Vo Pehli Baarish - 8 in Hindi Fiction Stories by Daanu books and stories PDF | वो पहली बारिश - भाग 8

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वो पहली बारिश - भाग 8

"हाय.. गुड मॉर्निंग", अपने डेस्क पे काम करती हुई चंचल को विश करते हुए निया अपने डेस्क पे पहुंचती है, तो देखती है की वहां एक डब्बा पड़ा था, जिसपे एक चिट लगी थी।

"आपको ये कल अच्छे लगे थे ना, तो मैं और लाई हूं, खा कर बताएगा की कैसे है!!"

"मुझे क्या अच्छा लगा था?", निया खुद से बोल कर ऊपर की ओर देखती ही है, कि इतने में उसके सामने एक लड़की छोटी सी शक्ल बनाए खड़ी दिखती है। "इसे कहीं तो देखा था, पर कहां, याद नहीं आ रहा, लेकिन ये मुझे ऐसे क्यों देख रही है? ओह शट.. ये तो वो अन्नू है, ध्रुव की दोस्त, इसने रखा क्या ये!! लगता है गलत जगह रख दिया।" निया वो लंचबॉक्स उठा कर ध्रुव के डेस्क पे रख देती है। वो जैसे ही अपने डेस्क पे पीछे मुड़ती है, तो देखती है, अन्नू उसे देख कर मुस्करा रही होती है।

कुछ देर बाद जब निया, चंचल को प्राइवेसी फिल्टर देती है, "चंचल, ये प्राइवेसी फिल्टर आपके लिए, आपने मंगाए थे ना।"

"हां, पर वो तो तुम लोगो के लिए मंगाने को कहा था, मेरे पास तो है।", चंचल धीरे से बोली।

"अच्छा, अभी मंगाया क्या आपने? कुछ दिन पहले तो आप भी कह रहे थे ना, की नहीं है।"

"अ..अ.. हां, बस तभी मिल गया था। वो छोड़ो तुम ये बताओ की काम कितना हुआ है?"

"अच्छा.. हां मुझे 10 मिनट दीजिए, मैं आपको सारा स्टेटस देती हूं।", निया हल्का घबरा के अपने सीट पे जाती है तो देखती है, की अपने सीट पे बैठा ध्रुव हँस रहा था। आज वो अलग ही खुश नज़र आ रहा था।

"इसे क्या हो गया अचानक से? ओह.. ये वो लॉन्च बॉक्स के वजह से तो इतना खुश नहीं है!! मैंने ये पहले क्यों नहीं सोचा, मैंने देखा भी था कल, पर इतना सोचा नहीं और कुनाल भी तो कह रहा था कल शाम में, की ये किसी को पसंद करता है, अब समझ आया सब।" निया काम करते हुए सोचती है।

शाम को धीरे धीरे जब लोग निकलने लग जाते है, तो निया ध्रुव के पास अपनी चेयर करके कहती है, "ओए.. आज भी इक्कटे चले?"

"हहमम.. " ध्रुव अपने स्क्रीन के तरफ़ देखते हुए ही बोला।

शाम के 7:30 बज रहे थे, तो ध्रुव निया की तरफ़ बढ़ते हुए बोला, "आज भी ओवरटाइम करना है क्या तुमने?"

"नहीं, बस 5 मिनट दो चलते है।"

वो दोनो बाहर निकल कर बस स्टॉप की ओर पहुंचते ही है, तो उन्होंने देखा की वहां बहुत भीड़ है। ध्रुव भीड़ में खड़े एक लड़के से पूछता है, की इतनी भीड़ कैसे है, तो पता लगता है, की पीछे से रास्ते में जाम होने की वजह से कोई भी बस या ऑटो पिछले एक घंटे से नहीं आया है, तो सब उसका ही इंतजार कर रहे है।

पास ही खड़ी निया ये सुनकर मुंह बना लिया, और बोली, "क्या करे अब?"

"पैदल चले?"

"हां.. ठीक है।"

"सही में, मैं तो मज़ाक में कह रहा था।"

"पर मैं मैं सच में कह रही हूं।"

"पक्का?"

"हां"

"चलो फिर!!"

उस बस स्टैंड से दोनो की सोसायटी बहुत ज्यादा दूरी पे नहीं थी, तो दोनो ने चलने का फैसला लिया।

"तो..??" ध्रुव साथ चल रही निया से पूछता है।

"तो.. मतलब?"

"कुछ कहना था क्या तुम्हें?"

