The Author Rahul Narmade ¬ चमकार ¬ Follow Current Read सपने By Rahul Narmade ¬ चमकार ¬ Hindi Horror Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books નારદ પુરાણ - ભાગ 53 સનત્કુમાર આગળ બોલ્યા, “ઈષ્ટદેવની આરતી ઉતાર્યા પછી શંખનું જળ... મારા અનુભવો - ભાગ 20 ધારાવાહિક:- મારા અનુભવોભાગ:- 20શિર્ષક:- કુંભમેળોલેખક:- શ્રી... શ્રાપિત પ્રેમ - 19 " રાધા, તને મળવા માટે કોઈ આવ્યું છે."રાધા અને ડોક્ટર નેન્સી... જીવન પ્રેરક વાતો - ભાગ 01- 02 વાર્તા 01 તું ભગવાનનો થા ईश्वरः सर्वभूतानां हृद्देशेऽर्जुन त... પ્રેમતૃષ્ણા - ભાગ 10 “ ત્યાં એ છોકરી ...? “ ખુશી એ સામે પ્રશ્ન કર્યો .“ ત્યાં એ છ... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Share सपने (8) 2.9k 8k विवेक की आँख खुली, 13 साल का विवेक अपनी बेड पर उठ के बैठ गया, उसके माथे पर थोड़ा सा पसीना आ रहा था। विवेक ने नींद मे बहुत ही बुरा सपना देखा था उसने देखा कि श्मशान मे उल्टी आँख वाले चार अघोरी उसे बीच मे रखके चारो तरफ घूम के नाच रहे थे और तब ही उसकी नींद उड़ गई। विवेक राजस्थान के जयपुर मे अपने माता पिता के साथ रहता था, उनके पिता समीरसिंघ एक फार्मेस्युटिकल कम्पनी मे R & D डिपार्टमेंट मे ऑफिसर थे विवेक की माँ विशाखा जयपुर की प्राइवेट स्कूल मे टीचर थी, विवेक अपने माता पिता का एकमात्र बच्चा था, उसे साईकोलोजीकल बीमारी थी ; उसे बड़े ही खराब और भयानक सपने आते थे, खास कर भूतो के। उनके माता पिता ने 2-3 काउन्सिलर बदले थे लेकिन उसे सपने आने बंध नहीं हो रहे थे। विवेक को अपनी स्कूल मे 6 दिनों का क्रिसमस की छुट्टी थी, विवेक के पिता समीर ने छुट्टियों पर 3 दिनों का आउट ऑफ टाउन जाने का प्रोग्राम बनाया, जयपुर से 30 किलोमिटर दूर समीरसिंघ के दोस्त का एक फार्म हाऊस था, उन्होंने वहां जाके 3 दिन रहने का प्रोग्राम बनाया। 23 तारीख शाम को वे तीनों अपनी कार मे निकल गए और महज एक घंटे मे पहुच गए, वहां की जगह बहुत अच्छी थी 10 एकर जमीन मे खेत फैला हुआ था और बीच में दो मंजिल का एक बड़ा सा घर था। घर मे चार बड़े कमरे थे एक रसोई घर था और इस फार्म हाऊस की देखभाल के लिए दो पति पत्नी केर टेकर रखे थे - प्रमिला और मुकेश, दोनों की उम्र 60-63 साल की थी। वो दोनों बहुत अच्छे स्वभाव के थे, वो विवेक को विवेक बाबु कहने लगे थे। विवेक सहित तीनों ने रात का खाना खाया और फिर बाते करते हुए सो गए, दूसरे दिन उन्होनें खेत मे घुमा एक बार विवेक पूरे घर मे घूम रहा था उसके साथ कुछ अजीब सा हुआ उसने देखा कि कमरे की सफाई करते हुए मुकेश फर्श पर गिर गया था और रमीला ने उसके हाथ पकड़ा था उसे कमर मे दर्द हो रहा था रमीला उठाना चाह रही थी तभी विवेक ने कहा : विवेक : मैं कुछ मदद करू? रमीला (गुस्से में) : तुमसे किसी ने पूछा??!!! विवेक को झटका लगा जो उसे