Honesty reward. in Hindi Short Stories by Piyush Goel books and stories PDF | ईमानदारी का ईनाम…..

Featured Books
Categories
Share

ईमानदारी का ईनाम…..

एक राहजन रहजनी करने के लिए दूर जंगल में रास्ता भटक गया. रास्ते में उस दूर एक व्यक्ति दिखाई दिया राहजन मन ही मन सोचने लगा चलो इस को लूटते हैं जैसे ही उसके पास पहुँचा जो भी तेरे पास हैं सब कुछ निकाल दे व्यक्ति ने जेब में से चाकू निकाल कर के उस राहजन के हाथ में दे दिया राहजन व्यक्ति से बोला ये क्या हैं व्यक्ति राहजन से बोला में भी तेरा जैसा ही रहमान ही हूँ और तरी तरह इस जंगल में रास्ता भटक गया हूँ , अब तो दोनो की स्थिति देखने लायक़ थी … अब तो दोनो एक दूसरे के दोस्त बन गए … आगे जंगल में यह सोच कर आगे बढ़ते गए कही बाहर निकलने का रास्ता मिल जाए …जैसे ही और आगे बढ़े दूर एक झोपड़ी दिखाई दी उनमें से एक रहाजन बोला चलो आज रात यही रुकते हैं जैसे ही झोपड़ी के पास पहुँचते हैं एक दीपक व लम्बे व बढ़ी हुई दाढ़ी वाले बाबा दिखाई दिए … दोनो बाबा के पास जाकर ज़ोर से बोले जो भी हैं सब दे दो … बाबा बहुत पहुँचे हुए थे ठीक हैं सब मिल जाएगा लेकिन बेटा इतनी रात में कहा जाओगे आज रात यही रुको में तुम्हारे लिए खाने व सोने का इंतज़ाम करता हूँ और हाँ सोने से पहले मेरे से ज़रूर मिलना बाबा ने उनको एक एक सिक्का देकर कहा देखो बेटा मेरे पास तो सिर्फ़ ये ही हैं और जाओ अब आराम करो सुबह को बात करेंगे … सुबह होते ही जैसे ही वो जाग जाते हैं क्या देखते हैं ना तो बाबा और ना ही झोपड़ी… उनमें से एक तुरंत बोलता हैं अरे जो बाबा ने रात में हमें सिक्का दिया था देख हैं या नहीं दोनो अपनी अपनी जेब देखते हैं बड़े ही अचंभित होते हैं अरे ये तो चाँदी के सिक्के हैं . बड़ी ख़ुशी ख़ुशी दोनो अपने अपने घरों को चल दिए …बाबा के बारे में सोचते सोचते … हम से बड़ी भूल हो गई बाबा को पहचान न पाए ..दोनो आपस में विदा लेते समय बोला ज़रूर यह हम दोनो के लिए कोई न कोई शुभ संदेश हैं …हाँ यार ये बात में भी सोच रहा हूँ … वाक़ई कोई न कोई हमारे भविष्य के लिए शुभ संदेश हैं … देख हम दोनो चोरी चकारी करते ये बहुत अच्छा काम नहीं हैं उसके बाद भी हम दोनो को चाँदी का सिक्का मिला … इस चोरी चकारी को छोड़ कर ईमानदारी से काम करने लगे तो चाँदी की जगह सोने के सिक्का मिलेंगे … विदा लेते समय दोनो न प्रण किया की अब हम ये बुरा काम नहीं करके अपना जीवन ईमानदारी से काम करके जीवन यापन करेंगे… समय गुजरता गया …दोनो में गहरी मित्रता व पूरी ईमानदारी से अपने अपने काम करने लगे …कुछ समय बाद एक साधु उनके घर पर पधारे और बात करते करते एक पोटली देकर वह से चले गए … यही घटना दूसरे के यहाँ भी हुई … दोनो एक दूसरे से मिले और इस घटना के बारे में बताया तो बड़ा ही अचंभित हुए एक सी घटना चल पोटली को खोल कर देखते क्या देखते हैं सोने का सिक्का और एक चिट जिस पर लिखा था यह तुम्हारे ईमानदारी का ईनाम…. दोस्त ईमानदारी की डगर …Once a mugger lost his way in the forest. While searching for his way out, he sees a person far away. He plans of robbing him. “Give me whatever you have” shouted the mugger by showing him the knife. The stranger removes a knife from his pocket and hands it over to the mugger saying he too was a mugger and had lost his way in the forest. Both decided to be friends and started looking for the way out.
Far away in the forest, they spot a lamp burning in a hut and decide to go there. On reaching the heart they see a Sadhu with a long beard they try to threaten the Sadhu and ask him to give away all his belongings. Sadhu calmly said,”I will give you whatever I have but it’s too late in the night. You can stay here. I will arrange some food and beds for you both”. After that the Sadhu gave both of them a coin each and said,”This is all I have now go and rest we shall talk in the morning”. All of them go to sleep.
Next morning as they woke up, the muggers were shocked to see themselves under the tree. The Sadhu and the hut had disappeared. They checked their pockets for the coin that Sadhu had given them the previous night. To their surprise the coin had turned silver. With great happiness both of them walked towards their respective homes. On the way they think about the Sadhu and the coin and finally decide to quit robbing and do some decent work.
Days passed, both of them had taken up some good jobs. They used to meet occasionally as friends. One fine day, a monk visited one of the friends’ houses. After talking for a while, he left, leaving a small bundle. The same incident happened with the other friend as well. Both of them met and narrated the incident to each other. When they both opened the bundles they had received, they were surprised to see a gold coin and a chit which read ‘the reward for honesty.’ They were overjoyed and thanked the monk. English translated by Chetana Mam.