Vo Pehli Baarish - 14 in Hindi Fiction Stories by Daanu books and stories PDF | वो पहली बारिश - भाग 14

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वो पहली बारिश - भाग 14

मैसेज पढ़ते ही, निया फोन ध्रुव की तरफ़ फेंकती है।

"मरावाओगे यार तुम?", निया ने बड़ी आंखों से देखते हुए ध्रुव को बोला।

"मेरी कमिटी के होनहार मेंबर, मैं तो सोच रहा था की ये काम तुम पुरी तरह से संभाल लोगी, और तुम हो की पहले ही डर गई।"

"तुम सच सच बताओ, तुम्हें सुनील ने कहा है की ऐसे फसवा दो मुझे, पहले वो बकवास के टाइम और अब ये पहली बारिश के टाइम।"

"हां.. बिल्कुल सुनील ने कहा है की तुम्हें फसवाऊ और खुद भी फस के ही लौट के आऊ, ताकी नौकरी जाए तो सबकी इकट्ठे जाए।", ध्रुव की इस बात से निया थोड़ी नरम होती है, तो ध्रुव आगे बोलता है, "पता है, कभी कभी ना मुझे तुम पे ना शक होता है, की इतने से दिमाग के साथ तुम यहां कैसे हो?"

"इतना सा दिमाग.. तुम रुको, मिस्टर ध्रुव, तुम्हें तो आने वाले टाइम में मैं अपने इतने से दिमाग के ऐसे करतब दिखाऊंगी ना, की तुम्हें अपने आप सब पता लग जाएगा।"
"आने वाले टाइम में क्यों?

आज ही क्यों नहीं.. परफेक्ट चांस है ये, ये कर लोगी तो मान जाऊंगा तुम्हें।", ध्रुव फोन में आए मैसेज की ओर इशारा करते हुए बोला।

"ठीक हैं, पर मेरी एक शर्त है, तुम्हारा भी वहां होना ज़रूरी होगा, ताकी पॉइंट्स कटे तो दोनो टीम्स के कटे, काम की लड़ाई फेयर रहे।"

"भाग तो नहीं जाओगी ना, पिछली बार की तरह?"

"नहीं.. मैं तुम्हें तुमसे पहले तैयार मिलूंगी यहां।"

"ठीक है, फिर तो डन डील रही फिर ये", ध्रुव अपने हाथ का आगे बढ़ा कर टेडा करते हुए बोला, जिसपे निया ने भी अपना हाथ उसके हाथ पे दिया, और बोली,
"बिल्कुल पक्का ही समझो तुम सब।"

**********************
कुछ देर बाद निया के फोन में मैसेज आता है।

"शाम 6 बजे, वहीं तुम्हारे फेवरेट ब्लू हार्ट कैफे में.. :P"
"ये ही मनहूस जगह मिलती है, हर बार इसे", खुद से ये कहते हुए निया, ओके टाइप करके भेज देती है।

*********************
शाम के लगभग 4 बज रहे थे, जब चंचल और सुनील दोनो अपनी अपनी टीम्स को मीटिंग करने के लिए ले गए, और अर्जेंट बोल कर बहुत सारा काम करना पकड़ा दिया। ऐसा लग रहा था, जैसे की दोनो ही आज किसी को भी घर नहीं जाने देना चाहते थे।

निया अभी चंचल के साथ मीटिंग में ही थी, की सिमरन ने उसे कई बार कॉल कर दिया। बार बार वाइब्रेट होते हुए फोन को निया ने घबरा के जल्दी से उठाया, और मैसेज कर किया, "बाद में बात करती हूं, अभी बिजी हूं, बाय।" और फिर से अपने काम में लग गई, क्योंकि वो जानती थी की चंचल उसे ये करे बिना वहां से निकलने नहीं देगी।

दूसरी ओर ध्रुव, सुनील के साथ मीटिंग में हर अर्जेंट काम के जवाब में इतने सवाल कर देता है की अब जब तक सुनील इनके जवाब नीतू से नहीं पता कर लेता, उसके पास करने के लिए कुछ नहीं होगा।

अपने डेस्क पे अपने पुराने काम को निहारता हुआ ध्रुव बैठा ही होता है, की कुनाल का कॉल आ जाता है।

"ओए.. घर पहुंच जा अभी, गीजर ठीक करने वाले आए हुए।", कुनाल सामने से बोलता है।

"गीजर.. इस मौसम में किसे गीजर चाहिए होता है? पागल है क्या?", कंप्यूटर में दिख रहे 4:45 बजे के समय को देखते हुए ध्रुव ज़ोर से बोला।
"मुझे.. भाई मैं सुबह 5 बजे नहाता हूं, और अब तो बारिशें भी शुरू हो गई है, मेरी हालत खराब हो जाएगी, जा ना।"

"पर मुझे बाहर जाना था।"

"ठीक है.. मत जा.. फिर मेरे को मत बोल दियो की तेरे पार्सल ले लू। सब रिटर्न ना करा दूं ना मैं, तो देखिओ।"

"धमकी दे ले बस तू... जा रहा हूं मैं, शांति कर।", ये बोलते हुए, ध्रुव ने फोन काटा और घर चला गया।

वो अभी रास्ते में ही था, की उसने निया को फोन किया।

अपने बजते हुए फोन को हैरानी से देखते हुए, निया ने आस पास नजरें घुमाई की ध्रुव यही कहीं हो तो।

"हैलो.. क्या हुआ?"

"अरे सुनो.. मैं घर आया था, कुछ काम था, तो ये बोलना था की तुम टाइम से वहां चली जाना, मैं भी मिलूंगा, बस हो सकता है की 5-7 मिनट लेट हो जाऊ।"

ये सुनते ही निया ने धीरे से अपनी कुर्सी पीछे करी, और उठ कर, थोड़ी आगे चली गई,
"मैं ये बोल रही थी, की क्यों ना किसी और दिन मिले नीतू से, मुझे आज चंचल ने भी बहुत काम दिया है, और तुम भी यूं फस गए।"

"समय से वहां पहुंच जाना.. बाय", निया की बात अनसुनी करते हुए, ध्रुव ने ये बोल कर फट से फोन काट दिया।

"क्या है!!!", अब क्या करूं", निया खुद से बोलती हुई वहां से चल दी।

निया डेस्क पे पहुंची ही थी, की धीरे से पास बुलाते हुए उसकी टीम मेट ने उसे बताया, "पता है, हमे इतना काम दे कर नीतू खुद निकल गई।"

"क्या सही में?", निया ने आश्चर्य से पूछा, फिर एक लंबी सांस भरी और बोली।

"मैं भी निकल रही हूं, तू सब संभाल लियो, मुझे भरोसा है तुझपे.. काम मैं घर से कर लाऊंगी सारा फिकर मत कारियो ज्यादा । बाय।"