विवेक बाबु कहकर बुला रहे थे वो उसे अचानक एसे क्यु बुलाने लगे थे?!!! मुकेश भी उसे घूर घूर के देख रहा था, विवेक वहां से चला गया। और दुपहर के वक़्त फार्महाउस से कुछ दूरी पर स्थित एक किला देखने के लिए गए। वापिस आने के बाद उन्होंने खाना खाया और वे तीनों सो गए, आधी रात को विवेक पानी पीने के लिए उठा तभी उपर के कमरे से कुछ गिरने की आवाज आई, वो उपर गया तो उस कमरे का दरबाजा खुला था उसने अंदर जांककर देखा तो मुकेश और प्रमिला आग के सामने बैठकर कुछ बोल रहे थे दरबाजा खुलते ही दोनों विवेक के सामने घूरने लगे, उन्होंने बड़े ही अजीब सा वेश किया था, सिर पर मोर पंख जैसे पँख लगाए थे मुह पर काले रंग के चार टीके लगाए थे, उनकी आंखे खून जैसी लाल थी, विवेक ये सब देखकर घबरा गया और दरबाजा एसे ही खुला छोड़ कर भाग गया। तीसरा दिन आखिरी दिन था, चौथे दिन सुबह को वो निकलने वाले थे तीसरा पूरा दिन विवेक अपने माता पिता के साथ साये की तरह रहा उसे पता चल गया था कि ईन दोनों - मुकेश और रमीला मे कुछ गड़बड़ है, उस दिन वो सो गया, रात को फिर से उसे सपना आया, उसने देखा कि दो अजीब दिखने वाले लोग जिनके पास आँख नहीं थी ब्लकि आँखों से सफेद रोशनी निकल रही थी, वो दोनों साये उसे अजीब सी सब्जी खिला रहे थे, उसने देखा कि वो दोनों उसे पकड़कर प्याज से फ्राय की गई बैंगन - दूधी की सब्जी खिला रहे थे उसे बड़ा ही अजीब लग रहा था और वो उठ गया, हर बार की तरह पसीना आ रहा था और पानी पीने के बाद किसको भी नींद मे जगाए बगैर फिर से सो गया। सुबह समीर और विशाखा ने पैकिंग कर लिया था, वो कार मे सामान रख रहे थे, मुकेश और रमीला भी मदद कर रहे थे, वो दोनों विवेक को उसके माता पिता के विवेक बाबु कहकर प्यार जताने की कोशिश कर रहे थे लेकिन विवेक को पता था कि वो दोनों नाटक कर रहे हैं, विशाखा कुछ भूल गई थी इसलिए वो घर में गई और समीर को कार मे कुछ साफ करना था इसलिए वो कपड़ा भिगोने के लिए घर के पीछे की और नल के पास गया अभी विवेक और वो दोनों पति पत्नी थे, तभी मुकेश और प्रमिला फिर से विवेक को घूरने लगे, घूरते हुए उन्होंने कहा मुकेश : विवेक बाबु!! बैंगन - दूधी की सब्जी कैसी लगी? स्वाद तो था ना? रमीला : प्याज का तड़का तो ठीक से लगाया था ना?!! इतना बोलते हुए उन दोनों के मुह पर एक अजीब सी हसी आई, ये सुनते ही विवेक की पैर तले जमीन खिसक गई, उसकी दिल की धड़कन बढ़ गई, इतने मे समीर और विशाखा दोनों आ गए, वे तीनों कार मे बैठे और जयपुर की ओर निकल गए, जाते हुए विवेक उन दोनों को देख रहा था, वो दोनों अब भी उधर खड़े होकर विवेक को रहस्य भरी नजरो से देख रहे थे। विवेक अब भी ये सोच रहा था कि इस सपने के बारेमे उन दोनों को पता कैसे चला, जबकि ये बात उसने अपने माता पिता को तक नहीं बताई थी!!! 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