"अम्.. नहीं तो। अच्छा हां, ये बताओ की ये पहली बारिश कॉमिटी क्या है?"

"वो.. हां, पहली बारिश कमिटी.. एक ऐसी कमिटी है, जो मैंने उन लोगो के लिए बनाई है, जो ये बेरहम पहली बारिश का शिकार होते है।"

"बेरहम पहली बारिश?"

"हां.. बेरहम.. तुम्हे पता नहीं होगा, पर ना जाने हर महीने ये पहली बारिश कितने ही ब्रेकअप कराती है?"

"हर महीने??"

"हां.. वैसे तो सीज़न की पहली बारिश सबसे ज्यादा खतरनाक होती है, जिसमें तुम्हारा ब्रेकअप हुआ था। पर महीने की पहली बारिश भी कोई कम नहीं है। मैं दिखाता हूं तुम्हें, फिर और अच्छे से समझ आएगा।"
ध्रुव फट से अपने अपने कंधे पे टंगे गाड़े हरे रंग के बैग को आगे करते हुए बोलता है।
उसमें से एक टैब निकाल कर, ध्रुव निया को 2–3 चार्ट दिखाता है, जिनमें महीने के हिसाब से पहली बारिश से होने वाले ब्रेकअप दिख रहे थे। ऊंची नीचे होती हुई उन लाइनों को निया जब देखती है, तो सवाल करती है, "मतलब क्या है इसका?"

"मतलब.. देखो ये जब भी सीज़न स्टार्ट होता है, तो पहली बारिश से होने वाले ब्रेकअप कितने बड़ जाते है। इस बार तो सिर्फ यहां यहां पर पहली ३२ ब्रेकअप की खबरें आई है। और पुने में ५० से ज्यादा। "

"पर तुम्हें नहीं लगता, की कितने ब्रेकअप आम तौर पे भी होते होंगे।"

"नहीं, ये देखो.. ये जो दूसरा चार्ट है, उसमें देखो, औसत १० है बस।"

"अच्छा.. मैं ये जानने में इच्छुक हूं की तुम्हें ये सब डेटा मिलता कहां से है?"

"ओह.. पहली बारिश कमेटी के फॉलोअर्स, मुझे ये डेटा इकठ्ठा करने में मदद करते है।"

"अच्छा.. मतलब तुम्हारे जैसे और भी पागल है क्या?" निया धीरे से बोली।

"क्या कहा तुमने?"

"कुछ नहीं, बस ये की मैंने नहीं सोचा था कि तुम्हारी इस पहली बारिश कमेटी का इतना नाम है।"

"हाहा.. इतना नहीं है शायद।"

"तो कितने मेंबर्स है तुम्हारी कमेटी में?"

"लगभग १००.. पर सब वर्चुअल ही है।"

"ओह.. सही है, तो ये सब कभी ना कभी इसका शिकार हुए है?"

"हां"

"सभी, मतलब तुम भी?"

"अम.. हां कह सकते हो?"

"अच्छा.. ज़रा और बताओ इस बारे में कौन थी वो, कैसी थी?", निया उत्साह से भरपूर होकर साथ चलते हुए ध्रुव के आगे आकर, उसके चेहरे के सामने खड़ी होकर पूछती है।
तब तक अपनी चाल से चलता हुआ ध्रुव भी हल्का सा आगे बड़ जाता है, और निया को आपने काफ़ी पास महसूस करता है।

एक मिनट के लिए अपनी बड़ी हुई धड़कनों को संभालते हुए, ध्रुव आगे आई हुई निया के माथे पे दो उंगलियां रख कर उसे हल्का से पीछे करता हुआ बोला, "कभी और फुरसत से बात करेंगे इस बारे में।"

"अपने सवाल का मनचाहा जवाब ना पाने पे, निया ने हल्का सा मुंह बनाया और वापस से ध्रुव के साथ जाकर खड़ी हो गई, "तो इस पहली बारिश कमिटी में मेरा क्या काम होगा?"

"क्योंकि तुम यहीं हो, तो मैं सोच रहा था की हम मिल कर ऐसे लोगो की मदद करे जो पहली बारिश के शिकार है।"

"अच्छा.. और मेरी मदद कौन करेगा?"

"अ.. वो..", ध्रुव कुछ सोचते हुए बोलने को कोशिश कर रहा होता है, की इतने निया टोकती है।

"अरे बस.. इतना ना सोचो, मैं मज़ाक कर रही थी, मैं ठीक हूं एकदम।"