने के लिए डोर टू डोर जाती है। वो अगर लोगों को हमारे ख़िलाफ़ भड़काने लगी तो भारी गड़बड़ हो जाएगी। एक अन्य कुत्ते ने कहा।
सब चिंतित हो गए।
सबसे बड़ी मुसीबत ये थी कि डोर टू डोर कैंपेन के लिए अगर बिल्ली के दरवाज़े पर जाते तो वो दूर से ही डर कर भाग जाती। तो फ़िर उसे समझाया कैसे जाए।
सब दिमाग़ दौड़ाने लगे।
बड़े- बड़े कानों वाले एक झबरीले कुत्ते ने कहा- मेरे पास एक आइडिया है!
सब उसकी ओर देखने लगे।
उसने कहा- हम लोग एक फ्रेंडशिप पार्टी करते हैं और उसमें सब बिल्लियों को इनवाइट करके उनका मनपसंद भोजन परोसें।
- आइडिया तो अच्छा है, मगर बिल्लियों का फेवरेट फूड तो चूहे हैं। चूहे मारकर उन्हें खिलाएंगे तो चूहे हमें सपोर्ट कैसे करेंगे। चूहे हमसे नाराज़ हो जाएंगे। एक डॉगी बोला।
- पर बिल्लियों को दूध भी तो काफ़ी पसंद होता है। क्यों न हम दूध की पार्टी करें! एक कुत्ते का सुझाव आया।
- लेकिन हम इतना दूध लाएंगे कहां से? पिल्ला बीच में ही बोल पड़ा।
- क्यों, कल भैंस ने नहीं बोला था कि वो सबको दूध देती है? कुत्ते ने याद दिलाया।
- अरे लेकिन अगर हम पार्टी करेंगे तो बिल्लियां डर के कारण उसमें नहीं आएंगी।
पिल्ले ने ताली बजाते हुए कहा- पार्टी हम सब बच्चे दे देंगे, वो हमसे तो बिल्कुल भी नहीं डरतीं।
- हां, मेरे तो कई बार वो कान खींच कर भाग जाती है। बड़ी नॉटी है। पप्पी ने कहा।
सब हंस पड़े।