The Author Prabodh Kumar Govil Follow Current Read डोर टू डोर कैंपेन - 6 By Prabodh Kumar Govil Hindi Children Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books Split Personality - 93 Split Personality A romantic, paranormal and psychological t... One Step Away One Step AwayHe was the kind of boy everyone noticed—not for... Nia - 1 Amsterdam.The cobbled streets, the smell of roasted nuts, an... Autumn Love She willed herself to not to check her phone to see if he ha... Tehran ufo incident September 18, 1976 – Tehran, IranMajor Parviz Jafari had jus... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Novel by Prabodh Kumar Govil in Hindi Children Stories Total Episodes : 7 Share डोर टू डोर कैंपेन - 6 (2) 2.5k 5k आज मामला कुछ टेढ़ा था। आज डोर टू डोर कैंपेन के लिए कुत्तों के दल ने एक बड़े तालाब के किनारे मगरमच्छ के पास जाने का विचार किया था।कुत्तों में ग़ज़ब का उत्साह था कि वो ख़ुद जाकर इस विशालकाय जलचर से मुलाक़ात करेंगे। लेकिन मन ही मन वो भयभीत भी थे कि मगर न जाने उनसे कैसा बर्ताव करे।ख़ैर, राजा का पद पाने के लिए ख़तरा तो उठाना ही था। जोखिम के बिना तो कोई सफ़लता मिलती भी नहीं है। जो उपलब्धि जितनी मेहनत और रिस्क से मिले वो उतनी ही मीठी भी होती है।आज कुछ विशेष चुनिंदा नस्ल के मज़बूत कुत्तों को चुना गया जो पानी के किनारे भी आसानी से जा सकें और दलदल आदि के खतरे से भी निपट सकें। साथ ही मगरमच्छ जैसे सीनियर जंतु से भी विनम्रता और निडरता से बात कर सकें।गुलाबी जाड़े की हल्की धूप में पानी के किनारे रेत पर लेटे हुए उनींदे से मगर ने कुत्तों की उस टोली की पूरी बात सुनी तो वो कुछ विशेष ख़ुश नहीं दिखा। वो तो न जाने कब से ख़ुद ये आपत्ति उठाता रहा था कि बरसों से शेर ही क्यों जंतु जगत का सम्राट बन कर बैठा है। थल के प्राणी का शासन बहुत हुआ, अब तो किसी जलचर को राजा की पदवी दी जानी चाहिए। यहां पानी में भी एक से बढ़कर एक हिम्मतवाले, बुद्धिमान और अच्छी कद काठी के जीव हैं, उन्हें भी तो कभी मौक़ा मिले।एक कुत्ते ने मगर को समझाने की कोशिश की- सर, देखिए केवल अच्छे डीलडौल से ही तो कुछ नहीं होता, हम लोगों को इंसान घर- घर में रखता है तो काबिल होने के कारण ही तो रखता होगा?मगर ने गरज कर कहा- इंसान के रखने से ही तो कुछ नहीं होता, इंसान तो हमारी मछलियों को भी घर - घर में सजा कर रखता है। एक से एक शानदार एक्वेरियम उनके लिए बनाए जाते हैं।एक डॉगी ने दबी जबान से कहा- पर फिश को तो आदमी खा भी जाता है।मगर ने कहा- तभी तो हम चाहते हैं कि कोई पानी का जीव राजा बने तो मछलियों की हिफ़ाज़त हो सके।बात उलझ कर पेचीदा हो गई।आख़िर ये तय किया गया कि किसी छुट्टी के दिन कुत्तों और मछलियों के बीच कोई मुकाबला करा लिया जाए और जो जीते उसे ज़्यादा काबिल मान कर राजा पद दे दिया जाए।कुत्तों को भी ये चुनौती पसंद आई। इसका लाभ ये था कि मछलियों और कुत्तों के बीच कोई मुकाबला हुआ तो सभी जानवर देखने ज़रूर आयेंगे। और तब एक साथ सबको अपनी बात बता पाने का अवसर मिलेगा। डोर टू डोर कैंपेन से सबके पास पहुंचने में तो काफ़ी समय ख़र्च हो रहा था।लेकिन मछलियों से लोहा लेना भी कोई आसान काम नहीं था। मछलियों में भी व्हेल, शार्क आदि भीमकाय मछलियां थीं। दूसरे, मछलियों से कोई भी टक्कर या स्पर्धा पानी में ही करना अनिवार्य था। इसके लिए कुत्तों को भी अपने अच्छे तैराक नस्ल के ही सदस्य ढूंढने थे।- क्या करें? क्या वाटर पोलो जैसा कोई खेल रखें? एक डॉगी ने सुझाव दिया।- नहीं- नहीं, हमें योग्य राजा बन सकने वाले प्राणी का चुनाव करना है, कोई खिलाड़ी नहीं चुनना। एक दूसरे कुत्ते ने कहा। वह मुकाबले को पूरी गंभीरता से लेना चाहता था। कहीं ऐसा न हो कि खेल- खेल में कुत्ते मछलियों से हार जाएं और उनके राजा बनने के सपने पर पानी फिर जाए।एक छोटे से प्यारे डॉगी ने कहा- लेकिन राजा को बोलना तो आना चाहिए। ये सब मछलियां और मगरमच्छ तो गूंगे हैं। ये राजा बन कर काम कैसे करेंगे?ये सुनते ही पानी के किनारे बैठी एक मेंढकी ज़ोर से टर्राई - बोलने से कुछ नहीं होता, चुपचाप अपना काम करते रहना तो और भी अच्छा है।आख़िर ये तय हुआ कि मछलियों और कुत्तों के बीच पानी में एक रेस होगी जिसमें मछलियां तो तैरती हुई दौड़ेंगी और कुत्ते एक नाव चला कर नदी को पार करेंगे। जो दल पहले दूसरे किनारे को छुएगा वही विजेता माना जाएगा।दोनों टीमों को ये स्पर्धा पसंद आई।रेस की तैयारियां शुरू हो गईं। दोनों टीमों के समर्थक अपनी- अपनी टीम की हौसला अफजाई के लिए नदी किनारे जमा होने लगे।दौड़ने के चैंपियन माने जाने वाले घोड़ा और हिरण को रेफरी बनाया गया।सब जानवर अपने- अपने काम छोड़ कर आ गए और दिल थाम कर मुकाबला देखने लगे।बिल्लियों को मनाने की समस्या से निपटने के लिए कुत्तों ने एक नन्हे से पप्पी की अध्यक्षता में कुछ पिल्लों की एक समिति बना दी। ‹ Previous Chapterडोर टू डोर कैंपेन - 5 › Next Chapter डोर टू डोर कैंपेन - (अंतिम भाग) Download Our App